विदेश

रूस ने यूक्रेन में मानवता के ख़िलाफ़ अपराध किए हैं: कमला हैरिस

अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा है कि उनके देश ने औपचारिक रूप से यह तय कर लिया है कि रूस ने यूक्रेन में मानवता के ख़िलाफ़ अपराध किए हैं।

म्यूनिख़ सिक्योरिटी कॉन्फ्रेन्स में कमला हैरिस ने रूस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। कमला हैरिस ने कहा है कि जब से यूक्रेन पर हमले हुए हैं, तब से रूस ने 'हत्या, जुल्म, बलात्कार और निर्वासन जैसे जघन्य काम' किए हैं।

म्यूनिख़ सिक्योरिटी कॉन्फ्रेन्स के दौरान दुनिया के तमाम नेताओं ने यूक्रेन का लंबे समय तक समर्थन करने की अपील की है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने यूक्रेन का सैन्य समर्थन और बढ़ाने की ज़रूरत बताई है। ऋषि सुनक ने कहा है कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों को उसके भविष्य की सुरक्षा के लिए योजना बनाने और यूक्रेन को हथियार भेजने की ज़रूरत है।

म्यूनिख़ सिक्योरिटी कॉन्फ्रेन्स में कमला हैरिस ने कहा है कि यूक्रेन में हुए कथित अपराधों के लिए ज़िम्मेदार लोगों को इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

हैरिस ने कहा, "उनके कृत्य हमारे सामान्य मूल्यों और हमारी मानवता पर हमला हैं।''

कमला हैरिस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, एक ख़ास नागरिक समाज पर 'व्यापक या सिस्टमैटिक हमला' मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है।

अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा, "यूक्रेन में रूस की कार्रवाई को लेकर हमने सबूतों की जांच की। हम क़ानूनी मानकों को जानते हैं और इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये मानवता के ख़िलाफ़ अपराध हैं।''

कमला हैरिस ने यूक्रेन में युद्ध के दौरान बूचा और मारियोपोल में हुए 'बर्बर और अमानवीय' अत्याचारों का हवाला दिया।

कमला हैरिस ने कहा, "हम सभी सहमत हैं कि ज्ञात और अज्ञात सभी पीड़ितों के लिए न्याय होना चाहिए।''

हालांकि रूस ने अपने हमलों में नागरिकों को निशाना बनाने के आरोपों से बार बार इनकार किया है।

जर्मनी के म्यूनिख़ में म्यूनिख़ सिक्योरिटी कॉन्फ्रेन्स 24 फरवरी 2023 को यूक्रेन पर हुए रूस के हमले की पहली सालगिरह पर आयोजित किया जा रहा है।

राष्ट्रपति रईसी की चीन यात्रा: राष्ट्रपति शी ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर क्या कहा?

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी चीन की यात्रा पर हैं।

चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक़, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर जल्द से जल्द और उचित प्रस्ताव लाने के लिए कहा है।

जिनपिंग ने ईरान के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए अपना समर्थन देने की बात की है।

जिनपिंग ने बीजिंग में ईरानी राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी से कहा कि वो ईरान के परमाणु समझौते को लागू करने लिए फिर से सकारात्मक तौर पर बातचीत शुरू करेंगे।

साल 2015 में ईरान ने जर्मनी, चीन, अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस के साथ एक समझौता किया था।

इस समझौते के तहत ईरान पर लगे प्रतिबंधों को हटाने के बदले ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रमों को सीमित करना था। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में अमेरिका को इससे अलग कर लिया था, इसके बाद से यह समझौता रद्द हो गया था।

चीन ने इस क़दम की आलोचना की थी और कहा था कि इस समझौते पर फिर से लौटने के लिए अमेरिका को पहल करनी चाहिए।

सितंबर 2022 में अमेरिका ने ईरान के तेल निर्यात से जुड़ी कुछ कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगाए थे, इनमें पांच कंपनियां चीन की थीं।

पश्चिमी देश, उभरती हुई एक बहुध्रुवीय दुनिया की प्रक्रिया को पलटने की कोशिश कर रहे हैं: रूस

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अफ्रीकी देशों की अपनी यात्रा के दौरान शुक्रवार, 27 जनवरी 2023 को कहा कि पश्चिमी देश, उभरती हुई एक बहुध्रुवीय दुनिया की प्रक्रिया को पलटने की कोशिश कर रहे हैं।

इस दौरान उन्होंने कहा है कि बहुध्रुवीय इतिहास की घड़ी सही दिशा में घूम रही है।

रूस की समाचार एजेंसी तास ने लावरोव के हवाले से कहा है कि बहुध्रुवीय दुनिया का उदय एक उद्देश्यपूर्ण और अजेय प्रक्रिया है, जो होकर रहेगा।

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने चीन और भारत के तीव्र विकास के साथ तुर्की, मिस्र, ब्राजील और लातिन अमेरिकी और फ़ारस की खाड़ी ​के पास स्थित देशों के उभार का ज़िक्र किया है।

उन्होंने वैश्विक बहुध्रुवीय दुनिया को आकार देने में पांच देशों के संगठन 'ब्रिक्स' की भूमिका को अहम क़रार दिया है।

सर्गेई लावरोव ने कहा, "ऐसे में अमेरिका, नेटो और अमेरिका द्वारा पूर्णत: नियंत्रित यूरोपीय संघ की इसे पलटने के सामूहिक प्रयासों के बावजूद बहुध्रुवीय इतिहास की घड़ी सही दिशा में चल रही है।''

उन्होंने पश्चिम के इन तथाकथित प्रयासों को बेकार बताते हुए कहा कि वे केवल इस प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं।

सर्गेई लावरोव ने इसी हफ़्ते भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की तारीफ़ करते हुए कहा था कि उसकी विदेश नीति को विदेशों से नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

शंघाई समूह सहयोग संगठन: भारत के निमंत्रण पर पाकिस्तान ने क्या कहा?

भारत में शंघाई समूह सहयोग संगठन की बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी को निमंत्रित किए जाने पर पाकिस्तान ने कहा है कि वो इस पर विचार कर रहा है।

भारत इस बार शंघाई समूह सहयोग संगठन की बैठक का आयोजन कर रहा है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रेस ब्रीफ़िंग में कहा गया है कि सदस्य देशों को निमंत्रण देने की एक स्टैंडर्ड प्रक्रिया है जिसके तहत भारत ने न्योता भेजा है।

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस निमंत्रण पर मानक प्रक्रिया के तहत विचार किया जा रहा है और इस पर उचित निर्णय लिया जाएगा।

दोनों देशों के बीच रिश्ते बीते काफ़ी समय से तल्ख़ रहे हैं और हाल ही में अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने दावा किया था कि दोनों देशों के बीच एक समय परमाणु युद्ध छिड़ने की नौबत आ गई थी।

पॉम्पियो ने अपनी किताब में दावा किया है कि साल 2019 के फरवरी महीने में भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध छिड़ने की नौबत आ गयी थी।

पॉम्पियो के मसले पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ये उनका निजी संस्मरण है। लेकिन सारी दुनिया जानती है कि फ़रवरी 2019 में किसने आक्रमण किया था और किसने संयम का परियच दिया।

भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को भारतीय सैनिकों के काफ़िले पर आत्मघाती हमला किया गया था जिसमें चालीस सैनिकों की मौत हुई थी।

भारत ने इसके बाद पाकिस्तान पर 27 फरवरी 2019 को अहले सुबह हवाई हमले किए थे जिसमें भारत ने कई चरमपंथियों को मारने का दावा किया था। इसके जवाब ने पाकिस्तान ने भारत पर 28 फरवरी 2019 को सुबह में हवाई हमले किए। परिणामस्वरूप भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ने की नौबत आ गई। लेकिन अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध टली। तब से अब तक भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण सम्बन्ध है।

इसराइल और तुर्की के बीच राजनयिक संबंध पूरी तरह बहाल होते दिख रहे

इसराइल और तुर्की के बीच चल रही तनावपूर्ण स्थिति के बाद अब राजनयिक संबंध पूरी तरह बहाल होते दिख रहे हैं।

मंगलवार, 27 दिसम्बर 2022 को तुर्की में इसराइल की राजदूत आइरिट लिलियन ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तय्यप अर्दोआन को अपना विश्वास पत्र सौंपा। कई सालों बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते फिर से शुरू हुए हैं।

आइरिट लिलियन जनवरी 2021 से तुर्की में उपराजूदत के तौर पर नियुक्त थीं, लेकिन अब विश्वास पत्र देने के बाद उन्हें औपचारिक तौर पर इसराइल के राजदूत का दर्जा दे दिया गया है।

आइरिट लिलियन ने कहा, ''इस मौके ने दिल को उम्मीदों से भर दिया है। हम सभी उम्मीद करते हैं कि इसरायल और तुर्की के बीच राजनीतिक मेल-मिलाप की प्रक्रिया तेज़ होगी और कई क्षेत्रों तक इसका विस्तार होगा।''

दिसंबर 2022 में इसराइल में भी तुर्की के नए राजदूत साकिर ओज़कान ने अपना विश्वास पत्र सौंपा था।

इसराइल में प्रधानमंत्री पद के लिए नामित बिन्यामिन नेतन्याहू और अर्दोआन के बीच एक नवंबर 2022 के चुनाव के बाद बात हुई थी।

इसमें दोनों नेताओं ने पारस्परिक हितों का सम्मान करते हुए साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई थी।

कभी क्षेत्रीय सहयोगी रहे इसराइल और तुर्की के बीच लगभग एक दशक से रिश्तों में तनाव चल रहा था।

गज़ा पट्टी में सहायता के लिए जा रहे एक जहाज़ पर छापेमारी के बाद तुर्की ने साल 2010 में इसराइल के राजदूत को बर्ख़ास्त कर दिया था। इस घटना में 10 तुर्की नागरिक मारे गए थे।

फिर साल 2016 में राजनयिक रिश्ते बहाल हुए। लेकिन, दो साल पहले तुर्की ने अपने राजदूत को इसराइल से वापस बुला लिया था।

ये फ़ैसला गज़ा पट्टी पर इसराइल की ओर से फ़लस्तीनियों के विरोध प्रदर्शन पर की गई फ़ायरिंग के कारण लिया गया था। इसके बाद से दोनों देश एक-दूसरे से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।

अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के पढ़ने और काम करने पर रोक को लेकर यूएनएससी ने चिंता जताई

अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के लिए स्कूल, विश्वविद्यालयों में पढ़ने और एनजीओ में काम करने पर रोक लगाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गहरी चिंता ज़ाहिर की है।

सुरक्षा परिषद ने मंगलवार, 27 दिसम्बर 2022 को एक बयान जारी कर अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के लिए समान और पूरे अधिकारों की अपील की है।

साथ ही कहा है कि तालिबान सरकार स्कूल फिर से खोले और अपनी उन नीतियों में बदलाव करे जो मानवाधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं।

हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने लड़कियों के विश्वविद्यालय जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे पहले लड़कियों के छठी कक्षा के बाद स्कूल में पढ़ने पर पाबंदी लगाई गई थी।

वहीं, लड़कियों और महिलाओं के ग़ैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) में काम करने पर भी रोक लगा दी गई है।

इस पर सुरक्षा परिषद ने कहा, ''महिलाओं के एनजीओ और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में काम ना करने से देश में मानवीय मदद के लिए चल रहे अभियान प्रभावित होंगे।

इनमें संयुक्त राष्ट्र के चलाए जा रहे अभियान भी शामिल हैं। ये प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उम्मीदों और उन प्रतिबद्धताओं से अलग हैं जो तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के लोगों से की थी।''

वहीं, सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने महासचिव के विशेष प्रतिनिधि और अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) को अपना पूर्ण समर्थन फिर से दोहराया।

साथ ही उनके काम के महत्व पर ज़ोर दिया जिसमें अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति की निगरानी, जानकारी देना और इन मसलों पर सभी संबंधित राजनीतिक पक्षों और हितधारकों से बातचीत करना शामिल है।

भारत साल 2022 के दिसंबर में सुंयक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता रहा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की मौजूदा स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने ये बयान जारी किया है।

चीन फलस्तीनी राज्य की स्थापना का समर्थन करता है: शी जिनपिंग

रियाद में हुए अरब-चीन समिट में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि अरब देशों और चीन के बीच साझेदारी का एक नया पड़ाव शुरू होने जा रहा है।

क्राउन प्रिंस ने अरब नेताओं और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने कहा, ''किंगडम अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए चीन के साथ सहयोग बढ़ाने पर काम कर रहा है।''

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि ये समिट "उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएगा।'' साथ ही उन्होंने चीनी-अरब पारस्परिक हितों की ''व्यापक सहयोग'' की बात कही।

अरब देश और चीन के बीच हुई इस बैठक के बाद दोनो ही पक्षों की ओर से एक साझा बयान जारी किया गया है।

राष्ट्रपति जिनपिंग ने क्षेत्र की स्थिरता को बनाए रखने के महत्व को दोहराया। उन्होंने कहा कि चीन क्षेत्र में महत्वपूर्ण मामलों के ''राजनीतिक समाधान'' तक पहुंचने के अरब के प्रयासों का समर्थन करता है।

शी जिनपिंग ने ये भी कहा कि इस्लामोफ़ोबिया और चरमपंथ का कड़ाई से मुकाबला करना होगा और 'आतंकवाद' को एक धर्म विशेष से नहीं जोड़ा जा सकता।

इसके अलावा अरब देशों ने ज़ोर देकर कहा कि फ़लस्तीन मध्य-पूर्व का मुख्य मुद्दा है और रहेगा। जिसमें दोनों-देशों (इसराइल और फ़लस्तीन) की ओर से बेहतर और टीकाऊ समाधान निकालने की ज़रूरत है जिससे इसराइली कब्ज़े से फ़लस्तीन को बाहर निकाला जा सके। ये समाधान यूएन के रिजॉल्यूशन के मुताबिक़ होना चाहिए।

इस पर शी जिनपिंग ने कहा कि ''ऐतिहासिक अन्याय'' जिसे फ़लस्तीनी लोगों ने सहा है ''आगे नहीं बढ़ना चाहिए।'' चीन फलस्तीनी राज्य की स्थापना का समर्थन करता है।

स्टॉलटेनबर्ग ने यूक्रेन में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर रूस को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी

नेटो के महासचिव जेन्स स्टॉलटेनबर्ग ने यूक्रेन में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर रूस को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है।

उन्होंने रविवार, 2 अक्टूबर 2022 को कहा, ''परमाणु हथियारों को लेकर हो रही बयानबाजी ख़तरनाक है और यह बड़ी लापरवाही है और किसी भी तरह के परमाणु हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध के तरीक़े को बदल सकता है।''

नेटो महासचिव ने कहा, ''परमाणु युद्ध कभी न तो लड़ा जाना चाहिए और न ही जीता जा सकता है। ये संदेश स्पष्ट रूप से नेटो और उसके सहयोगी रूस को देना चाहते हैं।''

स्टॉलटेनबर्ग का ये बयान ऐसे समय पर आया है, जब यूक्रेन में अपनी सेना पर बढ़ते दबाव और कई इलाकों में हार के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियार इस्तेमाल करने के संकेत दिए हैं।

रूस के लोग ही कर रहे अपनी सेना की आलोचना

पश्चिमी देशों के नेता और सरकारें यह मानती हैं कि शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 के बाद से यह ख़तरा और बढ़ा है, जब राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्र में चार इलाक़ों को आधिकारिक तौर पर रूस का हिस्सा घोषित कर दिया।

वहीं यूक्रेन का दावा है कि उसकी सेनाओं ने पूर्व में दोनेत्स्क प्रांत के लाइमन इलाके पर फिर से कब्जा कर लिया है। लाइमन को रेलवे हब के रूप में जाना जाता है।

लाइमन में रूसी सेना की हार के कारण रूस के सैन्य नेतृत्व की काफ़ी आलोचना हो रही है। इसके बाद पुतिन के कुछ करीबियों ने यूक्रेन पर और मज़बूत हमला करने की मांग शुरू कर दी है। कुछ कट्टर राष्ट्रवादी कम असर वाले परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की वकालत भी कर रहे हैं।

रूस को चेतावनी

रूसी नेता रमज़ान कादिरोव ने शनिवार, 1 अक्टूबर 2022 को कहा कि युद्ध में रूस की रणनीति में बदलाव की जरूरत है। रूस को ''सीमा वाले इलाकों में मार्शल लॉ लागू करने और यूक्रेन पर कम असर वाले परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की जरूरत है।''

टैक्टिकल परमाणु हथियार कम असरदार होते हैं। ये पारंपरिक परमाणु हथियारों के मुकाबले 10 फीसदी ही असर डालते हैं।

स्टॉलटेनबर्ग ने नेटो देशों के इनफ्रास्ट्रक्टर पर हमले को लेकर भी रूस को चेतावनी दी है। उन्होंने संकेत दिए हैं कि नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन लीक भी किसी साजिश के तहत हुआ है।

उन्होंने कहा कि लाइमन में जिस तरह रूस की सेना को पीछे हटना पड़ा वो यूक्रेन के साहस और बहादुरी को दिखाता है। उन्होंने इसके लिए अमेरिका और नेटो के दूसरे देशों की ओर से दिए जा रहे हथियारों को भी वजह माना।

नेटो क्या है?

नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में बना था। इसे बनाने वाले अमेरिका, कनाडा और अन्य पश्चिमी देश थे। इसे इन्होंने सोवियत यूनियन से सुरक्षा के लिए बनाया था। तब दुनिया दो ध्रुवीय थी। एक महाशक्ति अमेरिका था और दूसरी सोवियत यूनियन।

शुरुआत में नेटो के 12 सदस्य देश थे। नेटो ने बनने के बाद घोषणा की थी कि उत्तरी अमेरिका या यूरोप के इन देशों में से किसी एक पर हमला होता है तो उसे संगठन में शामिल सभी देश अपने ऊपर हमला मानेंगे। नेटो में शामिल हर देश एक दूसरे की मदद करेगा।

लेकिन दिसंबर 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद कई चीज़ें बदलीं। नेटो जिस मक़सद से बना था, उसकी एक बड़ी वजह सोवियत यूनियन बिखर चुका था। दुनिया एक ध्रुवीय हो चुकी थी। अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बचा था। सोवियत यूनियन के बिखरने के बाद रूस बना और रूस आर्थिक रूप से टूट चुका था।

यूक्रेन के चार इलाकों के रूस में विलय के ऐलान के बाद अमेरिका ने नए प्रतिबंध लगाए

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के चार इलाकों के रूस में विलय की घोषणा की कड़ी आलोचना की है। राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, ''यूक्रेन के संप्रभु इलाकों को रूस में मिलाने की धोखे भरी कोशिश की अमेरिका निंदा करता है।

रूस अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन कर रहा है, संयुक्त राष्ट्र के चार्टर को कुचल रहा है और शांतिपूर्ण देशों का अनादर कर रहा है।''

उन्होंने कहा, ''ऐसे कामों की कोई वैधता नहीं है। अमेरिका हमेशा यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का सम्मान करता रहेगा। हम इन इलाकों को वापस हासिल करने की यूक्रेन की कोशिशों को अपना समर्थन देते रहेंगे। इसके लिए कूटनीतिक और सैनिक रूप से हम यूक्रेन के हाथ मजबूत करते रहेंगे।''

राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि अमेरिका ने इस हफ़्ते यूक्रेन को अतिरिक्त सुरक्षा मदद के लिए 1.1 अरब डॉलर की मदद का ऐलान किया है।

रूस पर नए प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, ''यूक्रेन के इलाकों पर कब्ज़े के दावों के जवाब में अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ आज नए प्रतिबंधों की घोषणा करता है। ये प्रतिबंध रूस के अंदर और बाहर यूक्रेन की सीमाओं की स्थिति बदलने की अवैध कोशिशों को राजनीतिक और आर्थिक समर्थन देने वाले व्यक्तियों और संगठनों पर लागू होंगे।''

''हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से रूस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराने के लिए एकजुट करने की कोशिश करेंगे। मुझे उम्मीद है कि यूक्रेन की मदद के लिए 12 अरब डॉलर अतिरिक्त देने के प्रस्ताव वाले क़ानून को कांग्रेस से मंज़ूरी मिल जाएगी।''

यूक्रेन के चार इलाके- दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसन और ज़पोरिज़िया अब रूस का हिस्सा हैं: राष्ट्रपति पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 को इस बात का ऐलान कर दिया है कि यूक्रेन के चार इलाके- दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसन और ज़पोरिज़िया अब रूस का हिस्सा हैं।

उन्होंने कहा, ''यूक्रेन के चार इलाके के लोगों ने अपना फ़ैसला कर लिया है। जनमत संग्रह के नतीजे जगजाहिर हैं। लोगों ने चुनाव कर लिया है। एक मात्र फ़ैसला।''

रूस के नियंत्रण वाले यूक्रेन के इन चार इलाकों में जनमत संग्रह को पश्चिमी देशों और क़ानूनी विशेषज्ञों ने अवैध करार दिया है। पुतिन मॉस्को में क्रेमलिन से बोल रहे थे।

उन्होंने कहा, ''मुझे पूरा भरोसा है कि फेडरल असेंबली रूस के इन चार नए इलाकों को अपना समर्थन देगी क्योंकि ये लाखों लोगों की इच्छा है।''

उन्होंने कहा कि जनमत संग्रह के नतीजे उन लोगों के 'प्राकृतिक अधिकार' को दर्शाते हैं जिन्होंने इसमें अपना वोट दिया है। पुतिन ने अपने संबोधन में इतिहास का भी जिक्र किया।

उन्होंने दावा किया कि रूसी लोगों की कई पीढ़ियों ने इन इलाकों के लिए जंग लड़ी है। उन्होंने इस जंग में मारे गए सैनिकों की याद में एक मिनट के मौन रखने की अपील की। पुतिन ने कहा कि ये सैनिक रूस के हीरो थे।

पुतिन ने कहा कि वे चाहते हैं कि कीएव और पश्चिमी देशों के लोग ये बात सुन लें कि डोनबास क्षेत्र के लोग अब हमेशा के लिए रूस के नागरिक बन जाएंगे।

उन्होंने कहा कि ''रूस अपनी ज़मीन की हर तरह से हिफाजत करेगा ताकि हमारे लोग सुरक्षित तरीके से रह सकें। रूस इन इलाकों के गांवों और शहरों का पुनर्निमाण करेगा और स्वास्थ्य एवं शिक्षा के बुनियादी ढांचे का विकास करेगा।''