विदेश

डोनाल्ड ट्रंप खुफिया टेपों के बारे में खुलासा करेंगे

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आने वाले दिनों में यह घोषणा कर सकते हैं कि पूर्व एफबीआई निदेशक जेम्स कोमी के साथ उनकी निजी बातचीत की कोई रिकॉर्डिंग है भी या नहीं।

यह घोषणा हालिया जांच से जुड़ी मुख्य रहस्यों को खत्म कर सकती है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने कल कहा कि वह 'इस सप्ताह' टेपों की संभाव्यवता से जुड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप ने मई में कोमी को बर्खास्त कर दिया था और फिर ट्वीट किया था कि ट्रंप के चुनाव अभियान और रूसी अधिकारियों के बीच संभावित संपर्कों की जांच का निरीक्षण कर चुके कोमी प्रेस में जानकारी लीक करने से पहले यह उम्मीद करें कि हमारी बातचीत के कोई टेप न हों।

ट्रंप और उनके सहयोगियों ने उसके बाद से यह स्पष्ट करने से सीधा इनकार किया है कि क्या यह एक असाधारण और छिपी हुई चेतावनी थी?

राष्ट्रपति ने पिछले माह संवाददाताओं से कहा था कि इस बारे में मैं आपको निकट भविष्य में बताउंगा, लेकिन उन्होंने इस बात का संकेत नहीं दिया था कि टेप हैं भी या नहीं। हालांकि उन्होंने यह कहा था कि कुछ पत्रकार जवाब को जानकर बेहद निराश होंगे।

सदन की खुफिया समिति ने व्हाइट हाउस के वकील डोन मैकगान से कहा था कि वे टेप से जुड़े सवालों के जवाब शुक्रवार तक दे दें।

वाटरगेट के बाद बने कानून प्रेजीडेंशियल रिकॉडर्स एक्ट के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा की गई रिकॉर्डिंगों पर जनता का अधिकार है और उन्हें सार्वजनिक किया जा सकता है। उन्हें नष्ट करना अपराध माना जाएगा।

भारत का न्यूक्लियर ग्रुप में एंट्री और मसूद अजहर के मुद्दे पर चीन साथ नहीं देगा

चीन ने पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के नेता पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध को एक बार फिर बाधित करने का संकेत देते हुए मंगलवार (20 जून) को कहा कि इस विशेष मामले में आतंकवाद के मुद्दे के संबंध में संयुक्त राष्ट्र समिति में असहमति बरकरार है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग की टिप्पणियां संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति की अगले माह होने जा रही समीक्षा से पहले अजहर के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में आर्इं।

गेंग ने संवाददाताओं को बताया, ''अपने रूख के बारे में हम कई बार बात कर चुके हैं। हमारा मानना है कि लक्ष्य एवं पेशेवर तथा न्याय संबंधी सिद्धांतों को बरकरार रखा जाए।''

संवाददाताओं ने गेंग से पूछा था कि अजहर पर संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंध लगाने के भारत के कदम पर चीन द्वारा बार-बार लगाई जाने वाली तकनीकी रोक को लेकर क्या कोई अग्रगामी कदम है। उन्होंने कहा, ''वर्तमान में, इस सूचीबद्ध मामले को लेकर कुछ सदस्यों में असहमति बरकरार है। चीन इस मुद्दे पर सामयिक पक्षों के साथ सहयोग और संवाद के लिए तैयार है।''

बीजिंग ने पठानकोट आतंकी हमले में अजहर की भूमिका के लिए उसे आतंकवादी घोषित करने के अमेरिका एवं अन्य देशों के संयुक्त राष्ट्र में प्रयासों पर तकनीकी रोक लगा रखी है। पिछले साल चीन ने अजहर को आतंकवादी का दर्जा देने के भारत के आवेदन पर तकनीकी रोक लगा दी थी।

फरवरी में चीनी अधिकारियों के साथ रणनीतिक वार्ता कर चुके विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा, ''अजहर के मामले में, जैश खुद 1267 के तहत निषिद्ध है। इसलिए सबूत तो 1267 समिति की कार्रवाई में है। इस मामले में जो कुछ भी उसने किया है, उसकी गतिविधियों का विस्तृत ब्यौरा है।''

उन्होंने कहा, ''ऐसा नहीं है कि समझाने के लिए सबूत का जिम्मा भारत का ही है। प्रायोजक (अमेरिका और अन्य देश) भी इस बात से सहमत प्रतीत होते हैं अन्यथा वे प्रस्ताव पेश करने की पहल नहीं करते।''

जयशंकर का इशारा अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा अजहर के खिलाफ कार्रवाई पर जोर दिए जाने के संबंध में था। यूएन की 1267 समिति में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य हैं। अजहर के मुद्दे पर गेंग की प्रतिक्रिया के पहले ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक हुई थी जिसमें आतंकवाद से निपटने और इसकी रोकथाम के लिए एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाने पर कड़ा रूख अपनाया गया था।

बैठक में हिस्सा लेने वाले विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह ने कहा था कि अच्छे और बुरे आतंकवादी पर अस्पष्टता खत्म करते हुए ब्रिक्स को संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद पर एक व्यापक घोषणापत्र का समर्थन करना चाहिए। वी के सिंह ने कल ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''ब्रिक्स देशों में इस बात पर आम सहमति है कि हर तरह के आतंकवाद की निंदा की जानी चाहिए और सहयोग के लिए विभिन्न कदम उठाने चाहिए ताकि आतंकवाद का प्रसार न हो और हम में से किसी भी देश को कोई नुकसान न हो।''

गेंग ने कहा कि ब्रिक्स देशों के पास आतंकवाद से निपटने के लिए एक कार्यकारी समूह है। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र घोषणापत्र की जरूरत पर चीन का साझा रूख है। उन्होंने कहा, ''जहां तक आतंकवाद से निपटने पर सम्मेलन का सवाल है तो मेरा मानना है कि चीन और ब्रिक्स के अन्य देशों का रूख मिलता-जुलता है। हमें उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा आतंकवाद पर एक समग्र घोषणापत्र पारित कर सकती है।''

अमेरिका ने पहली बार मार गिराया सीरिया का फाइटर प्लेन

अमेरिका के एक लड़ाकू विमान ने पहली बार किसी सीरियाई युद्धक विमान को मार गिराया है। वाशिंगटन का आरोप है कि सीरियाई विमान अमेरिकी समर्थन वाले लड़ाकों पर हमला कर रहा था। इससे अमेरिका और सीरिया की सेना के बीच नये सिरे से तनाव की स्थिति बन गई है। इस घटना ने सीरिया में पिछले छह वर्षों से चल रहे युद्ध को और जटिल बना दिया है।

सीरियाई सरकार के सहयोगी ईरान ने भी कल अपनी सीमा से पहली बार पूर्वी सीरिया में इस्लामिक स्टेट के कथित ठिकानों पर हमला किया। तेहरान में हुए हमले की जिम्मेदारी आईएस द्वारा लिए जाने के बाद ईरान ने यह कार्वाई की है।

विश्लेषकों का कहना है कि वाशिंगटन या बशर अल-असद दोनों ही विवाद और संघर्ष नहीं चाहते हैं, लेकिन चेतावनी दी कि सीरिया के युद्ध में पक्षकारों की संख्या बढ़ने के कारण हालात और जटिल होने वाले हैं। अमेरिका और उसके सहयोगियों की सेना रका के पास जमा हो रही हैं और वहीं पास में रूस समर्थित सीरियाई बल हैं। इससे वहां हालात और जटिल हो गये हैं। इस बीच ईरान ने कहा कि उसने तेहरान पर आईएस के हमले का बदला लेने के लिये रविवार को सीरिया के उत्तरपूर्वी दैर एजोर प्रांत में 'आतंकी अड्डों' के खिलाफ मिसाइल हमला शुरू किया है।

वहीं दूसरी ओर ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) की वायुसेना ने सीरिया के डेर-अल-जोर में आतंकवादियों के गढ़ों पर मिसाइलें दागी हैं। आईआरजीसी के पब्लिक रिलेशंस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, मिसाइल हमला ईरान की राजधानी तेहरान में हुए दोहरे हमलों के जवाब में रविवार को किए गए, ताकि आतंकवादियों को सबक सिखाया जा सके। बयान के मुताबिक, आईआरजीसी की मध्यम दूरी की मिसाइलों को ईरान के पश्चिमी प्रांतों केनमनशाह और कुर्दिस्तान से दागा गया।

रिपोर्टों के मुताबिक, इन हमलों में बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए और हमले में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद नष्ट किए गए। आईआरजीसी ने ईरान पर किसी भी तरह के आतंकवादी हमले का माकूल जवाब देने की प्रतिबद्धता जताई।

गौरतलब है कि सात जून को इस्लामिक स्टेट ने तेहरान पर दो हमले किए थे, जिनमें से एक हमला ईरान की संसद और दूसरा अयातुल्ला खमैनी के मकबरे को निशाना बनाकर किया गया था। इन हमलों में 17 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य घायल हो गए थे। आईआरजीसी के कमांडर ने मंगलवार को कहा था कि तेहरान में सात जून को हुए इन हमलों में सऊदी अरब का हाथ है।

लंदन में 24 मंजिला इमारत में आग लगी, 12 लोगों की मौत, 74 से ज्यादा अस्पताल में भर्ती

पश्चिमी लंदन में 24 मंजिला एक आवासीय इमारत में आज (14 जून) भीषण आग लग गयी जिसमें कम से कम बारह लोगों की मौत हो गयी और 74 अन्य घायल हो गये।

ब्रिटेन में पिछले करीब तीन दशक में यह सबसे भीषण अग्निकांड है। लेटिमेर रोड पर स्थित लैंकेस्टर वेस्ट एस्टेट के ग्रेनफेल टावर में स्थानीय समयानुसार रात एक बज कर 16 मिनट पर आग लगी।

समझा जाता है कि जब इमारत आग की लपटों से घिर गई, तब करीब 600 लोग टावर के 120 फ्लैटों में मौजूद थे।

मेट्रोपोलिटिन पुलिस के कमांडर स्टुअर्ट कंडी ने बताया, ''मैं 12 लोगों की मौत होने की पुष्टि कर सकता हूं लेकिन ये आंकड़े बढ़ने की आशंका है।''

बीबीसी की खबर के मुताबिक, इमारत अब भी आग के घेरे में है। इसके कभी भी ढह जाने की आशंका है। करीब 200 दमकलकर्मी अब भी आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं।

करीब 200 दमकलकर्मी, 40 दमकल वाहन और  एंबुलेंस के 20 लोग मौके पर हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा ने बताया कि कुल 74 लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा, जबकि 20 लोगों की हालत नाजुक है।

दमकलकर्मियों ने बड़ी संख्या में लोगों को बचाया है, लेकिन लंदन के मेयर सादिक खान ने कहा कि कई सारे लोगों के बारे में पता नहीं चल पाया है।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग की लपटों में घिरी इमारत के अंदर फंसे कई लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे और अपने बच्चों को बचाने की गुहार लगा रहे थे। कुछ लोगों को चादर का इस्तेमाल कर इमारत से बच कर निकलने की कोशिश करते देखा गया।

लंदन दमकल सेवा प्रमुख डैनी कॉटन ने संवाददाताओं को बताया, यह एक अभूतपूर्व घटना है। मेरे 29 साल के करियर में कभी भी मैंने इतने बड़े पैमाने पर आग लगने की घटना नहीं देखी।

समझा जाता है कि आग आधी रात के ठीक बाद तीसरी और चौथी मंजिल पर एक खराब रेफ्रीजरेटर के कारण लगी और यह फैलती चली गई।

हालांकि, महानगर पुलिस ने कहा है कि आग लगने की वजह की पुष्टि करने से पहले उसे कुछ वक्त चाहिए।

गौरतलब है कि ग्रेनफेल टावर इलाके के आसपास काफी संख्या में मुसलमान रहते हैं। कई लोग आग लगने के वक्त जगे हुए थे । वे रमजान के दौरान बहुत सवेरे खाई जाने वाली सहरी की तैयारी कर रहे थे।

अमेरिका: वर्जीनिया में अंधाधुंध फायरिंग, डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी के बड़े नेता सहित 5 जख्मी

अमेरिका के वर्जीनिया में रिपब्लिकन पार्टी के वरिष्ठ नेता और सदन के सचेतक स्टीव स्कैलिसे पर बंदूकधारी हमलावर ने बुधवार को अटैक किया। हमले में स्टीव घायल हो गए हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हमलावर द्वारा की गई फायरिंग में रिपब्लिकन पार्टी के नेता समेत कम से कम 5 लोगों के घायल होने की सूचना है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि स्टील स्कैलिसे पर हमला करने वाले शूटर की मौत हो गई है।

फॉक्स न्यूज के मुताबिक, बुधवार सुबह वर्जिनिया में बेसबॉल प्रैक्टिस के दौरान एक शख्स ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। हमलावर की बंदूक से निकली गोली स्टीव के कमर में लगी है। वहीं एक गोली उनके सहयोगी के सीने में लगी। मीडिया रिपोर्ट्स के  अनुसार, स्टीव के साथ उनके तीन करीबी सहयोगी भी इस हमले में जख्मी हुए हैं।

बेसबॉल गेम के दौरान मौजूद अलबामा के सांसद और रिपब्लिकन लॉ मेकर मो ब्रूकस ने बताया कि हमलावर की ओर से 20 से 23 बार फायर किए गए। गोलीबारी के बाद स्कैलिसे खुद को घसीटकर ले गए।

ब्रूकस ने बताया कि वरिष्ठ रिपब्लिकन स्कैलिसे जिंदा हैं। शूटर मध्यम उम्र का श्वेत शख्स लगा रहा था। वह इस बात से अंजान नहीं था कि वह इस पर गोली चला रहा है। गनमैन निश्चित रूप से जानता था कि वह कौन था, जिस पर उसने गोली चलाई।

पुलिस ने मीडिया से बातचीत में इस वर्जीनिया हमले को जानबूझकर किया गया हमला बताया है।

पुलिस ने कहा कि हमलावरों को मालूम था कि रिपब्लिकन पार्टी के लोग यहां प्रैक्टिस कर रहे हैं।

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, फायरिंग की यह घटना व्हाइट हाउस से कुछ मील की दूरी पर हुई।

रिपब्लिकन पार्टी के नेता स्कैलिसे पर हमले को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भी बयान जारी किया गया है। ट्रंप ने अपने ट्वीट में शूटिंग की घटना की निंदा करते हुए लिखा, ''लुसियाना प्रांत के रिपब्लिकन स्टीव स्कैलिसे हमले में बुरी तरह घायल हुए हैं, लेकिन वह जल्द ही पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे। हमारी चिंता और प्रार्थना उनके साथ है।''

बता दें कि जिस समय यह हमला हुआ रिपब्लिकन पार्टी के सांसद चैरिटी मैच के लिए वर्जीनिया के एलेक्सजेंड्रिया में बेसबॉल की प्रैक्टिस कर रहे थे। वहीं, डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद कहीं और मैच की प्रैक्टिस कर रहे थे।

बांग्लादेश में भूस्खलन से 51 की मौत और 11 लोग घायल

बांग्लादेश में तीन दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलनों में 51 लोगों की मौत हो गई और 11 अन्य घायल हो गए हैं।

आपदा प्रबंधन विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

समाचार एजेंसी ईएफई  के मुताबिक, बांग्लादेश आपदा प्रबंधन विभाग (डीएमडी) के महानिदेशक रियाज अहमद ने कहा, रंगमति जिले से 29, चटगांव से 16 और बंदरबाड से छह लोगों की मौत की सूचना मिली है।

इससे पहले रंगमति के अतिरिक्त पुलिस प्रमुख मोहम्मद शाहीदुल्ला ने कहा कि भारी बारिश के कारण बचाव कार्य में बाधा पहुंच रही है।

उन्होंने कहा, ''यहां मौसम बेहद खराब है और यह पहाड़ी इलाका है इसलिए बचाव अभियान में काफी मुश्किलें आ रही हैं।''

मौसम विभाग के चटगांव कार्यालय के प्रवक्ता दिजेन रॉय ने कहा कि उन्होंने पिछले 24 घंटों में 131 मिलीमीटर बारिश दर्ज की है। उन्होंने साथ ही कहा कि बंगाल की खाड़ी में लगातार कम दबाव बने रहने के कारण बारिश जारी रहने की संभावना है।

ढाका में बाढ़ का अनुमान करने वाले केंद्र ने कहा कि सभी प्रमुख नदियों में जल स्तर बढ़ गया है, जबकि कुछ नदियां पहले से ही खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।

भारत के असम के लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। बीते सप्ताह असम में लगातार बारिश के कारण आई बाढ़ से लगभग 13,000 लोग प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा बाढ़ बाद के भूस्खलन से रेल कनेक्टिविटी में बाधा पहुंची है।

असम आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में लखीमपुर, जोरहाट और बिश्वनाथ जिले के 28 गांवों में बाढ़ से लगभग 13,000 लोग प्रभावित हुए हैं।

डीमा हसाओ जिले के पहाड़ी क्षेत्र में आए भूस्खलन से बराक घाटी का रेल संपर्क टूट गया है। नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे (एनएफआर) को भूस्खलन की वजह से शनिवार को लुमडिंग से सिल्चर तक यात्री ट्रेन सेवा रद्द करनी पड़ी। ब्रह्मपुत्र नदी में पानी का स्तर बढ़ा है और यह निमातिघाट में खतरे के स्तर से ऊपर बह रहा है जिससे अधिकारियों ने जोरहाट से मजुली तक की नौका सेवाओं पर रोक लगा दी है।

ब्रह्मपुत्र नदी में जल स्तर बढ़ने के कारण कुछ अन्य हिस्सों में भी नौका सेवाओं को रद्द कर दिया है। असम सरकार ने बाढ़ की आशंका वाले जिलों के अधिकारियों को आपातकाल स्थिति में राहत और बचाव सामग्री की व्यवस्था करने के पहले ही निर्देश दिए हैं।

आखिरकार मारा गया इस्‍लामिक स्‍टेट का सरगना अबू बकर अल बगदादी

आतंकी संगठन आईएसआईएस के मुखिया अबु बकर अल बगदादी के सीरिया हवाई हमले में मारे जाने की खबर है।

सीरिया की स्टेट मीडिया ने एक असत्यापित रिपोर्ट के हवाले से जानकारी देते हुए दावा किया है कि शनिवार (10 जून, 2017) को हवाई हमले में आईएसआईस का मुखिया मारा गया है। इस दौरान आतंकी संगठन के मजबूत गढ़ रक्का में भारी तोपों से हमला किया गया।

हमले की फुटेज खुद आईएसआईएस न्यूज एजेंसी अमाक ने जारी करते हुए इसे तबाही का कारण बताया।

बगदादी से प्रभावित होकर हाल के समय में यूरोप में किए गए आंतकी हमले के बाद बगदादी के सिर पर 20 मिलियन ब्रिटिश पौंड का इनाम रखा गया है।

बता दें कि पहले भी बगदादी की मौत की खबरें मीडिया में आती रही हैं जो कि बाद में गलत साबित हुईं। इससे पहले एक डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि जिहादियों की आर्मी तैयार करने से पहले बगदादी 2013 में इराक पर कब्जा करने के लिए वहां चला गया था।

वहीं बगदादी की मौत की खबर ऐसे समय में सामने आई है जब इराकी फौज ने उसके उत्तराधिकारी अयाद अल जुमाली को सीरिया-इराक बॉर्डर पर एक हवाई हमले में मार गिराया है। जुमाली सद्दाम हुसैन के शासन में ख़ुफ़िया अधिकारी था। इस मामले में इराकी टीवी रिपोर्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि जुमाली आईएसआईएस में दूसरा सबसे बड़ा नेता और वॉर मिनिस्टर था।

वहीं एक अन्य सूत्र ने बताया कि जुलाई 2014 में मोसुल की अल नूरी मस्जिद में बगदादी को आखिरी बार देखा गया था। तब से अबतक बगदादी को सार्वजनिक तौर पर किसी ने नहीं देखा है।

हालांकि कई बार बड़े पैमाने पर हुई बमबारी में बगदादी को निशाना बनाया जाता रहा है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है बगदादी अभी तक जिंदा है।

इससे पहले साल 2015 में हुई भारी हवाई बमबारी में दावा किया किया बगदादी मारा गया है। लेकिन हकीकत में क्या हुआ ? ये अभी तक राज बना हुआ है।

भारत और पाकिस्तान को सदस्यता देने के साथ एससीओ का नया युग शुरु

भारत तथा पाकिस्तान को पूर्णकालिक सदस्यता प्रदान करने के साथ ही शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) अपने इतिहास के एक नए चरण में प्रवेश कर गया।

स्पेन की समाचार एजेंसी  ईएफई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान तथा तजाकिस्तान द्वारा साल 2001 में स्थापना के बाद इस संगठन में पहली बार दक्षिण एशिया के देश शामिल हुए हैं।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने शुक्रवार को कहा कि अपने मतभेदों को दूर करने के लिए भारत तथा पकिस्तान के पास अब एक नया मंच है।

कजाकिस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव ने कहा कि दो नए सदस्यों के शमिल होने से संगठन के विकास को नई गति मिली है और इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी प्रासंगिकता को और बढ़ावा मिलेगा।

नए आवेदन के लिए एससीओ ने अपने द्वार खोल रखे हैं और अगले उम्मीदवार के रूप में ईरान पर विचार किया जाएगा, जिसका रूस समर्थन करता है, जबकि संगठन के कुछ सदस्य इसका विरोध कर रहे हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पक्के मित्र नजरबायेव ने कहा कि नए सदस्यों को शामिल करना संगठन के लिए जरूरी है, हालांकि उन्होंने किसी खास देश का नाम नहीं लिया।

ईरान की ही तरह अफगानिस्तान भी अब संगठन में प्रेक्षक की भूमिका में आ गया है और अंदरूनी संघर्षो से निजात पाने के बाद यह संगठन में शामिल हो सकता है।

पुतिन ने कहा कि यह स्पष्ट है कि अफगान संघर्ष का सैन्य समाधान संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि रूस तथा एससीओ के अन्य सदस्य एक ऐसे राजनीतिक समाधान का समर्थन करते हैं जो अफगान सरकार तथा तालिबान विद्रोहियों के बीच समझौते पर आधारित हो।

उन्होंने कहा कि एससीओ को संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना चाहिए, ताकि अफगानिस्तान से ड्रग्स की तस्करी पर लगाम लग सके।

वहीं, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आतंकवाद तथा ड्रग्स की तस्करी से निपटने के लिए एससीओ की रणनीति का समर्थन किया और कहा कि अफगानिस्तान से आतंकवादियों की मौजूदगी को जड़ से मिटाना संभव है।

अस्ताना के अंतिम घोषणापत्र के अलावा, एससीओ के नेताओं ने 10 अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें कट्टरवाद से निपटने के लिए एक सम्मेलन तथा अंतर्राष्ट्रीयआतंकवाद के खिलाफ संयुक्त लड़ाई के लिए एक घोषणा पत्र शामिल है।

आतंकवादी खतरों की ओर इशारा करते हुए पुतिन ने कहा कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) आतंकवादी संगठन की नजर मध्य एशियाई देशों तथा दक्षिणी रूस में अपनी पैठ बनाने पर है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एससीओ में भारत के शामिल होने से क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को नई गति मिलेगी।

वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि संगठन की आतंकवाद-रोधी पहल पाकिस्तान की सुरक्षा में सुधार करने में मददगार साबित होगी।

अस्ताना शिखर सम्मेलन के बाद रोटेटिंग पद्धति के तहत एससीओ की अध्यक्षता चीन करेगा और साल 2018 में होने वाली अगली बैठक की मेजबानी करेगा।

म्‍यांमार सेना के लापता विमान का मलबा मिला, 116 लोगों के मारे जाने की आशंका

सौ से ज्‍यादा लोगों को लेकर जा रहे म्‍यांमार सेना के विमान का मलबा अंडमान सागर में मिला है।

न्‍यूज एजेंसी एएफपी ने एक म्‍येइक शहर के पर्यटन अधिकारी नैंग लिन जॉ के हवाले से कहा, ''हमें विमान के टुकड़े दवेई शहर से 218 किलोमीटर दूर समुद्र में मिले हैं।''

एयरफोर्स के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नौसेना के राहत पोत ने विमान के टुकड़ों का पता लगाया।

मिलिट्री कमांडर-इन-चीफ मिन आंग ह्लांग के कार्यालय ने एक बयान में कहा, ''विमान के दवेई शहर से 20 मील पश्चिम पहुंचने के बाद 1.35 बजे अचानक संपर्क टूट गया था।''

कार्यालय के अनुसार, विमान में म्‍येइक एयरफोर्स कमांड के अधिकारी और उनके परिवार वाले बैठे थे जिनकी संख्‍या 105 बताई गई है। इसके अलावा विमान पर 11 क्रू के सदस्‍य थे।

विमान की तलाश के लिए चार नौसेना के जहाज और एयरफोर्स के दो विमान भेजे गए थे। यह विमान म्‍येइक और यंगून शहर के बीच 18,000 फीट से ज्‍यादा की ऊंचाई पर उड़ रहा था। म्‍यांमार की व्‍यापारिक राजधानी यंगून से दवेई दो घंटे की हवाई दूरी पर है।

ईरान संसद हमला: सभी आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया, आईएस के दो हमलों में 12 की मौत, 39 घायल

ईरान की संसद पर बुधवार (7 जून) को तीन बंदूकधारियों ने हमला कर दिया। आतंकी संगठन आईएस ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

ईरान में आज दो जगह पर आतंकी हमले हुए। इन दोनों ही आतंकी हमलों में 12 लोगों के मारे जाने और 39 लोगों के घायल होने की खबर है।

वहीं सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ खत्म होने की जानकारी भी सामने आ रही है।

प्रेस टीवी के मुताबिक,  संसद में छिपे सभी आतंकियों को मार गिराया गया है।

बता दें आज दोपहर लगभग 12 से 12:30 बजे के बीच में पहला आतंकी हमला ईरान की संसद पर हुआ। यहां आतंकियों की अंधाधुंध फायरिंग में कई लोग घायल हो गए और एक गार्ड की मौके पर ही मौत हो गई।

वहीं दूसरा हमला दक्षिणी तेहरान इलाके में हुआ। यहां पर खुमैनी दरगाह में एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया जिसमें कई लोग घायल हो गए और एक शख्स की मौके पर ही मौत हो गई।

वहीं दरगाह पर एक दूसरा हमलावर भी मौजूद था जिसने साइनाइड कैप्सूल खाकर आत्महत्या कर ली।

आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ईरान के तेहरान में बुधवार को संसद और इमाम अयातुल्लाह खुमैनी की दरगाह पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ली है। आईएस से संबद्ध समाचार एजेंसी अमाक के मुताबिक, ये दोनों हमलों को आईएस ने ही अंजाम दिया है।

ईरानी समाचार एजेंसी आईआरआईबी ने एक सांसद के हवाले से बताया कि हमलावरों ने एके-47 राइफ़लों का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा तेहरान में साइनाइड कैप्सूल खाकर आत्महत्या करने वाले हमलावर के पास से 8 ग्रिनेड्स, राइफल की 10 मैग्जीन और कुछ तरल पदार्थ बरामद किया गया है।

एजेंसी आईआरआईबी के मुताबिक,  सांसद इलियास हज़रती ने कहा, ''तीन हमलावर थे जिनमें से दो के पास कलाशनिकोव राइफ़ल और एक के पास कोल्ट पिस्टल थी।''

वहीं संसद में कुछ लोगों को हमलावरों द्वारा बंधक भी बना लिया गया था। आतंकियों को मार गिराने के बाद बंधकों को निकाला गया।

बता दें संसद पर हुए हमले में शामिल एक आतंकी की तस्वीर भी प्रेस टीवी ने अपने ट्वीट के जरिए जारी की थी। संसद पर हमला करने वाले सभी आतंकियों को सुरक्षा बलों द्वारा ढ़ेर किया जा चुका है। इन आतंकी हमलों के बाद ईरान में सभी जगहों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और कई जगहों पर रेड भी डाली जा रही है।

प्रेस टीवी के मुताबिक, खुमैनी हमले के मामले में 3 संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक,  स्थिति को अब काबू में कर लिया गया है।