विदेश

अर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष: भारत ने सीमा पर जारी भीषण संघर्ष को रोकने की अपील की

अर्मेनिया-अज़रबैजान की सीमा पर जारी भीषण संघर्ष के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने दोनों ही पक्षों से इसे तुरंत रोकने की अपील की है।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आधिकारिक बयान जारी करके कहा, ''हमने 12 से 13 सितंबर के बीच नागरिकों की बस्तियों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने सहित अर्मेनिया-अजऱबैजान सीमा पर हमलों की रिपोर्ट देखी है। हम आक्रामक पक्ष से इन हमलों को तुरंत रोकने की अपील करते हैं।''

"हमारा मानना ​​है कि द्विपक्षीय विवादों का हल कूटनीति और बातचीत के ज़रिए निकाला जाना चाहिए। किसी भी संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता। हम दोनों पक्षों को एक स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान पर पहुंचने के लिए बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।''

मामला क्या है?

अर्मेनिया और अज़रबैज़ान के बीच एक बार फिर से भीषण संघर्ष शुरू हो गया है। अर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पेशिनियान का कहना है कि बीते दो दिनों में अज़रबैज़ान के साथ लड़ाई में 49 सैनिकों की मौत हो गई है।

अर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने अज़रबैज़ान पर सेना के ठिकानों और रिहाइशी इलाकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। अर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अज़रबैज़ान के सैनिक अर्मेनिया में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।

वहीं अज़रबैज़ान ने इन दावों का खंडन किया है। अज़रबैज़ान का कहना है कि उसकी कार्रवाई अर्मेनिया की विध्वंसकारी गतिविधियों के जबाव में है।

कब-कब झड़पें हुई?

साल 2020 में भी दोनों ही पक्षों के बीच हुए खूनी संघर्ष में हज़ारों लोगों की जान गई थी लेकिन,अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के चलतें ये झड़पें गंभीर रूप नहीं ले सकीं।

स्थानीय स्तर पर इलाक़े की सीमा पर दोनों पक्षों के बीच लगातार झड़पें होती रही हैं। अप्रैल 2016 में हुई झड़प सबसे गंभीर थी। इसमें दोनों तरफ़ के कई सैनिक मारे गए थे।

यूक्रेन के विदेश मंत्री ने युद्ध के बीच जर्मनी से पर्याप्त सहयोग न मिलने पर नाराज़गी ज़ाहिर की

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने युद्ध के बीच जर्मनी से पर्याप्त सहयोग न मिलने पर नाराज़गी ज़ाहिर की है।

दिमित्रो कुलेबा ने ट्वीट कर जर्मनी से कई सवाल किए हैं।

अपने ट्वीट में कुलेबा लिखते हैं, ''लोगों को आज़ाद करने और नरसंहार से बचाने के लिए जहां यूक्रेन को अब लियोपार्ड और मार्टर्स (जर्मनी के ख़ास टैंक) की ज़रूरत है, तो जर्मनी से निराशाजनक संकेत मिल रहे हैं। इन हथियारों की आपूर्ति क्यों नहीं की जा सकती, इस पर एक भी तर्कसंगत तर्क नहीं, केवल बेफज़ूल के भय और बहाने। बर्लिन किस बात से डरता है जिससे कीएव को डर नहीं?''

यूक्रेन रूस के ख़िलाफ़ अपने अभियान में तेज़ी लाने के लिए पश्चिमी देशों से हथियारों की डिलीवरी में तेज़ी लाने की अपील कर रहा है।

सोमवार, 12 सितम्बर, 2022 की देर रात एक वीडियो संबोधन में, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा कि पश्चिम को हथियार प्रणालियों की डिलीवरी में तेज़ी लानी चाहिए। उन्होंने यूक्रेन के सहयोगियों से ''रूसी आतंकवाद को हराने के लिए अपने सहयोग को और मज़बूत करने'' की अपील की।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की का कहना है कि रूसी सेना के ख़िलाफ़ यूक्रेनी सेना की जवाबी कार्रवाई जारी है। यूक्रेनी बलों ने रूस के कब्ज़े वाले दूसरे और ठिकानों को दोबारा ज़ब्त कर लिया है।

राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने दावा किया कि सितंबर 2022 में पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में रूसी नियंत्रण से 6,000 वर्ग किमी (2,317 वर्ग मील) से अधिक क्षेत्र वापस ले लिया गया है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ऑउटलेट बीबीसी ने इन आंकड़ों की पुष्टि करने से मना कर दिया है।

यूक्रेन के ख़ारकीएव शहर में बिजली और पानी की सप्लाई बंद

यूक्रेन के ख़ारकीएव शहर के मेयर का कहना है कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर रूसी हमलों के कारण शहर में बिजली और पानी की आपूर्ति फिर से बंद कर दी गई है।

इससे पहले रविवार, 11 सितम्बर, 2022 को हुई गोलीबारी से एक बिजली संयंत्र को नुकसान पहुंचा था।

जिसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा था कि रूस बिजली कटौती करके यूक्रेन के ''लोगों को रोशनी और गर्मी'' से वंचित रखना चाहता है। रूस ये सबकुछ यूक्रेन के जवाबी हमलों का बदला लेने के लिए कर रहा है।

यूक्रेनी सेना ख़ारकीएव क्षेत्र में अपनी ज़मीन बचाने के लिए रूसी सेना के ख़िलाफ़ लड़ रही है। हाल के दिनों में यूक्रेनी सेना ने रूसी कब़्जे वाले कई इलाकों को फिर से अपने अधिकार में ले लिया है।

ताज़ा मिली जानकारी के अनुसार, यूक्रेन ने दावा किया है कि उसकी सेना ने 20 और गांवों पर वापस अपना कब्ज़ा जमा लिया है।

वहीं रूसी सेना का कहना है कि इज़्यूम और कुपियांस्क शहर उसके निशाने पर हैं। पिछले हफ़्ते तक इन क्षेत्रों पर रूस का कब्ज़ा था।

रूस ने कहा है कि यूक्रेन के ख़िलाफ़ उसका युद्ध तब तक जारी रहेगा जब तक कि वह अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर लेता।

सऊदी अरब में भारतीय विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बारे में क्या कहा?

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सऊदी अरब में कहा है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि बदलती वैश्विक परिस्थिति में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव होना चाहिए। एस जयशंकर ने कहा कि यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रासंगिकता के लिए ज़रूरी है।

एस जयशंकर शनिवार, 10 सितम्बर, 2022 को सऊदी अरब के तीन दिवसीय दौरे पर गए थे। भारतीय विदेश मंत्री का यह पहला सऊदी अरब दौरा है।

भारत सालों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग कर रहा है। जयशंकर ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिले। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की जो संरचना है, वह 21वीं सदी की भूराजनैतिक वास्तविकता को नहीं दर्शाता है।

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर व्यापक सहमति है। एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार केवल भारत के पक्ष में नहीं है बल्कि उनके लिए भी ठीक है, जो प्रतिनिधित्व से अब तक महरूम हैं।

सऊदी गजट को दिए इंटरव्यू में एस जयशंकर ने कहा, ''भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। तकनीक का हब है। इसके अलावा पारंपरिक रूप में वैश्विक मामलों में भारत सक्रिय रहा है। ये सारी चीज़ें भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के लिए योग्य बनाती हैं।''

एस जयशंकर ने रविवार, 11 सितम्बर, 2022 को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी मुलाक़ात की थी। एस जयशंकर ने कहा कि उन्होंने क्राउन प्रिंस को पीएम मोदी का एक लिखा संदेश सौंपा है। एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध को मज़बूत करने के लिए कई स्तरों पर बात हुई है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में सऊदी अरब एक अहम खिलाड़ी है। ऐसा इसलिए नहीं कि सऊदी अरब की वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रभावी आँकड़ा है बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाज़ार में भी सऊदी अरब का दबदबा है। जयशंकर ने कहा कि सऊदी अरब भारत का अहम साझेदार है। अप्रैल 2021 से मार्च 2022 में दोनों देशों के बीच 42.86 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था।

एस जयशंकर ने कहा, ''दोनों देशों के बीच ऊर्जा अहम क्षेत्र है। इसके अलावा दोनों देश अक्षय ऊर्जा को लेकर भी काम कर रहे हैं। सऊदी अरब के विजन 2030 को लेकर भी दोनों देश आपस में सहयोग कर रहे हैं।''

किंग चार्ल्स III ब्रिटेन के नए सम्राट बने

महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के निधन के तुरंत बाद ब्रिटेन की राजगद्दी उनके उत्तराधिकारी और वेल्स के पूर्व प्रिंस चार्ल्स को बिना किसी समारोह के तुरंत मिल गई है।

लेकिन नए सम्राट के रूप में ताजपोशी से पहले उन्हें कई व्यवहारिक और पारंपरिक नियमों से गुज़रना होगा।

अब उन्हें किंग चार्ल्स तृतीय के रूप में जाना जाएगा।

नए सम्राट ने राजगद्दी संभालते ही पहला फ़ैसला यही लिया है। वो चार्ल्स, फ़िलिप, ऑर्थर और जॉर्ज में से कोई भी एक नाम चुन सकते थे।

ब्रिटिश शाही परिवार में वो अकेले ऐसे नहीं है जिनका ख़िताब बदल जाएगा।

प्रिंस विलियम्स अब राजगद्दी के उत्तराधिकारी हैं लेकिन वो स्वतः ही प्रिंस ऑफ़ वेल्स नहीं बन जाएंगे। हालांकि, उन्हें तुरंत अपने पिता का ख़िताब ड्यूक ऑफ़ कॉर्नवॉल मिल जाएगा। उनकी पत्नी कैथरीन को अब डचेज़ ऑफ़ कॉर्नवॉल के रूप में जाना जाएगा।

अब चार्ल्स की पत्नी, कैमिला को भी नया ख़िताब मिलेगा। उनका पूरा टाइटल अब क्वीन कंसॉर्ट होगा। सम्राट के जीवनसंगिनी के लिए इसी ख़िताब का इस्तेमाल किया जाता है।

चार्ल्स को अधिकारिक रूप से शनिवार, 10 सितम्बर, 2022 को सम्राट घोषित कर दिया जाएगा। इसके लिए लंदन स्थित सैंट जेम्स पैलेस में असेसन काउंसिल (परिग्रहण परिषद) नाम की औपचारिक निकाय के समक्ष कार्यक्रम होगा।

इस काउंसिल में प्रिवी काउंसिल के सदस्य होते हैं। इसमें पूर्व और मौजूदा वरिष्ठ सांसद, उनके समकक्ष लोग, साथ ही कुछ वरिष्ठ नौकरशाह, कॉमनवेल्थ के हाई कमिश्नर और लॉर्ड मेयर ऑफ़ लंदन शामिल होते हैं।

प्रिवी काउंसिल में हिस्सा लेने के लिए 700 लोग अधिकृत हैं लेकिन समय की कमी के कारण वास्तव में इससे बहुत कम ही लोग इसमें शामिल हो सकेंगे। 1952 में हुई पिछली एक्सेशन काउंसिल में 200 लोगों ने हिस्सा लिया था।

बैठक में, प्रिवी काउंसिल के लॉर्ड प्रेसिडेंट द्वारा महारानी के निधन की घोषणा की जाएगी और इससे जुड़े घोषणापत्र को पढ़ा जाएगा। मौजूदा वक़्त में सांसद पेनी मॉरडांट इसके अध्यक्ष हैं।

घोषणापत्र के शब्द बदले जा सकते हैं, लेकिन पारंपरिक तौर पर इसमें प्रार्थनाएं और शपथ होते हैं जिनमें पूर्व सम्राट के प्रति आभार और नए सम्राट के प्रति वफ़ादारी व्यक्त की जाती है।

इस घोषणापत्र पर इसके बाद प्रधानमंत्री समेत कई वरिष्ठ लोग हस्ताक्षर करते हैं। प्रधानमंत्री के अलावा आर्कबिशप ऑफ़ कैंटरबरी और लॉर्ड चांसलर के हस्ताक्षर भी होते हैं।

इस समारोह के दौरान नए दौर के प्रतीक के रूप में शब्दों में किए गए बदलावों की तरफ़ ध्यान आकर्षित होगा।

सम्राट का पहला घोषणापत्र

आमतौर पर इसके एक दिन बाद असेसन काउंसिल की फिर से बैठक होती है, इस बार सम्राट के साथ-साथ प्रिवी काउंसिल के सदस्य भी इसमें शामिल होते हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति और कई अन्य राष्ट्रध्यक्षों की तरह, ब्रिटेन के सम्राट के राजकाज की शुरुआत में कोई शपथग्रहण नहीं होता है। लेकिन नए सम्राट 18वीं सदी से चली आ रही परंपरा के तहत चर्च ऑफ़ स्कॉटलैंड की सुरक्षा की शपथ लेंगे।

इसके बाद गाजे-बाजे और धूमधाम से चार्ल्स को नया सम्राट बनने की सार्वजनिक घोषणा की जाएगी। ये घोषणा गार्टर किंग ऑफ़ आर्म्स नाम के अधिकारी सेंट जेम्स पैलेस के फ़्रायरी कोर्ट की बालकनी से करेंगे।

महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने साल 1969 में बेटे चार्ल्स की ताजपोशी प्रिंस ऑफ़ वेल्स के तौर पर की थी।

जब चार्ल्स पुकारेंगे ''गॉड सेव द किंग'' तो 1952 के बाद पहली बार जब राष्ट्रगान बजेगा तब शब्द होंगे "गॉड सेव द किंग''।

हाइड पार्क, टावर ऑफ़ लंदन और ब्रिटिश नौसेना के जहाजों से उन्हें तोपों की सलामी दी जाएगी और एडिनबरा, कार्डिफ़ और बेलफास्ट में चार्ल्स को किंग बनाए जाने की घोषणा की जाएगी।

सांकेतिक तौर पर अक्सेशन का सबसे अहम वक्त वो होगा जब औपचारिक रूप से चार्ल्स को ताज पहनाया जाएगा। लेकिन तैयारियों के मद्देनज़र चार्ल्स की ताजपोशी में वक़्त लगेगा। महारानी एलिज़ाबेथ को भी फ़रवरी, 1952 में महारानी घोषित कर दिया गया था लेकिन उनकी ताजपोशी जून, 1953 में हुई थी।

पिछले 900 सालों से ताजपोशी वेस्टमिंस्टर एबे में होती रही है। यहां ताज पहनने वाले पहले सम्राट थे विलियम द कॉनकरर और चार्ल्स यहां ताज पहनने वाले चालीसवें सम्राट होंगे।

ये अंग्रेज़ी चर्च का एक धार्मिक समारोह होगा जिसकी अध्यक्षता आर्कबिशप ऑफ़ कैंटरबरी करेंगे। ताजपोशी समारोह के अंत में वो सैंट एडवर्ड्स का ताज चार्ल्स के सिर पर रखेंगे। ठोस सोने का ये ताज 1661 में बना था।

टॉवर ऑफ़ लंदन में रखे ब्रिटिश शाही परिवार के आभूषणों में ये सबसे प्रमुख है और इसे सम्राट सिर्फ़ केवल ताजपोशी के समय ही पहनते हैं। इसका एक कारण ये भी है कि इसका वज़न 2.23 किलो है।

शाही शादियों के विपरीत, ताजपोशी यहां राजकीय पर्व होता है जिसका ख़र्च सरकार उठाती है और सरकार ही इसके लिए मेहमानों की सूची तय करती है।

ताजपोशी में संगीत भी होता है और सम्राट का अभिषेक अनुष्ठान भी। इसमें संतरों, गुलाब, दालचीनी, कस्तूरी और एम्बरग्रीस के तेलों का उपयोग किया जाता है।

नए सम्राट दुनिया की निगाहों के बीच ताज पहनेंगे। इस विस्तृत समारोह में सम्राट अपनी राजसत्ता के प्रतीक के रूप में राजसी आभूषण (ऑर्ब) और राजदंड प्राप्त करेंगे और आर्कबिशप ऑफ़ कैंटरबरी उनके सिर पर ठोस सोने का मुकुट रखेंगे।

कॉमनवेल्थ के अध्यक्ष

चार्ल्स कॉमनवेल्थ के भी अध्यक्ष बन गए हैं। ये 2.4 अरब की आबादी वाले 56 देशों का समूह है। इनमें से ब्रिटेन और चौदह अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष चार्ल्स ही होंगे।

कॉमनवेल्थ रेल्म्स कहे जाने वाले ये देश हैं - ऑस्ट्रेलिया, एंटिगुआ एंड बारबूडा, द बहामास, बेलीज़, कनाडा, ग्रेनाडा, जमैका, पापुआ न्यू गिनी, सैंट क्रिस्टोफ़र एंड नेविस, सैंट लूसिया, सैंट विंसेंड एंड द ग्रेनाडीन्स, न्यूज़ीलैंड, सोलोमन आइलैंड्स और तुवालू।

ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय नहीं रहीं, बकिंघम पैलेस ने घोषणा की

ब्रिटेन में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय का 96 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है।

महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने ब्रिटेन पर 70 सालों तक शासन किया।

गुरुवार, 8 सितम्बर 2022 को उनकी सेहत को लेकर चिंताएं बढ़ने के बाद उनका परिवार स्कॉटलैंड के उनके एस्टेट में जमा हुआ।

एलिज़ाबेथ 1952 में ब्रिटेन की महारानी बनीं थीं और उनके राजकाज के दौरान व्यापक सामाजिक बदलाव हुए।

उनकी मौत के बाद, उनके सबसे बड़े बेटे और वेल्स के पूर्व प्रिंस चार्ल्स नए सम्राट होंगे और महारानी के निधन के बाद देश और कॉमनवेल्थ के 14 क्षेत्रों में शोक का नेतृत्व करेंगे।

एक बयान में बकिंघम पैलेस ने कहा है, "महारानी का निधन आज दोपहर बालमोराल में शांति से हुआ।''

''किंग और क्वीन कंसॉर्ट आज शाम बालमोराल में ही रहेंगे और कल लंदन वापस लौटेंगे।''

डॉक्टरों के महारानी को निगरानी में रखने के बाद महारानी के सभी बच्चे एबरडीन के नज़दीक बालमोरल पहुंचे थे।

उनके पोते प्रिंस विलियम भी वहीं हैं और उनके छोटे भाई प्रिंस हैरी रास्ते में हैं।

महारानी का जन्म 21 अप्रैल, 1926 को लंदन के मेफेयर में हुआ था। उनका जन्म का नाम एलिज़ाबेध एलेक्सांड्रा मैरी विंडसर था।

अमेरिकी बयान के बाद चीन के विदेश मंत्री ने कहा, ताइवान चीन का प्रांत है

चीन ने अमेरिका के उस बयान पर सख़्त आपत्ति की है जिसमें कहा गया था कि वो ताइवान के डिफ़ेंस को ध्यान में रखते हुए हथियारों की सप्लाई कर रहा है।

चीन के विदेश मंत्री ने बुधवार, 7 सितम्बर, 2022 को कहा, ''ताइवान चीन का प्रांत है। डिफ़ेंस से अमेरिका का क्या मतलब?''

वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है और चीन नहीं चाहता कि अंतररारष्ट्रीय स्तर पर कोई देश ताइवान को किसी स्वतंत्र राष्ट्र के रुप में मान्यता दे।

हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया था जिसपर चीन ने सख़्त आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि अमेरिका को इसका खमियाजा भुगतना होगा।

अमेरिका के बाद अब बहुत से यूरोपीय देश खुलकर ताइवान के पक्ष में बोलने लगे हैं।

रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद कुछ देशों में ये डर है कि कहीं चीन भी ताइवान के साथ ऐसा कुछ न कर दे।

पुतिन ने कहा, रूस को अलग-थलग करना असंभव है

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में युद्ध के कारण पश्चिमी देशों की पाबंदियों की आलोचना की है। उन्होंने इन पाबंदियों को ऐसा बुखार कहा है, जिससे पूरी दुनिया के सामने ख़तरा पैदा कर दिया है। व्लादिवोस्तोक में आर्थिक फ़ोरम की एक बैठक के दौरान अपने भाषण में पुतिन ने इसे रूस पर पश्चिमी देशों का आर्थिक हमला कहा है।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि पाबंदियों के कारण यूरोपीय लोगों के जीवन की गुणवत्ता का बलिदान किया जा रहा है, जबकि अधिक ग़रीब देश के सामने खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है।

यूक्रेन के अनाज का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यूरोप ग़रीब देशों को इस बहाने धोखा दे रहा है। यूक्रेन युद्ध के कारण कई महीनों तक वहाँ के बंदरगाह को रूसी सैनिकों ने बंद कर रखा था।

पुतिन का कहना है कि अगस्त, 2022 में निर्यात शुरू होने के बाद से ये कहना ग़लत है कि अनाज के सिर्फ़ दो जहाज़ ही अफ़्रीका गए हैं। रूस ने 24 फ़रवरी, 2022 को यूक्रेन पर हमला किया था। फ़िलहाल उसका यूक्रेन के कई इलाक़ों पर नियंत्रण भी है।

छह महीने बाद यूक्रेन की राजधानी कीएव के आसपास के इलाक़ों और यूक्रेन के उत्तरी हिस्से से रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा है, जबकि रूसी सैनिकों को दक्षिणी और पूर्वी हिस्से से यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ रहा है।

यूक्रेन पर हमले के कारण रूस पर पश्चिमी देशों ने कई तरह की पाबंदियाँ लगाई हैं। जवाब में रूस से यूरोप को गैस की सप्लाई पर भी असर पड़ा है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन का कहना है कि रूस को अलग-थलग करना असंभव है।

पुतिन ने यूरोपीय देशों के रूस की गैस पर क़ीमतों की सीमा तय करने के प्रस्ताव की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा किया गया, तो रूस इन देशों को तेल और गैस की सप्लाई रोक देगा।

लिज़ ट्रस यूनाइटेड किंगडम की नई प्रधानमंत्री बनीं, क्वीन एलिज़ाबेथ से मुलाक़ात की

लिज़ ट्रस यूनाइटेड किंगडम की नई प्रधानमंत्री बन गई हैं। लिज़ ट्रस ने क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय से स्कॉटलैंड के बालमोरल कासल में मुलाक़ात की। महारानी एलिज़ाबेथ ने ट्रस को यूनाइटेड किंगडम का नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया है।

इससे पहले बोरिस जॉनसन ने क्वीन से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफ़ा सौंपा था।

लिज़ ट्रस को सोमवार, 5 सितम्बर, 2022 को कंज़र्वेटिव पार्टी ने अपना नया नेता चुना था। ट्रस को 81,326 वोट मिले जबकि ऋषि सुनक को 60,399 वोट मिले।

सोमवार, 5 सितम्बर, 2022 को लिज़ ट्रस ने कहा कि उनके पास टैक्स कम करने के ''ठोस प्लान'' हैं।

लिज़ ट्रस ने अपने भाषण का अंत करते हुए कहा था, ''वी विल डिलीवर, वी विल डिलीवर, वी विल डिलीवर।''

यानी वो वादे पूरे करेंगी। साथ ही लिज़ ट्रस ने कहा कि 2024 के आम चुनावों में उनकी पार्टी लेबर पार्टी को परास्त करेगी।

इसराइल ने माना: अकलेह को किसी आईडीएफ़ जवान ने ग़लती से गोली मारी

फ़लस्तीनी मूल की अमेरिकी पत्रकार शिरीन अबू अकलेह की मौत के करीब चार महीने बाद इसराइल ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि उनके सैनिकों में से किसी एक ने ग़लती से अल-जज़ीरा की पत्रकार शिरीन अबू अकलेह को मार डाला।

अकलेह पर मई 2022 में उस समय गोली चली थी जब वो वेस्ट बैंक में छापेमारी को कवर करने गई थीं।

हालांकि, सेना के शीर्ष कानूनी अधिकारियों ने हमले में शामिल सैनिकों के ख़िलाफ़ आपराधिक जांच शुरू करने से भी इनकार किया है।

अबू अकलेह के परिवार ने कहा है कि उन्हें कोई 'हैरानी' नहीं हो रही क्योंकि इसराइली सेना लगातार सच छिपाने और हत्या की ज़िम्मेदारी लेने से बचने की कोशिश कर रही थी।

अबू अकलेह 11 मई, 2022 को वेस्ट बैंक के जिनिन में इसराइल की छापेमारी को कवर करने गई थीं। इस दौरान इसराइली सैनिकों और फ़लस्तीनी चरमपंथियों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई। हमले के समय अबू अकलेह ने एक जैकेट पहना था, जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में 'प्रेस' लिखा था।

अबू अकलेह की मौत की वजह पर अलग-अलग पक्ष सामने आ रहे थे।

प्रत्यक्षदर्शियों और फ़लस्तीनी अधिकारियों ने कहा था कि अकलेह को इसराइली सैनिकों ने गोली मारी। बाद में संयुक्त राष्ट्र और अलग-अलग प्रेस जांच एजेंसियों ने भी इस दावे का समर्थन किया। अमेरिकी समीक्षा में पाया गया कि संभवतः इसराइली सैनिकों ने अकलेह पर गोली चलाई।

अब इसराइल की सुरक्षाबलों (आईडीएफ़) ने कहा है कि उन्होंने अंदरूनी स्तर पर चल रही जांच पूरी कर ली है।

आईडीएफ़ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसकी अत्यधिक आशंका है कि अकलेह को किसी आईडीएफ़ जवान ने ग़लती से गोली मारी और बेशक वो सैनिक समझ नहीं पाया कि अकलेह पत्रकार हैं।

अधिकारी ने ये भी बताया कि जांचकर्ताओं ने हमला करने वाले सैनिक से बात की। उन्होंने कहा, ''सैनिक ने बताया कि उसने असल में क्या किया, और अगर किया, तो ये ग़लती से हुआ।''