महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के निधन के तुरंत बाद ब्रिटेन की राजगद्दी उनके उत्तराधिकारी और वेल्स के पूर्व प्रिंस चार्ल्स को बिना किसी समारोह के तुरंत मिल गई है।
लेकिन नए सम्राट के रूप में ताजपोशी से पहले उन्हें कई व्यवहारिक और पारंपरिक नियमों से गुज़रना होगा।
अब उन्हें किंग चार्ल्स तृतीय के रूप में जाना जाएगा।
नए सम्राट ने राजगद्दी संभालते ही पहला फ़ैसला यही लिया है। वो चार्ल्स, फ़िलिप, ऑर्थर और जॉर्ज में से कोई भी एक नाम चुन सकते थे।
ब्रिटिश शाही परिवार में वो अकेले ऐसे नहीं है जिनका ख़िताब बदल जाएगा।
प्रिंस विलियम्स अब राजगद्दी के उत्तराधिकारी हैं लेकिन वो स्वतः ही प्रिंस ऑफ़ वेल्स नहीं बन जाएंगे। हालांकि, उन्हें तुरंत अपने पिता का ख़िताब ड्यूक ऑफ़ कॉर्नवॉल मिल जाएगा। उनकी पत्नी कैथरीन को अब डचेज़ ऑफ़ कॉर्नवॉल के रूप में जाना जाएगा।
अब चार्ल्स की पत्नी, कैमिला को भी नया ख़िताब मिलेगा। उनका पूरा टाइटल अब क्वीन कंसॉर्ट होगा। सम्राट के जीवनसंगिनी के लिए इसी ख़िताब का इस्तेमाल किया जाता है।
चार्ल्स को अधिकारिक रूप से शनिवार, 10 सितम्बर, 2022 को सम्राट घोषित कर दिया जाएगा। इसके लिए लंदन स्थित सैंट जेम्स पैलेस में असेसन काउंसिल (परिग्रहण परिषद) नाम की औपचारिक निकाय के समक्ष कार्यक्रम होगा।
इस काउंसिल में प्रिवी काउंसिल के सदस्य होते हैं। इसमें पूर्व और मौजूदा वरिष्ठ सांसद, उनके समकक्ष लोग, साथ ही कुछ वरिष्ठ नौकरशाह, कॉमनवेल्थ के हाई कमिश्नर और लॉर्ड मेयर ऑफ़ लंदन शामिल होते हैं।
प्रिवी काउंसिल में हिस्सा लेने के लिए 700 लोग अधिकृत हैं लेकिन समय की कमी के कारण वास्तव में इससे बहुत कम ही लोग इसमें शामिल हो सकेंगे। 1952 में हुई पिछली एक्सेशन काउंसिल में 200 लोगों ने हिस्सा लिया था।
बैठक में, प्रिवी काउंसिल के लॉर्ड प्रेसिडेंट द्वारा महारानी के निधन की घोषणा की जाएगी और इससे जुड़े घोषणापत्र को पढ़ा जाएगा। मौजूदा वक़्त में सांसद पेनी मॉरडांट इसके अध्यक्ष हैं।
घोषणापत्र के शब्द बदले जा सकते हैं, लेकिन पारंपरिक तौर पर इसमें प्रार्थनाएं और शपथ होते हैं जिनमें पूर्व सम्राट के प्रति आभार और नए सम्राट के प्रति वफ़ादारी व्यक्त की जाती है।
इस घोषणापत्र पर इसके बाद प्रधानमंत्री समेत कई वरिष्ठ लोग हस्ताक्षर करते हैं। प्रधानमंत्री के अलावा आर्कबिशप ऑफ़ कैंटरबरी और लॉर्ड चांसलर के हस्ताक्षर भी होते हैं।
इस समारोह के दौरान नए दौर के प्रतीक के रूप में शब्दों में किए गए बदलावों की तरफ़ ध्यान आकर्षित होगा।
सम्राट का पहला घोषणापत्र
आमतौर पर इसके एक दिन बाद असेसन काउंसिल की फिर से बैठक होती है, इस बार सम्राट के साथ-साथ प्रिवी काउंसिल के सदस्य भी इसमें शामिल होते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति और कई अन्य राष्ट्रध्यक्षों की तरह, ब्रिटेन के सम्राट के राजकाज की शुरुआत में कोई शपथग्रहण नहीं होता है। लेकिन नए सम्राट 18वीं सदी से चली आ रही परंपरा के तहत चर्च ऑफ़ स्कॉटलैंड की सुरक्षा की शपथ लेंगे।
इसके बाद गाजे-बाजे और धूमधाम से चार्ल्स को नया सम्राट बनने की सार्वजनिक घोषणा की जाएगी। ये घोषणा गार्टर किंग ऑफ़ आर्म्स नाम के अधिकारी सेंट जेम्स पैलेस के फ़्रायरी कोर्ट की बालकनी से करेंगे।
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने साल 1969 में बेटे चार्ल्स की ताजपोशी प्रिंस ऑफ़ वेल्स के तौर पर की थी।
जब चार्ल्स पुकारेंगे ''गॉड सेव द किंग'' तो 1952 के बाद पहली बार जब राष्ट्रगान बजेगा तब शब्द होंगे "गॉड सेव द किंग''।
हाइड पार्क, टावर ऑफ़ लंदन और ब्रिटिश नौसेना के जहाजों से उन्हें तोपों की सलामी दी जाएगी और एडिनबरा, कार्डिफ़ और बेलफास्ट में चार्ल्स को किंग बनाए जाने की घोषणा की जाएगी।
सांकेतिक तौर पर अक्सेशन का सबसे अहम वक्त वो होगा जब औपचारिक रूप से चार्ल्स को ताज पहनाया जाएगा। लेकिन तैयारियों के मद्देनज़र चार्ल्स की ताजपोशी में वक़्त लगेगा। महारानी एलिज़ाबेथ को भी फ़रवरी, 1952 में महारानी घोषित कर दिया गया था लेकिन उनकी ताजपोशी जून, 1953 में हुई थी।
पिछले 900 सालों से ताजपोशी वेस्टमिंस्टर एबे में होती रही है। यहां ताज पहनने वाले पहले सम्राट थे विलियम द कॉनकरर और चार्ल्स यहां ताज पहनने वाले चालीसवें सम्राट होंगे।
ये अंग्रेज़ी चर्च का एक धार्मिक समारोह होगा जिसकी अध्यक्षता आर्कबिशप ऑफ़ कैंटरबरी करेंगे। ताजपोशी समारोह के अंत में वो सैंट एडवर्ड्स का ताज चार्ल्स के सिर पर रखेंगे। ठोस सोने का ये ताज 1661 में बना था।
टॉवर ऑफ़ लंदन में रखे ब्रिटिश शाही परिवार के आभूषणों में ये सबसे प्रमुख है और इसे सम्राट सिर्फ़ केवल ताजपोशी के समय ही पहनते हैं। इसका एक कारण ये भी है कि इसका वज़न 2.23 किलो है।
शाही शादियों के विपरीत, ताजपोशी यहां राजकीय पर्व होता है जिसका ख़र्च सरकार उठाती है और सरकार ही इसके लिए मेहमानों की सूची तय करती है।
ताजपोशी में संगीत भी होता है और सम्राट का अभिषेक अनुष्ठान भी। इसमें संतरों, गुलाब, दालचीनी, कस्तूरी और एम्बरग्रीस के तेलों का उपयोग किया जाता है।
नए सम्राट दुनिया की निगाहों के बीच ताज पहनेंगे। इस विस्तृत समारोह में सम्राट अपनी राजसत्ता के प्रतीक के रूप में राजसी आभूषण (ऑर्ब) और राजदंड प्राप्त करेंगे और आर्कबिशप ऑफ़ कैंटरबरी उनके सिर पर ठोस सोने का मुकुट रखेंगे।
कॉमनवेल्थ के अध्यक्ष
चार्ल्स कॉमनवेल्थ के भी अध्यक्ष बन गए हैं। ये 2.4 अरब की आबादी वाले 56 देशों का समूह है। इनमें से ब्रिटेन और चौदह अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष चार्ल्स ही होंगे।
कॉमनवेल्थ रेल्म्स कहे जाने वाले ये देश हैं - ऑस्ट्रेलिया, एंटिगुआ एंड बारबूडा, द बहामास, बेलीज़, कनाडा, ग्रेनाडा, जमैका, पापुआ न्यू गिनी, सैंट क्रिस्टोफ़र एंड नेविस, सैंट लूसिया, सैंट विंसेंड एंड द ग्रेनाडीन्स, न्यूज़ीलैंड, सोलोमन आइलैंड्स और तुवालू।