भारत

सुप्रीम कोर्ट में ऑक्सीजन पर कोई रिपोर्ट पेश नहीं हुई: मनीष सिसोदिया

भारतीय मीडिया में ऐसी ख़बरें हैं कि भारत की सर्वोच्च अदालत द्वारा गठित एक 'ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी' ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि 'केजरीवाल सरकार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ज़रूरत से चार गुना ज़्यादा ऑक्सीजन की माँग की'।

लेकिन आम आदमी पार्टी ने ऐसी किसी रिपोर्ट के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिए हैं।

अख़बारों मे छपी ख़बरों के मुताबिक, दिल्ली सरकार को असल में क़रीब 289 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की दरकार थी, लेकिन उनके द्वारा क़रीब 1,200 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की माँग की गई।

आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के पेनल की नहीं, बल्कि एक सब-पेनल की है जो मुख्य पेनल को भेजी गई है और ये सब-पेनल दरअसल केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का ही है। गौरतलब है कि केंद्र में बीजेपी की सरकार है।

आम आदमी पार्टी का जवाब

आम आदमी पार्टी ने इस ख़बर का पुरजोर खंडन किया है। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मीडिया को बताया कि ऐसी कोई रिपोर्ट है ही नहीं।

मनीष सिसोदिया ने कहा, "सच ये है कि ऐसी कोई रिपोर्ट है ही नहीं। बीजेपी झूठ बोल रही है। सुप्रीम ने एक ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी बनाई है। हमने इसके कई सदस्यों से बात की है। उनका कहना है कि उन्होंने तो रिपोर्ट साइन ही नहीं की है। अगर रिपोर्ट अप्रूव नहीं है, तो ये रिपोर्ट है कहां? मैं चुनौती देता हूं कि रिपोर्ट लाइए जो अप्रूव की गई हो। झूठ की इंतहा होती है।''

मीडिया में छपी ख़बरों में कहा गया था कि केजरीवाल सरकार की ज़रुरत से अधिक माँग का असर उन 12 राज्यों पर देखा गया जहाँ ऑक्सीजन की कमी से कई मरीज़ों को अपनी जान गँवानी पड़ी।

भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखने को मिली थी। कई बार ऐसी ख़बरें आयीं थी कि ऑक्सीजन की कमी के चलते रातोंरात कई मरीज़ों की मौत हो गई।

उस दौर में केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार से ऑक्सीजन की माँग की थी।

इस कथित रिपोर्ट के आधार पर भारतीय जनता पार्टी के कई नेता अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को घेर रहे हैं।

विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की ज़ब्त संपत्ति का 9371 करोड़ रुपए बैंको को दिया गया: ईडी

भारत के प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (डायरेक्टोरेट ऑफ एन्फ़ोर्समेंट) ने फ़रार कारोबारी विजय माल्या, मेहुल चोकसी और नीरव मोदी की ज़ब्त की गई संपत्ति में से 9371.17 करोड़ रुपए सरकारी बैंकों को ट्रांसफर कर दिया है।

जाँच एजेंसियों का कहना है कि इन कारोबारियों की वित्तीय धोखाधड़ी के कारण बैंकों को भारी नुक़सान हुआ है। ईडी ने इन कारोबारियों की कुल 18,170.02 करोड़ रुपए की क़ीमत की संपत्ति को अटैच किया है।

ईडी की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है, "ईडी ने न केवल 18,170.02 करोड़ रुपए की संपत्ति ज़ब्त की है बल्कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी मामले में पीएमएलए के तहत 9371.17 करोड़ रुपए सरकारी बैंकों और केंद्र सरकार को दे दिया गया है।"

ईडी का कहना है कि तीनों कारोबारियों की जितनी संपत्ति ज़ब्त की गई है वो बैंकों के नुक़सान का 80.45 फ़ीसदी है।

भारत तीन फ़रार कारोबारियों को विदेशों से वापस लाने की कोशिश कर रहा है। विजय माल्या और नीरव मोदी ब्रिटेन में हैं। फ़रवरी 2021 में ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने नीरव मोदी को भारत भेजने के आदेश पर हस्ताक्षर किया था।

उसी तरह विजय माल्या को वापस लाने के लिए भी ब्रिटेन में क़ानूनी प्रक्रिया चल रही है। विजय माल्या पर 9,000 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है।

मोदी के साथ बैठक से पहले ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, पूर्ण राज्य की बहाली इस बैठक का टॉप एजेंडा है

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जम्मू-कश्मीर के नेताओं की 24 जून 2021 को होने वाली बैठक से पहले कांग्रेस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि पूर्ण राज्य की बहाली इस बैठक का टॉप एजेंडा है।

पाँच अगस्त, 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किया था तो पूर्ण राज्य का दर्जा वापस ले लिया था और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया था।

ग़ुलाम नबी आज़ाद को भी 24 जून 2021 को होने वाली इस बैठक में आमंत्रित किया गया है। ग़ुलाम नबी आज़ाद ने अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि इस बैठक में पूर्ण राज्य की बहाली अहम मुद्दा है लेकिन वे अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करने की मांग करेंगे या नहीं। इस पर कुछ नहीं बोले।

पाँच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद मोदी सरकार वहाँ के नेताओं के साथ पहली बार इस तरह की वार्ता करने जा रही है।

ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि पूर्ण राज्य की बहाली की बात संसद में भी कही गई थी। क्या ग़ुलाम नबी आज़ाद जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को फिर से लागू किए जाने की मांग करेंगे?

इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "मैं इस मामले में जम्मू और कश्मीर के कांग्रेस नेताओं से बात कर रहा हूँ। इसके बाद मैं पार्टी से मार्गदर्शन लूंगा। इसके लिए कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात करूंगा। इसके साथ ही उन सहकर्मियों से भी बात करूंगा जो इसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहे हैं। अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी। हाँ मैं, ये ज़रूर कह सकता हूँ कि पूर्ण राज्य की बहाली हमारा टॉप एजेंडा है।''

मुस्लिम और महिलाओं के बीच वैक्सीन को लेकर भ्रम पर राहुल ने क्या कहा?

भारत में कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गाँधी ने सीओवीआईडी-19 पर ज़ूम प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मंगलवार, 22 जून 2021 को केंद्र की मोदी सरकार की जमकर आलोचना की।

राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री के आँसू बहाने से लोग नहीं बचेंगे। राहुल ने कहा, "सब परिवार जानते हैं तो उनके परिवार के लोग मरे तो वहाँ प्रधानमंत्री नहीं थे। प्रधानमंत्री के आँसू ने उन्हें नहीं बचाया था। प्रधानमंत्री ने ऑक्सीजन की ज़रूरत को गंभीरता से नहीं लिया। प्रधानमंत्री की प्राथमिकता तब चुनाव था लेकिन लोग मर रहे थे।"

राहुल गांधी ने कहा कि निजी अस्पतालों में पैसे से वैक्सीन लगाई जा रही है लेकिन दुनिया के बाक़ी देशों में बिना पैसे के वैक्सीन लगाई जा रही है।  राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री की मार्केटिंग का नतीजा पूरी दुनिया ने देखा है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सीओवीआईडी के ख़िलाफ़ जंग में जीत की घोषणा करने में जल्दीबाज़ी करने का कोई मतलब नहीं है।

राहुल ने कहा, ''मैं पिछले डेढ़ साल से कह रहा हूँ कि सीओवीआईडी देश को बहुत बड़ा नुकसान पहुँचाएगा। सीओवीआईडी को लेकर केवल मैं सरकार को आगाह नहीं कर रहा था बल्कि कई लोग कर रहे थे। वैक्सीन की दूसरी डोज़ में देरी राजनीतिक वजह है। वैक्सीन की कमी है इसलिए देरी की जा रही है। प्रधानमंत्री को ये समझना है कि ये कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है। ये वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई है और पूरा हिन्दुस्तान साथ खड़ा है।''

राहुल गाँधी ने कहा, "वैक्सीन के नतीजों की जाँच होनी चाहिए और लगे कि सही नहीं है तो बदलनी चाहिए। केंद्र सरकार लोगों से ही टैक्स ले रही है और अगर आज लोगों को ज़रूरत है तो वो हाथ खड़े कर रही है। जिन्होंने अपने परिवारों को खोया है, उन्हें मदद की ज़रूरत है।''

मुस्लिम और महिलाओं के बीच वैक्सीन को लेकर ऊहापोह की स्थिति के सवाल पर राहुल गाँधी ने कहा कि अगर स्पष्टता से उन्हें समझाया जाए तो इसे आराम से ठीक किया जा सकता है। राहुल ने कहा कि जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। राहुल से इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एक सवाल पूछा गया था कि मुस्लिम और महिलाओं के बीच वैक्सीन को लेकर कई तरह के भ्रम हैं।

राहुल गांधी ने कहा, ''जब कोरोना की तीसरी लहर आए तो दूसरी लहर की दिक़्क़तें ना हों ताकि हज़ारों की जान बचाई जा सके। सरकार को किसी भी राज्य को सीओवीआईडी के ख़िलाफ़ लड़ाई में बीजेपी और कांग्रेस शासित राज्य के रूप में नहीं देखना चाहिए। वायरस म्यूटेट करेगा तो ये नहीं देखेगा।''

होटलों के कोरोना वैक्सीन पैकेज देने पर केंद्र सरकार नाराज

भारत में केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वो उन संस्थाओं के ख़िलाफ़ क़ानूनी और प्रशासनिक कदम उठाएं जो सीओवीआईडी-19 के मद्देनज़र जारी किए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन करके कोरोना टीकाकरण का पैकेज दे रही हैं।

भारत सरकार ने कहा है कि इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।

रविवार, 30 मई 2021 को इस बारे में भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव मनोहर अगानी ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक पत्र लिखा है।

पत्र में कहा गया है, ''स्वास्थ्य मंत्रालय के संज्ञान में आया है कि होटलों के साथ मिल कर कुछ निजी अस्पताल सीओवीआईडी वैक्सीनेशन पैकेज दे रहे हैं। ये राष्ट्रीय सीओवीआईडी टीकाकरण कार्यक्रम के लिए जारी किए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।''

अपने पत्र में मनोहर अगानी ने लिखा कि सरकारी और निजी कोरोना वैक्सीनेशन सेंटर्स के अलावा काम की जगहों और बड़े-बूढ़ों और अक्षम लोगों के लिए घरों में कोरोना टीकाकरण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा स्टार होटलों जैसी किसी और जगह पर टीकाकरण करना दिशानिर्देशों का उल्लंघन है इसे तुंरत बंद किया जाना चाहिए।

कोरोना वैक्सीन: जून 2021 के लिए 12 करोड़ डोज़ उपलब्ध, केंद्र ने बताया राज्यों को टीका कैसे मिलता है?

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि देश भर में कोरोना टीकाकरण अभियान के लिए जून 2021 में वैक्सीन की करीब 12 करोड़ डोज़ उपलब्ध कराई जाएगी।

प्रेस इन्फ़ॉर्मेशन ब्यूरो के जरिए जारी किए गए बयान में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि मई 2021 के लिए वैक्सीन की 7,94,05,200 डोज़ मौजूद है।

बयान में कहा गया है कि भारत सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को वैक्सीन का आवंटन कई मानकों के आधार पर करती है।

उदाहरण के लिए, वहाँ की आबादी कितनी है, वैक्सीन की खपत कितनी है और कितनी वैक्सीन बर्बाद हो रही है यानी कितनी वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं हो रहा है।

जून 2021 के लिए वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में राज्यों को जानकारी दे दी गई है।

कोरोना: 24 घंटे में 1,65,553 नए मामले, 3,460 लोगों ने जान गँवाई

पिछले 24 घंटे में भारत में कोरोना संक्रमण के 1,65,553 नए मामले सामने आए हैं और इस दौरान 3,460 लोगों की मौत हुई है।

इसी के साथ भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 2,78,94,800 मामले हो गए हैं जिनमें 21,14,508 एक्टिव मामले हैं।

इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार पिछले 24 घंटों में 20,63,839 सैंपल्स का सीओवीआईडी-19 के लिए टेस्ट किया गया।

सीओवीआईडी-19 की चपेट में आकर अब तक कुल 3,25,972 लोगों की मौत हुई है और 2,54,54,320 लोग इलाज के बाद ठीक हो गए हैं।

भारत में अब तक कुल 21,20,66,614 लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जा चुकी है।

लॉकडाउन: भारत की जीडीपी 2021 में 2019 से भी कम रह सकती है: यूएन रिपोर्ट

कोरोना महामारी से लड़ने के लिए व्यापक पैमाने पर टीकाकरण अभियान की शुरुआत करने के बावजूद साल 2021 के लिए भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का स्तर साल 2019 के स्तर से नीचे रहने की आशंका है।

एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) ने मंगलवार, 30 मार्च 2021 को एक रिपोर्ट जारी की है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोरोना महामारी के शुरू होने से पहले ही जीडीपी और निवेश धीमा पड़ चुका था।

रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए पूर्ण लॉकडाउन के कारण 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल से जून 2020) में आर्थिक बाधाएं अपने चरम पर थीं।

लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटना शुरू हुई लेकिन सालाना आधार पर शून्य के क़रीब आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान के साथ चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था की गति हल्की पड़ गई।

एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के सात फीसद रहने का अनुमान है जबकि इससे पहले के साल में यानी 2020-21 में कोरोना महामारी और उसके असर के कारण इसमें 7.7 फीसदी से अधिक के गिरावट होने का अनुमान है।

भारत-पाकिस्तान संबंध: नरेंद्र मोदी की चिट्ठी के जवाब में आई इमरान ख़ान की चिट्ठी

पाकिस्तान दिवस की मुबारकबाद देते हुए पीएम इमरान ख़ान को लिखी गई पीएम नरेंद्र मोदी की चिट्ठी का जवाबी खत पाकिस्तान से आ गया है।  

पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान ने इस जवाबी खत में 29 मार्च 2021 को लिखा है, ''पाकिस्तान दिवस की शुभकामनाओं के साथ भेजी गई चिट्ठी के लिए मैं आपको शुक्रिया अदा करता हूं।''

पीएम इमरान ख़ान ने आगे लिखा है, ''पाकिस्तान के लोग अपने संस्थापकों की दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता को श्रद्धांजलि देने के लिए ये दिवस मनाते हैं जिन्होंने एक स्वतंत्र, संप्रभु राज्य की परिकल्पना की थी और जहां लोग आज़ादी से रह सकें और अपनी पूरी क्षमता को हासिल कर सकें।''

पीएम इमरान ख़ान ने लिखा, ''पाकिस्तान के लोग भी भारत समेत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण और सहयोगपूर्ण रिश्ते चाहते हैं। हम इस बात को लेकर निश्चिंत हैं कि दक्षिण एशिया में स्थाई शांति और स्थिरता भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दों, जिनमें ख़ासतौर पर जम्मू और कश्मीर का विवाद शामिल है, के सुलझ जाने से जुड़ी है।''

इमरान ख़ान ने लिखा, ''एक सकारात्मक और नतीजा देने वाली बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाना ज़रूरी है। मैं इस मौके पर भारत के लोगों को सीओवीआईडी-19 की महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में शुभकामनाएं भी देना चाहता हूं।''

इमरान के नाम मोदी की चिट्ठी में क्या लिखा था

इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को पाकिस्तान दिवस की मुबारकबाद देते हुए लिखा था कि एक पड़ोसी देश के तौर पर भारत, पाकिस्तान के लोगों के साथ ख़ुशगवार रिश्ते चाहता है।

22 मार्च 2021 को लिखी गई इस चिट्ठी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, ''ऐसा संभव बनाने के लिए आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त एवं विश्वास और भरोसे से भरे माहौल की ज़रूरत है।''

वहीं भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी के नाम लिखे पत्र में पाकिस्तान दिवस की मुबारकबाद पेश की थी।

नरेंद्र मोदी ने इमरान ख़ान को ये ख़त ऐसे वक़्त में लिखा था जब दोनों देशों के बीच लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर नए सिरे से संघर्ष-विराम लागू किया गया है।

भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम

फरवरी 2021 में दोनों देशों के मिलिट्री ऑपरेशन के डायरेक्टर जनरल (डीजीएमओ) ने एक साझा बयान जारी करते हुए नियंत्रण रेखा पर अचानक संघर्ष-विराम की घोषणा की थी।

तब से सीमा पर पहले के मुक़ाबले शांति है और दोनों तरफ़ से संघर्ष विराम का पूर्ण पालन किया जा रहा है।

वहीं सिंधु नदी जल वार्ता के लिए पाकिस्तान का आठ सदस्यीय एक दल इंडस वॉटर कमिश्नर सैयद मेहर-ए-आलम के नेतृत्व में भारत में अपने समकक्षों के साथ नई दिल्ली में वार्ता कर रहा है। ये बातचीत दो साल बाद हो रही है।

हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा ने भी अपने एक बयान में कहा था कि दोनों देशों को पुरानी बातें भुलाकर आगे बढ़ना चाहिए।

शुभकामनाओं का सिलसिला

नरेंद्र मोदी ने अपने ख़त में लिखा था कि पाकिस्तान दिवस के मौके पर वो पाकिस्तान के लोगों को अपनी मुबारकबाद देना चाहते हैं।

मोदी ने इमरान ख़ान को संबोधित करते हुए लिखा कि इस मुश्किल वक़्त में वो उन्हें और पाकिस्तान के लोगों को सीओवीआईडी-19 की चुनौतियों से निबटने के लिए शुभकामनाएं देते हैं।

कुछ दिन पहले इमरान ख़ान जब कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे, तब भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके लिए शुभकामनाएं भेजी थीं।

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में हाल के महीनों में अचानक आई गर्माहट के पीछे किसी तीसरे देश के होने के क़यास भी लगाए जा रहे हैं।

सऊदी अरब के उप-विदेश मंत्री आदिल अल जुबैर ने कुछ दिन पहले स्वीकार किया था कि सऊदी अरब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने की कोशिशें कर रहा है।

संयुक्त अरब अमीरात का दावा

अरब न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में आदिल अल जुबैर ने कहा था कि सऊदी अरब पूरे इलाके में अमन चाहता है और इसके लिए कोशिशें कर रहा है।

वहीं मीडिया रिपोर्टों में भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत में संयुक्त अरब अमीरात के मध्यस्थता करने का दावा भी किया गया है।

द हिंदू की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त अरब अमीरात की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच पर्दे के पीछे बातचीत हुई है।

हालांकि भारत या पाकिस्तान ने इसकी पुष्टि नहीं की है। विश्लेषक ये भी मान रहे हैं कि हाल की घटनाएं पर्दे के पीछे चल रहीं गतिविधियों का नतीजा हैं।

मोदी के दौरे पर बांग्लादेश में हुई हिंसा पर बांग्लादेश के गृह मंत्री ने क्या कहा?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों में हुई हिंसा पर बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज़्ज़मां ख़ान ने नाराज़गी जताई है और कहा है कि ''कुछ समूह धार्मिक उन्माद फैला रहे हैं और सरकारी संपत्ति और लोगों की जान का नुक़सान कर रहे हैं।''

उन्होंने रविवार, 28 मार्च 2021 को कहा कि हिंसा तुरंत रोकी जाए नहीं तो सरकार को कड़े क़दम उठाने होंगे।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के ख़िलाफ़ ब्राह्मणबरिया में रविवार, 28 मार्च 2021 को लगातार तीसरे दिन झड़पें हुईं।

हिंसक प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 12 लोगों की मौत हुई है।  

बांग्लादेश के गृह मंत्री ने कहा, ''पिछले तीन दिनों से कुछ उपद्रवी लोग और समूह धार्मिक उन्माद के चलते कुछ इलाक़ों में सरकारी संपत्ति को नुक़सान पहुंचा रहे हैं।''

प्रदर्शनों में शामिल लोगों ने कथित तौर पर उपज़िला परिषद, थाना भवन, सरकारी भूमि कार्यालय, पुलिस चौकी, रेलवे स्टेशन, राजनीतिक हस्तियों के घर और प्रेस क्लब को नुक़सान पहुंचाया है।

उन्होंने कहा, ''हम सबंधित लोगों से इस तरह के नुक़सान और किसी भी तरह की अव्यवस्था को रोकने के लिए कह रहे हैं। नहीं तो सरकार लोगों की ज़िंदगियों और संपत्ति को बचाने के लिए कड़े क़दम उठाएगी।''

कट्टरपंथी इस्लामी संगठन 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के ख़िलाफ़ हुए कई प्रदर्शनों के बाद रविवार, 28 मार्च 2021 को हड़ताल पर चला गया।

हड़ताल की वजह से कई जगहों पर नाकेबंदी और झड़पें हुईं, लेकिन सबसे ज़्यादा हिंसा ब्राह्मणबरिया में हुई।

बांग्लादेश के गृह मंत्री ने कहा, ''कुछ स्वार्थी लोग अनाथ बच्चों को सड़कों पर ला रहे हैं, और उन्हें परेशान कर रहे हैं।''

उन्होंने साथ ही कहा कि सोशल मीडिया पर अफ़वाहें और फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाकर तनाव का माहौल बनाया जा रहा है।

बांग्लादेश के गृह मंत्री ने कहा, ''हमें लगता है कि ये देश के ख़िलाफ़ जा रहा है। हम आपसे इसे रोकने के लिए कह रहे हैं, नहीं तो हम क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई करेंगे।''

उन्होंने कहा कि सरकार ये सुनिश्चित करने के लिए क़दम उठाएगी कि जो इस सब से प्रभावित हुए हैं उन्हें और परेशानी ना हो।

उन्होंने कहा कि तीन दिन तक क़ानूनी एजेंसियों ने बहुत संयम दिखाया।  

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम ने हिंसा की ज़िम्मेदारी से इनकार किया

कट्टरपंथी इस्लामी संगठन 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' ने हाल की हिंसा में उसके समर्थकों पर लगाए गए आरोपों का खंडन किया है।

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारियों पर सरकार के लोगों और पुलिस ने हमला किया था।

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम के संयुक्त महासचिव, नसीरुद्दीन मुनीर ने बीबीसी से कहा कि सरकारी इमारतों पर हमले के लिए उनके समर्थकों पर आरोप लगाना सही नहीं है।

उन्होंने कहा, ''बैतूल मुकर्रम में शुक्रवार, 26 मार्च 2021 को हिंसा हुई थी। ख़बर ऑनलाइन फैलने के बाद हमारे मदरसे के कई छात्रों में गुस्सा था।''

उन्होंने कहा, ''जुमे की नमाज़ के एक घंटे बाद छात्रों ने शांतिपूर्ण मार्च शुरू किया। जब पुलिस स्टेशन के नज़दीक से निकले तो, कुछ लड़के, जो मदरसे के छात्र नहीं थे, वो उपद्रवी लोग मार्च में शामिल हो गए। वो पुलिस स्टेशन पर ईंटें फेंक रहे थे। पुलिस की तरफ से गोलियां बरसा दी गईं।''

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम के संयुक्त महासचिव, नसीरुद्दीन मुनीर ने बीबीसी से कहा, ''हमारे छात्रों ने पुलिस स्टेशन के अंदर हमला नहीं किया। मैं आपको इसके लिए 100 प्रतिशत आश्वासन दे सकता हूं।''

सरकार ने अतीत में कई बार हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम की मांगों को माना है, जिसमें किताबों में बदलाव करना और बांग्लादेश में मूर्तियों को हटाना शामिल है।

नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद भी बांग्लादेश में हिंसा जारी

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद बांग्लादेश का ब्राह्मणबरिया रविवार, 28 मार्च 2021 को तीसरे दिन भी अशांत रहा।

ब्राह्मणबरिया के स्थानीय अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि रविवार, 28 मार्च 2021 को दो और लोगों की मौत हुई है।

बांग्लादेश में पिछले तीन दिनों से जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 12 लोग मारे जा चुके हैं।

ब्राह्मणबरिया सदर अस्पताल के डॉक्टर शौकत हुसैन ने बीबीसी को बताया कि हड़ताल के दौरान हुई झड़पों में घायल हुए दो लोगों को अस्पताल लाया गया जिन्होंने दम तोड़ दिया।

डॉक्टर शौकत हुसैन ने इसके अलावा कोई अन्य जानकारी नहीं दी।

'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम'

स्थानीय संवाददाताओं का कहना है कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुई हैं।

इन झड़पों में कई लोग घायल हुए हैं।

नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के ख़िलाफ़ कई विरोध प्रदर्शनों के बाद 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' ने रविवार, 28 मार्च 2021 को हड़ताल बुलाई थी।

स्थानीय संवाददाता मसुक हृदय ने बीबीसी को बताया कि हड़ताल के समर्थकों ने विभिन्न सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमला बोला, वहां तोड़फोड़ की और उन्हें आग के हवाले कर दिया।

हमलावरों ने कथित तौर पर भूमि कार्यालय, सार्वजनिक पुस्तकालय और ज़िला शिल्पकला अकादमी सहित कई सरकारी और निजी भवनों में आग लगा दी।

यात्री ट्रेन पर हमला

मसुक हृदय ने आगे बताया कि प्रदर्शनकारियों ने एक यात्री ट्रेन पर भी हमला किया, जिसमें कई लोग घायल हो गए।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' के सैकड़ों समर्थकों ने रविवार, 28 मार्च 2021 को पूर्वी बांग्लादेश के हिंदू मंदिरों और एक ट्रेन पर हमला किया।

घटना के बाद से ब्राह्मणबारिया के लिए आने-जाने वाली ट्रेनों को निलंबित कर दिया गया है।

बांग्लादेश में सबसे ज़्यादा हिंसा ब्राह्मणबारिया और चटगांव के हाटहज़ारी में हुई है।

शनिवार, 27 मार्च 2021 को ब्राह्मणबारिया में पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ संघर्ष में कम से कम पांच प्रदर्शनकारी मारे गए थे।

स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि छठे व्यक्ति की मौत रविवार, 28 मार्च 2021 को हुई। हालांकि बीबीसी स्वतंत्र सूत्रों से इन दावों की पुष्टि नहीं कर पाया है।

बांग्लादेश की आज़ादी की 50वीं सालगिरह के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार, 26 मार्च 2021 को ढाका के दौरे पर पहुंचे थे। वहां कुछ इस्लामी संगठन उनके दौरे का विरोध कर रहे थे।

'बंगाल में बीजेपी जीती तो शेख़ हसीना के लिए चुनौतियाँ बढ़ेंगी'

'ढाका ट्रिब्यून' में नई दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ के सीनियर फ़ेलो पार्थ एस घोष का नज़रिया लेख छपा है। इस लेख में कहा गया है कि अगर बीजेपी पश्चिम बंगाल में जीत जाती है तो शेख़ हसीना के लिए राजनीतिक चुनौतियां कई गुना बढ़ जाएंगी।

इस लेख में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी का 'हिंदुत्व' और शेख़ हसीना की 'धर्मनिरपेक्षता' मौलिक रूप से एक-दूसरे से उलट हैं।

लेख के मुताबिक़, 27 मार्च 2021 से शुरू हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के स्टार प्रचारक पीएम नरेंद्र मोदी हिंदू-मुस्लिम विभाजन की बात कर रहे हैं, जो पश्चिम बंगाल की राजनीति में पहले कभी नहीं देखा गया।

इसमें लिखा है, ''मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के 2014 में सत्ता में आने के बाद से हिंदुत्व ने बंगाल की राजनीति में एंट्री ले ली। हाल में बीजेपी ने बंगाल की राजनीति में मज़बूत मौजूदगी दर्ज कराई और 2019 के लोकसभा चुनाव में 42 सीटों में से 18 अपने नाम कर ली।''

इस लेख में कहा गया है कि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश को पश्चिम बंगाल के आठों चरणों की वोटिंग और फिर दो मई 2021 के नतीजों को लेकर सोचना पड़ेगा।

पार्था एस घोष लेख में याद करते हैं कि विभाजन के बाद जब भारत के अन्य हिस्से हिंदू-मुसलमान दंगों से जूझ रहे थे तब बंगाल शांति का प्रतीक बना हुआ था।

वो लिखते हैं, ''शेख़ हसीना और नरेंद्र मोदी के लिए साफ़ तौर पर अवसर एक से हैं, लेकिन गहराई में जाकर देखें तो गंभीर विरोधाभास उभरते हैं। बांग्लादेश भारत से ख़ुश है क्योंकि उसे आर्थिक फायदा हो रहा है। भारत के साथ उसके निर्यात में 300% बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारत भी ख़ुश है क्योंकि बांग्लादेश उत्तरपूर्व स्थित उग्रवादियों को अपनी ज़मीन इस्तेमाल करने देने से रोक रहा है लेकिन संगम के इन बिंदुओं से परे एक विशाल और ख़तरनाक समुद्र है।''

''अगर बीजेपी पश्चिम बंगाल की सत्ता हासिल कर लेती है तो हसीना के लिए राजनीतिक चुनौतियां कई गुना बढ़ जाएंगी। हसीना-मोदी के संयुक्त बयान की अच्छी-अच्छी बातों का बहुत कम महत्व रह जाएगा।''

''रिश्ते बिगड़ सकते हैं क्योंकि ना तो नरेंद्र मोदी और ना ही अमित शाह दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय मानसिकता को समझते हैं। उनके लिए विदेश नीति एक तरह से घरेलू राजनीति ही है। हम सभी जानते हैं कि वो घरेलू राजनीति कैसी है।''