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गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत

भारत के राज्य गुजरात के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 182 में से 156 सीटों पर जीत हासिल की है। गुजरात में सबसे ज़्यादा नुक़सान कांग्रेस को हुआ है। कांग्रेस 17 सीट पर सिमट गई है।

आम आदमी पार्टी ने गुजरात में अपना खाता खोल लिया है। उसका वोट प्रतिशत बढ़ा है और उसने पांच सीटों पर जीत दर्ज की है।

पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को 99 सीटें मिली थी, कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी।

हिमाचल प्रदेश विभानसभा चुनाव में कांग्रेस बड़ी पार्टी बन कर उभरी है।  उसे 68 सीटों में से 40 पर जीत मिली है। वहीं भारतीय जनता पार्टी को 25 और तीन सीटों पर अन्य उम्मीदवारों को जीत मिली है।

बीते तीन दशक से हिमाचल प्रदेश का इतिहास रहा है कि यहां किसी एक पार्टी को लगातार दूसरी बार सत्ता नहीं मिलती। हालांकि हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के मत प्रतिशत पर अधिक असर नहीं पड़ा। भारतीय जनता पार्टी का मत प्रतिशत 43 फ़ीसदी रहा जबकि कांग्रेस का मत प्रतिशत इससे थोड़ा अधिक 43.9 फ़ीसदी रहा।

कुछ दिन पहले दिल्ली में हुए म्युनिसिपल चुनावों में 15 साल से सत्ता में रही भारतीय जनता पार्टी को आम आदमी पार्टी ने हरा दिया। आम आदमी पार्टी को 250 वॉर्डों में से 134 में जीत मिली, वहीं भारतीय जनता पार्टी को 104 में और कांग्रेस को केवल नौ वॉर्डों में जीत हासिल हुई।

हिमाचल प्रदेश: कांग्रेस ने 40 सीट जीत कर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया, बीजेपी को मिलीं 25 सीटें

भारत के राज्य हिमाचल प्रदेश के सभी 68 विधानसभा सीटों के नतीजे आ गए हैं।

कांग्रेस ने इन 68 विधानसभा सीटों में से 40 सीटों पर जीत हासिल कर बहुमत हासिल कर लिया है।

वहीं बीजेपी ने 25 सीटें जीती हैं।

इन चुनाव में तीन निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है। आम आदमी पार्टी का खाता नहीं खुला है।

अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो कांग्रेस को 43.90 प्रतिशत वोट मिले हैं तो बीजेपी को 43 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं। वहीं आम आदमी पार्टी को 1.10 प्रतिशत वोट मिले हैं।

दिल्ली नगर निगम में जीत के बाद भी क्या आम आदमी पार्टी का मेयर होगा?

दिल्ली नगर निगम चुनाव में बुधवार, 7 दिसम्बर 2022 को हुई मतगणना में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिल गया है। दिल्ली नगर निगम पर भारतीय जनता पार्टी का 15 सालों से नियंत्रण था।

लेकिन कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के पार्षदों की संख्या में बहुत बड़ा अंतर नहीं है, इसलिए मेयर किसका होगा इसे लेकर अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

दिल्ली नगर निगम के कुल 250 वॉर्डों में से आम आदमी पार्टी को 134 पर जीत मिली है। बीजेपी को 104 वॉर्डों में और कांग्रेस को 9 में जीत मिली है. तीन वॉर्डों में निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है।

लेकिन भारतीय जनता पार्टी के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा है, ''दिल्ली में मेयर कौन होगा यह पार्षदों के मतदान पर निर्भर करेगा कि वे किस तरह से वोट करते हैं। मिसाल के तौर पर चंडीगढ़ में बीजेपी का मेयर है।''

साल 2021 में चंडीगढ़ नगर निगम में आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी, लेकिन मेयर बीजेपी का बना था। ऐसा कांग्रेस के पार्षदों की बग़ावत और आम आदमी पार्टी के कुछ पार्षदों के वोट अमान्य क़रार दिए जाने की वजह से हुआ था।

दिल्ली बीजेपी प्रमुख आदेश गुप्ता ने कहा है, ''काँटे की टक्कर में भले वे मुझसे आगे निकल गए हैं, लेकिन यह वक़्त बताएगा कि मेयर किसका होगा। मेयर के चुनाव में पार्षद अपना वोट अपनी अन्तरात्मा की आवाज़ पर देते हैं।''

एक मेयर और उपमेयर का चुनाव सालाना होता है और इसमें पहला साल महिला के लिए रिज़र्व होता है और तीसरे साल अनुसूचित जाति के लिए।

आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने अंग्रेज़ी अख़बार टेलिग्राफ़ से कहा है, ''दलबदल को भी बेअसर करने के लिए हमें कम से कम 150 पार्षदों की ज़रूरत पड़ेगी। हम तभी अपना मेयर बनाए रख सकते हैं। लेकिन बड़ी संख्या में मुसलमानों ने कांग्रेस का रुख़ किया और कुछ इलाक़ों में वोट बँट जाने से बीजेपी को फ़ायदा हुआ है।

हमें लगता है कि कांग्रेस के क़रीब तीन पार्षद और दो निर्दलीय बीजेपी के साथ जाएंगे। हमारे सभी नेता पार्षदों के संपर्क में हैं ताकि वे हमारे साथ बने रहें। हम इस बात से वाक़िफ़ हैं कि हमारे कुछ संभावित मेयर उम्मीदवार को बीजेपी टारगेट कर सकती है।

अगर हमारे पार्षदों को ख़रीदने की कोशिश की जाएगी तो हम भी बीजेपी पार्षदों को अपनी तरफ़ लाने की कोशिश करेंगे.''

2020 के दिल्ली दंगों में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाक़े प्रभावित हुए थे। इसके अलावा ओखला और शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन बिल के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया गया था।

इन इलाक़ों में लोगों ने कांग्रेस को वोट किया है। दंगों के दौरान आम आदमी पार्टी की सरकार को तमाशबीन के तौर पर देखा गया था। दंगों के ठीक बाद 2020 में ही दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए थे। साल 2022 की शुरुआत में दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में सांप्रदायिक तनाव फैला तब भी आम आदमी पार्टी पर चुप रहने का आरोप लगा था।

टेलिग्राफ़ ने लिखा है कि आम आदमी पार्टी ने जहांगीरपुरी में सांप्रदायिक हिंसा के लिए बांग्लादेशी और रोहिंग्या को ज़िम्मेदार ठहराया था, लेकिन उसके कोई ठोस सबूत नहीं मिले थे। पुरानी दिल्ली के मुस्लिम वॉर्ड में आम आदमी पार्टी को जीत मिली है।

जीत के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने समर्थकों को संबोधित किया और उनका टोन मेलजोल वाला था।

केजरीवाल बिल्कुल ही आक्रामक नहीं थे। केजरीवाल ने कहा कि वह दिल्ली की बेहतरी के लिए कांग्रेस और बीजेपी के साथ मिलकर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली को बेहतर बनाने में केंद्र सरकार की अहम भूमिका होती है और वह सहयोग की उम्मीद करते हैं। केजरीवाल ने कहा कि वह केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी का आशीर्वाद चाहते हैं ताकि दिल्ली को मिलकर आगे बढ़ाया जा सके।

इस बार के दिल्ली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 11.7 प्रतिशत रहा। 2017 के दिल्ली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 21.1 प्रतिशत रहा था। लेकिन 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो कांग्रेस का वोट शेयर इस नगर निगम चुनाव में 4.3 फ़ीसदी ज़्यादा है।

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कचरों के तीन पहाड़ों को हटाने का वादा किया है। दूसरी तरफ़ कांग्रेस और बीजेपी दिल्ली सरकार को भ्रष्टाचार के मामले में घेरती दिखी थीं।

दिल्ली नगर निगम में बीजेपी पारंपरिक रूप से मज़बूत रही है। ऐसा तब भी रहा जब बीजेपी दिल्ली विधानसभा चुनाव हारती रही। हाल में मोदी सरकार ने संसद से एक संशोधन पास किया था जिसमें दिल्ली नगर निगम पर केंद्र का नियंत्रण बढ़ गया था। इससे पहले दिल्ली नगर निगम के वित्त मामलों पर अधिकार दिल्ली सरकार का होता था।

दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक बनाने के बाद यह पहला चुनाव हुआ है। 2012 में बीजेपी को तीनों निगमों में जीत मिली थी। 2012 में ही दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बाँटा गया था। दिल्ली नगर निगम में चुनाव अप्रैल 2022 में ही होना था।

लेकिन केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निगम को तीन के बदले एक कर दिया था। इसके साथ ही परिसीमन भी किया गया और 272 वॉर्डों के बदले 250 वॉर्ड कर दिए गए।

सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी दवा दुकानों और डॉक्टरों को लेकर बिहार सरकार को फटकार लगाई

भारत के राज्य बिहार में फर्जी दवा दुकानों और डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाई है।

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह बिहार सरकार को लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दे सकता है।

बिहार में फर्जी फार्मासिस्टों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर फार्मासिस्ट मुकेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में पटना हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

पटना हाई कोर्ट ने 9 दिसंबर, 2019 को मुकेश कुमार से फर्जी चिकित्सकों के नाम देने को कहा था ताकि उनके खिलाफ जरूरी कार्रवाई की जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''यह एक गंभीर मुद्दा है। यह बिहार सरकार की ड्यूटी है कि राज्य में नकली फार्मासिस्ट, एक भी अस्पताल या मेडिकल की दुकान न चला पाएं। हम राज्य सरकार को लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं करने दे सकते।''

बेंच ने कहा, ''अगर कोई अप्रशिक्षित व्यक्ति गलत दवा देता है या गलत खुराक देता है तो यह लोगों के लिए खतरनाक साबित होगा। इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा? बिहार जैसे राज्यों में परेशानी सिर्फ फर्जी फार्मासिस्टों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि फर्जी डॉक्टरों की भी है।''

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के मोरबी में हुई दुर्घटना को भारी त्रासदी कहा

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के मोरबी में हुई दुर्घटना को भारी त्रासदी कहा है।

सोमवार, 21 नवम्बर 2022 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने आदेश में कहा, ''यह एक बहुत बड़ी त्रासदी है और इसके लिए एक साप्ताहिक निगरानी की आवश्यकता है ताकि जिस पार्टी को कॉन्ट्रैक्ट मिला और जो दोषी हैं उनकी ज़िम्मेदारी तय करते हुए मामला आगे बढ़े। गुजरात हाईकोर्ट ने खुद ही सुओ मोटो ले लिया है वरना हम ये नोटिस जारी करते।''

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले पर हाई कोर्ट को नियमित निगरानी रखनी होगी। सोमवार, 21 नवम्बर 2022 को सुप्रीम कोर्ट मोरबी हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों की ओर से दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

इस याचिका की पैरवी करने वाले अधिवक्ता विशाल तिवारी की मांग थी कि मामले की जांच एक न्यायिक समिति करे जिसकी निगरानी का काम एक रिटायर्ड जज के हाथों में हो।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मरने वालों के परिजनों को मुआवज़ा मिले इस पहलू का भी ध्यान रखना होगा।

30 अक्टूबर 2022 को गुजरात के मोरबी में एक सस्पेंशन ब्रिज के गिरने से 132 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में ब्रिज की मरम्मत का ठेका ओरेवा ग्रुप को दिया गया था।

हादसे के बाद यह बात सामने आयी कि इस पूल को प्रशासन की अनुमति बिना ही दोबारा आम लोगों के लिए खोल दिया गया था।

प्रिवेंटिव डिटेंशन व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है: सुप्रीम कोर्ट

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 को कहा कि प्रिवेंटिव डिटेंशन व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई को रोकने वाले कानून जो कुछ भी सुरक्षा देने का काम करते हैं उन्हें सबसे ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए। ऐसे कानूनों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।

12 नवंबर, 2021 को त्रिपुरा सरकार ने प्रिवेंटिव डिटेंशन का एक आदेश पारित किया था। इस आदेश को रद्द करते हुए चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने ये टिप्पणी की है।

साथ ही कोर्ट ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1988 के तहत डिटेंशन में लिए गए अभियुक्त को तुरंत रिहा करने का भी निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि प्रिवेंटिव डिटेंशन के समय हिरासत में लेने वाले अधिकारियों के साथ साथ उसे एक्जिक्यूट करने वाले अधिकारियों को सतर्क रहने की जरूरत है।

संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए शिवसेना, जेडीयू और अकाली दल ने बीजेपी का साथ छोड़ा: तेजस्वी

राष्ट्रीय जनता दल के नेता और भारत के राज्य बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रविवार, 25 सितम्बर 2022 को कहा कि जनता दल यूनाइटेड, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना ने बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए का साथ संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए छोड़ा।

भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री देवी लाल की जयंती मनाने के लिए बुलाई गई इनलोद (इंडियन नेशनल लोक दल) की रैली में तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर झूठे दावे करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि बीजेपी का मतलब 'बड़का झूठा पार्टी' होता है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के पुर्णिया में अपनी हालिया रैली में शहर के एयरपोर्ट के बारे में कहा, जबकि वहां कोई एयरपोर्ट है ही नहीं।

हरियाणा के फतेहाबाद शहर में आयोजित इस रैली में मंच पर बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार, शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल और शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत भी मौजूद थे।

तेजस्वी ने अपने संबोधन में इस ओर ध्यान दिलाया कि ये सभी लोग एनडीए का हिस्सा थे। लेकिन संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए उन्होंने सत्तारूढ़ गठबंधन का साथ छोड़ दिया। तेजस्वी यादव ने कहा, ''एनडीए अब कहाँ है?''

नीतीश कुमार ने कहा, भारत में हिंदू-मुसलमान के बीच कोई झगड़ा नहीं, बीजेपी माहौल ख़राब कर रही है

भारत के राज्य बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार, 25 सितम्बर 2022 को हरियाणा के फतेहाबाद में इंडियन नेशनल लोकदल की एक रैली में बीजेपी का मुक़ाबला करने के लिए कांग्रेस और वामपंथी दलों सहित सभी विपक्षी पार्टियों से एकजुट होने की अपील की है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, नीतीश कुमार ने रैली में कहा कि 'विपक्ष के इस मुख्य मोर्चे' को मिलकर यह तय करना होगा कि 2024 में बीजेपी की बुरी हार हो।

उन्होंने कहा कि विपक्ष के सभी दल यदि एकजुट होकर लड़े, तो देश को बर्बाद करने वालों से हमें निजात मिल जाएगी।

नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि देश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कोई झगड़ा नहीं है और बीजेपी देश में गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर रही है।

उनके अनुसार, मेरी एकमात्र इच्छा है कि हम सब को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होने की ज़रूरत है। हमें अपने साथ और भी दलों को जोड़ने की ज़रूरत है।

भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री चैधरी देवीलाल के जन्मदिवस के मौक़े पर आयोजित इस रैली में नीतीश कुमार के अलावा एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल, तेजस्वी यादव जैसे कई नेता भी शामिल हुए।

सोनिया गांधी से मुलाक़ात के बाद नीतीश कुमार और लालू यादव ने क्या कहा?

विपक्ष को एकजुट करने के मक़सद से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने रविवार, 25 सितम्बर 2022 को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से नई दिल्ली में मुलाक़ात की है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सोनिया गांधी के नई दिल्ली स्थित आवास 10, जनपथ में यह मुलाक़ात हुई।

मुलाक़ात के बाद लालू यादव ने कहा कि तीनों नेता फिर मिलेंगे।

नीतीश कुमार ने कहा, ''हम सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं। मिलकर देश की प्रगति के लिए काम करना है।''

नीतीश कुमार ने कहा कि उनके यहां (कांग्रेस में) अध्यक्ष पद का चुनाव है। उसके बाद ही वो कुछ कहेंगी।

लालू यादव ने कहा, ''भाजपा को हटाना है, देश को बचाना है। हमने सोनिया जी से कहा कि आपकी पार्टी सबसे बड़ी है। आप सबको बुलाइए।''

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ख़िलाफ़ विपक्षी दलों को एकजुट करने और कांग्रेस के साथ विपक्ष के अन्य दलों के बीच के मौजूदा मतभेदों को कम करने के इरादे से हुई इस मुलाक़ात को काफ़ी अहम माना जा रहा है।

अगस्त 2022 में बीजेपी के साथ बिहार में अपना गठबंधन तोड़ने और राजद व कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार की सोनिया गांधी से हुई यह पहली मुलाक़ात है।

इससे पहले नीतीश कुमार ने दिन में हरियाणा के फतेहाबाद में इंडियन नेशनल लोकदल की एक रैली में विपक्ष के कई नेताओं के साथ भाग लिया।

इस रैली में उन्होंने बीजेपी पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हेट स्पीच के मामले में सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है?

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हेट स्पीच के मामले ने सरकार के रवैये पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनल के एंकरों की भी भूमिका को भी अहम बताया है।

भारत में न्यूज़ चैनलों पर होने वाली बहस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी ज़ाहिर की है। बुधवार, 21 सितम्बर 2022 को हेट स्पीच के मामले में एक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि ऐसी बहसों में अक्सर हेट स्पीच को जगह दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है कि वो ऐसे हेट स्पीच को लेकर मूकदर्शक क्यों बनी रही है?

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के एम नटराज से कई सवाल पूछे हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा है, ''आख़िर इसमें समस्या क्या है? भारत सरकार इस मामले में कोई स्टैंड क्यों नहीं ले रही है? सरकार क्यों ऐसे मामलों को लेकर मूकदर्शक बनी हुई है?''

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि केंद्र को इस मामले में कोर्ट के विरोध में खड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि मदद करनी चाहिए।

न्यूज़ चैनलों की बहस पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने भारत के उन न्यूज़ चैनलों पर भी टिप्पणी की है जो अक्सर टीवी पर बहसों में हेट स्पीच को जगह देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पाया है कि हेट स्पीच से सबसे ज़्यादा फ़ायदा राजनीतिक लोगों को होती है और इसके लिए टीवी न्यूज़ चैनल मौक़ा देते हैं।

जस्टिस के एम जोसेफ़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने कहा है कि न्यूज़ चैनल के एंकर की भूमिका इसी लिहाज़ से बहुत महत्वपूर्ण है। कोर्ट का मानना है कि टीवी बहस में शामिल लोग हेट स्पीच से दूर रहें, यह तय करना एंकर की ज़िम्मेदारी है। इस बेंच में दूसरे जज जस्टिस ऋषिकेश राय हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच को लेकर कई याचिकाओं की एक साथ सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है।

बोलने की आज़ादीः कहां तक छूट हो

सुप्रीम कोर्ट ने ज़ोर देकर कहा है कि बोलने की आज़ादी बहुत ही ज़रूरी है लेकिन टीवी चैनल पर हेट स्पीच के लिए छूट नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने ध्यान दिलाया है कि हेट स्पीच के लिए ब्रिटेन में एक टीवी चैनल पर भारी ज़ुर्माना लगाया गया है।

हेट स्पीच को लेकर दायर एक याचिका की पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े भी कोर्ट की टिप्पणी से सहमत हैं। उन्होंने कहा, "चैनल और राजनेताओं को ऐसी स्पीच से चारा मिलता है। चैनलों को पैसे मिलते हैं और वो बहस में 10 लोगों को एक साथ बैठा देते हैं।''

अपनी नज़रिया न थोपें एंकर

सुप्रीम कोर्ट की बेंच का कहना है, "एंकर को वो बात आगे बढ़ानी चाहिए जो लोग कह रहे हैं, वो नहीं जो वो ख़ुद कहना चाहते हैं। लोकतंत्र के स्तंभ को स्वतंत्र होना चाहिए, उन्हें किसी के आदेश पर नहीं चलना चाहिए।''

नफ़रत को हवा देना मंजूर नहीं

बेंच ने कहा है, ''किसी एंकर का अपना नज़रिया हो सकता है लेकिन बात तब बिगड़ती है जब आपके सामने अलग-अलग राय रखने वाले लोग होते हैं और आप उन्हें बोलने नहीं देते हैं। इस तरह से आप नफ़रत पैदा करते हैं और इससे आपको टीआरपी मिलती है।''

वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने बेंच से कहा कि मंगलवार, 20 सितम्बर, 2022 को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि हम हेट ऑक्सीजन नहीं दे सकते। इसपर जस्टिस हेगड़े ने कहा, ''बिल्कुल नहीं। हम नफ़रती हवा नहीं फैला सकते।''

केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नटराज ने कोर्ट को बताया कि इसपर 14 राज्यों ने अपने सुझाव भेज दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सभी राज्यों के जवाब एक साथ फ़ाइल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर, 2022 को होगी।