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शशि थरूर का भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अनकही कहानियों पर भाषण

शशि थरूर का भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अनकही कहानियों पर भाषण 

यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का नेहरू की विरासत पर भाषण

यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का नेहरू की विरासत पर भाषण 

जनता तेल की बढ़ती कीमतों से त्रस्त, मोदी जुमलेबाजी में व्यस्त

गिरता रुपया, महंगा तेल मोदी के भाषण फेल। पेट्रोल 80 रुपया के पार, डीजल लगभग 72 रुपया के पार, और रुपया भी 72 के पार और भारत की जनता पर रोज हो रहा वार। जनता पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से त्रस्त और मोदी जी जुमलेबाजी में व्यस्त।

सबसे पहले, मोदी सरकार ने साढ़े चार साल में, पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाकर 11 लाख करोड़ रुपया कमाया, देशवासियों को कहा गया कि ये कुर्बानी आप राष्ट्रहित में दे रहे हैं। देश के हित में ये 11 लाख करोड़ रुपया का अतिरिक्त टैक्स का भार जो आम जनमानस की जेब पर डाका डाल कर और आम जनमानस का बजट बिगाड़ कर, डीजल, पेट्रोल और गैस की कीमतें बढ़ा कर डाला जा रहा है, ये किसलिए है, पर वो 11 लाख करोड़ रूपया किसकी जेब में गया? इसका जबाव आज तक मोदी जी नहीं दे पाए।

16 मई, 2014 में कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें 106.24 यूएस डॉलर प्रति बैरल थी जो अब घटकर 73 से 77 यूएस डॉलर प्रति बैरल हो गई है। इसके बावजूद पेट्रोल की कीमत थी 71 रुपया 41 पैसे दिल्ली में, बाकी शहरों में और ज्यादा थी। आज वो कीमत है 79 रुपया 51 पैसे यानी बहुत सस्ते कच्चे तेल के बावजूद पेट्रोल 8 रुपया महंगा।

सवा चार- साढ़े चार साल में मोदी सरकार ने डीजल की कीमत बढ़ाई है, 16 मई, 2014 को डीजल 55 रुपया 49 पैसे, जबकि आज वो कीमत है 71 रुपया 55 पैसे प्रति लीटर यानी 16 रुपया प्रति लीटर कीमत डीजल में बढ़ा दी।

लगभग 8 रुपए पेट्रोल में और 16 रुपया डीजल की कीमतों में साढ़े चार साल में इजाफा हुआ है। इतना भारी इजाफा मोदी कर चुके, ये पैसा कहां गया? क्या इसका जवाब देंगे?

तीसरी बात, मई, 2014 से पेट्रोल की एक्साईज में 211 प्रतिशत इजाफा मोदी सरकार ने किया जो सीधा भारत की सरकार के खजाने में जाता है। मई, 2014 में एक्साईज ड्यूटी का पैसा था 9 रुपया 20 पैसे प्रति लीटर, आज ये पैसा बढ़कर है, एक्साईज एक्साईज ड्यूटी का 19 रुपया 48 पैसे प्रति लीटर, डीजल पर और ज्यादा मार की गई। डीजल पर भारत सरकार के द्वारा लगाया जाने वाला एक्साईज ड्यूटी मई, 2014 के बाद 444 प्रतिशत मोदी सरकार बढ़ा चुकी है। 3 रुपया 46 पैसे, मई 2014 में, डीजल पर एक्साईज ड्यूटी थी, जो आज बढ़कर 15 रुपया 33 पैसे प्रति लीटर हो गई है। सेन्ट्रल एक्साईज ड्यूटी 12 बार बढ़ी दी गई, 11 लाख करोड़ रुपया, देश की जनता की गाढ़ी कमाई से, उनका बजट बिगाड कर डीजल, पेट्रोल और गैस का निकाल लिया गया। इसके लिए कौन जिम्मेवार है?

अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति संशोधन विधेयक: संसद भवन में मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

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कर्नाटक: टीपू सुल्तान के एक हजार से ज्यादा रॉकेट मिले

भारत में कर्नाटक के शिवमोगा में खुदाई के दौरान कुएं से 18वीं शताब्दी के शासक टीपू सुल्तान के एक हजार से अधिक रॉकेट मिले हैं। कर्नाटक के सहायक पुरातत्व निदेशक आर. शेजेश्वर नायक ने शनिवार को बताया कि इन रॉकेट को देखकर लगता है कि टीपू ने इन्हें जंग में इस्तेमाल करने के लिए छुपाया था।
 
शेजेश्वर नायक ने बताया कि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से 385 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित शिवमोगा में ये रॉकेट मिले।

उन्होंने बताया कि खुदाई के दौरान मिट्टी की गंध गन पाउडर की तरह लग रही थी। इसमें जब और खुदाई की गई, वहां एक ढेर में रॉकेट और गोले बरामद हुए। इन रॉकेट में पोटेशियम नाइट्रेट, चारकोल और मैग्नीशियम पाउडर भरा हुआ था। रॉकेट तोपखाने का उपयोग करने में अग्रणी टीपू सुल्तान रॉकेट की तैनाती ब्रिटिश सेनाओं को अपने क्षेत्र में आगे बढ़ने से रोकने के लिए करते थे।

बरामद हुए टीपू सुल्तान के रॉकेट शिवमोगा में सार्वजनिक प्रदर्शनी के लिए रखे जाएंगे। पुरातात्विक अभिलेखों के अनुसार, शिवमोगा का किला क्षेत्र टीपू सुल्तान के साम्राज्य और युद्ध में इस्तेमाल होने वाले रॉकेट का हिस्सा था।

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लगातार जीत हासिल करने के बाद साल 1799 में चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में लड़ते हुए टीपू सुल्तान शहीद हो गए। उन्हें नेपोलियन वार में इस्तेमाल होने वाले कॉंग्रेव रॉकेट (ब्रिटिश सैन्य हथियार), जो मैसूरियन रॉकेट पर आधारित था, को विकसित करने का श्रेय दिया जाता है।

कॉंग्रेव रॉकेट (Congreve Rocket), 1804 में विलियम कॉंग्रेव द्वारा डिज़ाइन और विकसित एक ब्रिटिश सैन्य हथियार था, जो सीधे मैसूरियन रॉकेट पर आधारित था जो मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने विकसित किया था।

निपाह वायरस प्रकोप के बीच अलर्ट पर भारत का राज्य केरल

दक्षिणी भारतीय राज्य केरल को पिछले हफ्तों में निपाह वायरस से संक्रमित कम से कम 17 लोगों की मौत के बाद "सर्वकालिक चेतावनी" पर रखा गया है।

केरल के स्वास्थ्य मंत्री के के शैलाजा ने सोमवार को कहा कि राज्य संक्रामक बीमारी को रोकने के लिए "सर्वकालिक चेतावनी" पर है जो आगे बढ़ने से इंसानों के बीच तीव्र श्वसन समस्याओं या घातक मस्तिष्क की सूजन का कारण बनता है।

वह कहती हैं, "अधिकारियों ने यह पुष्टि करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं कि निपाह के कारण अधिक जिंदगी गुम नहीं हुई है।"

स्वास्थ्य और सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि वायरल प्रकोप के परिणामस्वरूप दक्षिणी राज्य में अपने घरों में 2,37 9 लोगों की संगरोध हुई है।

केरल के मलाबार क्षेत्र में 2,000 से अधिक लोग चिकित्सा अवलोकन के अधीन हैं, अनिश्चित है कि वे इस बीमारी से संक्रमित हैं या नहीं।

जिन लोगों को संक्रमित व्यक्तियों के साथ कोई संपर्क था, उन्हें सूची में शामिल किया गया है।

स्वास्थ्य सेवाओं के राज्य के निदेशक आर एल सरिथा ने सोमवार को कहा कि 1 जून से कोई नया मामला दर्ज नहीं हुआ है।

सरिथा ने कहा, "निवारक उपायों को अधिक दक्षता के साथ लागू किया गया है। घबराने की कोई जरूरत नहीं है।"

माना जाता है कि निपाह वायरस जानवरों से मनुष्यों तक फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, फल चमगादड़ रोग के प्राकृतिक मेजबान हैं।

भारत के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ विरोलॉजी (विषाणु विज्ञान के राष्ट्रीय संस्थान) के विशेषज्ञों ने कहा कि वे भी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।

खतरे की घंटी बज उठी

बीमारी के फैलने और इसके प्रसार के जोखिम ने राज्य के मलाबार क्षेत्र के चार सबसे प्रभावित जिलों में लोगों के बीच खतरे की घंटी बजाई है।

कोझिकोड जिले के कोइलांडी तालुक अस्पताल में सर्जन डॉ अजाज अली ने कहा कि चूंकि बीमारी की खबर फ़ैल गई है, इसलिए कई मरीजों ने अस्पताल आने से बचना शुरू कर दिया है।

"यहां हर दिन 1,200 से ज्यादा लोग आ रहे थे, और अब यह 200 से नीचे हो गया है। निपाह जोखिम के कारण सभी भीड़ से डरते हैं।''

निपाह से संक्रमित मरीजों के लिए अलगाव वार्ड कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्थापित किया गया है।

इस बीमारी ने राज्य अधिकारियों को स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने और मालाबार में परीक्षा स्थगित करने के लिए मजबूर कर दिया है।

जिला अधिकारियों ने भी लोगों से सावधानी पूर्वक उपाय के रूप में भीड़ वाले क्षेत्रों से दूर रहने के लिए कहा है। कुछ क्षेत्रों में जिला अदालतों ने अस्थायी रूप से संचालन को निलंबित कर दिया है।

व्यवसाय प्रभावित

बीमारी के फैलने से लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है क्योंकि कारोबार बंद हो गया है। पिछले कुछ हफ्तों में उपज, मांस और मछली बेचने वाले रेस्तरां और दुकानों में बिक्री गिर गई है।

कोझिकोड जिले के एक बस कंडक्टर राजीव ने कहा, "बस स्टैंड खाली हैं। लोग यात्रा से परहेज कर रहे हैं। वे घर पर रहते हैं और यात्रा करते समय सुरक्षात्मक मास्क का उपयोग करते हैं।"

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कतर ने केरल से ताजा और जमे हुए सब्जियों और फलों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रकोप नियंत्रित होने तक प्रतिबंध जारी रहेगा।

बहरीन और कतर ने अपने नागरिकों और निवासियों से आग्रह किया कि महामारी नियंत्रण में आने तक केरल यात्रा करने से बचें।

केरल के अनुमानित 1.6 मिलियन प्रवासियों ने संयुक्त अरब अमीरात, कतर और बहरीन में भारतीय समुदाय का बहुमत बनाया है।

स्रोत का पता लगाना

भारत में स्वास्थ्य प्राधिकरणों ने कहा कि उनके पास यह सुझाव देने के लिए कोई सबूत नहीं है कि केरल में निपाह वायरस फल चमगादड़ द्वारा प्रसारित किया गया था। जैसा पहले माना गया था।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज के अधिकारियों ने कहा कि ड्रॉपपिंग, सीरम और चमगादड़ के रक्त से एकत्र किए गए नमूने जाँच में निपाह वायरस के लिए नकारात्मक पाए गए हैं।

आखिरी निपाह प्रकोप 2001 और 2007 में भारत के पश्चिम बंगाल में रिपोर्ट किया गया था जिसमें 70 लोगों की मौत हुई थी। 1 99 8 से निपाह ने बांग्लादेश, मलेशिया, भारत और सिंगापुर में 260 से अधिक लोगों की हत्या कर दी है।

घातक वायरस का नाम मलेशिया में कम्पांग सुंगई निपाह गांव से मिला, जहां इसकी पहली सूचना मिली थी।

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ने कहा कि निपाह को फैलाने से रोकने के लिए टीका की अनुपस्थिति के बावजूद, हेपेटाइटिस सी संक्रमण के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली एंटीवायरल दवा में रोगियों में बुखार और उल्टी को रोकने की क्षमता है।

स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक ने कहा कि केरल में दो पुष्टि किए गए मामले, जो अब इलाज में हैं, में भी हेपेटाइटिस सी संक्रमण के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली एंटीवायरल दवा निपाह के नियंत्रण के लिए कारगर साबित हो रहा है।

इस बीच, भारत की राष्ट्रीय रोग नियंत्रण एजेंसी ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में निपाह का कोई भी मामला नहीं मिला है।

नफरत भरे बयान देने में सबसे आगे भाजपा के सांसद और विधायक हैं

भारत के 58 सांसदों और विधायकों ने घोषित किया है कि उनके खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने के मामले दर्ज हैं। इनमें भाजपा नेताओं की संख्या सर्वाधिक है। एक रपट में ऐसा कहा गया है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ए डी आर ) की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ''लोकसभा के 15 मौजूदा सदस्यों ने अपने खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण को लेकर मामला दर्ज होने की बात की है। राज्यसभा के किसी भी सदस्य ने अपनी घोषणा में इसका उल्लेख नहीं किया है।''

रपट के मुताबिक, इन लोकसभा सदस्यों में दस का ताल्लुक भाजपा और एक - एक का संबंध आॅल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (ए आई यू डी एफ), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टी आर एस), पी एम के, ए आई एम आई एम और शिवसेना से है।

ए डी आर की रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के 27, आॅल इंडिया मजलिस - ए - इत्तेहादुल मुसलमीन एवं टी आर एस के छह - छह, तेदेपा एवं शिवसेना के तीन - तीन, ए आई टी सी, आई एन सी, जदयू के दो - दो, ए आई यू डी एफ, बसपा, द्रमुक, पी एम के और सपा के एक - एक सांसदों एवं विधायकों पर इससे जुड़े मामले दर्ज हैं।

इस सूची में दो निर्दलीय सांसद एवं विधायक भी शामिल हैं। ए डी आर ने कहा है कि असदुद्दीन ओवैसी (ए आई एम आई एम) और बदरुद्दीन अजमल (ए आई यू डी एफ) जैसे नेताओं ने अपनी घोषणा में इससे संबंधित मामला दर्ज होने की बात कही है। रपट में कहा गया है कि केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने भी अपने खिलाफ इससे जुड़ा मामला दर्ज होने का उल्लेख किया है। इसके अलावा आठ राज्य मंत्रियों के खिलाफ भी नफरत फैलाने वाले भाषण देने का मामला दर्ज है।

बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान भारत को पीछे ले जाने के लिए जिम्मेदार हैं: नीति आयोग

भारत में नीति आयोग के सी ई ओ अमि​ताभ कांत ने सोमवार को कहा कि भारत के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों के राज्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन कुछ राज्य जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कारण देश पीछे जा रहा है।

नीति आयोग के सी ई ओ अमिताभ कांत नई दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के खान अब्दुल गफ्फार खान मेमोरियल लेक्चर में बोल रहे थे।

समाचार एजेंसी पी टी आई के मुताबिक, अमिताभ कांत ने कहा कि, ''कुछ राज्य जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान भारत को पीछे ले जाने के लिए जिम्मेदार हैं। खासतौर पर सामाजिक मानकों पर। ऐसे वक्त में जब हम कारोबार करना आसान बनाने में जुटे हैं। हमें मानव विकास सूचकांक पर भी नजर रखनी होती है। भारत मानव विकास सूचकांक में अभी भी 188 देशों की सूची में 131वें स्थान पर है।''

अमिताभ कांत ने कहा कि,''सरकार देश के सामाजिक तानेबाने के उत्थान में जुटी हुई है। इसके लिए कई सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मैं समाज में स्थिर बढ़त को कायम रखने का भी समर्थक हूं। शिक्षा और स्वास्थ्य ये दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें देश की स्थिति अच्छी नहीं है। ये ही देश की विकास दर को पीछे ढकेलने वाले प्रमुख तत्व हैं। हमारे देश में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता बेहद खराब है।''

अमिताभ कांत ने उदाहरण देते हुए बताया कि, ''भारत जैसे देश में कक्षा 5 में पढ़ने वाले बच्चे कक्षा 2 के स्तर का गुणा नहीं कर पाते हैं। कक्षा 5 में पढ़ने वाले बच्चे अपनी मातृभाषा को पढ़ नहीं पाते हैं। देश में शिशु मृत्यु दर बेहद ऊंची है। ऐसे में जब तक हम इन आयामों पर काम नहीं करेंगे। हम अपनी सतत बढ़त को बनाए रखने में कामयाब नहीं हो सकेंगे।''

उन्होंने देश में फैसला करने की प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का भी समर्थन किया। कांत ने कहा कि, ''इस देश में नीतियों के निर्माण में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिलाओं को मौके देने की जरूरत है।''

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस-भाजपा का खेल बिगाड़ सकता है नया मोर्चा

कर्नाटक चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे कर्नाटक में कांग्रेस-भाजपा से अलग एक नया मोर्चा भी बनता दिख रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्यूलर पहले ही मायावती की बहुजन समाज पार्टी से गठजोड़ का फैसला कर चुकी है। अब माना जा रहा है कि वोक्कालिगा और दलित समीकरण में मुस्लिम भी जुड़ सकता है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहाद-उल मुस्लिमीन (ए आई एम आई एम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वैसे तो 40 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने का ऐलान किया है, मगर सूत्र बता रहे हैं कि जे डी एस-बी एस पी गठबंधन के साथ उनकी बातचीत भी चल रही है। अगर इनका चुनाव पूर्व गठबंधन होता है तो यह कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए खतरा हो सकता है।

कर्नाटक में वोक्कालिगा और पिछड़े वोट बैंक पर जे डी एस का प्रभाव माना जाता है, जबकि दलितों पर मायावती का भी प्रभाव है। नए राजनीतिक परिदृश्य में हाल के वर्षों में असदुद्दीन ओवैसी का प्रभाव भी मुसलमानों पर बढ़ा है। ऐसे में अगर ये तीनों नेता एकसाथ आते हैं तो दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लग सकता है।

कर्नाटक में अल्संख्यकों की आबादी करीब 17 फीसदी है, जिसमें 13 फीसदी सिर्फ मुसलमान हैं। दलितों-पिछड़ों की आबादी भी 32 फीसदी है, जबकि वोक्कलिगा समुदाय की आबादी भी करीब 17 फीसदी है। ऐसे में मुस्लिम, दलित और पिछड़े वोटों का विभाजन होने से कांग्रेस और भाजपा दोनों को नुकसान हो सकता है।

कर्नाटक में फिलहाल कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि जे डी एस बीजेपी की बी पार्टी है। ऐसे में कांग्रेस और जे डी एस के बीच दोस्ती की संभावनाएं खत्म हो चुकी हैं।

कर्नाटक में कांग्रेस अकेले अपने दम पर जोर आजमाइश में लगी है, जबकि जे डी एस अभी भी एक बड़े गठबंधन की कोशिश कर रही है। पिछले दिनों संसद में देवगौड़ा और असदुद्दीन ओवैसी के बीच भी बातचीत हो चुकी है।

अगर देवगौड़ा की मुहिम कामयाब होती है तो माना जा रहा है कि यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका हो सकता है।

हैदराबाद में जड़ें जमा चुकी ए आई एम आई एम पिछले पांच सालों में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बाहर भी पांव पसारने की कोशिश करती रही है। महाराष्ट्र विधानसभा में भी इस पार्टी ने दो सीटें जीती हैं। अब पार्टी की नजर पड़ोसी राज्य कर्नाटक के मुस्लिम बहुल इलाकों पर है। कर्नाटक में 224 सीटों के लिए 12 मई को चुनाव होंगे, जबकि 15 मई को नतीजे आएंगे।

कर्नाटक में वोटर्स लिस्‍ट से 15 लाख मुस्लिमों के नाम गायब

भारत के राज्य कर्नाटक में इसी वर्ष मई में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले एक गैर सरकारी संगठन ने राज्य में मुस्लिम मतदाताओं को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। एन जी ओ सेंटर फॉर रिचर्स एंड डिबेट्स इन डिवेलपमेंट पॉलिसी (सीआरडीडीपी) ने दावा किया है कि राज्य में 15 लाख मुसलमानों के नाम मतदाता सूची में नहीं हैं।

कैरावैन डेली की खबर के मुताबिक, राज्य अल्पसंख्यक आयोग, भारतीय चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों का ध्यान खींचने के बाद एन जी ओ मतदाताओं के लिए एनरोलमेंट मिशन चला रहा है। एन जी ओ के अध्यक्ष जाने-माने अर्थशास्त्री अबुसालेह शरीफ हैं। एन जी ओ ने सामुदायिक कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को मतदाताओं के नामांकन के काम में लगाया है।

मार्च के पहले हफ्ते में एन जी ओ ने अपने काम में पाया कि राज्य में 15 लाख के करीब मुसलमानों के पास वोटर आई डी नहीं है। एन जी ओ ने बहुत कम समय में सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स और डिवेलपर्स की एक टीम बनाई। इस टीम ने एक एंड्रॉयड एप और वेबसाइट तैयार की, जिस पर वोटर आई डी नहीं रखने वाले मतदाताओं का विवरण मुहैया कराया गया है।

वेबसाइट के माध्यम से उम्मीदवारों से अपील की गई है कि वे इस सूचना से लाभ उठाए और मतदान में लोगों की सहभागिता बढ़ाने के लिए वोटरों की संख्या में इजाफा करें। कैरावैन डेली ने जब एन जी ओ से उसके द्वारा दी गई सूचना की प्रमाणिकता को लेकर सवाल पूछा तो संस्था के एक अधिकारी सैयद खालिद सैफुल्लाह ने बताया कि मुस्लिम परिवारों की जनगणना और चुनाव आयोग की मतदाता सूची के आंकड़े मिलाकर इस बारे में जानकारी जुटाई गई है।

बता दें कि चुनाव आयोग ने 224 विधानसभा सीटों वाले कर्नाटक में विधानसभा चुनाओं की तारीख 12 मई रखी है और 15 मई को मतदान के नतीजे आएंगे। राज्य में एक ही चरण में चुनाव संपन्न होंगे। चुनावों की पारदर्शिता का ध्यान रखते हुए चुनाव आयोग ने हर पोलिंग बूथ पर वी वी पी ए टी मशीन लगाने की बात कही है। फिलहाल राज्य में कांग्रेस की सरकार है और मुख्य विपक्षी दल भाजपा भी वोटरों को लुभाने का कोई भी मौका नहीं चूक रहा है। भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बी एस येदियुरप्पा है।