विदेश

राष्ट्रपति ट्रम्प के यात्रा प्रतिबंध पर कानूनी तसलीम

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यमन में अमेरिकी सैन्य संचालन के लिए कोई परिवर्तन नहीं: अमेरिकी अधिकारी

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अफगान सुप्रीम कोर्ट में आत्मघाती हमला, 19 की मौत

काबुल के सुप्रीम कोर्ट में आज हुए आत्मघाती बम हमले से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई, जबकि 41 अन्य घायल हो गए।

अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नजीबुल्ला दानिश ने एएफपी को बताया कि एक पैदल आत्मघाती हमलावर ने उस वक्त ये हमला किया जब अदालत परिसर में पार्किंग स्थल में कर्मचारी बस में सवार हो रहे थे। हमला उस सड़क पर हुआ जो अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से अमेरिकी दूतावास की तरफ जाती है।

हताहतों की संख्या की जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता वहीद मजरूह ने दी। उन्होंने बताया कि घायलों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।

पुलिस ने कोर्ट परिसर के पास सड़क पर आवाजाही रोक दी है क्योंकि बड़ी संख्या में अदालत में काम करने वाले कर्मचारियों के परिजन वहां पहुंचने लगे थे। मौके पर बड़ी संख्या में एंबुलेंस और दमकल गाड़ियां भी मौके पर पहुंच गईं थीं।

पिछले महीने संसदीय सचिवालय से निकल रहे कर्मचारियों पर भी तालिबान ने काबुल में धमाका किया था। इस धमाके में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 80 अन्य घायल हो गए थे।

इन धमाकों ने अफगानिस्तान में बढ़ते असुरक्षा के माहौल को फिर रेखांकित किया है, जहां अमेरिका समर्थित बल तालिबान विद्रोहियों के साथ अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों से जूझ रहे हैं।

चीन के मिसाइल DF-16 के निशाने पर भारत, जापान और अमेरिका

चीनी सेना ने एक युद्धाभ्यास का एक वीडियो जारी किया है जिसमें चीन ने अपने नये बैलिस्टिक मिसाइल के साथ अभ्यास किया है। चीन के इस मिसाइल के निशाने पर भारत से लेकर जापान और अमेरिका भी है।

चीन की नई आधुनिक बैलिस्टिक मिसाइल का नाम DF-16 है। इन मिसाइलों की क्षमता एक हजार किलोमीटर है।

आमतौर पर अपने हथियारों को गुप्त रखने वाली चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने हाल ही में किए गए एक सैनिक अभ्यास का एक विडियो जारी किया है। इस विडियो में DF-16 मीडियम रेंड बैलिस्टिक मिसाइल को दिखाया गया है।

इस फुटेज में चीन की ओर से लॉन्च किये गए कई व्हीकल्स को दिखाया गया है।

चीन ने अपनी मिसाइलों और इससे जुड़े सैनिक साजोसामान के लिए अलग से एक रॉकेट फोर्स बनाई हुई है।

इस विडियो में चीनी सैनिक मिसाइल से जुड़े अभ्यास करते तो दिख रहे हैं, लेकिन इसे दागते हुए नजर नहीं आते।

अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हिमस्खलन से 114 लोगों की मौत

अफगानिस्तान में भारी बर्फबारी के चलते कई इलाकों में हिमस्खलन से शुक्रवार को 100 लोगों की मौत हो गई है।

वहीं पाकिस्तान के चितराल जिले में भारी हिमपात से पांच मकान दफन हो गए, इसमें 14 लोग मारे गए।

अफगानिस्तान के आपदा प्रबंधन एवं मानवीय मामलों के मंत्री के प्रवक्ता उमर मोहम्मदी ने बताया कि देश के 34 में से 22 प्रांतों में बर्फबारी के बाद हिमस्खलन हुआ है। इससे ढेर सारे घर तबाह हो गए और सड़कें बंद हो गई हैं। इसमें 50 लोग नूरिस्तान प्रांत के बरगामताल जिले में एक गांव में मारे गए हैं, जबकि उत्तरी और मध्य प्रांतों में करीब 50 लोगों की जान गई है और 52 घायल हैं।

परवान प्रांत के प्रांतीय गवर्नर मोहम्मद असीम ने बताया कि प्रांत के दो जिलों में हिमस्खलनों से 16 लोगों की मौत हो गई, जबकि आठ अन्य घायल हैं। बदख्शां में 18 लोगों के मरने की खबर है।

वहीं पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के चितराल जिले में भारी हिमपात और बारिश के बाद रविवार को हिमस्खलन की घटना में पांच मकानों के दब जाने से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई।

चितराल स्काउट कमांडेंट कर्नल निजुमुददीन शाह ने बताया कि बर्फ के मलबे में दबे 14 शवों को निकाल लिया गया है। इनमें छह महिलाएं, छह बच्चे और दो पुरुष शामिल हैं। चार फीट मोटी बर्फ से छह लोगों को जिंदा निकाला गया। चितराल में पिछले दो दिनों से भारी बर्फबारी के कारण अनेक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।

हाफिज का नया दांव: जमात-उद-दावा बना तहरीक आजादी जम्मू एंड कश्मीर

भारतीय खुफिया एजेंसियां हाफिज सईद के भारत विरोधी नए दांव को बेनकाब करने की तैयारी में जुट गई हैं। जमात-उद-दावा का नाम बदलकर तहरीक आजादी जम्मू एंड कश्मीर करने की भनक मिलते ही हाफिज और उसके गुर्गों की गतिविधियों पर पैनी नजर रख रही जा रही है।

भारत की खुफिया एजेंसी रॉ, आईबी व अन्य सुरक्षा एजेंसियां जमात-उद-दावा प्रमुख की साजिश का ब्यौरा जुटा रही हैं।

भारत के गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि हमारी एजेंसियों के पास हाफिज के भारत विरोधी हथकंडों की पुख्ता जानकारी है।

गृहमंत्रालय के अधिकारी ने कहा, नाम बदलने से वास्तविकता नहीं बदलेगी। भारत हाफिज के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने, उसकी संपत्तियों को सीज करने और उसके आतंकी ढांचे को पूरी तरह से नेस्तनाबूत करने के लिए दबाव जारी रखेगा। हाफिज के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाकिस्तान के पास हैं। भारत चाहता है कि उसे किसी भी तरीके से गतिविधियां चलाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।

सूत्रों ने कहा कि हाफिज नया दांव चलकर कश्मीर के नाम पर दुनिया को गुमराह करना चाहता है। पहले वह लश्कर से अपने रिश्ते नकारता रहा है। अब जमात-उद-दावा से भी अलग होकर वह नए नाम से भारत के खिलाफ साजिश रचना चाहता है।

सूत्रों ने कहा कि भारत हाफिज की पाक खुफिया एजेंसियों की मदद से चल रही गतिविधियों का पूरा पर्दाफाश करेगा।

हाफिज ने शुरू में मरकज दावा-उल-इरशाद नामक संगठन बनाया था। मरकज दावा-उल-इरशाद का जमात अहले-ए-हदीस से जुड़ा था। बाद में इसके जरिए ही पाक एजेंसी आईएसआई की मदद से कट्टर जेहादियों का नया संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा बनाकर हाफिज ने इसकी कमान संभाली।

लश्कर-ए-तैय्यबा ने भारत में कई आतंकी हमले कराए। बाद में भारत के दबाव बनाने पर अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, रूस सहित कई देशों ने प्रतिबंध लगाया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी लश्कर-ए-तैय्यबा और जमात-उद-दावा दोनों को प्रतिबंधित किया।

अब अमेरिका के कड़े रुख को देखते हुए पाकिस्तानी एजेंसियों की शह पर ही सईद अपने कॉडर को कश्मीर के नाम पर जीवित रखना चाहता है।

सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान और हाफिज की नापाक साजिश को भारत बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत आतंकवाद को लेकर अपनी नीति स्पष्ट कर चुका है। अगर पाकिस्तान की जमीन का उपयोग भारत के खिलाफ हुआ तो उसका मुंहतोड़ जवाब देने का अधिकार भारत के पास सुरक्षित है।

'हम्बनटोटा बंदरगाह को सैन्य उद्देश्य के लिए उपयोग करने की इजाजत नहीं दी जाएगी'

चीन की एक कंपनी को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हम्बनटोटा बंदरगाह में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी सुपुर्द करने पर हजारों विपक्षी समर्थकों के विरोध को तवज्जो नहीं देते हुए चीन में श्रीलंका के राजदूत ने आज कहा कि भारत की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए बंदरगाह में चीनी सैन्य गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जाएगी।

श्रीलंकाई राजदूत करूणासेना कोदितुवाक्कू ने श्रीलंका के स्वतंत्र दिवस समारोह से अलग मीडिया से बात करते हए कहा, मैं दूसरे देशों के बारे में नहीं जानता, लेकिन श्रीलंका ने साफ तौर पर (चीनी) निवेशक को सूचित कर दिया है कि इसे किसी सैन्य उद्देश्य के लिए उपयोग करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

कोदितुवाक्कू का इशारा पाकिस्तान की ओर से ग्वादार बंदरगाह चीनियों को सौंपने की तरफ था।

उन्होंने स्थानीय लोगों और श्रमिक संगठनों के विरोध पर चीन की चिंता स्वीकार करते हुए कहा, एक छोटे समूह के विरोध के बावजूद सरकार आगे बढ़ेगी।

ट्रंप के आदेश पर रोक: अमेरिका में यात्रा प्रतिबंध निलंबित

अमेरिकी प्रशासन ने एक अदालती आदेश के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस विवादित आदेश को निलंबित कर दिया है जिसके तहत सात मुस्लिम देशों के लोगों के अमेरिका में दाखिल होने पर रोक लगाई गई थी।

अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया, हमने वीजा के अंतरिम रूप से रद्द किए जाने के फैसले को पलट दिया है।

अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि जिन लोगों ने अब अपने वीजा रद्द नहीं करवाएं हैं, अब वे अमेरिका की यात्रा कर सकते हैं बशर्ते उनका वीजा दूसरी तरह से वैध हो।

विदेश विभाग के अधिकारी ने कहा कि ट्रंप प्रशासन गृह सुरक्षा विभाग और हमारी कानूनी टीमों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि वाशिंगटन प्रांत के अटॉर्नी जनरल की ओर से दायर शिकायत की पूरी समीक्षा की जा सके।

ट्रंप ने यात्रा प्रतिबंध पर आए अदालती फैसले को हास्यास्पद करार दिया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सात मुस्लिम देशों के लोगों के अमेरिका में दाखिल होने पर रोक लगाने संबंधी अपने विवादित शासकीय आदेश को निलंबित करने वाले अदालती फैसले को हास्यास्पद करार दिया है।

अध्यादेश पर रोक लगाने का आदेश शुक्रवार रात सिएटल यूएस डिस्ट्रिक कोर्ट के न्यायाधीश जेम्स रॉबर्ट ने दिया था। यह अदालती आदेश पूरे अमेरिका में मान्य होगा।

ट्रंप ने आज सुबह ट्वीट किया, इस तथाकथित न्यायाधीश की राय हास्यास्पद है और यह रद्द कर दी जाएगी। यह न्यायाधीश कानून प्रवर्तन को हमारे देश से दूर ले गया है।

उन्होंने कहा कि जब कोई देश यह नहीं कह सके कि कौन कर सकता है और कौन नहीं कर सकता है, खासकर सुरक्षा की वजहों को लेकर फैसला नहीं कर सके तो बड़ी दिक्कत पैदा होती है।

ट्रंप के विवादित कार्यकारी आदेश के अनुसार ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के लोगों के अमेरिका में दाखिल होने पर कम से कम 90 दिनों तक के लिए रोक रहेगी।

एच-1बी वीजा पर ट्रम्प के शिकंजे से भारतीय कंपनियों का बड़ा नुकसान

अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प के एच-1बी वीजा के लिए अनिवार्य न्यूनतम वेतन स्तर को बदलने की नीति से अमेरिका को भी बड़ा नुकसान हो सकता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि भारतीय कंपनियां अमेरिका में 91 हजार से अधिक अमेरिकियों को नौकरियां दे रही हैं और करीब 15 अरब डॉलर का निवेश भी कर रखा है।

2015 में कन्फेडेरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) और ग्रांट थ्रोनटन (जीटी) ने एक रिपोर्ट जारी की थी। उसमें पहली बार अमेरिका में व्यवसाय कर रहीं 100 भारतीय कंपनियों के निवेश और रोजगार सृजन का प्रांतवार ब्यौरा दिया गया था।

‘भारतीय मूल, अमेरिकी माटी’ नाम के इस रिपोर्ट के मुताबिक, न्यू जर्सी, कैलिफोर्निया, टेक्सास, इलिनोइस और न्यूयॉर्क ऐसे अमेरिकी प्रांत हैं, जहां भारतीय कंपनियों ने अधिकतर अमेरिकियों को सीधे रोजगार दिए हैं। वही टेक्सास, पेंसिलवेनिया, मिनिसोटा, न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी ऐसे अमेरिकी प्रांत हैं, जहां भारतीय कंपनियों ने सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया है।

जानकारों का कहना है कि भारतीय कंपनियां अमेरिका में अपना कारोबार और निवेश लगातार बढ़ा रही हैं। यह प्रक्रिया लगातार जारी है। भारतीय कंपनियां अब अमेरिका में निवेश और रोजगार देने तक सीमित नहीं हैं। वह स्थानीय अमेरिकी समुदायों की संपन्नता में अहम योगदान देती है। वे शैक्षिक कार्यक्रमों और क्षमता निर्माण का समर्थन करती हैं।

भारत अब अमेरिका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का चौथे सबसे तेजी से बढ़ता स्रोत बन चुका है। इस स्थिति में ट्रंप प्रशासन यदि एच-1बी वीजा पर शिकंजा कसेगा तो इसका प्रभाव अमेरिका में भारतीय कंपनियों के निवेश पर भी पड़ेगा।

अमेरिका उच्च तकनीकी कौशल प्राप्त कर्मचारियों को अपने यहां काम करने का मौका देने के लिए सालाना 85 हजार एच-1बी वीजा जारी करता है। यह पूरी दुनिया के लिए होता है, लेकिन इसमें भारतीयों का दबदबा है। इसका 60 फीसदी से अधिक भारतीयों को मिलता है। इसकी असली वजह उनकी कुशलता और काफी कम वेतन पर काम करना है।

आंकड़ों के मुताबिक, एच-1बी वीजाधारक भारतीय कर्मचारियों की शुरुआती तनख्वाह 65 से 70 हजार डॉलर सालाना के बीच होती है। वहीं पांच साल का अनुभव रखने वाले कर्मचारियों को 90 हजार से 1.1 लाख डॉलर तक की राशि मिलती है।

भारतीय आई टी कंपनी इंफोसिस के अमेरिका में मौजूद कुल तकनीकी विशेषज्ञों में से 60 फीसदी एच-1बी वीजा धारक हैं। ऐसे में उसकी लागत बढ़ जाएगी। अन्य प्रभावित होने वाली कंपनियों में विप्रो, टीसीएस और एचसीएल शामिल हैं।

अब तक पति या पत्नी में से एक को एच-1बी वीजा मिलने की स्थिति में उसके जीवनसाथी को भी अमेरिका में काम करने की मंजूरी मिल जाती थी। आम तौर पर उन्हें एल-1 श्रेणी का वीजा दिया जाता है, लेकिन नया कानून पारित हो जाने की स्थिति में यह सुविधा नहीं मिलेगी।

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में पेश विधेयक भले ही भारतीय कंपनियों के लिए परेशानी खड़ी करेगा, लेकिन इसके साथ ही यह उन युवाओं के लिए रास्ता भी खोलेगा जो वहां पर नया कारोबार शुरू करना चाहते हैं।

विधेयक में छात्र वीजा और स्थायी निवास अनुमति के फर्क को कम करने का प्रस्ताव है। देशों का कोटा भी खत्म कर 20 फीसदी वीजा छोटे कारोबारियों और स्टार्टअप कंपनियों को देने की बात की गई है।