काबुल स्थित अफगानिस्तान के सबसे बड़े सैन्य अस्पताल पर बुधवार (8 मार्च) को डॉक्टरों की भेष में हमला करने वाले आतंकवादियों के साथ सुरक्षाकर्मियों की छह घंटे चली मुठभेड़ में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है जो अफगानिस्तान में अपना असर बढ़ा रहा है।
इस्लामिक स्टेट ने एक प्रामाणिक टेलीग्राम खाते से भेजे अपने वक्तव्य में सरदार मोहम्मद दाउद खान अस्पताल में किये गये हमले की जिम्मेदारी ली है।
राजधानी के वजीर अकबर खान इलाके के दो असैन्य अस्पतालों के निकट स्थित 400 शैया वाले यह सैन्य सरदार मोहम्मद दाउद खान अस्पताल पर आतंकवादी हमले में 50 अन्य घायल हो गए। विस्फोटों और गोलियों की आवाज से राजधानी काबुल का राजनयिक इलाका दहल गया। अस्पताल के वार्डों में छिपे दहशतजदा मेडिकल स्टाफ ने सोशल मीडिया पर मदद के लिए हताशा भरे संदेश डाले। टीवी फुटेज में दिखाया गया कि मेडिकल स्टाफ में से कुछ सबसे ऊपर वाली मंजिल की खिड़कियों के छज्जे पर शरण ले रखी थी।
अस्पताल के एक कर्मचारी ने फेसबुक पर लिखा, ''हमलावर अस्पताल के अंदर हैं। हमारे लिये दुआ कीजिये।'' अस्पताल प्रशासकों ने एएफपी को बताया कि विस्फोट के बाद चिकित्सकों के सफेद कोट पहने तीन बंदूकधारी अस्पताल में घुस आये जिससे वहां अफरातफरी मच गयी। अस्पताल प्रशासक अब्दुल हाकिम ने एएफपी को टेलीफोन पर जल्दबाजी में बताया, ''हमलावर हर जगह गोलियां चला रहे हैं। हम स्थिति को नियंत्रण में करने की कोशिश कर रहे हैं।'' जब अफगान विशेष बल हमलावरों को काबू में करने की कोशिश कर रहे थे तो कम से कम दो अन्य तेज धमाकों की आवाज सुनी गयी।
अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा, ''यह एक आपराधिक कृत्य है। अस्पतालों पर हमले को किसी भी तरह न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता। हम इन अपराधियों को कभी माफ नहीं करेंगे। दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से इस हमले में कुछ लोग मारे गये। चिकित्सकों के भेष में हमलावरों ने पीछे के गेट से प्रवेश किया।''
अस्पताल के प्रशासकों ने बताया कि एक फिदाई हमलावर ने बैकडोर प्रवेश पर खुद को उड़ा दिया जिसके बाद डॉक्टरों सा सफेद कोट पहने तीन बंदूकधारियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। गोलीबारी की आवाज के बाद अस्पताल में सारे लोग इधर-उधर भागने लगे।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता दौलत वजीरी ने एएफपी को बताया, ''आज के हमले में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और तकरीबन 50 घायल हो गए।''
वजीरी ने बताया, ''ज्यादातर पीड़ित मरीज, डॉक्टर और नर्स हैं। अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने हाल के हमलों के बारे में कहा, ''यह एक आपराधिक कार्रवाई है। कोई भी चीज अस्पतालों पर हमले का औचित्य नहीं जता सकता।''
अब्दुल्ला ने कहा, ''हम कभी इन अपराधियों को माफ नहीं कर सकते। बदकिस्मती से, इस हमले में कुछ हताहत हुए।''
यह हमला ऐसे समय में किया गया है जब गर्मियों में तालिबान के हमले शुरू होने से पहले ही उसके आतंकवादियों के हमले बढ़ गये हैं। रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि एक फिदाई हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा दिया जबकि एक अन्य हमलावर को सुरक्षा कर्मियों ने ढेर कर दिया। इस संघर्ष में एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई है जबकि तीन अन्य घायल हो गए।
सुरक्षा बलों ने सैन्य अस्पताल की घेरेबंदी कर दी है जबकि अफगान सरकार के हेलीकॉप्टर इलाके के ऊपर चक्कर लगा रहे हैं। इस बीच, इस्लामिक स्टेट समूह ने सैन्य अस्पताल पर हमले की जिम्मेदारी ली और दावा किया कि इस हमले के पीछे उसके लड़ाके हैं। समूह ने एक प्रामाणिक टेलीग्राम खाते के मार्फत अपने वक्तव्य में कहा, ''इस्लामिक स्टेट के घुसपैठियों ने काबुल के सैन्य अस्पताल पर हमला किया।''
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में इस हमले की निंदा की और इसे 'सभी अफगान पुरुषों और सभी अफगान महिलाओं' पर हमला बताया।
पाकिस्तानी नेवी ने रविवार को 80 भारतीय मछुआरों और 15 नावें पकड़ ली हैं। पाकिस्तानी नेवी ने ये मछुआरे अरब सागर के गुजरात तट से पकड़े हैं।
श्रीलंका ने पिछले कुछ दिनों में 30 से ज्यादा मछुआरों को गिरफ्तार किया है। इसको लेकर तमिलनाडु ने श्रीलंका द्वारा राज्य के मछुआरों की गिरफ्तारियों में हुए इजाफे पर रविवार को विरोध भी जताया और कहा कि केंद्र इस विषय पर कोलंबो पर उपयुक्त दबाव डालता नजर नहीं आ रहा है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे एक पत्र में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने श्रीलंका द्वारा पिछले कुछ दिनों में 32 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तारी किए जाने का जिक्र किया और कहा कि ये घटनाएं मछुआरा समुदाय को परेशान कर रही हैं और मानसिक वेदना दे रही हैं।
पत्र में कहा गया है कि हमारे मछुआरों की प्रताड़ना और गिरफ्तारी में वृद्धि ऐसे समय हो रही है जब वे बहु प्रतीक्षित कच्चातीवु उत्सव के लिए तैयार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए केंद्र से बार-बार अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि केंद्र की सलाह पर मछुआरों के प्रथम बैच को 'डीप सी लॉंग लाइनर फिशिंग ऑपरेशन' के लिए भी प्रशिक्षित किया गया है, लेकिन हमारे बार-बार अनुरोध के बावजूद न तो भारत सरकार ने 1650 करोड़ रूपये का पैकेज मंजूर किया है और ना ही वह हमारे मछुआरों की रोजमर्ररा की गिरफ्तारी एवं उनके उत्पीड़न को लेकर श्रीलंका पर दबाव बनाते दिख रही है।
पत्र में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि तमिलनाडु के मछुआरों को पूरी तरह से श्रीलंकाई नौसेना की दया पर छोड़ दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कच्चातीवु द्वीप को वापस लेने की भी अपील की जिसे 1974 में श्रीलंका को दे दिया गया था।
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि अभी 85 मछुआरे और मछली पकड़ने की 128 नौकाएं श्रीलंका के कब्जे में हैं। उन्होंने इनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री को इससे संबद्ध विदेश मंत्रालय अधिकारियों को ठोस कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
जर्मनी के एक हाई स्कूल ने मुस्लिम छात्रों के खुले आम नमाज पढ़ने, वजू करने और जानमाज के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। समाचार वेबसाइट अल जज़ीरा के अनुसार, स्कूल ने जानमाज और खुले आम नमाज पढ़ने, वजू को दूसरे छात्रों के लिए 'भड़काऊ' बताया है।
रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी जर्मनी के वुपरताल स्थित स्कूल ने फरवरी में अपने स्टाफ को चिट्ठी लिखकर मुसलमान छात्रों द्वारा स्कूल परिसर में नमाज पढ़ने की सूचना देने के लिए कहा। स्कूल के इस फैसले के बाद जर्मनी में धार्मिक आजादी के अधिकार को लेकर बहस छिड़ गयी है।
स्कूल के प्रवक्ता ने गुरुवार (दो मार्च) को डीपीए न्यूज एजेंसी से कहा, स्कूल के टीचर और छात्र मुस्लिम छात्रों के बरताव की वजह से दबाव महसूस करते थे।
रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल प्रवक्ता ने कहा, ''पिछले कुछ समय से ये साफ दिख रहा था मुस्लिम बच्चे दूसरों के सामने ही प्रार्थना कर रहे हैं, बाथरूम में वजू कर रहे हैं, सबके सामने अपने जानमाज को लपेटते थे, अपने शरीर को एक खास मुद्रा में मोड़ते थे। स्कूल में इसकी अनुमति नहीं है।''
स्कूल प्रशासन का ये पत्र पिछले हफ्ते किसी ने फेसबुक पर पोस्ट कर दिया था जिसके बाद कई सोशल मीडिया यूजर ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
लोगों की आलोचना के बाद स्कूल चलाने वाले नगरपालिका अधिकारियों ने सफाई देते हुए कहा कि इस पत्र में गलत शब्दों का चयन किया गया है, लेकिन इसका मकसद इन बच्चों को प्रार्थना करने का उपाय निकालने के चर्चा करवाना है।
हालांकि नगरपालिका अधिकारियों ने कहा कि स्कूल को बच्चों को इससे रोकने का अधिकार है। हालांकि स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि वो स्कूल के फैसले के साथ है।
पिछले कुछ समय से जर्मनी समेत पूरे यूरोप में मुसलमान प्रवासियों को लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है। जर्मनी में 11 लाख प्रवासी मुसलमानों को शरण दी है, लेकिन पिछले कुछ समय से जर्मनी में मुस्लिम विरोधी और प्रवासी विरोधी दक्षिणपंथी पार्टियों का प्रभाव बढ़ा है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने बीबीसी और पत्रकार जस्टिन रॉलेट पर भारत के सभी टाइगर रिजर्व में घुसने पर पांच साल का बैन लगा दिया है। यह कदम असम के काजिरंगा नेशनल पार्क में शिकारियों के खिलाफ कड़ी नीति अपनाने पर सवाल उठाने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी के सामने आने के बाद उठाया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बैन बीबीसी के पूरे नेटवर्क पर लगाया गया है।
बता दें कि बीबीसी के दक्षिण एशिया के संवाददाता रॉलेट ने काजिरंगा अभ्यारण में गैंडों को पर 'वन वर्ल्ड: किलिंग फॉर कंजर्वेशन' नाम से डॉक्यूमेंटरी बनाई थी। इसमें गैंडों को बचाने के लिए अपनाए जा रहे कदमों पर सवाल उठाए गए थे।
इसमें दावा किया गया था कि काजिरंगा के फॉरेस्ट गार्ड को यह अधिकार दिया गया है कि अगर उन्हें लगे कि गैंडों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है तो वे किसी को भी गोली मार सकते हैं।
जस्टिन रॉलेट ने अपनी डॉक्यूमेंटरी में बताया था कि फॉरेस्ट गार्ड को मिले इस तरह के अधिकारों के चलते गैंडों से ज्यादा इंसान मारे गए। पिछले साल 17 गैंडों की तुलना में 23 लोग मारे गए।
फिल्म के परिचय वाले बीबीसी के आर्टिकल में रॉलेट ने बताया कि साल 2014 के बाद से केवल दो शिकारी को सजा हुई, जबकि 50 को गोली मार दी गई। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने डॉक्यूमेंटरी की तीखी आलोचना करते हुए इसे पूरी तरह से गलत बताया था।
काजिरंगा टाइगर रिजर्व के निदेशक सत्येंद्र सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि देखते ही गोली मारने जैसी कोई नीति नहीं है। फॉरेस्ट गार्ड जो कि काफी कठिन काम करते हैं उन्हें बचाने के लिए कानूनी उपाय है। बीबीसी ने तथ्यों को गलत तरह से पेश किया और पुरानी फुटेज व इंटरव्यू को नाटकीय रूप से दिखाया।
एनटीसीए की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया था कि बीबीसी और जस्टिन रॉलेट ने पर्यावरण मंत्रालय को दिखाए बिना डॉक्यूमेंटरी का प्रसारण कर दिया। उन्हें सात दिन का कारण बताओ नोटिस दिया गया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, एनटीसीए की ओर से सोमवार (27 फरवरी) को मेमोरेंडम जारी किया गया। इसमें कहा गया कि बीबीसी आवश्यक प्रीव्यू के लिए विदेश और पर्यावरण मंत्रालय को डॉक्यूमेंटरी सबमिट करने में नाकाम रही। आदेश में सभी टाइगर रेंज वाले राज्यों के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन्स और टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर्स से कहा गया है कि वे बीबीसी को पांच साल तक फिल्म बनाने की अनुमति ना दें।
पिछले साल आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में शामिल हुआ केरल का एक युवक हफीजुद्दीन शुक्रवार को अफगानिस्तान में हुए ड्रोन अटैक में मारा गया। इस बात की जानकारी खुद उसके परिवार ने दी है।
सूत्रों के अनुसार, केरल के कारसगोड जिले स्थित पडने गांव में 24 साल के हफीजुद्दीन की मां को अन्य आईएस लड़ाके के जरिए मौत की सूचना मिली। हफीसुद्दीन टी. कोलेथ उन 21 लोगों में शामिल था जो 2016 में भारत छोड़कर इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए चले गए थे।
उत्तर केरल से आईएस में शामिल होने गया अशफाक माजिद ने टेलिग्राम ऐप के जरिए हफीज के परिवार को भेजे संदेश में कहा, ''हफीस की कल ड्रोन हमले में मौत हो गई। हम उन्हें शहीद मानते हैं, अल्लाह इस बारे में बेहतर जानता है।''
मिली खबर के मुताबिक, हफीसुद्दीन को अफगानिस्तान में ही दफना दिया गया है। कासरगोड में आईएस के नेटवर्क की पड़ताल करने में जुटी राष्ट्रीय जांच एजेंसी को भी इस बात की जानकारी मिली है। हफीजुद्दीन 2014 में गांव आने से पहले खाड़ी देशों में रहकर आया था।
कहा जा रहा है कि उसे कोझीकोड स्थित पीस इंटरनैशनल स्कूल में काम करने वाले अबुल राशीद अब्दुल्ला ने कट्टरता की ओर धकेलने का काम किया था। आईएस में शामिल होने वाला यह ग्रुप जून, 2016 में आईएस के कब्जे वाले अफगानिस्तान के नानगरहर सूबे में चला गया था।
एनआईए ने अपनी जांच में पाया था कि एनआईटी कैलिकट से ग्रैजुएट हुए शाजीर अब्दुल्ला केरल में आईएस के मॉड्यूल को नियंत्रित कर रहा था। हालांकि अभी यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि हफीज उसी इलाके में था या फिर वह किसी अन्य इलाके में आईएस की गतिविधियों में शामिल था। अशफाक से मिले टेलिग्राम मेसेज में कहा गया है, ''ग्रुप के अन्य सदस्य भी अपनी शहादत देने के लिए तैयार हैं।''
अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा है कि अमेरिका आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट को खदेड़ देगा और उनका समूल नाश कर देगा ताकि वह उनके देश और देशवासियों के लिये खतरा पैदा नहीं कर सके।
वॉशिंगटन में गुरुवार (23 फरवरी) को आयोजित कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस (सीपीएसी) में अपने संबोधन में पेंस ने कहा, ''हमलोग आईएसआईएस को खदेड़ देंगे और उनके स्रोत का समूल नाश कर देंगे ताकि वह हमारे देश या हमारे परिवारों के लिये खतरा पैदा नहीं कर सके।''
उन्होंने कहा, ''हम अमेरिकी सेना का पुनर्निर्माण शुरू करने जा रहे हैं। हमलोग लोकतंत्र के शस्त्रागार का पुनर्निर्माण करेंगे। हम अपने सैनिकों, नौसैनिकों, वायुसैनिकों, मरीन और तटरक्षकों को संसाधान उपलब्ध करायेंगे और उनके मिशन को पूरा करने एवं घर सुरक्षित लौटने के लिये जरूरी प्रशिक्षण उपलब्ध करायेंगे।''
पेंस ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन कामकाजी परिवारों, छोटे कारोबारियों और किसान परिवारों के लिये टैक्स में कटौती कर एक बार फिर देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने जा रहा है।
पेंस ने कहा, ''हमलोग नौकरियां खत्म करने वाले नियमों को हटा रहे हैं और बराक ओबामा के हस्ताक्षर वाले असंवैधानिक शासकीय आदेशों को रद्द करने जा रहे हैं।''
वहां मौजूद लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच पेंस ने कहा कि ट्रम्प अमेरिका को पहले रखते हैं और उन्होंने अमेरिकी लोगों की नौकरी पर वापसी पहले ही शुरू कर दी हैं।
उन्होंने कहा, ''वह सेना का पुननिर्माण कर रहे हैं और अपने दुश्मनों पर नजर रख रहे हैं। वह कानून प्रवर्तन का समर्थन करते हैं और अवैध आव्रजन को हमेशा के लिए खत्म कर रहे हैं।''
पेंस ने कहा कि ट्रम्प अपने वादों के पक्के इंसान हैं। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि मीडिया, गणमान्य व्यक्तियों, पार्टी के अंदर के लोगों, शीर्ष पद पर पदस्थ हर शख्स ट्रम्प को प्रत्येक कदम पर खारिज करता रहा।
उन्होंने कहा, ''ट्रम्प को खारिज करने के साथ उन्होंने लाखों मेहनकश लोगों को खारिज किया, इस देश को महान बनाने वाले लोगों को भुला दिया और अब तक की सबसे बुरी बात यह है कि वे अब भी उन्हें खारिज करने की कोशिश कर रहे हैं। वे अब भी हम सभी को खारिज करने की कोशिश कर रहे हैं।''
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रवासियों और सीमा सुरक्षा पर नए विशेष आदेश जारी किए हैं जिससे तीन लाख अमेरिकी भारतीयों पर देश निकाले का खतरा मंडराने लगा है।
वहीं इस आदेश से बिना दस्तावेजों के गैर-कानूनी रूप से रह रहे कुल 1.10 करोड़ अप्रवासी अमेरिका से बाहर हो सकते हैं। इनमें से ज्यादातर मैक्सिको के लोग हैं।
नए आदेश में छोटी-मोटी चोरी और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई करने का प्रावधान है। वहीं किसी मामले में दोष सिद्ध होने से लेकर आरोपी बनाए जाने और संदिग्ध होने पर भी अप्रवासियों को अमेरिका से बाहर निकाला जा सकता है।
ओबामा प्रशासन के वक्त सीमा से 160 किलोमीटर के भीतर पाए जाने वाले ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाती थी जिन्होंने अमेरिका में 14 दिनों से कम वक्त बिताया हो। पर अब दो साल से कम वक्त तक अमेरिका में रह रहे लोगों को निशाना बनाया जा सकता है। वहीं कोई वीजा की सीमा से अधिक वक्त तक रह रहा हो तो उन्हें भी देश छोड़ना होगा, जबकि पहले ऐसा नहीं होता था। इन कठोर नियमों से सिर्फ बच्चों को छूट दी गई है।
ट्रंप ने इस आदेश को लागू करने की जिम्मेदारी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी को सौंपी है। दस हजार नए प्रवासी अधिकारियों और कस्टम एजेंट की नियुक्ति करने की भी तैयारी है। वहीं सीमा पर भी पांच हजार नए एजेंट तैनात किए जाएंगे। नए आदेश में 32 हजार किलोमीटर लंबी मैक्सिको अमेरिकी सीमा पर दीवार बनाने की योजना की भी विस्तृत जानकारी है। मैक्सिको की सीमा से पकड़े गए लोगों को जबरदस्ती मैक्सिको भेजा जाएगा।
हालांकि कानूनी रूप से अमेरिका को ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
ट्रंप ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ही बगैर दस्तावेजों के रह रहे प्रवासियों पर निशाना साधा था। पिछले हफ्ते पुलिस की ओर से की गई छापेमारी में ऐसे 600 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ट्रंप समर्थक इन प्रवासियों पर अमेरिका में अपराध को बढ़ावा देने के आरोप लगते है, जबकि सरकारी आंकड़ों में दावा किया जाता रहा है कि मूल अमेरिकियों की तुलना में अप्रवासी अपराध में कम लिप्त होते हैं।
चरसद्दा अदालत पर हुए हमले के दौरान 3 हमलावर मारे गए
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ देश में आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। पनामा लीक्स में पीएम नवाज का नाम आने के बाद वे सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे का सामना कर रहे हैं और वह इस मुकदमे को टालने के लिए इमरजेंसी की घोषणा कर सकते हैं।
इस समय उनके पास वाजिब कारण हैं क्योंकि देश में पिछले पांच दिनों में दस बड़े आतंकवादी हमले हुए हैं। पीएम नवाज के पास यह अधिकार है कि वे देश के आंतरिक हालातों का हवाला देकर इमरजेंसी की कार्रवाई कर सकते हैं, इससे वे पनामा लीक्स के मामले को भी टालने में सफल हो जाएंगे।
पाकिस्तान के न्यूज चैनल में शुक्रवार को आए कार्यक्रम 'लाइव विद डॉ शाहिद मसूद' में वहां के कानूनविद ने इस बात को बताया है कि पीएम नवाज को यह अधिकार है कि वह आंतरिक हालातों के कारण देश पर इमरजेंसी थोप सकते हैं।
डॉ शाहिद मसूद ने इस कार्यक्रम में पूर्व जस्टिस सईद उस्मानी से बात की। उन्होंने सवाल पूछा कि अगर पीएम नवाज को देश में इमरजेंसी लगानी हो तो उसका तरीका क्या है? इस पर जस्टिस उस्मानी ने कहा कि इमरजेंसी लगाने के लिए देश के आंतरिक या बाहरी हालात खराब हो। इस समय देश के आंतरिक हालात खराब है। पिछले पांच दिनों में दस हमले हो चुके हैं इसलिए पीएम के पास अधिकार है कि पीएम आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं, लेकिन उनको इमरजेंसी लगाने के बाद इसको दस दिनों के अंदर संसद के पास जाना होगा। संसद इसको छह महीने से लेकर एक साल तक देश में आपातकाल की अवधि दे सकती है।
इसके बाद डॉ शाहिद मसूद ने जस्टिस उस्मानी से पूछा कि इस दौरान क्या जनता के बुनियादी अधिकार रद्द हो जाते है? इस पर जस्टिस उस्मानी ने कहा कि इमरजेंसी संविधान के अनुच्छेद 232 के तहत लगती है। इसी के साथ एक और अनुच्छेद 233 है जिसमें सरकार के पास यह अधिकार आता है कि वह लोगों के बुनियादी अधिकार को निलंबित कर सकती है। यदि किसी कोर्ट में बुनियादी अधिकारों पर कोई सुनवाई चल रही हो तो तो उसको भी टाला जा सकता है।
इसके बाद शाहिद मसूद ने पूछा कि पीएम नवाज शरीफ पर पनामा लीक्स का मुकदमा अनुच्छेद 184 (3) के तहत चल रहा है, क्या वह भी टाला जा सकता है? इस पर जस्टिस ने कहा कि इमरजेंसी लगाने के बाद नवाज के खिलाफ जो भी कोर्ट की सुनवाई है, उसको एक साल तक के लिए टाला जा सकता है। इसके साथ जस्टिस उस्मानी ने साफ किया कि यदि पीएम इमरजेंसी लगाते हैं तो उनको दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में पास करवाना होगा।
इमरजेंसी के मामले पर पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के वकील शाह खाबर ने भी सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि पीएम नवाज के पास पूरी पॉवर है कि वे देश में इमरजेंसी थोप सकते हैं और पनामा लीक्स के मामले को लटकाया जा सकता हैं।
डॉ शाहिद मसूद वहीं शख्स है जिन्होंने कुछ समय पहले कहा था कि पाकिस्तान में कुछ बड़ा होने वाला है। उनको पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने नोटिस कानूनी नोटिस भेजा था जिसमें उनसे इस साल 24 जनवरी को दिखाए प्रोग्राम में उनके खिलाफ गलत बयानबाजी के लिए माफी मांगने और साथ ही 1 करोड़ रुपये हर्जाने की मांग की गई थी। जिस पर पाकिस्तान इलेक्ट्रानिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी ने उनके शो को तीस दिनों के लिए बैन कर दिया था और 1 करोड़ का जुर्माना लगाया था। हालांकि मसूद को राहत देते हुए इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है।
पनामा पेपर्स से यह खुलासा हुआ है कि प्रधानमंत्री और उनके परिवार के लोगों ने विदेशों में कंपनियां खोल रखी हैं। हालांकि पीएम नवाज शरीफ और उनके परिवार ने इन आरोपों का खंडन किया था। इमरान खान के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियां इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रही थी।
पाकिस्तान में सिंध प्रांत के शहवान शहर की लाल शाहबाज कलंदर दरगाह में आत्मघाती बम हमले में 100 से अधिक लोग मारे गये हैं और 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
इस हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने ली है। मेडिकल सुविधाओं को मुहैया कराने वाले संगठन इदी के एक प्रवक्ता ने कहा कि हमले से प्रतीत होता है कि हमला दरगाह में महिलाओं वाले क्षेत्र को निशाना बनाकर किया गया था। इस भाग में 30 बच्चों समेत कई महिलाओं की मौत हुई है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शब्बीर सत्तार ने बताया कि इस आत्मघाती हमले को एक व्यक्ति ने अंजाम दिया जो भीड़भाड़ वाली इस दरगाह में घुस गया और वहां जाकर उसने खुद को विस्फोट से उड़ा दिया।
उन्होंने बताया, "इस हमले में कम से कम 100 लोगों की मौत हुई और 250 से अधिक लोग जख्मी हैं और मृतकों की संख्या और भी बढ़ सकती है।"
पाकिस्तान में एक सप्ताह के भीतर यह पांचवां आतंकी हमला हुआ है। पुलिस के अनुसार, यह धमाका सूफी रस्म धमाल के दौरान हुआ। विस्फोट के समय दरगाह के परिसर के भीतर सैकड़ों की संख्या में जायरीन मौजूद थे।
तालुका अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक मोइनुद्दीन सिददीकी के हवाले से डान ने खबर दी है कि कम से कम 72 शवों और 250 से अधिक घायलों को अस्पताल लाया गया है। इलाके के अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित कर दी गई है। घटनास्थल से अस्पतालों की दूरी बहुत अधिक है। सबसे निकट चिकित्सा परिसर 40 से 50 किलोमीटर की दूरी पर है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तारिक विलायत ने बताया कि शुरुआती रिपोर्ट से पता चलता है कि यह आत्मघाती विस्फोट है। विस्फोट दरगाह में महिलाओं के लिए आरक्षित क्षेत्र में हुआ। बचाव अधिकारियों ने कहा कि पर्याप्त एंबुलेंस नहीं होने की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने तत्काल बचाव अभियान चलाने का आदेश दिया और सरकार ने हैदराबाद एवं जमशुरू जिलों के अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित कर दी है। लाल शाहबाज कलंदर सूफी दार्शनिक-शायर थे।
सूफी दरगाह पर यह हमला उस वक्त हुआ है जब एक दिन पहले ही पाकिस्तान सरकार ने देश में आतंकी हमलों में हुई बढ़ोत्तरी को देखते हुए उन सभी तत्वों को मिटाने का संकल्प लिया था जो देश में शांति एवं सुरक्षा पर खतरा पैदा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने देश में सुरक्षा हालात की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की जिसमें यह फैसला लिया गया।









