अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध

यूक्रेन के चार इलाके- दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसन और ज़पोरिज़िया अब रूस का हिस्सा हैं: राष्ट्रपति पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 को इस बात का ऐलान कर दिया है कि यूक्रेन के चार इलाके- दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसन और ज़पोरिज़िया अब रूस का हिस्सा हैं।

उन्होंने कहा, ''यूक्रेन के चार इलाके के लोगों ने अपना फ़ैसला कर लिया है। जनमत संग्रह के नतीजे जगजाहिर हैं। लोगों ने चुनाव कर लिया है। एक मात्र फ़ैसला।''

रूस के नियंत्रण वाले यूक्रेन के इन चार इलाकों में जनमत संग्रह को पश्चिमी देशों और क़ानूनी विशेषज्ञों ने अवैध करार दिया है। पुतिन मॉस्को में क्रेमलिन से बोल रहे थे।

उन्होंने कहा, ''मुझे पूरा भरोसा है कि फेडरल असेंबली रूस के इन चार नए इलाकों को अपना समर्थन देगी क्योंकि ये लाखों लोगों की इच्छा है।''

उन्होंने कहा कि जनमत संग्रह के नतीजे उन लोगों के 'प्राकृतिक अधिकार' को दर्शाते हैं जिन्होंने इसमें अपना वोट दिया है। पुतिन ने अपने संबोधन में इतिहास का भी जिक्र किया।

उन्होंने दावा किया कि रूसी लोगों की कई पीढ़ियों ने इन इलाकों के लिए जंग लड़ी है। उन्होंने इस जंग में मारे गए सैनिकों की याद में एक मिनट के मौन रखने की अपील की। पुतिन ने कहा कि ये सैनिक रूस के हीरो थे।

पुतिन ने कहा कि वे चाहते हैं कि कीएव और पश्चिमी देशों के लोग ये बात सुन लें कि डोनबास क्षेत्र के लोग अब हमेशा के लिए रूस के नागरिक बन जाएंगे।

उन्होंने कहा कि ''रूस अपनी ज़मीन की हर तरह से हिफाजत करेगा ताकि हमारे लोग सुरक्षित तरीके से रह सकें। रूस इन इलाकों के गांवों और शहरों का पुनर्निमाण करेगा और स्वास्थ्य एवं शिक्षा के बुनियादी ढांचे का विकास करेगा।''

भारत और पाकिस्तान, दोनों देश हमारे पार्टनर हैं: अमेरिका

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने सोमवार, 26 सितम्बर 2022 को कहा कि भारत और पाकिस्तान, दोनों देश उनके पार्टनर हैं और दोनों का अपना-अपना महत्व है।

अमेरिका का ये बयान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के दौरे के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों में सुरक्षा मदद देने के अमेरिकी फ़ैसले पर सवाल उठाए थे।

अमेरिका ने दलील दी थी कि पाकिस्तान को ये मदद आतंकवाद से लड़ाई के लिए दी जा रही है, जिसके जवाब में एस जयशंकर ने कहा था कि सबको पता है कि कहां और किसके ख़िलाफ़ एफ़-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल होता है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ''भारत और पाकिस्तान से हमारे संबंध अलग-अलग हैं। हम एक देश के साथ अपने संबंधों को दूसरे से जोड़कर नहीं देखते। दोनों हमारे पार्टनर हैं और उनका अपना महत्व है।''

सितम्बर 2022 की शुरुआत में अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की मदद का वादा किया था। ऐसा करके बाइडन प्रशासन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को पलट दिया।

ट्रंप प्रशासन ने तालिबान और हक्कानी नेटवर्क की मदद के आरोपों की वजह से पाकिस्तान को किसी भी तरह की सैन्य सहायता देने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

प्राइस ने कहा, "हम चाहते हैं कि इन पड़ोसी मुल्कों के संबंध एक-दूसरे से जितना संभव हो सके बेहतर हों।''

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा और अस्थिरता पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए ठीक नहीं है।

नेड प्राइस ने बताया कि अमेरिका ने बाढ़ प्रभावित पाकिस्तान की मदद के लिए लाखों डॉलर दिए हैं।

अगर ज़रूरी हुआ तो रूस के पास परमाणु हथियार इस्तेमाल करने का अधिकार होगा: मेदवेदेव

रूस के पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति रह चुके डिमित्री मेदवेदेव ने कहा है कि अगर ज़रूरी हुआ तो रूस के पास परमाणु हथियार इस्तेमाल करने का अधिकार होगा।

मेदवेदेव इस समय रूसी सिक्योरिटी काउंसिल के डिप्टी चेयरमैन हैं।

इससे पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस में आंशिक लामबंदी का एलान किया था। अब ख़बरें है कि रूस में बड़ी संख्या में लोगों को फौज में शामिल करवाया जा रहा।

रूस के तल्ख़ तेवरों के बीच मेदवेदेव का ताज़ा बयान पश्चिम के लिए नया सिरदर्द बन सकता है।

मेदवेदेव ने अपने बयान में कहा, ''अगर हमें सीमाओं से धकेला गया तो हम परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेंगे। और ये कोई कोरी धमकी नहीं है।''

उन्होंने कहा कि रूस के पास बिना किसी सलाह के अपने ऊपर हुए हमले का माकूल जवाब देने का अधिकार है।

रूस और यूक्रेन के बीच इस 24 फरवरी 2022 से युद्ध छिड़ा हुआ है। अब पूर्वी यूक्रेन के वो इलाक़े जिन पर रूस ने कब्ज़ा कर लिया है वहाँ वो जनमत संग्रह करवा रहा है।

अपने सियासी करियर के शुरू में लिबरल माने जाने वाले मेदवेदेव लगातार आक्रामक होते जा रहे हैं।

मेदवेदेव साल 2008 से 2012 तक रूस के राष्ट्रपति रहे हैं। उसके बाद वे कई वर्षों तक रूस के प्रधानमंत्री भी रहे।

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के साथ इसराइली प्रधानमंत्री येर लेपिड की मुलाकात

न्यूयॉर्क में चल रही संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में इसराइल के प्रधानमंत्री येर लेपिड की तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन से मुलाकात हुई।

दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज़ से इसे महत्वपूर्ण बैठक माना जा रहा है।

साल 2008 के बाद दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच आमने-सामने की बैठक नहीं हुई थी।

इस बैठक में इसराइल के प्रधानमंत्री येर लेपिड ने अर्दोआन से कहा है कि वह ग़ज़ा पट्टी में हमास द्वारा पकड़े गए दो इसराइली नागरिकों को वापस लाने में मदद करें।

इसके साथ ही लेपिड ने तुर्की के राष्ट्रपति से उन दो सैनिकों के पार्थिव शरीरों को वापस लाने में मदद करने के लिए कहा है जिनके बारे में माना जाता है कि साल 2014 में उनकी मौत हो गई थी।

इसराइली प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया है कि दोनों नेताओं के बीच आर्थिक और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर भी बात हुई।

लेपिड ने साल 2022 की शुरुआत में ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने के लिए अर्दोआन का शुक्रिया अदा किया है।

इसराइल और तुर्की के बीच अगस्त 2022 में एक बार फिर कूटनीतिक रिश्ते बहाल हो गए।

दोनों देशों के बीच साल 2010 से रिश्तों में कड़वाहट जारी थी जब गज़ा पट्टी की घेराबंदी तोड़कर राहत सामग्री लेकर आते तुर्की के जहाज पर इसराइली छापे में दस नागरिकों की मौत हुई थी।

चीन अब भी भारत के लिए सरहदों पर एक विकट चुनौती है: भारतीय नौसेना प्रमुख

भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा है कि चीन अब भी भारत के लिए सरहदों पर एक विकट चुनौती है।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद का बदलता स्वरुप भी देश की सुरक्षा के लिए एक ख़तरा है।

एडमिरल आर हरि कुमार ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के एक समारोह में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि चीन महज़ ज़मीनी सरहद पर ही नहीं बल्कि समुद्री सीमाओं पर भी अपनी मौजूदगी को मज़बूत कर रहा है।

उन्होंने कहा, ''चीन अब भी विकट चुनौती है। उसने सिर्फ़ हमारी ज़मीनी सरहद ही नहीं बल्कि समुद्री सरहद पर भी अपनी मौजूदगी दर्ज की है। समुद्र में उसने एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन को ढाल बनाकर, हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक मौजूदगी को मजबूत किया है।''

उन्होने कहा कि एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन को ढाल बनाकर चीन साल 2008 से ही हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है।

अपने तर्क के पक्ष में एडमिरल हरि कुमार ने कहा, ''किसी भी समय पांच से आठ चीनी नेवी यूनिट्स - जिनमें युद्धपोत और रिसर्च करने वाले जहाज़ शामिल हैं, हिंद महासागर में तैनात रहते हैं। हम उन पर नज़र रखते हैं।''

पुतिन का सैन्य लामबंदी का ऐलान, तीन लाख रिज़र्व सैनिकों को बुलाया

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार, 21 सितम्बर 2022 को यूक्रेन में युद्ध के लिए आंशिक लामबंदी का ऐलान किया है। इसका अर्थ है कि यूक्रेन युद्ध में रूस और अधिक संसाधन और सैन्य टुकड़ियों को शामिल करेगा।

पुतिन ने टीवी पर प्रसारित हुए देश के नाम संबोधित अपने भाषण में कहा है कि 'यह रूस की क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखने के लिए ये एक ज़रूरी कदम था।'

उन्होंने कहा कि 'पश्चिमी दुनिया रूस का ख़ात्मा चाहती थी जैसे उसने सोवियत संघ का ख़ात्मा कर दिया।'

पुतिन ने भाषण में क्या कहा –

- पुतिन ने यूक्रेन में जारी सैन्य संघर्ष में अतिरिक्त सैन्य टुकड़ियां भेजने का ऐलान किया है। इसका अर्थ ये है कि रूसी सेना में सेवाएं दे चुके लोगों को वापस बुलाया जाएगा।
- इन सैन्य टुकड़ियों की रवानगी बुधवार, 21 सितम्बर 2022 से शुरू होगी।
- पुतिन ने पश्चिमी देशों पर रूस को परमाणु हमले के नाम पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है।
- पुतिन ने कहा है कि पश्चिमी देशों की धमकियों का जवाब देने के लिए उनके पास काफ़ी हथियार हैं।
- उन्होंने कहा है कि डोनबास में 'अपनों' की सुरक्षा के लिए हर संभव साधन जुटाए जाएंगे।
- उन्होंने रूस में हथियारों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए फंडिंग का आदेश दिया है।

रूसी संसद दूमा के सदस्य येवगेनी पोपोव ने बीबीसी को बताया है कि 'जैसा मैं समझता हूं, कुछ अनुभवी सैनिकों को तैनात किया जाएगा और जो लोग अभी-अभी सेना से सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्हें बुलाया जा सकता है। ये आम लोगों को युद्ध के मैदान में भेजने की बात नहीं है।'

क्या पुतिन की बड़ी लामबंदी से अब पश्चिम के साथ और बिगड़ेंगे रिश्ते?

बीबीसी के रूस संपादक स्टीव रोज़नबर्ग के मुताबिक, आज से पहले तक रूस दावा करता रहा है कि यूक्रेन में उसका सैन्य अभियान योजना के अनुसार ही चल रहा है।

लेकिन अब ऐसा नहीं है।

व्लादिमीर पुतिन रूसी सेना के रिज़र्व सैनिकों को वापस बुलाने का ऐलान करके ये मान चुके हैं कि युद्ध के मैदान पर उन्हें अतिरिक्त सैनिकों की ज़रूरत है।

रूसी राष्ट्रपति को सुनने से ऐसा नहीं लगता कि उन्हें सात महीने पहले यूक्रेन पर हमला करने का ज़रा भी खेद है।

पुतिन ने बताया है कि रूस की दिक्कतों के लिए पश्चिमी देश ज़िम्मेदार हैं। ये कहते हुए उन्होंने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया है कि वे रूस को तोड़ना चाहते हैं।

उन्होंने कहा है, ''अगर रूस की क्षेत्रीय अखंडता को ख़तरा पैदा होता है तो हम उपलब्ध सभी साधनों का इस्तेमाल करेंगे।''

रूस ने यूक्रेन के जिन इलाक़ों पर हाल में कब्ज़ा किया है वहाँ आने वाले दिनों में जनमत संग्रह करवाया जा रहा है।

ये यूक्रेन और पश्चिमी देशों को सीधा संदेश है – हमने जिस ज़मीन पर कब्जा किया है और जिस पर हम दावा करेंगे, उसे वापस लेने की कोशिश न की जाए।

ये स्पष्ट करने के लिए उन्होंने धमकी दे डाली है।

उन्होंने कहा है, ''जो हमें परमाणु हथियारों से धमकाने की कोशिश करते हैं, उन्हें ये पता होना चाहिए कि हवाएं उनकी तरफ़ भी बह सकती हैं।''

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, हमारी दुनिया संकट में है और दुनिया की व्यवस्था लाचार हो गई है

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में मंगलवार, 20 सितम्बर, 2022 को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि हमारी दुनिया संकट में है और दुनिया की व्यवस्था लाचार हो गई है।

सहयोग और संवाद ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। कोई भी शक्ति या समूह अकेले किसी बड़ी वैश्विक चुनौती का हल नहीं खोज सकती। हमें दुनिया की एकजुटता की ज़रूरत है।

गुटेरेस ने महासभा को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारे युग की नाटकीय चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार या इच्छुक नहीं है।

''यूएन चार्टर और इसके द्वारा प्रस्तुत आदर्श खतरे में हैं। कार्रवाई करना हमारा कर्तव्य है। हमें अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के संरक्षण के संबंध में हर जगह ठोस कार्रवाई करने की ज़रूरत है।''

गुटेरेस ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर नफ़रत और नकारात्मकता फैलाने का भी आरोप लगाया।

दुनियाभर के 193 देशों के नेता न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। लेकिन चीन और रूस के राष्ट्रपति इस बार बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी न्यूयॉर्क पहुंच चुके हैं।

महासभा के एजेंडे में इस बार जलवायु संकट से लेकर शिक्षा व्यवस्था में बदलाव जैसे अहम मुद्दे शामिल हैं।

शंघाई सहयोग संगठन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में अपने भाषण में कोरोना महामारी और यूक्रेन संकट की वजह से उपजे आर्थिक और खाद्य आपूर्ति संकट की चर्चा की। उन्होंने इससे निपटने के उपाय भी बताए।

प्रधानमंत्री मोदी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए गुरुवार, 15 सितम्बर, 2022 की रात समरकंद पहुंचे थे। शुक्रवार, 16 सितम्बर, 2022 को वे सम्मेलन में शामिल हुए और अन्य नेताओं के साथ एक तस्वीर ट्वीट की।

आठ नेताओं की इस तस्वीर में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे दाहिनी ओर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ सबसे बाईं ओर खड़े दिखे।

एससीओ के प्रभावी नेतृत्व के लिए नरेंद्र मोदी ने उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव का शुक्रिया अदा किया।

मोदी ने कहा कि आज पूरा विश्व महामारी के बाद आर्थिक संकट से उबरने की कोशिश कर रहा है।

एससीओ के सदस्य देश वैश्विक जीडीपी में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं। वहीं, विश्व की 40 प्रतिशत जनसंख्या इन देशों में निवास करती हैं। इसलिए इन संकटों से निपटने में एससीओ देशों की भूमिका अहम है।

मोदी ने कहा कि इस वर्ष भारत की अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत वृद्धि की आशा है, जो विश्व की बड़ी इकोनॉमी में सबसे अधिक होगी।

मोदी ने कहा कि भारत प्रत्येक सेक्टर में इनोवेशन का समर्थन कर रहा है और आज देश में 70 हज़ार से अधिक स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से 100 से अधिक यूनिकॉर्न (बिलियन डॉलर की कंपनी) हैं।

उन्होंने कहा कि ये अनुभव कई एससीओ सदस्यों के भी काम आ सकता है। इस उद्देश्य के लिए वे 'स्पेशल वर्किंग ग्रुप ऑन स्टार्टअप्स एंड इनोवेशन' की स्थापना करके एससीओ देशों के साथ अनुभव साझा करने को तैयार हैं।

मोटे अनाज की खेती पर जोर

उन्होंने कहा कि विश्व आज खाद्य सुरक्षा के संकट का सामना कर रहा है। इस समस्या का संभावित समाधान है- मोटे अनाज की खेती और उपभोग को बढ़ावा देना।

यह एक ऐसा सुपरफूड है, जो न सिर्फ़ एससीओ देशों में बल्कि विश्व के कई भागों में हजारों सालों से उगाया जाता है।

उन्होंने कहा कि 2023 को 'यूएन इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स' के रूप में मनाया जाएगा। इसे बढ़ावा देने के लिए एससीओ के अंतर्गत 'मिलेट्स फूड फेस्टिवल' के आयोजन पर विचार किया जाना चाहिए।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज भारत विश्व के 'मेडिकल एंड वेलनेस टूरिज़्म' के लिए सबसे किफ़ायती जगहों में से एक है।

उन्होंने कहा कि एससीओ देशों के बीच ट्रेडिशनल मेडिसिन पर सहयोग बढ़ाना चाहिए और भारत इसके लिए नए 'एससीओ वर्किंग ग्रुप ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन' की पहल करेगा।

मोदी ने और क्या कहा?

भारत एससीओ सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग और आपसी विश्वास का समर्थन करता है।

महामारी और यूक्रेन संकट से ग्लोबल सप्लाई चेन में कई बाधाएं पैदा हुईं, जिसकी वजह से पूरा विश्व ऊर्जा और खाद्य संकट का सामना कर रहा है।

एससीओ को इसके लिए विश्वस्त, लचीला और विविध चेन विकसित करने के प्रयास करने चाहिए। कनेक्टिविटी के साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि एक-दूसरे को ट्रांजिट का पूरा अधिकार दें।

उन्होंने कहा कि भारत को एक 'मैन्यूफैक्चरिंग हब' बनाने की दिशा में प्रगति हो रही है।

भारत ने पाकिस्तान को एफ-16 के लिए पैकेज देने के अमेरिकी फ़ैसले पर चिंता जताई

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान के लिए आर्थिक पैकेज देने के अमेरिकी फ़ैसले पर भारत की ओर से चिंता जताई है।

राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ टेलीफ़ोन पर हुई बातचीत के बाद ट्वीट में लिखा, "मैंने पाकिस्तान के एफ-16 बेड़े के लिए पैकेज दिए जाने के हाल के अमेरिकी फ़ैसले पर भारत की चिंता जताई। भारत-अमेरिका साझेदारी को और मज़बूत बनाने के लिए रक्षा मंत्री ऑस्टिन के साथ बातचीत जारी रखने के लिए तत्पर हैं।''

इससे पहले, मंगलवार, 13 सितंबर, 2022 को अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बाइडन सरकार के इस फ़ैसले का बचाव करते हुए कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के ख़िलाफ़ जंग में अमेरिका का एक महत्वपूर्ण साझेदार है।

नेड प्राइस ने कहा, "इस सहायता से पाकिस्तान को एफ-16 बेड़े की मरम्मत के लिए मदद मिलेगी, जिससे वह आतंकवाद के ख़तरों से निपट सकेगा।''

बाइडन प्रशासन ने आठ सितंबर, 2022 को पाकिस्तान को एफ-16 विमानों के लिए 45 करोड़ डॉलर की मदद देने की मंज़ूरी दी थी। पिछले चार सालों में वाशिंगटन की ओर से इस्लामाबाद को दी गई यह पहली बड़ी सुरक्षा सहायता है।

अर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष: भारत ने सीमा पर जारी भीषण संघर्ष को रोकने की अपील की

अर्मेनिया-अज़रबैजान की सीमा पर जारी भीषण संघर्ष के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने दोनों ही पक्षों से इसे तुरंत रोकने की अपील की है।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आधिकारिक बयान जारी करके कहा, ''हमने 12 से 13 सितंबर के बीच नागरिकों की बस्तियों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने सहित अर्मेनिया-अजऱबैजान सीमा पर हमलों की रिपोर्ट देखी है। हम आक्रामक पक्ष से इन हमलों को तुरंत रोकने की अपील करते हैं।''

"हमारा मानना ​​है कि द्विपक्षीय विवादों का हल कूटनीति और बातचीत के ज़रिए निकाला जाना चाहिए। किसी भी संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता। हम दोनों पक्षों को एक स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान पर पहुंचने के लिए बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।''

मामला क्या है?

अर्मेनिया और अज़रबैज़ान के बीच एक बार फिर से भीषण संघर्ष शुरू हो गया है। अर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पेशिनियान का कहना है कि बीते दो दिनों में अज़रबैज़ान के साथ लड़ाई में 49 सैनिकों की मौत हो गई है।

अर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने अज़रबैज़ान पर सेना के ठिकानों और रिहाइशी इलाकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। अर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अज़रबैज़ान के सैनिक अर्मेनिया में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।

वहीं अज़रबैज़ान ने इन दावों का खंडन किया है। अज़रबैज़ान का कहना है कि उसकी कार्रवाई अर्मेनिया की विध्वंसकारी गतिविधियों के जबाव में है।

कब-कब झड़पें हुई?

साल 2020 में भी दोनों ही पक्षों के बीच हुए खूनी संघर्ष में हज़ारों लोगों की जान गई थी लेकिन,अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के चलतें ये झड़पें गंभीर रूप नहीं ले सकीं।

स्थानीय स्तर पर इलाक़े की सीमा पर दोनों पक्षों के बीच लगातार झड़पें होती रही हैं। अप्रैल 2016 में हुई झड़प सबसे गंभीर थी। इसमें दोनों तरफ़ के कई सैनिक मारे गए थे।