भारत

यूएस ने भारत और पाकिस्तान से आग्रह किया कि घातक हमले के बाद कश्मीर तनाव को कम करें

यूएस ने भारत और पाकिस्तान से आग्रह किया कि घातक हमले के बाद कश्मीर तनाव को कम करें

गुरुवार, 1 मई, 2025
भारतीय कश्मीर में 26 पर्यटकों की हत्या के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा है। भारत ने हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया - एक आरोप इस्लामाबाद ने दृढ़ता से इनकार किया। जवाब में, अमेरिकी राज्य सचिव मार्को रुबियो ने दोनों परमाणु-हथियारबंद पड़ोसियों से आग्रह किया है कि वे स्थिति को कम करें और आगे की हिंसा से बचें।

अल जज़ीरा की चार्ल्स स्ट्रैटफ़ोर्ड की रिपोर्ट।

भारत में इस्लामोफोबिया: एक बढ़ती चिंता

भारत में इस्लामोफोबिया: एक बढ़ती चिंता

भारत, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता के लिए जाना जाने वाला देश, इस्लामोफोबिया में एक परेशान वृद्धि देख रहा है। मुस्लिम समुदाय, जो देश में एक महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक का गठन करता है, बढ़ती शत्रुता, हिंसा और भेदभाव का सामना कर रहा है। इस लेख का उद्देश्य भारत में इस्लामोफोबिया की जड़ों, अभिव्यक्तियों और निहितार्थों का पता लगाना है।

ऐतिहासिक जड़ें

भारत में इस्लामोफोबिया की जड़ों को 1947 में भारत के विभाजन में वापस खोजा जा सकता है, जिसके कारण पाकिस्तान का निर्माण हुआ और सीमा पार मुसलमानों का एक बड़ा प्रवास हुआ। तब से, भारत में मुसलमानों को हिंसा, संदेह और अविश्वास के आवधिक प्रकोप का सामना करना पड़ा है। मध्ययुगीन इस्लामिक विजय, ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों की विरासत, और विभाजन ने भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एक जटिल और अक्सर तनावपूर्ण संबंध में योगदान दिया है।

इस्लामोफोबिया की अभिव्यक्ति

भारत में इस्लामोफोबिया विभिन्न रूपों में प्रकट होता है, जिसमें शामिल हैं:
- सांप्रदायिक हिंसा: हिंदू राष्ट्रवादी समूहों द्वारा मुसलमानों पर भीड़ के हमले तेजी से आम हो गए हैं। इन हमलों में अक्सर जीवन की हानि, संपत्ति की क्षति और मुसलमानों के विस्थापन का परिणाम होता है।
- गाय सतर्कता: गाय सतर्कता समूह, जो अक्सर हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों से संबद्ध होते हैं, उन पर मवेशी व्यापार या गोमांस की खपत के संदेह वाले मुसलमानों पर हमला करने और मारने का आरोप लगाया गया है।
- भेदभाव: मुसलमानों को शिक्षा, रोजगार और आवास में भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिससे उनके लिए मुख्यधारा के समाज में एकीकृत करना मुश्किल हो जाता है।

राजनीति की भूमिका

भारत में हिंदू राष्ट्रवाद के उदय ने इस्लामोफोबिया में वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जो 2014 से केंद्र में सत्ता में है, पर एक हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है जो अक्सर मुसलमानों को लक्षित करता है। कई विद्वानों का मानना ​​है कि मुस्लिम विरोधी हिंसा की घटनाएं राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और हिंदू राष्ट्रवाद से जुड़ी मुख्यधारा की राजनीतिक दलों की चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं।

उल्लेखनीय घटनाएं

भारत में इस्लामोफोबिया की कुछ उल्लेखनीय घटनाओं में शामिल हैं::
- नेल्ली नरसंहार (1983): असम के नागांव जिले में मुसलमानों पर एक हिंसक हमला, जिसके परिणामस्वरूप 1,600 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
- गुजरात दंगों (2002): गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ व्यापक हिंसा, जिसके परिणामस्वरूप 1,000 से अधिक मौतें और व्यापक विस्थापन हुआ।
- मुजफ्फरनगर दंगों (2013): उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में सांप्रदायिक हिंसा, जिसके परिणामस्वरूप 60 से अधिक मौतें और हजारों लोगों का विस्थापन हुआ।
- दिल्ली दंगे (2020): दिल्ली में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा, नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से शुरू हुई, जिसके परिणामस्वरूप 50 से अधिक मौतें हुईं।

निष्कर्ष

भारत में इस्लामोफोबिया गहरी ऐतिहासिक जड़ों और समकालीन अभिव्यक्तियों के साथ एक जटिल मुद्दा है। हिंदू राष्ट्रवाद और सांप्रदायिक हिंसा के उदय ने मुसलमानों के बीच भय और असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। इन मुद्दों को संवाद, शिक्षा और नीति पहलों के माध्यम से संबोधित करना आवश्यक है जो इंटरफेथ हार्मनी और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देते हैं। भारत में इस्लामोफोबिया की जटिलताओं को समझकर, हम एक अधिक समावेशी और सहिष्णु समाज के निर्माण की दिशा में काम कर सकते हैं।

पहलगाम हमला: भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सर्विस रोकी, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ क्या कदम उठाए थे?

पहलगाम हमला: भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सर्विस रोकी, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ क्या कदम उठाए थे?

गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

भारत ने गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 को पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की घोषणा की।

इसकी जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय ने देते हुए कहा, "निर्णय पहलगाम में हुए आतंकी हमले को देखते हुए लिया गया है।''

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की ओर से पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी मौजूदा वैध वीज़ा 27 अप्रैल 2025 से रद्द माने जाएंगे। पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए चिकित्सा वीज़ा केवल 29 अप्रैल 2025 तक ही वैध होंगे। भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान की यात्रा पर नहीं जाने की सलाह दी जाती है। जो भी भारतीय नागरिक इस समय पाकिस्तान में हैं, उन्हें भी जल्द से जल्द से भारत लौटने को सलाह दी जाती है।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को आतंकवादियों ने हमला कर 26 लोगों को मार डाला था। कइयों को घायल कर दिया था। मारे जाने वाले लोगों में ज्यादातर पर्यटक थे।

पहलगाम कश्मीर में सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक हैं।  

भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ क्या कदम उठाए थे?

बुधवार, 23 अप्रैल 2025  को ही नई दिल्ली में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की बैठक में कई फ़ैसले लिए गए थे।

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा था कि इस आतंकवादी हमले के क्रॉस बॉर्डर लिंकेज मिले हैं। इसके बाद भारत की ओर से सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी गई।

इस बैठक में पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को निलंबित करने और अटारी बॉर्डर को बंद करने सहित कई फ़ैसले लिए गए थे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सीसीएस की बैठक में लिए गए फ़ैसलों की जानकारी दी।

भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 के सिंधु जल समझौते को तुरंत प्रभाव से निलंबित रखने का फ़ैसला किया है। ये फ़ैसला तब तक लागू रहेगा जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय ढंग से सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं कर देता।

भारत ने अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट को भी तुरंत प्रभाव से बंद करने का फ़ैसला किया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि जो लोग मान्य दस्तावेजों के आधार पर इधर आए हैं वो इस रूट से 1 मई 2025 से पहले वापस जा सकते हैं।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि अब पाकिस्तानी नागरिक सार्क वीजा छूट स्कीम (एसवीईएस) के तहत जारी वीजा के आधार पर भारत की यात्रा नहीं कर पाएंगे। एसवीईएस के तहत पाकिस्तानी नागरिकों को पूर्व में जारी किए वीजा रद्द माने जाएंगे। एसवीईएस के तहत जो भी पाकिस्तानी नागरिक भारत में हैं उन्हें 48 घंटों में भारत छोड़ना होगा।

नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा/सैन्य, नौसेना और वायु सेना सलाहकारों को अवांछित (पर्सोना नॉ ग्रेटा) व्यक्ति करार दिया गया है।  उन्हें भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। भारत इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग के रक्षा/सैन्य, नौसेना और वायु सेना सलाहकारों को भी वापस बुला रहा है। दोनों उच्चायोग में ये पद खत्म माने जाएंगे।

दोनों उच्चायोगों से इन सैन्य सलाहकारों के पांच सपोर्ट स्टाफ को भी वापस ले लिया जाएगा।

उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या 55 से धीरे-धीरे घटाकर 30 कर दी जाएगी। ये फ़ैसला 1 मई 2025 से लागू हो जाएगा।

सीसीएस ने भारत में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सुरक्षा बलों को बेहद चौकस रहने को कहा है।

बैठक में कहा गया कि पहलगाम हमले की साजिश रचने वालों के ख़िलाफ़ पूरी कार्रवाई की जाएगी।

पहलगाम हमला: भारत की कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान ने उठाए सख्त क़दम

पहलगाम हमला: भारत की कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान ने उठाए सख्त क़दम

गुरुवार, 24 अप्रैल 2025
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत की कार्रवाई के जवाब में अब पाकिस्तान ने भी कई क़दम उठाने की घोषणा की है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की अध्यक्षता में गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 को इस्लामाबाद में हुई नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक में कई फ़ैसले लिए गए।

इनमें भारत के साथ द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने, हवाई क्षेत्र और सीमाओं को बंद करने तथा व्यापार को निलंबित करने की घोषणा की गई है।

भारत की तरह पाकिस्तान ने भी रक्षा सलाहकारों और उनके सहायकों को देश छोड़ने को कहा है। साथ ही अपने राजनयिक स्टाफ को सीमित कर दिया है।

इस बैठक के वक्तव्य में सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के निर्णय को नामंज़ूर करते हुए कहा गया कि इस संधि के तहत पाकिस्तान के हिस्से के पानी के प्रवाह को रोकने या मोड़ने का कोई भी प्रयास युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा और इसका पूरी ताकत से जवाब दिया जाएगा।

बयान में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों की जानबूझकर अवहेलना करने के भारत के लापरवाह और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को देखते हुए, पाकिस्तान शिमला समझौते सहित भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने के अधिकार का प्रयोग करेगा, जब तक कि भारत पाकिस्तान के भीतर आतंकवाद को बढ़ावा देने, विदेशों में हत्याएं करने और कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन न करने के अपने व्यवहार से बाज नहीं आता।

पाकिस्तान ने भारत के स्वामित्व वाली या उसके द्वारा संचालित सभी एयरलाइंस के लिए अपने हवाई क्षेत्र को तत्काल बंद करने की घोषणा की है, साथ ही वाघा सीमा को भी तत्काल बंद करने की घोषणा की है।

हालांकि, घोषणा के अनुसार, जो लोग वैध दस्तावेजों के साथ सीमा पार कर भारत में आए हैं, वे 30 अप्रैल 2025 तक इस मार्ग से वापस आ सकते हैं।

पाकिस्तान ने सिख तीर्थयात्रियों को छोड़कर, सार्क वीज़ा छूट कार्यक्रम के तहत सभी भारतीय नागरिकों को दिए गए सभी वीज़ा निलंबित कर दिए हैं और कहा है कि इन्हें रद्द माना जाना चाहिए। ऐसे वीजा पर पाकिस्तान में रह रहे भारतीय नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का निर्देश दिया गया है।

इसके अलावा, घोषणा में कहा गया है कि भारत के साथ सभी प्रकार का व्यापार भी निलंबित किया जा रहा है और यह किसी तीसरे देश के माध्यम से होने वाले व्यापार पर भी लागू होगा।

पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय रक्षा/सैन्य सलाहकारों को भी अवांछित व्यक्ति घोषित कर दिया है और उन्हें तुरंत देश छोड़ने को कहा है, जबकि इन सलाहकारों के सहायक कर्मचारियों को भी वापस लौटने का निर्देश दिया गया है।

घोषणा के अनुसार, इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या 30 अप्रैल, 2025 से 30 तक सीमित कर दी जाएगी।

पाकिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने कहा है कि किसी भी विश्वसनीय जांच और प्रमाणित साक्ष्य के अभाव में पहलगाम हमले को पाकिस्तान से जोड़ने का प्रयास निरर्थक, तर्कहीन और तार्किक हार का संकेत है।

बयान में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान बिना किसी भेदभाव के सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा करता है और आतंकवाद के ख़िलाफ़ दुनिया में अग्रणी देश होने के नाते उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा है।

काउंसिल का कहना है कि भारत का पीड़ित होने का घिसा-पिटा राग पाकिस्तानी धरती पर आतंकवाद को बढ़ावा देने में उसके दोषी होने को नहीं छिपा सकता न ही यह भारत के जम्मू और कश्मीर में हो रहे व्यवस्थित और मानवाधिकार उल्लंघनों से ध्यान हटा सकता है।

पाकिस्तान ने कहा है कि भारतीय दावों के विपरीत, उसके पास पाकिस्तान में भारत प्रायोजित आतंकवाद के अकाट्य सबूत हैं, जिसमें भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कमांडर कुलभूषण जाधव का कबूलनामा भी शामिल है।

पहलगाम आतंकी हमले के ज़िम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा: मोदी। भारत का अंदरूनी मसला: पाकिस्तान

पहलगाम आतंकी हमले के ज़िम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा: मोदी। भारत का अंदरूनी मसला: पाकिस्तान

मंगलवार 22 अप्रैल, 2025 को भारतीय कश्मीर में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला किया, जो पिछले कई सालों में नागरिकों पर सबसे घातक हमला है। भारतीय कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा पर्यटकों पर की गई गोलीबारी में कम से कम 28 लोगों के मारे जाने की खबर है।

दक्षिणी कश्मीर के रिसॉर्ट शहर पहलगाम में हुए हमले के बाद कई अन्य लोगों को गोली लगने के कारण अस्पताल ले जाया गया।

पर्यटक पास की बैसरन घाटी घूमने गए थे, जहाँ केवल पैदल या घोड़े पर बैठकर ही पहुँचा जा सकता है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो वर्तमान में सऊदी अरब की यात्रा पर हैं, ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को प्रतिक्रिया में सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है।

पुलिस आतंकवादियों को इस हमले के लिए दोषी ठहरा रही है, जिसे हाल के वर्षों में क्षेत्र में नागरिकों को निशाना बनाकर किया गया सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार 22 अप्रैल, 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत की राजधानी दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था सख़्त कर दी गई है।

अधिकारियों ने बताया कि यह क़दम एहतियात के तौर पर उठाया गया है।

दिल्ली पुलिस ने हमले के बाद पूरे शहर में सुरक्षा बढ़ा दी है।

ख़ासतौर पर पर्यटक स्थलों और शहर की सीमाओं पर कड़ी जांच और निगरानी की जा रही है ताकि कोई भी संदिग्ध गतिविधि तुरंत पकड़ी जा सके।

उधर कश्मीर घाटी में सुरक्षाकर्मी जगह-जगह वाहनों की तलाशी ले रहे हैं और सड़कों व्यापक बैरिकेडिंग की गई है।

जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों से हमले के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियो भी सामने आ रहे हैं। पहलगाम में भी कुछ लोगों ने कैंडल मार्च हमले का ग़ुस्सा ज़ाहिर किया है।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गृहमंत्री अमित शाह से बात की। राहुल गांधी ने इसकी जानकारी अपने एक्स अकाउंट पर दी।

उन्होंने लिखा, "मैंने गृहमंत्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह और जम्मू-कश्मीर पीसीसी अध्यक्ष तारिक़ हमीद कर्रा से पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बारे में बात की। इस हमले की पूरी जानकारी ली।''

"पीड़ितों के परिवारों को न्याय मिलना चाहिए और हम उन्हें पूरा समर्थन देंगे।''

 जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी अपने सऊदी अरब के दौरे को बीच में रोक कर भारत लौट आए हैं।

नरेंद्र मोदी मंगलवार 22 अप्रैल, 2025 को सऊदी अरब के दो दिवसीय दौरे के लिए रवाना हुए थे।

उन्होंने पहलगाम हमले को 'आतंकवादी हमला' बताया है और कहा कि 'हमले के ज़िम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा।'

दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने हालात की जानकारी के लिए एक इमर्जेंसी ब्रीफ़िंग मीटिंग की।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से हालात पर चर्चा हुई है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही कश्मीर पहुंच चुके हैं।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद चैंबर एंड बार एसोसिएशन जम्मू ने कश्मीर बंद का ऐलान किया है। उनके इस ऐलान का जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ़्रेंस और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने समर्थन किया है।

जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ़्रेंस ने कश्मीर बंद के समर्थन की जानकारी अपने एक्स अकाउंट पर साझा की है।

जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ़्रेंस ने अपने पोस्ट में लिखा, "पार्टी अध्यक्ष के निर्देश पर, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ़्रेंस पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कश्मीर बंद की सामूहिक अपील में शामिल हो गया है। हम जम्मू-कश्मीर के लोगों से अपील करते हैं कि धार्मिक और सामाजिक नेताओं की ओर से बुलाई गई हड़ताल को पूरी तरह से सफल बनाएं।''

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने लिखा, "चैंबर एंड बार एसोसिएशन जम्मू ने पर्यटकों पर हुए भयावह आतंकी हमले के विरोध में पूरी तरह से बंद का आह्वान किया है। मैं सभी कश्मीरियों से अपील करती हूं कि वे पहलगाम में हुए क्रूर हमले में मारे गए निर्दोष लोगों के सम्मान में इस बंद का समर्थन करने के लिए एकजुट हों।''

"यह हमला कुछ ख़ास लोगों पर नहीं, बल्कि हम सभी पर हुआ है। हम ग़म और आक्रोश में एकजुट हैं और निर्दोषों की हत्या की कड़ी निंदा करने के लिए इस बंद का पूरी तरह समर्थन करते हैं।''

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद पाकिस्तान की सरकार ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है।

पाकिस्तान ने अपने बयान में कहा, "भारत के अवैध तौर से अधिकृत जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग ज़िले में हुए हमले में पर्यटकों की मौत से हमें बहुत दुख है। हम मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं।''

इसके अलावा पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ ने पहलगाम हमले पर पाकिस्तान के एक न्यूज़ चैनल से बात की थी।

उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान का इस हमले से कोई ताल्लुक नहीं है।  उन्होंने इसे भारत का अंदरूनी मसला बताया था।

भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में पहुंचे मृतकों को श्रद्धांजलि दी। साथ ही उन्होंने मृतकों के परिजनों से भी मुलाकात की।

साथ ही, बुधवार, 23 अप्रैल 2025 को अमित शाह बैसरन इलाके भी पहुंचे, जो पहलगाम से करीब पांच किलोमीटर दूर है और जहां आतंकी हमला हुआ था।

वहीं कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल भी मृतकों को श्रद्धांजलि देने श्रीनगर पहुंचे। यहां उन्होंने पहलगाम हमले पर पत्रकारों से बातचीत की।

उन्होंने कहा, "हम यहां मृतकों को श्रंद्धाजलि देने आए हैं। यह घटना बहुत दुखद और निंदनीय है। पूरे देश के लोग पीड़ित परिवारों के साथ हैं। हम सभी अपने देशवासियों के साथ मजबूती से खड़े हैं।''

भारत के महाकुंभ धार्मिक उत्सव में भीड़ के कुचलने से कई लोगों की मौत

भारत के महाकुंभ धार्मिक उत्सव में भीड़ के कुचलने से कई लोगों की मौत

बुधवार, 29 जनवरी, 2025
उत्तर भारत में एक हिंदू धार्मिक उत्सव में मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और 60 लोग घायल हो गए।

महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा समागम माना जाता है और यह उत्तर प्रदेश राज्य में हो रहा है।

आने वाले हफ्तों में करीब 400 मिलियन लोगों के इसमें शामिल होने की उम्मीद है।

अल जजीरा के चार्ल्स स्ट्रैटफ़ोर्ड की रिपोर्ट।

संभल जामा मस्जिद परिसर के कुएं से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

संभल जामा मस्जिद परिसर के कुएं से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

शुक्रवार, 10 जनवरी, 2025

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 10 जनवरी, 2025 को भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के संभल की जामा मस्जिद परिसर में स्थित कुएं की स्थिति में कोई बदलाव न करने के आदेश दिए। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली दो जजों की बेंच सुनवाई कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच मस्जिद कमिटी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया है कि 'संभल जिला प्रशासन' पुराने मंदिरों और कुएं को पुनर्जीवित यानी फिर से शुरू करने के लिए एक कथित अभियान चला रहा है।

मस्जिद कमिटी ने दलील दी कि रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि ऐसे कम से कम 32 पुराने मंदिरों को पुनर्जीवित किया गया है जिनमें अब कोई पूजा-अर्चना नहीं होती या जो बंद हैं। वहीं 19 ऐसे कुओं की भी पहचान की गई है जिन्हें सार्वजनिक प्रार्थनाओं/उपयोग के लिए चालू किया जा रहा है।

मस्जिद कमिटी ने ये भी कहा है कि संभल की मस्जिद का कुआं भी इस सूची का हिस्सा है। इस कुएं का आधा हिस्सा मस्जिद में है। इसलिए कमिटी ने कोर्ट से ये अपील की है कि वो ये निर्देश दे कि अदालत के आदेश के बिना इस कुएं के मामले में कोई कदम न उठाया जाए।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई 21 फ़रवरी 2025 को करेगा।

मस्जिद कमिटी का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संभल नगर पालिका के नोटिस में मस्जिद को हरि मंदिर बताया गया है और इसमें जल्द ही पूजा करना शुरू किया जा सकता है।  इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं होने दिया जाएगा, साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्टेटस रिपोर्ट भी दाख़िल करने को कहा।

हालांकि बेंच ने हुजैफा अहमदी से कहा कि उन्हें कुएं से दूसरों को पानी लेने की अनुमति देनी होगी। इस पर हुजैफा अहमदी ने आशंका जताई कि कुंए को खोदा जा सकता है।

इसके जवाब में सीजेआई ने मौखिक रूप से कहा कि इसकी इजाज़त नहीं है।

कनाडा-भारत विवाद के पीछे क्या है?

कनाडा-भारत विवाद के पीछे क्या है?

सोमवार, 21 अक्टूबर, 2024
हत्या के दावे, राजनयिक निष्कासन और बढ़ते तनाव: कनाडा ने भारत पर अपनी धरती पर एक सिख कार्यकर्ता की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया, जिससे राजनयिक गतिरोध पैदा हो गया। दोनों देशों के बीच मतभेद के कारण सिख समुदाय बीच में फंस गया है। वे इस स्थिति से कैसे निपट रहे हैं और दोषारोपण का उनके भविष्य और सुरक्षा पर क्या असर होगा?

इस एपिसोड में:

जसकरन संधू, विश्व सिख संगठन

भारत के सुप्रीम कोर्ट का बुलडोज़र एक्शन पर सख़्त रुख़, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

भारत के सुप्रीम कोर्ट का बुलडोज़र एक्शन पर सख़्त रुख़, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सोमवार, 2 सितम्बर 2024

भारत के कई राज्यों में अभियुक्तों की संपत्ति के ख़िलाफ़ कथित तौर पर बुलडोज़र एक्शन की कार्रवाई करने के मामले को लेकर भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 2 सितम्बर 2024 को सख़्त टिप्पणी किया।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की पीठ ने कहा कि किसी का घर सिर्फ़ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह अभियुक्त है।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट दिशानिर्देश तय करेगा जिसके आधार पर ही जब भी तोड़फोड़ की कार्रवाई की ज़रूरत होगी तो उसी आधार पर वो की जाएगी।

जस्टिस बीआर गवई ने भारत के राज्य उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, "किसी का घर केवल इसी आधार पर कैसे ढहाया जा सकता है कि वो किसी मामले में अभियुक्त है?"

इसके आगे जस्टिस गवई ने कहा, "कोई व्यक्ति दोषी भी है तो बिना क़ानून की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता।''

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी भी इमारत को ढहाने की कार्रवाई इसलिए नहीं की गई है कि वो शख़्स किसी अपराध में अभियुक्त था।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'हमने एफिडेविट के माध्यम से दिखाया है कि नोटिस काफ़ी पहले ही भेजा गया था।'

तुषार मेहता ने विस्तार से बताते हुए कहा कि ढहाने की प्रक्रिया एक स्वतंत्र मामला है जिसका किसी भी अपराध से कोई संबंध नहीं है।

वहीं दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे और सीयू सिंह ने इसके जवाब में कहा कि घर इस कारण ध्वस्त किए गए क्योंकि वो किसी मामले के अभियुक्त हैं।

बेंच ने इसी दौरान मौखिक तौर पर कहा कि किसी भी इमारत को ढहाने के लिए क़ानून मौजूद हैं, लेकिन इसका ‘अधिक बार उल्लंघन’ देखा गया है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ये भी साफ़ कहा है कि, "हम पूरे देश के लिए दिशानिर्देश तय करेंगे, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि किसी भी अनाधिकृत निर्माण को संरक्षण देंगे।''

बेंच ने दोनों पक्षों से कहा है कि वो इस मामले में दिशानिर्देश तय करने के लिए सुझाव के साथ उसके पास आएं और इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर 2024 को तय की गई है।

सुप्रीम कोर्ट की सोमवार, 2 सितम्बर 2024 की कार्यवाही पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपना मत रखा है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर राहुल गांधी ने पोस्ट किया, ''भाजपा की असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण बुलडोज़र नीति पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी स्वागत योग्य है। बुलडोज़र के नीचे मानवता और इंसाफ को कुचलने वाली भाजपा का संविधान विरोधी चेहरा अब देश के सामने बेनक़ाब हो चुका है।''

राहुल गांधी ने कहा कि 'त्वरित न्याय' की आड़ में 'भय का राज' स्थापित करने की मंशा से चलाए जा रहे बुलडोज़र के पहियों के नीचे अक्सर बहुजनों और गरीबों की ही घर-गृहस्थी आती है।

राहुल गांधी ने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट इस अति संवेदनशील विषय पर स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करेगा।

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी इस मामले पर टिप्पणी की है।

प्रशांत भूषण ने एक्स पर लिखा, "सुप्रीम कोर्ट की प्रशंसा की जानी चाहिए कि उसने क़ानून के शासन के लिए इस ख़तरे को आख़िरकार समझा है।  इंसाफ़ को ढहाने के लिए बुलडोज़र का इस्तेमाल किया जा रहा है।''

भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स पर पोस्ट किया है।

अखिलेश यादव ने लिखा है- ‘अन्याय के बुलडोज़र’ से बड़ा होता है, ‘न्याय का तराज़ू’।

कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने भी इस मामले पर अपना बयान दिया है।

उदित राज ने कहा कि आरोपी हो या आरोप साबित हो जाए, जब बुलडोज़र की कार्रवाई चल गई तो फिर अदालत और संविधान की ज़रूरत क्या है।

उदित राज ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, ''ये बर्बर युग की याद दिलाता है कि देश में तानाशाही है और संविधान है ही नहीं। अदालत के द्वारा ये फ़ैसला लिया जाना चाहिए कि घर गिराया जाना चाहिए या नहीं, जेल जाना है या नहीं, फ़ाइन लगना है या नहीं।''

उदित राज ने कहा, "नेताओं या हुकूमत के कहने से अगर अधिकारी लोग ही फ़ैसला करने लगेंगे तो फिर संविधान, अदालत और क़ानून की किताब की क्या ज़रूरत है।"

विपक्ष के विरोध के बाद लेटरल एंट्री को मोदी सरकार ने यूपीएससी से रद्द करने का अनुरोध किया

विपक्ष के विरोध के बाद लेटरल एंट्री को मोदी सरकार ने यूपीएससी से रद्द करने का अनुरोध किया

मंगलवार, 20 अगस्त 2024

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के बाद कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग मंत्री ( डीओपीटी ) जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी अध्यक्ष को पत्र लिखा है।

इसमें लेटरल एंट्री से होने वाली भर्ती के विज्ञापन को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

पत्र में लिखा है कि पीएम का मानना है कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के आदर्शों पर आधारित होनी चाहिए, खासकर आरक्षण के प्रावधानों को लेकर।

इसमें लिखा है कि प्रधानमंत्री का मानना है कि सरकारी नौकरी में आरक्षण हमारे सामाजिक न्याय ढांचे की आधारशिला है, जिसका उद्देश्य समावेशिता को बढ़ावा देना है।

यूपीएससी ने हाल में वरिष्ठ अफ़सरों के 45 पदों पर नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी किया था।

ये पद संयुक्त सचिव और उप सचिव स्तर के हैं। इस तरह की नियुक्तियों का विरोध करने वालों का कहना है कि इनमें आरक्षण का प्रावधान न होने से पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों का हक़ मारा जाएगा।

कांग्रेस ने क्या कहा?

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया है। उसने लेटरल एंट्री को रद्द करने के अनुरोध वाले इस पत्र पर प्रतिक्रिया दी।

कांग्रेस ने पोस्ट में लिखा, "संविधान की जीत हुई। मोदी सरकार लेटरल एंट्री में बिना आरक्षण के भर्ती की साज़िश कर रही थी, लेकिन अब इस फैसले को वापस लेना पड़ा है। एक बार फिर मोदी सरकार को संविधान के आगे झुकना पड़ा है।''

पोस्ट में आगे लिखा है, "आरक्षण विरोधी इस फैसले का कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, नेता विपक्ष राहुल गांधी और INDIA गठबंधन ने खुलकर विरोध किया। इसकी वजह से मोदी सरकार को ये फैसला वापस लेना पड़ा है। ये बाबा साहेब के संविधान की जीत है। ये हर दलित, शोषित और पिछड़ों की जीत है।''