भारत

जीएन साईबाबा ने जेल से बाहर आने के बाद क्या कहा?

जीएन साईबाबा ने जेल से बाहर आने के बाद क्या कहा?

गुरुवार, 7 मार्च 2024

भारत में स्थित दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफे़सर जीएन साईबाबा ने माओवादियों के साथ कथित संबंधों के मामले में जेल से रिहा होने के बाद मीडियाकर्मियों से बात की।

जीएन साईबाबा ने कहा, "अगर देश का संविधान 50 फ़ीसदी भी लागू हो तो निश्चित तौर पर बदलाव होगा। मुझे इसकी उम्मीद है।"

जीएन साईबाबा से एक रिपोर्टर ने जेल से बाहर निकलने की उम्मीद पर सवाल किया तो उन्होंने कहा, "देखिए उम्मीद ही ऐसी चीज थी जिसने मेरी मदद की और मैं इन सब चीज़ों से गुजर पाया। ये आश्चर्य है कि मैं जेल से जीवित बाहर निकल पाया।"

माओवादियों से कथित संबंध के मामले में बरी किए गए दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफे़सर जीएन साईबाबा नागपुर की सेंट्रल जेल से गुरुवार, 7 मार्च 2024 को बाहर आ गए।

पाँच मार्च 2024 को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने जीएन साईबाबा, हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, नारायण सांगलीकर, प्रशांत राही और पांडु नरोट (निधन) को माओवादियों से कथित संबंध के मामले में बरी कर दिया था।

जीएन साईबाबा साल 2017 में भारत के राज्य महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की एक अदालत के फ़ैसले के बाद से जेल में थे।

इससे पहले वह साल 2014 से 2016 के बीच भी जेल में रहे लेकिन उस समय बेल पर बाहर आ गए थे।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जेल से बाहर आने पर जीएन साईबाबा ने मीडियाकर्मियों से कहा, "मेरा स्वास्थ्य बेहद खराब है। मैं बात नहीं कर सकता। पहले मुझे इलाज करवाना होगा, तभी मैं बोलने के लायक हो पाऊंगा।''

नागपुर बेंच ने मंगलवार, 5 मार्च 2024 को ही साईबाबा की उम्रकैद की सज़ा को ये कहते हुए पलट दिया था कि अभियोजन पक्ष उन पर लगे आरोपों को साबित नहीं कर सका।

54 साल के साईबाबा व्हीलचेयर से चलते हैं और 99 फ़ीसदी विकलांग हैं। वह पिछले 11 साल से नागपुर की सेंट्रल जेल में कैद थे।

एसबीआई के इलेक्टोरल बॉन्ड पर जानकारी देने के लिए समय मांगने को लेकर राहुल गाँधी ने क्या कहा?

एसबीआई के इलेक्टोरल बॉन्ड पर जानकारी देने के लिए समय मांगने को लेकर राहुल गाँधी ने क्या कहा?

सोमवार, 4 मार्च 2024

भारत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एसबीआई की ओर से इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने की तारीख बढ़ाने की अपील पर मोदी सरकार की आलोचना की है।

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 15 फ़रवरी 2024 को इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिए मिली धनराशि की जानकारी 6 मार्च 2024 तक चुनाव आयोग को देने के लिए भी कहा था।

हालांकि, एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से इस समयसीमा को बढ़ाकर 30 जून 2024 करने की अपील की है।

इस पर राहुल गांधी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है, "नरेंद्र मोदी ने चंदे के धंधे को छिपाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का सच जानना देशवासियों का हक़ है, तब एसबीआई क्यों चाहता है कि चुनाव से पहले ये जानकारी सार्वजनिक न हो पाए?"

राहुल गांधी ने लिखा, "एक क्लिक पर निकाली जा सकने वाली जानकारी के लिए 30 जून 2024 तक का समय मांगना बताता है कि दाल में कुछ काला नहीं है, पूरी दाल ही काली है।''

"देश की हर स्वतंत्र संस्था 'मोडानी परिवार' बन कर उनके भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में लगी है. चुनाव से पहले मोदी के 'असली चेहरे' को छिपाने का यह अंतिम प्रयास है।''

घूस लेने के मामलों में सांसदों और विधायकों को छूट नहीं मिलेगी: सुप्रीम कोर्ट

घूस लेने के मामलों में सांसदों और विधायकों को छूट नहीं मिलेगी: सुप्रीम कोर्ट

सोमवार, 4 मार्च 2024

भारत के सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने सांसदों और विधायकों के विशेषाधिकार से जुड़े केस में सोमवार, 4 मार्च 2024 को अहम फ़ैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रिश्वत लेने के मामलों में सांसदों और विधायकों को विशेषाधिकार के तहत किसी तरह का कोई क़ानूनी सरंक्षण हासिल नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ 1998 के नरसिम्हा राव जजमेंट के अपने फ़ैसले को पलट दिया है।

तब पांच जजों की बेंच ने 3:2 के बहुमत से तय किया था कि ऐसे मामलों में जनप्रतिनिधियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद वकील अश्विनी उपाध्याय ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ''सात जजों की बेंच ने एकमत से कहा कि पैसे लेकर सवाल पूछना या पैसे लेकर राज्यसभा चुनाव में वोट देना, ये पूरी तरह से संवैधानिक भावना के ख़िलाफ़ है। ये संविधान के ख़िलाफ़ है. इसलिए कोई भी विशेषाधिकार प्राप्त नहीं होगा। सांसदों, विधायकों को संसद या विधानसभा में जो बोलने की आज़ादी है, वो ईमानदारी से काम करने की आज़ादी है। भ्रष्टाचार करने की आज़ादी नहीं है।''

कानूनी ख़बरों से जुड़ी वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक़, चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले पर फ़ैसला सुनाते हुए कहा, "विधायी विशेषाधिकारों का उद्देश्य सामूहिक रूप से सदन को विशेषाधिकार देना है। अनुच्छेद 105/194 सदस्यों के लिए एक भय मुक्त वातावरण बनाने के लिए है। भ्रष्टाचार और रिश्वत संसदीय लोकतंत्र को बर्बाद करने वाला है।''

सांसदों और विधायकों को घूस के मामलों में कोई क़ानूनी सरंक्षण ना दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वागत किया है।

नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, ''स्वागतम। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बहुत महान फ़ैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और इससे व्यवस्था में लोगों का भरोसा बढ़ेगा।''

भारत म्यांमार से सटी 1643 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़बंदी करवाएगी

भारत म्यांमार से सटी 1643 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़बंदी करवाएगी

मंगलवार, 6 फरवरी 2024

भारत की केंद्र सरकार ने म्यांमार से सटी 1643 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़बंदी करवाने का निर्णय लिया है। भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर के इसकी जानकारी दी।

अमित शाह ने कहा कि इससे सीमा पर बेहतर सर्विलांस, पेट्रोलिंग और ट्रैकिंग की जा सकेगी। अमित शाह ने कहा कि भारत के राज्य मणिपुर के मोरेह में 10 किलोमीटर लंबी सीमा की बाड़बंदी की जा चुकी है।

अमित शाह ने बताया, "हाइब्रिड सर्विलांस सिस्टम (एचएसएस) के ज़रिए बाड़बंदी के दो पायलट प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। भारत के राज्यों अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में एक किलोमीटर लंबी सीमा को इसके तहत बाड़बंद किया जाएगा।''

अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में करीब 20 किलोमीटर लंबी बाड़बंदी को मंज़ूरी मिल गई है और इस पर जल्द काम शुरू हो जाएगा।

बाड़बंदी की ये घोषणा ऐसे समय में हुई है जब पिछले कई महीनों से मणिपुर में हिंसा जारी है। मणिपुर राज्य की करीब 400 किलोमीटर लंबी सीमा म्यांमार से लगती है। हाल ही में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने पिछली केंद्र सरकारों पर पूर्वोत्तर के राज्यों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था।

भारत ने अपने नागरिकों से म्यांमार के रखाइन प्रांत की यात्रा न करने को कहा

मंगलवार, 6 फरवरी 2024

भारत ने अपने नागरिकों से म्यांमार के रखाइन प्रांत की यात्रा न करने को कहा है। इस संबंध में भारत के विदेश मंत्रालय ने एक एडवाइज़री जारी की है।

भारत के विदेश मंत्रालय की एडवाइज़री के अनुसार, "सुरक्षा स्थिति के बिगड़ने, लैंडलाइन सहित अन्य संचार सेवाओं के बाधित होने और बुनियादी सामान की भारी कमी के कारण सभी भारतीयों को ये सलाह दी जाती है कि वे म्यांमार के रखाइन प्रांत न जाएं।''

"जो भारतीय पहले से रखाइन प्रांत में मौजूद हैं, उन्हें फ़ौरन ये इलाक़ा खाली कर देना चाहिए।''

रखाइन प्रांत में साल 2016 से ही हिंसा जारी है। हालांकि, हालिया दिनों में रखाइन प्रांत में म्यांमार की सैन्य सत्ता और विद्रोही गुट अराकन आर्मी (एए) के बीच संघर्ष और तेज़ हुआ है।

अमेरिका ने भारत के साथ चार अरब डॉलर के ड्रोन समझौते को मंज़ूरी दी

अमेरिका ने भारत के साथ चार अरब डॉलर के ड्रोन समझौते को मंज़ूरी दी
 
शुक्रवार, 2 फरवरी 2024

भारत को 31 अत्याधुनिक हथियारबंद ड्रोन देने के चार अरब डॉलर के समझौते को अमेरिकी विदेश विभाग ने मंज़ूरी दे दी है।

जून 2023 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी यात्रा के दौरान एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन के समझौते की घोषणा हुई थी।

अमेरिका में एक भारतीय की हत्या की कथित साज़िश की जांच के कारण सीनेट कमेटी ने दिसम्बर 2023 में इस समझौते पर रोक लगा दी थी।

अब इस समझौते को अमेरिकी कांग्रेस ने मंज़ूरी दे दी है।

पेंटागन ने कहा कि इस समझौते में 31 हथियारबंद एमक्यू-9बी स्काईगार्डियन ड्रोन, 170 एजीएएम-114आर हेलफ़ायर मिसाइलें और 310 छोटे व्यास वाले बम, कम्युनिकेशन और सर्विलांस उपकरण और प्रिसीशन ग्लाइड बम की बिक्री शामिल है।

इस समझौते का प्रमुख कॉन्ट्रैक्टर जनरल एटोमिक्स एरोनॉटिक्स सिस्टम्स होगा।

समाचार एजंसी रॉयटर्स के अनुसार, सीनेटर बेन कार्डिन ने कहा कि अमेरिकी सरकार द्वारा गुरपतवंत सिंह पन्नू हत्या की साज़िश की पूरी जांच करने पर सहमति के बाद ही इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया।

सीनेटर बेन कार्डिन ने बताया, "बाइडेन प्रशासन ने मांग की है कि अमेरिकी धरती पर साज़िश को लेकर जांच और जवाबदेही तय होनी चाहिए और इस तरह की गतिविधियों को लेकर भारत में भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।''

साल 2023 में अमेरिका ने भारत सरकार पर, खालिस्तान का समर्थन करने वाले एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की साज़िश रचने का आरोप लगाया था।

गुरुवार, 1 फरवरी 2024 को पेंटागन ने कहा कि "अमेरिका-भारत रणनीतिक रिश्ते को मजबूत करने के लिए, भारत के साथ प्रस्तावित यह ड्रोन समझौता अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा लक्ष्यों में मदद करेगा।''

ज्ञानवापी मस्जिद केस: अदालत ने हिंदू पक्ष को तहखाने में पूजा का अधिकार दिया

ज्ञानवापी मस्जिद केस: अदालत ने हिंदू पक्ष को तहखाने में पूजा का अधिकार दिया

बुधवार, 31 जनवरी 2024

भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में हिंदू पक्ष के समर्थन में फ़ैसला सुनाया है। वाराणसी की अदालत ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार दे दिया है।

अदालत की ओर से जारी आदेश में लिखा गया है - "जिला मजिस्ट्रेट, वाराणसी / रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेण्ट प्लाट नं0-9130 थाना-चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग-भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराये और इस उद्देश्य के लिए 7 दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबन्ध करें।''

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "ज़िला प्रशासन को सात दिन के अंदर पूजा कराने के लिए इंतज़ाम कराने को कहा गया है। जैसे ही प्रशासन ये कर लेगा, वैसे ही पूजा शुरू हो जाएगी।''

मस्जिद परिसर में पूजा करने के विधि-विधान पर भी विष्णु शंकर जैन ने अपनी टिप्पणी की है।

विष्णु शंकर जैन ने कहा, "काशी विश्वनाथ ट्रस्ट ये तय करेगा कि पूजा कैसे होगी। उसे बेहतर पता है। हमारा क़ानूनी काम था जो कि हमने पूरा किया है। अब काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के ऊपर है कि पूजा शुरू हो जाए। भक्तों से लेकर पुजारी आदि सभी को जाने की इजाज़त होगी।''

"मैं ये कहना चाहता हूं कि जो जस्टिस केएम पांडेय ने एक फरवरी, 1986 को राम मंदिर में ताला खोलने का आदेश दिया था। मैं आज के इस ऑर्डर को उसी की तुलना में देखता हूं। ये इस केस का टर्निंग पॉइंट है। एक सरकार ने अपनी ताक़त का दुरुपयोग करते हुए हिंदू समाज की पूजा-पाठ रोकी थी। आज अदालत ने उसे अपनी कलम से ठीक किया है।''

भारत के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और संविधान मामलों के जानकार डॉक्टर राजीव धवन को यहां तक लगता है कि धर्मनिरपेक्षता को बरकरार रखने के मामले में अदालतें कमज़ोर पड़ गई हैं। डॉक्टर राजीव धवन ने कहा, ''ज्ञानवापी मामले में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को पूरी तरह से भुला दिया गया।''

पूजा स्थल अधिनियम (प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट) क्या है?

इसे धार्मिक पूजा स्थलों की स्थिति को स्थिर करने के लिए अधिनियमित किया गया था क्योंकि वे 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में थे, और किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाते हैं और उनके धार्मिक चरित्र के रखरखाव को सुनिश्चित करते हैं।

पूजा स्थल अधिनियम की धारा 3 घोषित करती है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी धार्मिक संप्रदाय के पूजा स्थल को किसी भिन्न धार्मिक संप्रदाय या संप्रदाय में परिवर्तित नहीं करेगा। धारा 4(1) में प्रावधान है कि पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र वही रहेगा जो 15 अगस्त 1947 को था।

वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में हिंदू पक्ष के समर्थन में फ़ैसला सुनाया है। वाराणसी की अदालत ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार दे दिया है। यहाँ सवाल उठता है कि क्या यह ज्ञानवापी मामले में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का वाराणसी की अदालत के द्वारा पूरी तरह से उल्लंघन नहीं है? क्या यह ज्ञानवापी मामले में ज्ञानवापी मस्जिद के चरित्र में बदलाव करने की कोशिश नहीं है?

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी भी धार्मिक संप्रदाय के पूजा स्थल को किसी भिन्न धार्मिक संप्रदाय या संप्रदाय में परिवर्तित नहीं करेगा। धारा 4(1) में प्रावधान है कि पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र वही रहेगा जो 15 अगस्त 1947 को था।

तो फिर वाराणसी की अदालत ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार क्यों दिया? यह बड़ा सवाल है जिसका जवाब दिया जाना जरूरी है।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत की राष्ट्रपति का भाषण, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने क्या कहा?

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत की राष्ट्रपति का भाषण, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने क्या कहा?

गुरुवार, 25 जनवरी 2024

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अपने भाषण में कहा कि गणतंत्र दिवस आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

राष्ट्रपति ने ये बातें कहीं

हमारा देश स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए अमृतकाल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है। ये युगांतकारी परिवर्तन का कालखंड है।

जब संसद ने ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक पारित किया तो हमारा देश, स्त्री-पुरुष समानता के आदर्श की ओर बढ़ा।

मेरा मानना है कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम, महिला सशक्तिकरण का एक क्रांतिकारी माध्यम सिद्ध होगा। इस अवधि में भारत, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बना।

चंद्रयान-3 के बाद इसरो ने एक और सौर मिशन भी शुरू किया। पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम गगनयान मिशन की तैयारी भी सुचारू रूप से बढ़ रही है।

सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए सामाजिक न्याय के मार्ग पर हमें अडिग बनाए रखा है। भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी।

इस सप्ताह के शुरुआत में भगवान श्री राम के नए, भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का पवित्र अवसर देखने का सौभाग्य मिला। इसे इतिहास के बड़े नजरिए से देखें तो आने वाले इतिहासकार इसे भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का एक महत्वपूर्ण चिह्न कहेंगे।

पिछले कुछ सालों में हमारी जीडीपी ग्रोथ रेट दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ऊपर रही है, और हमें पूरा विश्वास है कि ये प्रदर्शन 2024 और उसके बाद भी जारी रहेगा। 

लद्दाख में भारत-चीन सीमा के हालात पर भारत के आर्मी चीफ़ ने क्या कहा?

लद्दाख में भारत-चीन सीमा के हालात पर भारत के आर्मी चीफ़ ने क्या कहा?

गुरुवार, 11 जनवरी 2024

भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ लगने वाली सीमा पर हालात स्थिर तो हैं लेकिन फिर भी  संवेदनशील बने हुए हैं।

भारत चीन के साथ राजनयिक और सैन्य दोनों स्तर पर बात कर रहा है।

जनरल मनोज पांडे ने कहा, "जहां तक उत्तरी सीमाओं की स्थिति का सवाल है, मैं कहूंगा कि स्थिति स्थिर है फिर भी संवेदनशील है। हम कुछ मुद्दों का समाधान खोजने के लिए सेट प्रोटोकॉल और प्रक्रियाओं के अनुसार सैन्य और राजनयिक दोनों स्तरों पर बात कर रहे हैं। इन क्षेत्रों में हमारी परिचालन से जुड़ी तैयारियां उच्च स्तर की बनी हुई हैं और हमारी तैनाती मजबूत भी है और संतुलित भी।''

मणिपुर के हालात पर भारत के आर्मी चीफ़ ने क्या कहा?

गुरुवार, 11 जनवरी 2024

भारत के राज्य मणिपुर में बीते सात महीने से अधिक समय से जारी हिंसा पर आर्मी प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा, "देश में हिंसा का स्तर कम हुआ है। हालांकि मणिपुर में मई 2023 से हिंसा देखी गई है लेकिन राज्य सरकार की कोशिश, भारतीय सेना, असम राइफ़ल्स और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की मदद से हम हालात को काफ़ी हद तक स्थिर करने में कामयाब हुए हैं। हमारी कोशिश है कि हम स्थिति को स्थिर बनाए रखें।''

अमेरिका ने पन्नू मामले में निखिल गुप्ता के ख़िलाफ़ सबूत देने से इंकार किया

अमेरिका ने पन्नू मामले में निखिल गुप्ता के ख़िलाफ़ सबूत देने से इंकार किया

गुरुवार, 11 जनवरी 2024

अमेरिकी सरकार ने निखिल गुप्ता के खिलाफ़ कोर्ट में सबूत देने पर आपत्ति जतायी है और कहा है कि जब तक वो न्यूयॉर्क की कोर्ट में पेश नहीं किए जाते तब तक इस मामले में निखिल गुप्ता के वकील को डिफ़ेंस मैटेरियल यानी सबूत नहीं दिए जाएंगे।

निखिल गुप्ता अमेरिका में एक खालिस्तानी नेता की हत्या की असफल साजिश के मामले में मुख्य अभियुक्त हैं जो इस समय चेक गणराज्य की जेल में हैं।

भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के वकील ने न्यूयॉर्क की कोर्ट से अपील की थी कि अमेरिकी सरकार निखिल गुप्ता पर लगाए गए आरोपों के सबूत मुहैया कराए। लेकिन अब अमेरिकी सरकार ने ऐसा करने से इंकार किया है।

नवंबर 2023 में अमेरिका ने ये दावा किया है कि भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता ने न्यूयॉर्क में खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के लिए एक व्यक्ति को एक लाख डॉलर (करीब 83 लाख रुपये) की सुपारी दी गई थी। अमेरिकी कोर्ट में पेश दस्तावेजों में दावा किया गया है कि "निखिल गुप्ता को भारत सरकार के एक कर्मचारी से निर्देश मिले थे।''

30 जून 2023 से निखिल गुप्ता चेक गणराज्य की जेल में बंद हैं। अमेरिकी सरकार उनके प्रत्यर्पण की कोशिशों में लगी हुई है।

भारत ने इस आरोप की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमिटी का गठन किया है जो अमेरिका से मिले सबूतों के आधार पर मामले की जांच कर रही है।

महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के फ़ैसले के बाद शिवसेना उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट जायेगा

महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के फ़ैसले के बाद शिवसेना उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट जायेगा

बुधवार, 10 जनवरी 2024

असली शिवसेना कौन? इस पर महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नावर्रेकर का फ़ैसला आ गया है और उन्होंने शिंदे गुट को ही वास्तविक शिवसेना कहा है।

जिसके बाद उद्धठ ठाकरे गुट के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि क्या अब स्पीकर के फ़ैसले के बाद उद्धव गुट के 14 विधायक अयोग्य ठहरा दिए जाएंगे?

इस सवाल का जवाब अध्यक्ष ने अपने फ़ैसले में ही दे दिया है। विधानसभा के अध्यक्ष ने शिवसेना के दोनों ही गुटों के किसी भी विधायक को अयोग्य घोषित नहीं किया है।

विधानसभा के अध्यक्ष ने कहा है कि दोनों ही गुट के विधायकों की योग्यता बरकरार रहेगी।

शिंदे गुट की शिवसेना को 'असली पार्टी' बताने के फ़ैसले पर उद्धव ठाकरे ने क्या कहा?

महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष की तरफ़ से आए फ़ैसले के बाद पहली बार महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के प्रमुख उद्धठ ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है।

उद्धव ठाकरे ने अध्यक्ष के फ़ैसले को लोकतंत्र की हत्या और सुप्रीम कोर्ट का अपमान बताया है।

उद्धव ठाकरे ने कहा, ''हम जनता के बीच जाएंगे...हम लोगों के बीच जा भी रहे हैं और हम जनता के लिए, जनता को साथ लेकर लड़ेंगे।''

वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। शरद पवार ने कहा, ''इस फ़ैसले के बाद, उद्धव सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्हें उम्मीद है कि वहां न्याय मिलेगा।''

संजय राउत ने कहा, स्पीकर के फ़ैसले से ख़त्म नहीं होगी शिवसेना, हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे...

महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के फ़ैसले के बाद शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता संजय राउत ने कहा है कि ये बीजेपी का षड्यंत्र था।

संजय राउत ने कहा, ''ये उनका सपना था कि हम एक दिन बालासाहेब ठाकरे की शिव सेना को ख़त्म कर देंगे। लेकिन शिव सेना इस फ़ैसले से ख़त्म नहीं होगी...हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।''
 
उधर शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि स्पीकर के फ़ैसले पर उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ।

प्रियंका चतुर्वेदी ने इस फ़ैसले को आठ महीने पहले आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भावना के ख़िलाफ़ बताया है।

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ''बचपन से हम सुनते आए हैं कि जो होता है मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है, चूंकि हम गणतंत्र हैं इसलिए यहां जो होता है वो संविधान से होता है। लेकिन 2014 से एक नई परंपरा शुरू हुई है...जो होता है मंज़ूर-ए-अमित शाह और नरेंद्र मोदी होता है।''

महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष का फ़ैसला: एकनाथ शिंदे को पार्टी से निकालने का हक उद्धव ठाकरे को नहीं था

एकनाथ शिंदे या उद्धव ठाकरे, किसके विधायक होंगे अयोग्य... इसे लेकर महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने फ़ैसला दे दिया है।

राहुल नार्वेकर ने कहा है कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना होगी।

विधानसभा अध्यक्ष  राहुल नार्वेकरने फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि 21 जून, 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुट उभरे तो शिंदे गुट ही असली शिवसेना राजनीतिक दल था।

राहुल नार्वेकर ने कहा कि 21 जून 2022 को शिवसेना में फूट पड़ गई। इसलिए, सुनील प्रभु का व्हिप उस तारीख़ के बाद लागू नहीं होता है और इसीलिए व्हिप के रूप में भरत गोगावले की नियुक्ति सही है।

राहुल नार्वेकर ने कहा कि एकनाथ शिंदे समूह के विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिकाकर्ताओं की मांग को उचित नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि सुनील प्रभु का व्हिप लागू नहीं है।

राहुल नार्वेकर ने कहा कि साल 2022 में उद्धव ठाकरे की तरफ़ से एकनाथ शिंदे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना ग़लत था क्योंकि उद्धव ठाकरे को इसका संवैधानिक अधिकार नहीं था।

राहुल नार्वेकर ने ये फ़ैसला शिवसेना पार्टी के 1999 के संविधान के आधार पर दी है।

राहुल नार्वेकर ने कहा, ''चूंकि चुनाव आयोग के सामने शिवसेना पार्टी के 1999 का संविधान ही सौंपा गया है, साल 2018 का संशोधित संविधान नहीं। इसलिए फ़ैसला 1999 के संविधान के मुताबिक़ ही होगा।

राहुल नार्वेकर ने कहा, ''शिवसेना पार्टी का 1999 का संविधान कहता है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शिवसेना का नेतृत्व करेंगे, जबकि 2018 का संविधान कहता है कि शिवसेना पार्टी प्रमुख का फ़ैसला ही शिवसेना पार्टी का फ़ैसला होगा।''

पर अब जब साल 2018 का संविधान अमान्य माना गया है तो शिवसेना पार्टी प्रमुख के पास किसी भी सदस्य को शिवसेना पार्टी से निकालने का अप्रतिबंधित अधिकार नहीं था।

इसलिए राहुल नार्वेकर ने स्पष्ट राय व्यक्त की कि एकनाथ शिंदे को शिवसेना पार्टी से निकालने का उद्धव ठाकरे का अधिकार स्वीकार्य नहीं है।

इस नतीजे से एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों को राहत मिली है। वहीं उद्धठ ठाकरे गुट को झटका लगा है।

मामला क्या है?

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका दायर की थी।

उसके बाद, शिंदे समूह ने अपने आपको असली शिव सेना होने का दावा करते हुए कहा कि ठाकरे समूह के विधायकों ने व्हिप तोड़ा।

एकनाथ शिंदे पर भी अयोग्य होने का ख़तरा मंडरा रहा है। इससे महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता भी पैदा हो सकती है।

वहीं अगर उद्धव ठाकरे के 14 विधायक अयोग्य घोषित होते हैं तो उनकी पार्टी के सामने बड़ी चुनौती आ खड़ी होगी।