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अरुणाचल प्रदेश में पीपीए को तोड़कर बीजेपी ने बनाई सरकार

मुख्यमंत्री पेमा खाडू को सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी से प्यार है और इसके लिए खांडू कुछ भी कर सकते हैं। बीजेपी को खुश होने की जरूरत नहीं है। बीजेपी खांडू से सतर्क रहे, इसी में बीजेपी की भलाई है।

अरूणाचल प्रदेश में तेजी से घटे अलोकतांत्रिक घटनाक्रम में मुख्यमंत्री पेमा खाडू के नेतृत्व में पीपुल्स पार्टी ऑफ अरूणाचल (पीपीए) के 43 में से 33 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने शनिवार को अरूणाचल प्रदेश में अपनी सरकार का गठन किया।

खांडू ने विधानसभा अध्यक्ष तेंजिंग नोरबू थोंगदोक के सामने विधायकों की परेड कराई। विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों के बीजेपी में शामिल होने को मंजूरी दे दी। पूरा अलोकतांत्रिक घटनाक्रम गुरुवार को शुरू हुआ, जब पीपीए के अध्यक्ष काहफा बेंगिया ने कथित पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए खांडू, उपमुख्यमंत्री चौवना मेन और पांच विधायकों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया।

अरुणाचल प्रदेश में नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) सरकार की गठबंधन सहयोगी पीपीए ने शुक्रवार को टकाम पेरियो को राज्य का नया मुख्यमंत्री चुना था। हालांकि राजनीतिक समीकरण तब बदल गए, जब शुरुआत में पेरियो को समर्थन देने वाले पीपीए के अधिकतर विधायक बाद में खांडू के खेमे में चले गए। पीपीए ने शनिवार को चार और पार्टी विधायकों - होनचुन न्गानदम, बमांग फेलिक्स, पुंजी मारा और पानी टराम को भी निलंबित कर दिया।

खांडू ने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से कहा, अरूणाचल प्रदेश में आखिरकार कमल खिल गया। राज्य में लोग नयी सरकार के नेतत्व में नये साल में विकास की नयी सुबह देखेंगे। भाजपा में विलय के फैसले पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि परिस्थितियों ने विधायकों को लोगों एवं राज्य के हित में यह फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया।

न तो बीजेपी ने और न तो खांडू ने जनादेश का सम्मान किया और न ही अलायन्स के धर्म का। पिछले साल खांडू ने कांग्रेस छोड़ कर किसी और को मुख्यमंत्री बनाया, फिर कांग्रेस में वापस आकर खुद मुख्यमंत्री बन गए, इससे बाद जिसे मुख्यमंत्री बनाया थे, उसने ख़ुदकुशी कर ली, खांडू ने फिर कांग्रेस छोड़ी और पीपीए नाम की पार्टी बनाकर बीजेपी के नेतृत्ववाली नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस में शामिल हो गए। फिर देखिये, खांडू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निकाले जाने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में देख पीपीए को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए।

मतलब साफ है खंडू को सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी से प्यार है और इसके लिए खांडू कुछ भी कर सकते हैं। बीजेपी को खुश होने की जरूरत नहीं है। बीजेपी खांडू से सतर्क रहे, इसी में बीजेपी की भलाई है।

अरुणाचल प्रदेश में चुनाव में जनादेश कांग्रेस को मिली थी, ऐसे में खांडू और बीजेपी को सत्ता का लोभ छोड़कर नए चुनाव का सामना करना चाहिए, नहीं तो इसे खांडू और बीजेपी की बेशर्मी मानी जाएगी। बीजेपी चुनाव हराने के बाद भी पिछले दरवाजे से अरुणाचल में सत्ता पर काबिज हो गई। ये तो जनादेश का सरासर अपमान है। सलीके से मोदी सरकार को अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाकर नए चुनाव की घोषणा करनी चाहिए।

सपा में बगावत या ड्रामा: अखिलेश और रामगोपाल का निलंबन वापस

फ़िलहाल समाजवादी पार्टी में अखिलेश की बगावत या कहे कि मुलायम-शिवपाल-अखिलेश-रामगोपाल का हाई वोल्टेज ड्रामा ख़त्म हो गया है। ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के भीतर मचा बवाल अब सुलझता नजर आ रहा है। पार्टी से छह साल के लिए निकाले गए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव को 24 घंटे से भी कम समय में वापस ले लिया गया। दोनों को सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार को निकाले जाने की घोषणा की थी जिसके बाद नेताजी और अखिलेश के समर्थक आमने-सामने आ गए थे।

अखिलेश और रामगोपाल की वापसी की घोषणा खुद सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''नेताजी के आदेशानुसार अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव का निष्कासन तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है। सब साथ मिलकर सांप्रदायिक ताकतों से लड़ेंगे और पुन: उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे।''

सपा में अखिलेश और रामगोपाल की वापसी के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह के खिलाफ जल्द कोई बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। शिवपाल ने कहा कि टिकट बंटवारे को लेकर जारी विवाद को भी जल्द सुलझा लिया जाएगा। सभी से बातचीत के बाद सब कुछ तय कर लिया जाएगा और नई सूची बनाई जाएगी।

इससे पहले अखिलेश ने अपने सरकारी आवास 5, कालिदास मार्ग पर समर्थक विधायकों व मंत्रियों के साथ बैठक की। बताया जाता है कि इसमें 2oo से अधिक विधायक पहुंचे। अखिलेश यादव बैठक में भावुक हो गए और कहा, मैं अपने पिता से अलग नहीं हूं। मैं यूपी जीत कर उन्हें तोहफे में दूंगा। उन्होंने साफ कहा कि वो नेताजी से दूर नहीं हैं। बैठक में वो विधायकों के सामने रो पड़े और कहा कि कुछ लोग हमें दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।

अखिलेश की बैठक में पहुंचे विधायकों ने उनके प्रति अपना समर्थन जताया। इस समर्थन से अखिलेश अभिभूत नज़र आए और विधायकों का आभार जताया। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वे हंगामा ना करें। उनके समर्थक अपने हाथों में बैनर पोस्टर लेकर आए थे।

समाजवादी पार्टी के लिए आजम खान संकटमोचन बन गए। आजम पिता-पुत्र दोनों के करीबी बताए जाते हैं। उन्होंने पहले मुलायम सिंह से मुलाकात की और उसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लेकर मुलायम के घर पहुंचे जहां करीब एक घंटे बैठक हुई। इस बैठक के बाद सपा में चल रहा संकट खत्म हो गया। बैठक खत्म होते ही अखिलेश और रामगोपाल का निष्कासन वापस ले लिया गया।

मुलायम से मिलने शिवपाल भी अपने बेटे आदित्य यादव के साथ पहुंचे थे। सपा सूत्रों के मुताबिक, मुलायम ने अखिलेश से कहा, ''मैं कभी तुम्हारे खिलाफ नहीं था। तुम्हारे खिलाफ होता तो तुम्हें मुख्यमंत्री क्यों बनाता?''

भीम एप से बिना इंटरनेट के भी कर सकेंगे डिजिटल पेमेंट

पीएम नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को तालकटोरा स्टेडियम में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की योजना के तहत भीम (BHIM) मोबाइल एप को लॉन्च किया। भीम मोबाइल एप सरकार के पुराने यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और यूएसएसडी (अस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डाटा) का अपडेटेड वर्जन है जिसके द्वारा डिजिटल पेमेंट लिया और भेजा जा सकता है। BHIM का मतलब 'भारत इंटरफ़ेस फॉर मनी' (Bharat Interface for Money) है। इस डिजिटल पेमेंट एप को एंड्राइड यूजर प्ले स्टोर पर जा कर डाउनलोड कर सकता है।

इस एप को भविष्य की मांगों को देखते हुए डिज़ाइन किया गया है जो की प्लास्टिक कार्ड और पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन की जगह ले सकेगा और नकद-मुक्त अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान दे सकेगा।

भीम एप कैसे काम करेगा?
इससे पैसे भेजने के लिए आपको सिर्फ एक बार अपना बैंक अकाउंट नंबर रजिस्टर करना होगा और एक यूपीआई पिनकोड जनरेट करना होगा। इसके बाद आपका मोबाइल नंबर ही पेमेंट एड्रेस होगा। हर बार अकाउंट नंबर डालने की जरूरत नहीं होगी। इंटरनेट नहीं होने पर फोन से यूएसएसडी कोड *99# डायल करके भी इस एप को ऑपरेट किया जा सकता है। ये बिना इंटरनेट के भी काम करेगा।

पेमेंट भेजना होगा आसान
आप अपने बैंक अकाउंट बैलेंस चेक कर सकते हैं। इस एप के माध्यम से यूजर अपने फोन नंबर्स के साथ कस्टम पेमेंट एड्रेस को भी ऐड कर सकते हैं और क्यूआर कोड स्कैन करके भी आप किसी को पेमेंट भेज सकते हैं। इसके लिए आपको सिर्फ मर्चेंट का क्यूआर कोड स्कैन करना होगा।

अखिलेश की बगावत: मुलायम ने अखिलेश को पार्टी से निकाला

उत्तर प्रदेश की सियासत में अभूतपूर्व घटनाक्रम के तहत समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और चचेरे भाई रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर कर दिया है। मुलायम ने भारी मन से कहा, ''रिश्ते से बड़ी उनके लिए पार्टी है। उन्होंने व उनके साथियों ने बड़ी मेहनत से पार्टी को खड़ा किया है और वो उसे टूटने नहीं देंगे। भला कोई बाप बेटे के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करता है, लेकिन मुझे करनी पड़ रही है।''

इस घटनाक्रम के साथ ही 25 साल पुरानी सपा मुलायम परिवार के आपसी झगड़े के चलते दो फाड़ होने की कगार पर पहुंच गई है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने अपनी सरकार बचाने की भी चुनौती आ खड़ी हुई है। अब मुख्यमंत्री को विधायकों का बहुमत अपने पाले में करके दिखाना होगा। अपने पिता व चाचा शिवपाल से जुड़े विधायकों को अपने साथ लाए बिना अखिलेश के लिए अब बहुमत साबित करना मुश्किल होगा। माना जा रहा है कि मुलायम अखिलेश की जगह किसी दूसरे को सीएम बनाने की तैयारी में हैं।

शनिवार को दिन भर चला सियासी दंगल अखिलेश व रामगोपाल यादव के छह साल के निष्कासन के बाद और तेज हो गया है। अखिलेश यादव द्वारा अपने प्रत्याशियों की सूची जारी करने और इसके बाद पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव द्वारा अलग से राष्ट्रीय अधिवेशन बुला लिए जाने पर सपा मुखिया को अहसास हो गया कि अब पानी सिर से ऊपर हो गया है।

उन्होंने आनन-फानन में पहले तो बेटे व भाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया और इसके दो घंटे बाद ही पार्टी से यह कह कर निकाल दिया कि अनुशासनहीनता नहीं चलने दी जाएगी, पार्टी को टूटने नहीं दूंगा। इसके लिए मुलायम ने आनन-फानन में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर घोषणा कर दी। मुलायम सिंह यादव ने सपा दफ्तर में हुई प्रेस कांफ्रेंस में शाम को कहा कि जो भी एक जनवरी के अधिवेशन में हिस्सा लेगा, उसे पार्टी से निकाला दिया जाएगा। प्रत्याशियों की सूची तय करने का अधिकार केवल पार्टी अध्यक्ष को है। कोई दूसरा इस तरह प्रत्याशी तय नहीं कर सकता।

मुलायम ने पत्रकारों से कहा कि रामगोपाल अखिलेश यादव को गुमराह कर उनका भविष्य खत्म कर रहे हैं। इन दोनों ने पार्टी का अनुशासन तोड़ा है। रामगोपाल का तो पार्टी में कोई योगदान नहीं है। रामगोपाल के बुलाए अधिवेशन में पार्टी नेताओं और मंत्रियों का शामिल होना उसे भी अनुशासनहीनता माना जाएगा।

मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा उसका वो जल्द ऐलान करेंगे। उनको यह अधिकार है कि कौन मुख्यमंत्री रहेगा?

मुलायम ने कहा कि मुख्यमंत्री को ये समझ नहीं है। मुख्यमंत्री तो निर्विवाद होता है। क्या हम सीएम नहीं रहे। ऐसा नहीं है, मेरी इच्छा के खिलाफ भी बहुत कुछ होता रहा। सबको साथ लेकर चलना पड़ता है।

मुलायम ने कहा कि अखिलेश को कौन मुख्यमंत्री बना रहा था। हमने इन्हें बड़े मन से मुख्यमंत्री बनाया। .... आप ही बताओ क्या किसी ने ऐसा काम किया है? इस तरह पार्टी नहीं चलती है। कभी किसी ने खुद के बजाए किसी को मुख्यमंत्री बनाया हो। चाहे वह अंग्रेजी राज हो या मुगलराज। मुलायम बोले, मैं क्या दौरा नहीं कर सकता। मेरी सेहत पूरी तरह ठीक है।

उन्होंने राम गोपाल को जमकर आड़े हाथ लिया कहा कि राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने का हक केवल उन्हें है। उन्हें पार्टी संविधान की जानकारी नहीं है। कैसे भला कोई इतनी जल्दी पार्टी सम्मेलन बुला सकता है। क्या उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष से इसकी अनुमति ली थी, लेकिन मुख्यमंत्री जी भी हैं कि समझ नहीं रहे हैं।

अरुणाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सहित 6 अन्य पार्टी से निलंबित

अरुणाटल प्रदेश में एक बार फिर संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। सत्ताधारी पार्टी पीपीए के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री पेमा खाण्डू और उप मुख्यमंत्री चाउना मे सहित पांच अन्य विधायकों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है।

पार्टी अध्यक्ष काहफा बेंगिया ने कहा है कि मुख्यमंत्री पेमा खाण्डू और उनके कुछ सहयोगी पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे।

बेंगिया ने विधानसभा अध्यक्ष टी नोर्बू थोंगदोक से कहा है कि पार्टी से निलंबित विधायकों को सदन में अलग बैठने की व्यवस्था करें और पार्टी के इस निर्णय से राज्यपाल को भी अवगत करा दें।

झारखण्ड के ललमटिया में खान हादसा में 40 के मरने की आशंका

झारखण्ड में ईसीएल के राजमहल एरिया में ललमटिया स्थिति खुली खदान में लगभग सौ मीटर ऊंचा कोयले का पहाड़ ढह जाने से 40 से अधिक लोगों के दबने की आशंका है।

घटना गुरुवार रात आठ बजे महालक्ष्मी आऊटसोर्सिंग प्रोजेक्ट में हुई है। राहत और बचाव का कार्य जारी है। दबे मजदूरों को अब तक निकालने में कामयाबी नहीं मिली है। 100 मीटर के दायरे में ओबी डंप (कोयले का पहाड़) ढहा है इसलिए दबे लोगों को लेकर आशंका व्यक्त की जा रही है। हालांकि प्रबंधन ने अब तक मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया है।

उक्त प्रोजेक्ट का ही कर्मचारी एसएन यादव जो दुर्घटना में घायल हो गया है। उसने बताया कि अचानक ओबी डंप ढह गया। प्रोजेक्ट के समीप खड़े 10-12 वाहन तथा 40 से अधिक कोयला कर्मी थे।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है। घायल कर्मचारी एसएन यादव की भी हालत ठीक नहीं है। गोड्डा में प्रारंभिक उपचार के बाद उसे भागलपुर रेफर कर दिया गया है।

इस घटना के बाद क्षेत्र में हलचल है। जितनी मुहं उतनी बातें कही जाने लगी। कोई कह रहा था कि समय रहते कंपनी प्रबंधन सचेत रहता तो घटना नहीं होती। प्रबंधन के लोगों की चुप्पी से शंकाओं को बल मिल रहा है।

प्रबंधन अभी तक यह कह पाने की स्थिति में नहीं है कि कितने लोग दबे हैं। अंदरखाने सूचना है कि अभी हाल में सीएमडी क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे थे। तब ओबी डंप में दरार पर चर्चा भी हुई थी। वहीं पर ओबी डंप ढहा। प्रोजेक्ट आऊटसोर्सिंग के तहत चल रहा है। लंबे समय से महालक्ष्मी कंपनी काम कर रही है।

 

सपा में विद्रोह: अखिलेश ने 235 समर्थक उम्मीदवारों की सूची जारी की

समाजवादी पार्टी में टिकट बंटवारे के बाद उपजी नाराजगी को दूर करने की कोशिशें गुरुवार को दिनभर चली बैठकों के बावजूद बेनतीजा रहीं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद करते हुए देर शाम खत्म हुई विधायकों की बैठक के बाद 235 विधायकों की अपनी सूची जारी कर दी। इसमें मौजूदा सपा विधायकों में से 171 और जहां सपा के विधायक नहीं हैं, वहां के लिए 64 विधायकों के नाम घोषित किए गए हैं। अखिलेश ने मुलायम के खिलाफ खुल्ल्म- खुल्ला विद्रोह कर दिया है। देखना है कि मुलायम अब अखिलेश के खिलाफ क्या एक्शन लेते है?

माना जा रहा है कि यह विधायक या तो निर्दलीय या फिर किसी अन्य चुनाव निशान पर मैदान में उतरेंगे। इस संबंध में अखिलेश के करीबी सूत्रों ने पुष्टि की है। बची 168 सीटों पर भी जल्द ही प्रत्याशियों की सूची जारी किए जाने की संभावना है।

मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को ही पार्टी की सूची जारी की, लेकिन उसमें अखिलेश समर्थकों के नाम नहीं थे।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ सुबह 80 से ज्यादा समर्थक विधायक जुटे। बाद में अखिलेश की सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के साथ डेढ़ घंटे तक बैठक चली, लेकिन कोई कारगर फार्मूला सामने नहीं आया। अखिलेश ने विधायकों के बीच घोषणा कर दी कि वे क्षेत्र में जाएं और चुनाव लड़ने की तैयारी करें। अखिलेश के इस बयान के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। संभव है वे अपने समर्थक विधायकों को निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतारें।

गुरुवार को सुबह 11 बजते ही अखिलेश यादव के सैकड़ों समर्थकों की भीड़ उनके आवास पर जुट गई। नारों का दौर शुरू हो गया। अखिलेश-मुलायम जिंदाबाद के नारे बुलंद किए जाने लगे। एक-एक कर वहां पार्टी विधायकों के आने का सिलसिला चलता रहा..। पहले मुख्यमंत्री पहुंचे फिर मंत्री अरिवंद सिंह गोप, अभिषेक मिश्र, पवन पाण्डेय, राम गोविंद चौधरी समेत कई कद्दावर विधायक व मंत्री पहुंच गए। 12 बजते-बजते माहौल गरमा गया। सीएम आवास में भीतर केवल उन विधायकों और मंत्रियों को जाने की अनुमति दी गई जिन्हें मुख्यमंत्री ने बुलाया था। विधायकों का दावा है कि करीब 80 विधायक-मंत्री जुटे। इनमें अधिकांश वे थे, जिनके या तो टिकट काटे गए हैं या फिर उनके टिकटों की अभी कोई घोषणा हुई ही नहीं है।

इस दौरान मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई और उनके बहनोई भी सीएम आवास पर मौजूद रहे। फिर करीब 1.45 बजे अखिलेश यादव, अपने चाचा और फूफा के साथ सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के घर पहुंचे। इससे पहले बैठक में सीएम ने एक-एक विधायक से अलग से बात की। उनका दुख-दर्द सुना और कहा कि जिसने काम किया है उसे टिकट मिलना ही चाहिए था। मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात करने जा रहा हूं फिर लौट कर पूरी बात बताता हूं। कई विधायकों ने कहा कि मैं अब आपके लिए ही जी-जान से लड़ूंगा।

अखिलेश के मुलायम सिंह के घर पहुंचने के कुछ ही देर बाद प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को बुलाया गया। मुलायम के आवास पर करीब 3.11 बजे तक बैठक हुई। सूत्रों का दावा है कि कुछेक टिकट को बदलने पर सहमति बनती दिखी, लेकिन बाद में सभी को समाहित करने के मुद्दे पर कोई नतीजा नहीं निकला। सपा प्रमुख ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को चहेतों के टिकट वापस करने के संबंध में कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया।

इसके बाद मुख्यमंत्री फिर अपने आ‌वास लौटे और विधायकों के साथ बैठक की। शाम 5 बजे जब बैठक खत्म हुई तो बाहर आए विधायकों ने बताया कि उन्हें मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने नेताजी के सामने पूरी बात रखी है। कहा है कि कौन सा सर्वे हुआ बताया जाए? किसने किया? यह जानकारी सामने रखी जाए। मुख्यमंत्री ने विधायकों से कहा कि वे क्षेत्र में जाएं और चुनाव की तैयारी करें। वे उनके टिकट का इंतजाम करेंगे। जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी।

जयललिता की विश्वासपात्र शशिकला को अन्नाद्रमुक की कमान

तमिलनाडु की पूर्व सीएम जे जयललिता के निधन के बाद उनकी विश्वासपात्र रहीं शशिकला नटराजन को सत्ताधारी पार्टी अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) का राष्ट्रीय महासचिव चुन लिया गया है। चेन्नई में आयोजित पार्टी की आम परिषद की बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव पास हुआ।

प्रस्ताव में कहा गया है कि चुनाव की औपचारिकता पूरी होने तक शशिकला को इस पद के साथ जुड़े सभी अधिकार हासिल होंगे।

परिषद की बैठक के बाद मुख्यमंत्री एवं कोषाध्यक्ष पनीरसेल्वम, वरिष्ठ मंत्री एदापदी पलानीस्वामी और लोकसभा के उपसभापति एम थंबीदुरई के नेतृत्व में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल शशिकला के पोज गार्डन स्थित निवास पर गया और उन्हें प्रस्ताव की प्रति सौंपी। उन्होंने उनसे औपचारिक रूप से पार्टी की बागडोर संभालने की भी अपील की।

पांच दिसंबर को जयललिता के निधन के बाद पार्टी कैडर तथा मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम सहित शीर्ष पदाधिकारी शशिकला से आग्रह करते रहे कि वह महासचिव का पद संभालें और उनका नेतृत्व करें ।

बैठक स्थल श्रीवरू वेंकटचलापति कल्याण मंडपम में मुस्कुराती जयललिता के आदमकद होर्डिंग लगे हैं। इन होर्डिंगों का रंग हरा है जो दिवंगत नेता का पसंदीदा रंग था। हॉल जाने वाले रास्ते पार्टी के झंडों और बैनरों से सजे हैं।

गौरतलब है कि कई नेताओं ने शशिकला से आग्रह किया था कि वह पार्टी महासचिव और मुख्यमंत्री दोनों का पद संभालें।

अन्नाद्रमुक कैडरों ने निष्कासित पार्टी सांसद शशिकला पुष्पा के पति पर कल कथित तौर पर हमला किया था और उन्हें घायल कर दिया था। उन पर यहां आम परिषद की बैठक से पहले कानून व्यवस्था संबंधी समस्या उत्पन्न करने की कोशिश का आरोप था।

अनिल बैजल दिल्ली के उपराज्यपाल होंगे

पूर्व नौकरशाह अनिल बैजल दिल्ली के उप राज्यपाल होंगे। केंद्र सरकार की ओर से बैजल का नाम राष्ट्रपति भवन भेज दिया गया है।

वर्ष 1969 बैच के आईएएस बैजल अटल बिहारी बाजपेयी सरकार में गृहसचिव रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार में कई अहम भूमिकाएं निभाई हैं। वे इस समय थिंकटैंक विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़े हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव नृपेन्द्र मिश्र भी अपनी नियुक्ति से पहले विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़े रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि 70 वर्षीय बैजल का नाम राष्ट्रपति के पास अनुशंसा के लिए भेजा गया है। बैजल का केंद्र सरकार में अलग-अलग भूमिकाओं में काम करने का अनुभव है।

गृह सचिव के अलावा वे शहरी विकास मंत्रालय में सचिव रहे हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष के पद पर भी वे काम कर चुके हैं। वर्ष 2006 में बैजल सेवानिवृत्त होने के बाद भी अलग-अलग भूमिकाओं में सक्रिय रहे हैं।

वायुसेना प्रमुख ने कहा, एकमात्र त्यागी को जिम्मेदार ठहराना गलत है

भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख एस. पी. त्यागी के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर वायुसेना प्रमुख मार्शल अरूप राहा ने बुधवार को कहा कि खरीद प्रक्रिया में कई एजेंसियां शामिल होती हैं और कोई भी किसी एक संगठन या एक सर्विस को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता। त्यागी को हाल में जमानत दी गई थी। उन्होंने कहा कि सारे निर्णय सामूहिक रूप से लिए गए थे और एकमात्र उन्हें जिम्मेदार ठहराना गलत है।

वायुसेना प्रमुख राहा से पूछा गया था कि भ्रष्टाचार के आरोपों से रक्षा सौदे संकट में फंस गए हैं। उन्होंने दुख जताया कि दशकों से कथित भ्रष्टाचार की जांच होने के बावजूद भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों पर जांच एजेंसियां कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई हैं।

साल के अंतिम दिन पद छोड़ने से पहले राहा ने संवाददाताओं से कहा, अगर भ्रष्टाचार के ये आरोप साबित हो जाते हैं तो सशस्त्र बलों के लिए यह बुरा है या जो भी इसमें संलिप्त है उसके लिए बुरा है। खरीद प्रक्रिया में महज सशस्त्र बल संलिप्त नहीं हैं।

उन्होंने कहा, कई एजेंसियां इसमें शामिल हैं। इसलिए आप केवल एक संगठन या सेवा पर जिम्मेदारी नहीं डाल सकते। त्यागी ने कहा है कि उनके साथ रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) और प्रधानमंत्री कायार्लय भी निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल है।