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यूपी, उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में चुनाव की घोषणा, आचार संहिता लागू

चुनाव आयोग ने बुधवार को पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 11 फरवरी से लेकर 8 मार्च तक सात चरणों में होगा। वहीं पंजाब और गोवा में एक ही दिन 4 फरवरी को मतदान होगा। उत्तराखंड में 15 फरवरी को वोट डाले जाएंगे।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा कि पांचों राज्यों में आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में प्रत्येक उम्मीदवार के लिए खर्च की अधिकतम सीमा 28 लाख तथा गोवा और मणिपुर के लिए यह सीमा 20 लाख रुपये होगी ।

जैदी ने कहा कि इस बार मतदान केंद्रों की संख्या में इजाफा किया गया है। इन मतदान केंद्रों की संख्या 2012 के चुनाव में बनाए गए मतदान केंद्रों से 15 प्रतिशत अधिक है। मुख्य निवार्चन आयुक्त के साथ निर्वाचन आयुक्त एके जोति तथा ओपी रावत भी थे।

उन्होंने घोषणा की कि चुनाव प्रक्रिया पंजाब और गोवा विधानसभा के लिए 11 जनवरी को अधिसूचना जारी किए जाने के साथ शुरू होगी जहां उम्मीदवार नामांकन भरना शुरू कर सकते हैं।

जैदी ने कहा कि नोटबंदी के बाद इन चुनावों में काले धन का इस्तेमाल कम होने की उम्मीद है, लेकिन विभिन्न स्वरूपों में अन्य प्रलोभनों में वृद्धि हो सकती है। आयोग उन पर कड़ी नजर रखेगा।

पांचों राज्यों के विधानसभा चुनावों में 16 करोड़ से अधिक मतदाता वोट डालेंगे।  

पहली बार कुछ जगहों पर महिलाओं के लिए अलग से मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। दिव्यांगों को ध्यान में रखकर विशेष प्रकार के मतदान केंद्र बनेंगे। मतदान को सुविधाजनक बनाने के लिए फोटो वाली वोटर पर्ची मिलेगी।
ईवीएम मशीनों में चुनाव चिह्न के साथ उम्मीदवारों की भी तस्वीर होगी।


690 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे। 20 हजार से ज्यादा खर्च के लिए चेक देना होगा। 1.85 लाख मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।

गोवा और पंजाब में चार फरवरी को वोट डाले जाएंगे, जबकि उत्तराखंड में 15 फरवरी को मतदान होगा। गोवा में विधानसभा की 40, पंजाब में 117 और उत्तराखंड में 70 सीटें हैं।

मणिपुर में दो चरणों में मतदान होंगे, जिनमें से पहले चरण का मतदान चार मार्च को और दूसरे चरण का आठ मार्च को होगा। राज्य में विधानसभा की 60 सीटें हैं।

उत्तर प्रदेश में मतदान सात चरण में होंगे। पहला चरण- 11 फरवरी, दूसरा चरण- 15 फरवरी, तीसरा चरण- 19 फरवरी, चौथा चरण- 23 फरवरी, पांचवां चरण- 27 फरवरी, छठा चरण- 4 मार्च, सातवां चरण- 8 मार्च।

जैदी ने बताया कि मतदाताओं को रंगीन वोटर गाइड मिलेंगे। 1 लाख 85 हजार मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। 16 करोड़ मतदाता मतदान करेंगे। पांच राज्यों में 690 सीटों पर मतदान होंगे।

उन्होंने बताया कि सभी राज्यों में ईवीएम से मतदान होगा। मतदाता नोटा का इस्तेमाल कर सकेंगे। कुछ जगहों पर महिलाओं के लिए अलग से मतदान केंद्र होंगे। कई राज्यों में ईवीएम पर नाम के साथ उम्मीदवारों की फोटो भी दिखेगी।

आज से ही पांच राज्यों में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। उम्मीदवारों को 20 हजार से ज्यादा का खर्च चेक से करना होगा। टीवी से प्रचार होने पर वह खर्च में जोड़ा जाएगा।

उत्तर प्रदेश में सपा, उत्तराखंड में कांग्रेस, पंजाब में अकाली और भाजपा गठबंधन, गोवा में भाजपा और मणिपुर में कांग्रेस की सरकार है। अखिलेश यादव उत्तरप्रदेश, हरीश रावत उत्तराखंड, प्रकाश सिंह बादल पंजाब, ओकराम इबोबी सिंह मणिपुर और लक्ष्मीकांत पारसेकर गोवा के मुख्यमंत्री हैं।

पांचों राज्यों में हालिया स्थिति
उत्तर प्रदेश में फिलहाल समाजवादी पार्टी की मेजोरिटी सरकार है और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री हैं। यूपी में पार्टियों के पास हैं इतने सिटिंग एमएलए-
कुल सीट: 403
समाजवादी पार्टी- 203
बहुजन समाज पार्टी- 80
भारतीय जनता पार्टी- 40,
कांग्रेस- 28
राष्ट्रीय लोकदल- 8
पीस पार्टी- 4
अन्य- 11

मणिपुर में फिलहाल कांग्रेस की मेजोरिटी सरकार है। इस राज्य में 60 में से 50 सीटें जीतकर कांग्रेस ने 2012 में अपना दबदबा कायम किया था। यहां फिलहाल ओकराम इबोबी सिंह सीएम हैं।
कुल सीटें: 60
कांग्रेस- 50
बीजेपी- 1
एनपीएफ- 4
खाली- 5

गोवा में बीजेपी की मेजोरिटी वाली सरकार है। यहां लक्ष्मीकांत पार्सेकर सीएम हैं।
कुल सीट: 40
बीजेपी- 27
कांग्रेस- 7
अन्य- 10
खाली-2

पंजाब में बीजेपी समर्थित अकाली सरकार है। यहां फिलहाल अकाली चीफ प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री हैं।
कुल सीट: 117
शिरोमणि अकाली दल- 54
बीजेपी- 11
कांग्रेस- 49 सीटें हैं, लेकिन फिलहाल सभी विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया है।
अन्य- 3

उत्तराखंड में 10 कांग्रेस के और एक बीजेपी के विधायक को अयोग्य ठहरा दिए जाने के बाद कांग्रेस की बसपा, उक्रांद और स्वतंत्र विधायकों के समर्थन वाली सरकार है। यहां कांग्रेस के हरीश रावत सीएम हैं।
कुल सीट: 71
प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट-
कांग्रेस: 26
बसपा: 2
यूकेडी: 1
स्वतंत्र: 3
नोमिनेटेड: 1

विपक्ष-
बीजेपी: 27
स्पीकर:1
(बीजेपी का 1 और कांग्रेस के 10 विधायक अयोग्य होने से मेजोरिटी के लिए सिर्फ 31 विधायकों की ज़रुरत है।)

अबु आजमी ने कहा, जहां पेट्रोल होगा, वहीं आग लगेगी

समाजवादी पार्टी नेता अबु आजमी ने बेंगुलरु में लड़कियों से हुई छेड़छाड़ की घटना पर बेतुका बयान दिया है। उन्होंने नए साल के मौके पर छेड़छाड़ के लिए लड़कियों को ही जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जहां पेट्रोल होगा, वहीं आग लगेगी। आजमी के इस बयान पर राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम ने उन्हें नोटिस भेजा।

आजमी ने कहा कि आज मॉडर्न जमाने में जितनी औरत नंगी नजर आती है, उतना उसे फैशनेबल कहा जाता है। अगर मेरी बहन-बेटी सूरज डूबने के बाद गैर मर्द के साथ 31 दिसंबर मनाए और उसका भाई या पति साथ नहीं है तो ये ठीक नहीं है। जहां पेट्रोल होगा, वहीं आग लगेगी। शक्कर गिरेगी तो चींटी जरूर आएगी। इससे बहुत लोग मुझसे नाराज होंगे, लेकिन चलेगा क्योंकि यह सच्चाई है।

गौरतलब है कि इस घटना पर कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने सोमवार को कहा कि क्रिसमस और नए साल के जश्न के दौरान ऐसी घटनाएं होती हैं और साथ ही उन्होंने इस घटना के लिए महिलाओं के परिधान को दोषी ठहरा दिया। उनके इस बयान से विवाद पैदा हो गया है और एनसीडब्लू की अध्यक्ष मंगलम ने उनसे इस्तीफे की मांग की है।

कर्नाटक के गृह मंत्री के बयान पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमार मंगलम ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। कुमारमंगलम ने कहा, ''गृह मंत्री की ओर से ऐसा बयान अस्वीकार्य और खेदजनक है। मैं मंत्री से सवाल करना चाहती हूं कि क्या भारतीय पुरुष इतने गिरे हुए और कमजोर हैं कि किसी समारोह के दिन महिलाओं को पश्चिमी कपड़ों में देखकर बेकाबू हो जाते हैं।'' उन्होंने कहा, ''ये भारतीय पुरुष महिलाओं का सम्मान करना कब सीखेंगे। मंत्री को देश की महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए और इस्तीफा दे देना चाहिए।''

31 दिसंबर यानी न्यू ईयर के जश्न की रात हर साल की तरह बंगलुरु के एमजी रोड और ब्रिगेड रोड पर हजारों की संख्या में लड़के-लड़कियां जमा हुए थे। जश्न की तैयारियों को लेकर पूरे इलाके में तकरीबन डेढ़ हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। इसी दौरान वहां पहुंचे कुछ हुड़दंगियों ने लड़कियों के साथ जोर-जबरदस्ती की कोशिश की। मनचले उन्हें जबरन छूने लगे और उन पर अश्लील फब्तियां कसने लगे। इस दौरान वहां पुलिस भी मौजूद थी।

सुदीप की गिरफ्तारी पर ममता ने कहा, पीएम मोदी मुझे अरेस्ट करें

टीएमसी सांसद और संसदीय दल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भारत के पीएम मोदी को उन्हें गिरफ्तार करने की चुनौती दी है।

ममता ने कहा कि जो लोग नोटबंदी के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं उन्हें डराने के लिए नरेंद्र मोदी सीबीआई, ईडी और आईटी का इस्तेमाल कर रहे हैं।

ममता ने कहा कि नोटबंदी के खिलाफ देश की जनता को सड़क पर उतरना चाहिए, लोग केंद्र सरकार को सबक सिखाएंगे। टीएमसी ने कहा है कि वह सांसद की गिरफ्तारी के विरोध में बुधवार को धरना देगी।

ममता ने कहा कि अगर केंद्र को लगता है कि हमारे सांसद को गिरफ्तार करने के बाद हम प्रदर्शन नहीं करेंगे तो वह गलत सोचते हैं।

ममता ने दावा किया कि कई राजनीतिक पार्टियां डरी हुई हैं, इसलिए बोल नहीं पा रही हैं।

ममता ने प्रधानमंत्री को चुनौती देते हुए कहा कि वह कुछ नहीं कर सकते हैं और देश के लोगों की आवाज को वह बिल्कुल भी दबा नहीं सकते हैं।

सुदीप बंद्योपाध्याय की गिरफ्तारी पर ममता ने कहा कि हम इस लड़ाई को कोर्ट में लड़ेंगे और कोर्ट से न्याय मागेंगे। इसके अलावा ममता ने केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान करते हुए कहा कि हम नोटबंदी के खिलाफ 9 जनवरी को कोलकाता में रिजर्व बैंक के बाहर धरना देंगे। वहीं 10 व 11 जनवरी को हम दिल्ली में आरबीआई के बाहर प्रदर्शन करेंगे।

सीबीआई ने तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय को रोज वैली घोटाले में गिरफ्तार किया। पांच दिनों में यह पार्टी के दूसरे सांसद की गिरफ्तारी है। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि बंद्योपाध्याय से इस घोटाले में दूसरे चरण की पूछताछ की गयी और चार घंटे से अधिक समय तक चली पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सुदीप तीसरी बार सांसद बने हैं।

इससे पहले टीएमसी सांसद तपस पाल को गिरफ्तार किया जा चुका है। सूत्रों ने बताया कि ओडिशा खुफिया विभाग के अधिकारियों के अलावा सीबीआई की पांच सदस्यीय टीम ने उनसे पूछताछ की।

रोज वैली स्कैम में टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय अरेस्ट

लोकसभा सांसद और तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय को सीबीआई ने रोज वैली चिट फंड घोटाले में गिरफ्तार किया है। इससे पहले मंगलवार को सुदीप सीबीआई कायार्लय पहुंचे, जहां उनसे चिटफंड घोटाले के संबंध में पूछताछ की गई।

मामले में पार्टी के एक और सांसद तापस पाल को पुलिस हिरासत में भेजे जाने के बाद यह पहली बार है जब बंद्योपाध्याय से इस मामले में पूछताछ की गई। सवाल पूछे जाने पर बंद्योपाध्याय ने कहा, ''मैंने कहा है कि मैं यह जानने के लिए सीबीआई की पूछताछ का सामना करने आऊंगा कि मेरे खिलाफ क्या है?''

उन्होंने मोदी सरकार पर अपने और तृणमुल कांग्रेस पार्टी के खिलाफ राजनीतिक बदले की भावना का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। रोज वैली घोटाले में शारदा घोटाले की तुलना में अधिक पैसा शामिल था। प्रवर्तन निदेशालय भी रोज वैली घोटाले की जांच कर रहा है।

वहीं भुवनेश्वर में टीएमसी सांसद तापस पाल की बेटी सोहिनी पहुंची। ये दूसरी बार है जब सोहिनी को जांच के लिए सीबीआई के सामने पेश होना पड़ा।

मायावती ने कहा, मोदी सरकार बहुमत के अहंकार में है

बसपा मुखिया मायावती ने सपा में चल रहे घमासान पर मुस्लिम वोटों को लेकर चिंता जताई है। साथ में यह भी कहा कि दलित नासमझ नहीं हैं कि अम्बेडकर का नाम इस्तेमाल करने से किसी के बहकावे में आ जाएं।

मायावती मंगलवार को लखनऊ में मीडिया से बात कर रही थीं। उन्होंने नये वर्ष की बधाई देते हुए केन्द्र सरकार की नीतियों पर भी हमला बोला।

बसपा मुखिया ने सपा में चल रहे घमासान पर कहा कि अखिलेश व शिवपाल खेमे में वोट बंटेंगे। इससे मुसलमानों के वोट बंटेंगे, इससे भाजपा मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि यूपी में यादव का वोट 5 फीसदी ही है, जो 60-70 विधानसभा सीटों पर ही निर्णायक वोट होता है।

मायावती ने कहा कि ओबीसी और सवर्णों को भी बसपा का टिकट दिया गया है। इससे इन प्रत्याशियों को उनकी जाति के साथ दलित वोट भी मिलेगा। दलितों को पता है कि बसपा उनके लिए संघर्ष करती है। उन्होंने कहा कि विधानसभा की 87 सीटों पर एससी और मुस्लिमों को 97 सीटों पर बसपा ने टिकट दिया है। जबकि 106 टिकट ओबीसी को दिए गए हैं। बसपा ने सवर्णों को 113 टिकट दिए हैं। इसमें 66 ब्राह्मण, 36 क्षत्रिय और 11 अन्य हैं। उन्होंने कहा कि बसपा जातिवादी पार्टी नहीं है। उन्होंने कांग्रेस को भी निशाने पर लेते हुए वोट न बांटने की अपील की। मायावती ने जनता से अपील की कि सर्वजन की नीतियों पर चलने वाली बसपा की सरकार बनाएं।

उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा निजीकरण कर रही, इसलिए आरक्षण का फायदा कम मिल रहा है। उन्होंने कहा कि बसपा ने अपने शासनकाल में सारे वर्गों को भागीदारी दी। साथ ही आर्थिक आधार पर भी आरक्षण की पुरजोर सिफारिश की है।

मायावती ने एक बार फि‍र मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीती 31 दिसंबर को दिए गए भाषण को निराशाजनक ब‍ताते हुए कहा कि दो जनवरी को लखनऊ में मोदी का भाषण विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बहुमत के अहंकार में है।

उन्होंने कहा, नोटबन्दी जैसी कोई और मुसीबत अब न आये। नोटबन्दी के फैसले को अपरिपक्व फैसला बताते हुए मायावती ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में नोटबन्दी काला अध्याय बन गया है। केंद्र सरकार की गलत कार्यशैली के कारण लोगों में चिंता बरकरार है। उन्होंने मोदी के लिए सद्बुद्धि की प्रार्थना की और कहा कि 2017 में लोगों का पैसा उनके पास ही बना रहे।

उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर को मोदी के सम्बोधन के दौरान देशवासी ठोस व बुनियादी फैसलों के इंतजार में थे, पर उन्हें निराश होना पड़ा। किसानों को जहां कर्ज माफी की आशा थी, वहीं गरीबों को अपने खाते में 15-20 लाख रुपये आने की घोषणा का इन्तजार था। हालांकि उन्होंने उस दिन जो वादे किए थे, वह भी पूरे होने वाले नहीं हैं।

बसपा मुखि‍या ने कहा कि कालाधन और भ्रष्टाचार के नाम पर नोटबन्दी को लेकर जनता नाराज है। यह सरकार नोटबन्दी को लेकर अपने फैसले बदलती रही। अपने वायदे के मुताबिक, इनको यह बताना चाहिये था कि अब तक कितना कालाधन पकड़ा गया? मोदी को ये बताना चाहिये था कि भ्रष्टाचार कितना कम हुआ? नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने पर सरकार रिपोर्ट दे।

उन्होंने कहा कि मोदी ने कहा कि यूपी चुनाव उनके लिए जिम्मेदारी है। यह बसपा के लिए भी जिम्मेदारी है प्रदेश को गुंडागर्दी से मुक्त कराने की।

मायावती ने कहा कि मोदी ने कहा है कि बसपा अपना पैसा बचाने में लगी है, जबकि बसपा अपने कार्यकर्ताओं का पैसा बचाने में लगी है, जबकि भाजपा जनता के पैसे से धन्नासेठों को फायदा पहुंचाने में लगी है।

सपा संकट: मुलायम-अखिलेश बातचीत असफल, अब नहीं होगा समझौता

समाजवादी पार्टी में जारी संकट अभी खत्म होता नहीं दिख रहा है। आज अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव से मिले। दोनों के बीच काफी देर तक बातें हुईं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक ये बातचीत असफल रही। बताया जा रहा है कि अमर सिंह, चुनाव आयोग के सामने मुलायम सिंह खेमे का पक्ष रखेंगे।

रामगोपाल यादव ने कहा, अब कोई समझौता नहीं होगा। अखिलेश के नेतृत्व में हम चुनाव मैदान में जा रहे हैं। चुनाव चिह्न पर इलेक्शन कमीशन फैसला करेगा। कन्फ्यूजन की कोई स्थिति नहीं है। अखिलेश यादव ही हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। दोनों पक्षों ने चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रख दी है। कोई समझौता होने नहीं जा रहा है।

आजम खान लगातार पिता-पुत्र के बीच जारी विवाद को खत्म करने के प्रयासों में जुटे हैं।

चुनाव चिह्न साइकिल पर अपना दावा पेश करने मंगलवार को चुनाव आयोग पहुंचे अखिलेश खेमे ने कहा कि उनके पास 90 फीसदी विधायकों का साथ है। वे सभी अखिलेश यादव का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में उनके नेतृत्व वाले धडे़ को ही सपा माना जाना चाहिए। चुनाव आयोग के अधिकारियों से करीब 20 मिनट की मुलाकात के बाद रामगोपाल यादव ने दिल्ली में इस बात की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें कहा गया है कि अखिलेश गुट ही असली समाजवादी पार्टी है और पूरी पार्टी अखिलेश यादव के साथ है इसलिए पार्टी नाम और चुनाव चिह्न 'साइकिल' उन्हें ही आवंटित किया जाना चाहिए। अखिलेश खेमे की ओर से रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा चुनाव आयोग गए थे।

ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर साइकिल चुनाव चिह्न पर कोई पेंच फंसता है तो अखिलेश खेमा मोटरसाइकिल को चुनाव चिह्न के तौर पर लेने का विचार कर सकता है। इससे पहले मुलायम ने सोमवार को दिल्ली में अपने घर पर अमर सिंह, शिवपाल यादव के साथ लंबी बैठक की। इसके बाद सभी एक साथ चुनाव आयोग गए। चुनाव आयुक्त से मुलाकात के वक्त इन तीनों के साथ जयाप्रदा भी मौजूद थीं।

चुनाव आयुक्त के साथ करीब चालीस मिनट की मुलाकात के बाद मुलायम और शिवपाल बिना कुछ कहे घर के लिए निकल गए। इससे पहले मुलायम ने 5 जनवरी को बुलाए गए राष्ट्रीय अधिवेशन को रद्द कर दिया। रामगोपाल यादव ने ‘साइकिल’ पर दावा जताने के लिए सोमवार को चुनाव आयोग से मुलाकात का वक्त मांगा था। आयोग ने उन्हें मंगलवार सुबह 11:30 बजे का वक्त दिया था। पहले रामगोपाल ने कहा था कि वे आयोग नहीं जाएंगे। बाद में मुलायम के आयोग जाने के बाद उन्होंने भी चुनाव आयोग जाने का फैसला किया।

'साइकिल' पर घमासान, मुलायम पहुंचे चुनाव आयोग

समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के बीच पार्टी सिंबल 'साइकिल' को लेकर मुलायम सिंह यादव ने चुनाव आयोग से मुलाकात की है। इस दौरान उनके साथ शिवपाल सिंह यादव, अमर सिंह और जयाप्रदा भी मौजूद थीं। वहीं रामगोपाल यादव भी मंगलवार को इस मामले में चुनाव आयोग जाएंगे।

दिल्ली रवाना होने से पहले मुलायम सिंह यादव ने कहा कि साइकिल तो मेरी ही है। इसके अलावा उन्होंने पांच जनवरी को होने वाले आपात अधिवेशन को भी रद्द कर दिया।

इससे पहले मुलायम सिंह सोमवार सुबह दिल्ली स्थित अपने आवास पर पहुंचे थे। यहां शिवपाल सिंह यादव, अमर सिंह, जया प्रदा के साथ उन्होंने बैठक की। इस बीच अखिलेश खेमे के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा, नेताजी, अमर सिंह और शिवपाल से दूर रहिए। ये आपको डुबोना चाहते हैं।

इससे पहले अमर सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, नेताजी ने एक बार कहा था कि अमर सिंह मेरे दिल में रहते हैं। नेताजी मुझे दिल से निकालेंगे तो दुख होगा। दल मेरे लिए महत्व नहीं रखता। अगर उनके साथ रहने पर नायक बना हूं, खलनायक बनने को भी तैयार हूं।

मुलायम सिंह यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुद्दे पर शिवपाल सिंह ने कहा है कि नेताजी इस वक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, आगे भी रहेंगे। हम नेताजी के साथ मरते दम तक रहेंगे।

मुलायम सिंह ने दिल्ली रवाना होने से पहले लखनऊ में मीडिया से कहा, समाजवादी पार्टी का चिह्न् मेरा हस्ताक्षर है। मीडिया ने हमेशा मेरा साथ दिया है। मेरी छवि पाक-साफ रही है। एक बार आरोप लगे, लेकिन अदालत ने बरी कर दिया। मैं बीमार नहीं हूं।

अरुणाचल प्रदेश में पीपीए को तोड़कर बीजेपी ने बनाई सरकार

मुख्यमंत्री पेमा खाडू को सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी से प्यार है और इसके लिए खांडू कुछ भी कर सकते हैं। बीजेपी को खुश होने की जरूरत नहीं है। बीजेपी खांडू से सतर्क रहे, इसी में बीजेपी की भलाई है।

अरूणाचल प्रदेश में तेजी से घटे अलोकतांत्रिक घटनाक्रम में मुख्यमंत्री पेमा खाडू के नेतृत्व में पीपुल्स पार्टी ऑफ अरूणाचल (पीपीए) के 43 में से 33 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने शनिवार को अरूणाचल प्रदेश में अपनी सरकार का गठन किया।

खांडू ने विधानसभा अध्यक्ष तेंजिंग नोरबू थोंगदोक के सामने विधायकों की परेड कराई। विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों के बीजेपी में शामिल होने को मंजूरी दे दी। पूरा अलोकतांत्रिक घटनाक्रम गुरुवार को शुरू हुआ, जब पीपीए के अध्यक्ष काहफा बेंगिया ने कथित पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए खांडू, उपमुख्यमंत्री चौवना मेन और पांच विधायकों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया।

अरुणाचल प्रदेश में नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) सरकार की गठबंधन सहयोगी पीपीए ने शुक्रवार को टकाम पेरियो को राज्य का नया मुख्यमंत्री चुना था। हालांकि राजनीतिक समीकरण तब बदल गए, जब शुरुआत में पेरियो को समर्थन देने वाले पीपीए के अधिकतर विधायक बाद में खांडू के खेमे में चले गए। पीपीए ने शनिवार को चार और पार्टी विधायकों - होनचुन न्गानदम, बमांग फेलिक्स, पुंजी मारा और पानी टराम को भी निलंबित कर दिया।

खांडू ने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से कहा, अरूणाचल प्रदेश में आखिरकार कमल खिल गया। राज्य में लोग नयी सरकार के नेतत्व में नये साल में विकास की नयी सुबह देखेंगे। भाजपा में विलय के फैसले पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि परिस्थितियों ने विधायकों को लोगों एवं राज्य के हित में यह फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया।

न तो बीजेपी ने और न तो खांडू ने जनादेश का सम्मान किया और न ही अलायन्स के धर्म का। पिछले साल खांडू ने कांग्रेस छोड़ कर किसी और को मुख्यमंत्री बनाया, फिर कांग्रेस में वापस आकर खुद मुख्यमंत्री बन गए, इससे बाद जिसे मुख्यमंत्री बनाया थे, उसने ख़ुदकुशी कर ली, खांडू ने फिर कांग्रेस छोड़ी और पीपीए नाम की पार्टी बनाकर बीजेपी के नेतृत्ववाली नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस में शामिल हो गए। फिर देखिये, खांडू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निकाले जाने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में देख पीपीए को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए।

मतलब साफ है खंडू को सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी से प्यार है और इसके लिए खांडू कुछ भी कर सकते हैं। बीजेपी को खुश होने की जरूरत नहीं है। बीजेपी खांडू से सतर्क रहे, इसी में बीजेपी की भलाई है।

अरुणाचल प्रदेश में चुनाव में जनादेश कांग्रेस को मिली थी, ऐसे में खांडू और बीजेपी को सत्ता का लोभ छोड़कर नए चुनाव का सामना करना चाहिए, नहीं तो इसे खांडू और बीजेपी की बेशर्मी मानी जाएगी। बीजेपी चुनाव हराने के बाद भी पिछले दरवाजे से अरुणाचल में सत्ता पर काबिज हो गई। ये तो जनादेश का सरासर अपमान है। सलीके से मोदी सरकार को अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाकर नए चुनाव की घोषणा करनी चाहिए।

सपा में बगावत या ड्रामा: अखिलेश और रामगोपाल का निलंबन वापस

फ़िलहाल समाजवादी पार्टी में अखिलेश की बगावत या कहे कि मुलायम-शिवपाल-अखिलेश-रामगोपाल का हाई वोल्टेज ड्रामा ख़त्म हो गया है। ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के भीतर मचा बवाल अब सुलझता नजर आ रहा है। पार्टी से छह साल के लिए निकाले गए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव को 24 घंटे से भी कम समय में वापस ले लिया गया। दोनों को सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार को निकाले जाने की घोषणा की थी जिसके बाद नेताजी और अखिलेश के समर्थक आमने-सामने आ गए थे।

अखिलेश और रामगोपाल की वापसी की घोषणा खुद सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''नेताजी के आदेशानुसार अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव का निष्कासन तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है। सब साथ मिलकर सांप्रदायिक ताकतों से लड़ेंगे और पुन: उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे।''

सपा में अखिलेश और रामगोपाल की वापसी के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह के खिलाफ जल्द कोई बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। शिवपाल ने कहा कि टिकट बंटवारे को लेकर जारी विवाद को भी जल्द सुलझा लिया जाएगा। सभी से बातचीत के बाद सब कुछ तय कर लिया जाएगा और नई सूची बनाई जाएगी।

इससे पहले अखिलेश ने अपने सरकारी आवास 5, कालिदास मार्ग पर समर्थक विधायकों व मंत्रियों के साथ बैठक की। बताया जाता है कि इसमें 2oo से अधिक विधायक पहुंचे। अखिलेश यादव बैठक में भावुक हो गए और कहा, मैं अपने पिता से अलग नहीं हूं। मैं यूपी जीत कर उन्हें तोहफे में दूंगा। उन्होंने साफ कहा कि वो नेताजी से दूर नहीं हैं। बैठक में वो विधायकों के सामने रो पड़े और कहा कि कुछ लोग हमें दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।

अखिलेश की बैठक में पहुंचे विधायकों ने उनके प्रति अपना समर्थन जताया। इस समर्थन से अखिलेश अभिभूत नज़र आए और विधायकों का आभार जताया। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वे हंगामा ना करें। उनके समर्थक अपने हाथों में बैनर पोस्टर लेकर आए थे।

समाजवादी पार्टी के लिए आजम खान संकटमोचन बन गए। आजम पिता-पुत्र दोनों के करीबी बताए जाते हैं। उन्होंने पहले मुलायम सिंह से मुलाकात की और उसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लेकर मुलायम के घर पहुंचे जहां करीब एक घंटे बैठक हुई। इस बैठक के बाद सपा में चल रहा संकट खत्म हो गया। बैठक खत्म होते ही अखिलेश और रामगोपाल का निष्कासन वापस ले लिया गया।

मुलायम से मिलने शिवपाल भी अपने बेटे आदित्य यादव के साथ पहुंचे थे। सपा सूत्रों के मुताबिक, मुलायम ने अखिलेश से कहा, ''मैं कभी तुम्हारे खिलाफ नहीं था। तुम्हारे खिलाफ होता तो तुम्हें मुख्यमंत्री क्यों बनाता?''

भीम एप से बिना इंटरनेट के भी कर सकेंगे डिजिटल पेमेंट

पीएम नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को तालकटोरा स्टेडियम में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की योजना के तहत भीम (BHIM) मोबाइल एप को लॉन्च किया। भीम मोबाइल एप सरकार के पुराने यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और यूएसएसडी (अस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डाटा) का अपडेटेड वर्जन है जिसके द्वारा डिजिटल पेमेंट लिया और भेजा जा सकता है। BHIM का मतलब 'भारत इंटरफ़ेस फॉर मनी' (Bharat Interface for Money) है। इस डिजिटल पेमेंट एप को एंड्राइड यूजर प्ले स्टोर पर जा कर डाउनलोड कर सकता है।

इस एप को भविष्य की मांगों को देखते हुए डिज़ाइन किया गया है जो की प्लास्टिक कार्ड और पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन की जगह ले सकेगा और नकद-मुक्त अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान दे सकेगा।

भीम एप कैसे काम करेगा?
इससे पैसे भेजने के लिए आपको सिर्फ एक बार अपना बैंक अकाउंट नंबर रजिस्टर करना होगा और एक यूपीआई पिनकोड जनरेट करना होगा। इसके बाद आपका मोबाइल नंबर ही पेमेंट एड्रेस होगा। हर बार अकाउंट नंबर डालने की जरूरत नहीं होगी। इंटरनेट नहीं होने पर फोन से यूएसएसडी कोड *99# डायल करके भी इस एप को ऑपरेट किया जा सकता है। ये बिना इंटरनेट के भी काम करेगा।

पेमेंट भेजना होगा आसान
आप अपने बैंक अकाउंट बैलेंस चेक कर सकते हैं। इस एप के माध्यम से यूजर अपने फोन नंबर्स के साथ कस्टम पेमेंट एड्रेस को भी ऐड कर सकते हैं और क्यूआर कोड स्कैन करके भी आप किसी को पेमेंट भेज सकते हैं। इसके लिए आपको सिर्फ मर्चेंट का क्यूआर कोड स्कैन करना होगा।