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मुलायम ने कहा, जब सपा में कोई विवाद है ही नहीं, तो समझौता कैसा?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं और समाजवादी पार्टी का आंतरिक कलह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। रविवार को मुलायम सिंह यादव दिल्ली पहुंचे। दिल्ली स्थित मुलायम सिंह के आवास पर बैठक हुई। इस बैठक में शिवपाल सिंह यादव और अमर सिंह भी थे।

दिल्ली पहुंचने से पहले मुलायम सिंह यादव ने कहा कि जब सपा में कोई विवाद है ही नहीं, तो समझौता कैसा? उन्होंने कार्यकर्ताओं से चुनावी तैयारियां शुरू करने को कहा।

एजेंसी के हवाले से जानकारी मिली है कि वे सोमवार को चुनाव आयोग से मुलाकात करेंगे और साइकिल पर अपना दावा ठोकेंगे। शनिवार को सपा में बैठक और मुलाकातों का दौर चला, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव आज अचानक पार्टी दफ्तर पहुंचे। कुछ देर वहां रुके और कुछ जरूरी कागजात लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गए।

मुलायम सिंह यादव अखिलेश पर कड़ा रूख अपना सकते हैं। वे चुनाव आयोग को अखिलेश के हलफनामे का जवाब दे सकते हैं और साइकिल पर दावा ठोक सकते हैं। बता दें कि लखनऊ पार्टी दफ्तर पर अखिलेश समर्थकों ने कब्जा कर लिया था।

बीते दिनों लखनऊ में मुलायम सिंह के घर पर बैठकों का दौर चला। आजम खान समेत कई वरिष्ठ नेता पिता-पुत्र को मनाने की कोशिश में जुटे रहे। इस दौरान एक भी नेता मीडिया से मुखातिब नहीं हुए।

अंबिका चौधरी ने काफी पूछने पर सिर्फ इतना कहा कि पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक है। पार्टी एक हो जाएगी। बैठक में क्या बातें हुई, इस सवाल पर सिर्फ इतना कहा कि इसकी जानकारी जल्द दे दी जाएगी।

बताया जा रहा है कि मुलायम सिंह, राम गोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा से काफी खफा हैं।

समाजवादी पार्टी में सुलह पर संकट: मुलायम-अखिलेश झुकने को तैयार नहीं

समाजवादी पार्टी में आंतरिक कलह को खत्म करने के लिए शनिवार को भी सुलह की दिनभर चली कोशिशें बेनतीजा रहीं। मुलायम और आजम खां के बीच करीब ढाई घंटे तक बाचतीत हुई, पर बीच का रास्ता नहीं निकल सका।

दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं।

मुलायम के आवास पर शिवपाल के साथ कई वरिष्ठ नेता पहुंचे। पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष संजय सेठ भी बुलाए गए। घंटों चली बैठक के बाद भी सुलह पर संकट बना हुआ है।

इस दौरान कोई नेता मीडिया से मुखातिब नहीं हुआ। अंबिका चौधरी ने काफी पूछने पर सिर्फ इतना कहा कि सब कुछ ठीक है। पार्टी एक हो जाएगी। बैठक में क्या बातें हुई, इस सवाल पर सिर्फ इतना कहा कि इसकी जानकारी जल्द दे दी जाएगी।

बताया जा रहा है कि मुलायम सिंह, राम गोपाल, नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा से काफी खफा हैं।

मुलायम के पांच विक्रमादित्य आवास पर सुबह 10 बजे से ही बड़े नेताओं का पहुंचना शुरू हो गया था। पहले शिवपाल, उसके बाद अंबिका चौधरी, ओम प्रकाश व नाराद राय पहुंचे। इसके कुछ देर बाद सांसद धर्मेंद्र यादव और बाद में आजम खां पहुंचे।

सूत्रों का दावा है कि सुलह के बीच में राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद आड़े आ रहा है। दोनों खेमे राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

सुलह-समझौते के लिए चल रहे प्रयासों में अखिलेश की तरफ से शनिवार को कोई पहल नहीं की गई। सुलह की कोशिश में लगे आजम खां ने मुलायम से मुलाकात की। इस दौरान बीच का रास्ता निकाल कर सुलह-समझौते करने पर चर्चा हुई, लेकिन जानकारों की मानें तो मुलायम ने साफ कर दिया है कि एकतरफा प्रयास से कुछ होने वाला नहीं है। अखिलेश खेमा किसी तरह झुकने को तैयार नहीं है।

समाजवादी पार्टी में अखिलेश गुट का दावा है कि अब अखिलेश ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहेंगे। अखिलेश समर्थकों के मुताबिक, पार्टी के विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को 90 फीसदी पदाधिकारियों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है। इन स्थितियों में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ना अधिवेशन के निर्णयों की अवहेलना होगा।

मुलायम ने पार्टी के कोषाध्यक्ष संजय सेठ को बुलाकर उनसे पार्टी फंड के बारे में जानकारी मांगी। मुलायम से मिलने के बाद संजय सेठ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने गए। इसके कुछ देर बाद फिर मुलायम से मिलने के लिए कोषाध्यक्ष पहुंचे।

बताया जा रहा है कि नेता जी ने निर्देश दिया है कि उनकी अनुमति के बिना पार्टी फंड का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

अखिलेश खेमा की मांग:
90 फीसदी लोगों ने चुना है राष्ट्रीय अध्यक्ष, इसलिए अध्यक्ष बने रहेंगे। चुनाव आयोग में 9 को रखेंगे अपनी बात। टिकट बांटने का पूरा अधिकार मिले। नेता जी स्वयं निकालें गड़बड़ी करने वालों को।

मुलायम खेमा की मांग:
मुलायम ही रहेंगे पार्टी के अध्यक्ष। रामगोपाल की दखलंदाजी बंद हो। टिकट बंटवारे में शिवपाल की राय ली जाए। बर्खास्त मंत्रियों को टिकट दिया जाए।

चार बीवी और चालीस बच्चों वाले बयान पर साक्षी महाराज के खिलाफ केस दर्ज

भारत के प्रान्त उत्तर प्रदेश के उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज आचार संहिता के उल्लंघन में फंस गए हैं। 'चार बीवी और चालीस बच्चों' वाले बयान पर उनके विरुद्ध सदर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है। संत समागम के बहाने राजनीतिक मंच सजाने पर कार्यक्रम आयोजक पर भी केस दर्ज किया गया है। चुनाव आयोग ने पूरी रिपोर्ट डीएम मेरठ से तलब कर ली है।

वेस्ट एंड रोड स्थित बालाजी मंदिर में शुक्रवार को हुए संत समागम में सांसद साक्षी महाराज पहुंचे थे। उन्होंने बयान दिया था कि देश की आबादी हिन्दू नहीं, बल्कि चार बीवी और चालीस बच्चों वाले लोगों की वजह से बढ़ रही है। भारत सरकार को इस पर कड़ा कानून बनाना चाहिए। हालांकि साक्षी महाराज ने अपने भाषण में किसी समुदाय का नाम नहीं लिया, लेकिन इसे एक संप्रदाय विशेष को ठेस पहुंचाने वाला माना गया है। साक्षी महाराज ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को भी जल्द लागू करने की वकालत की थी।

उनके इस बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ा ऐतराज जताया जिसके बाद चुनाव आयोग ने शनिवार को डीएम मेरठ चंद्रकला से साक्षी महाराज के बयान पर रिपोर्ट तलब कर ली। खुद एसएसपी जे.रविंदर गौड ने साक्षी महाराज के बयान वाली छह वीडियो क्लिप कई बार देखी। इसमें पाया गया कि साक्षी महाराज ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है। सदर थाने के सब इंस्पेक्टर रामकुमार सिंह की तहरीर पर पुलिस ने उन्नाव सांसद साक्षी महाराज और कार्यक्रम आयोजक महंत महेंद्रदास के विरुद्ध धारा-188, 295ए, 298, 505(3), 153बी और 171एस में मुकदमा किया है।

जे.रविंदर गौड, एसएसपी मेरठ ने कहा, ''सिर्फ संत समागम की परमीशन ली गई थी, मगर वहां राजनीतिक मंच सजाया गया। वीडियो में सुने भाषण में सांसद साक्षी महाराज ने एक धर्म के प्रति आपत्तिजनक भाषण दिया है। जिस पर सांसद व कार्यक्रम आयोजक के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।''

टिकट बंटवारे पर पीएम मोदी ने कहा, रिश्तेदारों के लिए टिकट ना मांगे

भारत की दक्षिणपंथी और सत्तारूढ़ राजनैतिक पार्टी बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता वह जो हवा में बहते नहीं बल्कि हवा के रुख को बदलते हैं। उन्होंने इस बैठक में कहा कि बेनामी संपत्ति को कैश से मजबूती मिलती है। चुनाव टिकट बंटवारे को लेकर पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा कि वह रिश्तेदारों के लिए टिकट ना मांगे।

इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि भारत में परंपरा है कि यहां के लोग अपने अंदर की ताकत को पहचानते हैं। बुराई के खिलाफ लड़ने की क्षमता रखते हैं।

रविशंकर ने बताया कि इस बैठक में पीएम मोदी ने राजनीतिक दलों की मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता पर जोर दिया। भाजपा की अगली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 15 अप्रैल को होगी। उन्होंने नोटबंदी का जो फैसला लिया गया, उसे जनता ने स्वीकारा है। गरीब और गरीबी चुनाव जीतने का माध्यम नहीं हैं और हमारी सरकार गरीब और गरीबी को वोटबैंक के चश्मे से नहीं देखते। गरीबी हमारे लिए सेवा का अवसर है।

पीएम ने कहा कि आलोचनाएं स्वागत योग्य हैं, आरोप से घबराए नहीं। हमारी सच्चाई और संकल्प हमें अच्छाई के रास्ते पर बढ़ाती रहेगी। उन्होंने कहा कि गरीब और वंचितों की जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने की जरूरत है।

पीएम ने कहा कि कुछ लोग लाइफ स्टाइल की चिंता करते हैं, उनकी लाइफ स्टाइल सुधरे। हमें यह आपत्ति नहीं है, लेकिन हमारी सरकार की चिंता गरीबों की जिंदगी को सुधारना है।

उन्होंने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे बूथ स्तर पर काम करें, जीत वहीं से सुनिश्चित होती है।

उन्होंने कहा कि गरीबों की आंतरिक शक्ति को सलाम किया है। उन्होंने कहा कि इस पूरे दो महीने में समाज शक्ति का दर्शन हुआ है।

चुनाव आयोग ने बजट पर विपक्ष के विरोध पर मोदी सरकार से जवाब माँगा

भारत के 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आम बजट पेश करने की कवायद पर विपक्ष के ऐतराज के बाद चुनाव आयोग ने इस बारे में मोदी सरकार से जवाब मांगा है। चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिव को चिट्ठी लिखकर इस मुद्दे पर उनका जवाब 10 जनवरी तक माँगा है।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में 4 फरवरी से चुनाव शुरू हो रहे हैं और मोदी सरकार बजट 1 फरवरी को पेश करने की तयारी में है।

चुनावी घोषणा होने के एक दिन बाद ही आम बजट को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग में अपना विरोध दर्ज कराया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे केंद्र सरकार को फायदा हो सकता है। गुरुवार को कई विपक्षी दलों के नेता इस मामले की शिकायत लेकर चुनाव आयोग पहुंचे थे।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मांग की थी कि निष्पक्ष चुनाव के लिए बजट को 8 मार्च के बाद पेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 31 मार्च तक कभी भी बजट पेश किया जा सकता है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी चिट्ठी लिखी गई है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने 2012 में यह मुद्दा उठाया था कि चुनावों के दौरान आम बजट पेश नहीं किया जाना चाहिए। हमारा कहना है कि यह सत्तापक्ष द्वारा एक तय प्रथा है।

वहीं वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि बजट 1 फरवरी को ही पेश होगा। चुनाव आयोग जो भी निर्देश देगा, उसका पालन होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले आम बजट पेश पेश नहीं किए जाने संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि समय आने पर विचार किया जाएगा। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एक फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट पर रोक लगाने की मांग की थी।

उनका कहना था कि चार फरवरी से आठ मार्च तक यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले केंद्र सरकार बजट में लोकलुभावन घोषणाएं कर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर सकती है।

अपील पर सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने कहा, ''इस मामले में तत्काल सुनवाई करने की जरूरत नहीं है। हम उचित समय आने पर कानून के मुताबिक विचार करेंगे, लेकिन अभी नहीं।''

सपा में तकरार: राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर मुलायम-अखिलेश खेमे अड़े

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और चुनाव का पहला चरण नजदीक आता जा रहा है, पर मुलायम के कुनबे का विवाद सुलह के मुहाने पर पहुंच कर फिर महत्वाकांक्षाओं की टकराहट में बदलता नज़र आ रहा है।

शुक्रवार को भी ऐसा ही हुआ। अखिलेश खेमा किसी समझौते के बजाए दिल्ली में चुनाव आयोग के सामने खुद को सपा का असली हकदार बताने में जुटा रहा। उधर मुलायम खेमा भी अध्यक्ष पद को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है। चुनावी गठजोड़ के लिए अखिलेश खेमा अब कांग्रेस से तालमेल की तैयारी भी कर रहा है।

शुक्रवार को लखनऊ में सुबह से शाम तक मुलाकातों व बातचीत के कई दौर के बाद अंतिम में मुलायम सिंह यादव मीडिया से बातचीत करने के लिए तैयार हुए, लेकिन ऐन वक्त पर मध्यस्थ बने आजम खां ने प्रेस कांफ्रेंस रद्द करा दी।

लखनऊ में 4 विक्रमादित्य मार्ग स्थित मुलायम सिंह आवास पर सुबह से नेताओं के आने व मिलने का सिलसिला शुरू हुआ। पहले अमर सिंह वहां पहुंचे और कुछ ही समय बाद वहां से लौट कर अपने गोमती नगर स्थित आवास आ गए। शिवपाल यादव मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने पांच कालिदास मार्ग चले गये।

इस बीच चर्चा रही कि अमर सिंह ने पार्टी से इस्तीफे की पेशकश की है और खुद ही इसका ऐलान करेंगे, लेकिन बाद में ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद शिवपाल ने मुलायम से मुलाकात की।

वहां पर बेनी प्रसाद वर्मा व नारद राय को बुला लिया गया। अमर सिंह दुबारा मुलायम के यहां पहुंचे। इनकी बातचीत के बाद अमर सिंह निकल गये। उनके जाने के बाद आजम खां मुलायम से मिलने गए।

इनके बीच खासी अहम बातचीत हुई। सुबह से सुलह के फॉर्मूले पर दोनों पक्षों के नेताओं में सहमति बनाने की कोशिशें होती रहीं। बताया जा रहा है कि अमर सिंह ने मुलायम से कह दिया कि वह सुलह के लिए पीछे हटने को तैयार हैं और वह त्यागपत्र दे देंगे। वहीं शिवपाल भी राष्ट्रीय राजनीति में जाने का तैयार हैं।

अखिलेश खेमा की मांग  
अखिलेश यादव हर हाल में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद अपने पास रखना चाहते हैं। अमर सिंह को सपा से बाहर करने का ऐलान किया जाए और शिवपाल प्रदेश अध्यक्षी छोड़ें। टिकट बांटने में उन्हें पूरी आजादी मिले।

मुलायम खेमा की मांग
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर दावा छोड़ने को तैयार नहीं। रामगोपाल को पार्टी से बाहर निकाला जाए। शिवपाल को केंद्रीय राजनीति में अहमियत व बेटे को टिकट तथा टिकट बांटने में शिवपाल व मुलायम समर्थकों को तवज्जो दी जाये।

सूत्र बताते हैं कि अमर सिंह ने खुद को पीछे करने के लिए तैयार कर लिया है। उन्होंने मुलायम सिंह यादव से कह दिया है कि अगर उनको किनारे कर देने या निकाल देने से सुलह हो जाती है तो वह इसके लिए तैयार हैं। उन्हें कोई एतराज नहीं है।

उधर, शिवपाल यादव भी अखिलेश यादव खेमे की इस शर्त्त को मानने को तैयार हैं कि वह प्रदेश अध्यक्ष नहीं रहेंगे और प्रदेश की राजनीति के बजाए केंद्रीय राजनीति में जाएंगे। वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनने को तैयार हैं। पर, उनकी शर्त्त है कि अनुशासनहीनता करने वाले व मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बोलने वाले रामगोपाल यादव पर कोई न कोई कार्रवाई तो होनी ही चाहिए।

मुलायम गुट-अखिलेश गुट में सुलह की कोशिशें फिर तेज

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के ऐन मौके पर समाजवादी कुनबे में चल रही तकरार को खत्म कर सुलह-समझौते की कोशिशें एक बार फिर तेज हो गई हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार को 208 विधायकों के समर्थन का हलफनामा लिया और बाद में खुद ही सकारात्मक संकेत दिए।

उधर मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव ने अमर सिंह से दिल्ली में बात की और शाम को तीनों लखनऊ आ गए। वहीं अखिलेश यादव भी 4 विक्रमादित्य मार्ग स्थित अपने आवास पहुंचे। दोनों के बीच पहले भी सुलह की कोशिश कर चुके आजम खां एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने सुबह पहले मुख्यमंत्री से मुलाकात की और विधायकों की बैठक में शामिल हुए। शाम को आजम खां ने मुख्यमंत्री से उनके आवास पर मुलाकात की। सीएम ने विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और सांसदों से समर्थन का हलफनामा लिया है।

सूत्र बता रहे हैं कि सुलह की कोशिशों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए दोनों ही पक्ष पीछे हटने को तैयार हैं। अखिलेश खेमा टिकटों को लेकर रियायत देने को तैयार है, लेकिन रामगोपाल पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की शिवपाल खेमे की मांग पर बात नहीं बन सकती। दबाव बढ़ने पर यह मांग छोड़ी भी जा सकती है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के खेमे में जंग अब और तेज हो गई है। अखिलेश ने जनता के बीच जाने से पहले सपा के चुनाव सिंबल साइकिल के लिए गुरुवार को लखनऊ में दमखम दिखाते हुए 208 विधायकों का समर्थन जुटाया। उधर मुलायम सिंह यादव दिल्ली में सक्रिय हैं और चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखने के लिए कानूनी जोड़तोड़ में जुटे हैं। इसी के साथ ही दोनों खेमे अब अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी में दिख रहे हैं।

चुनाव चिन्ह साइकिल हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश ने बैठक बुलाई। इसमें गुरुवार को शिवपाल खेमे के कई विधायक व एमएलसी भी शामिल हुए। मसलन विधायक कमाल युसुफ, गजाला लारी और लालू यादव के समधी और एमएलसी जितेंद्र यादव भी इस बैठक में शामिल हुए।

बैठक में व्यवस्था बनाने का काम एमएलसी व सीएम की यूथ टीम के सदस्य सुनील साजन, आनंद भदौरिया व उदयवीर सिंह के हाथ में रहा। सीएम आवास पर जनता दर्शन हाल में सभी विधायकों, एमएलसी को बिठाया गया और उन्हें हलफनामे का फार्म दिया गया। इस पर उन्हें दस्तखत करने थे। सीएम ने इससे पहले अलग से आजम खां व गायत्री प्रजापति से बातचीत की।

उधर मुलायम सिंह व उनके छोटे भाई शिवपाल यादव ने दिल्ली में सिंबल के लिए रणनीति बनाई। चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों से 9 जनवरी तक दावे के समर्थन में सारे साक्ष्य मांगे हैं। इसी के साथ ही अब दोनों खेमे अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। मुलायम के अशोक रोड के आवास पर शिवपाल, अमर सिंह, जयाप्रदा व कुछ और नेता शामिल हुए। बताया जा रहा है कि इस खेमे का रुख नरम है और सुलह के मूड में है। इससे पहले मुलायम सिंह यादव व शिवपाल यादव गुरुवार सुबह अचानक दिल्ली चले गए।

हलफनामे में जनप्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर कर कहा है कि वे अखिलेश यादव के नेतृत्व में आस्था व्यक्त करते हैं और पूरा विधानमंडल दल अखिलेश के साथ है। यह हलफनामा चुनाव आयोग को सौंपा जाएगा।

नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में अस्थाई नरमी आएगी: राष्ट्रपति मुखर्जी

500 और 1000 के पुराने नोट बंद करने के केन्द्र सरकार के फैसले पर पहली बार भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि नोटबंदी से जहां कालाधन और भष्ट्राचार के खिलाफ कार्रवाई हो रही है वहीं इससे अर्थव्यवस्था में अस्थायी रूप से कुछ नरमी आ सकती है।

मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यपालों और उपराज्यपालों को संबोधित करते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद आर्थिक मंदी के कारण गरीबों को होने वाली अपरिहार्य परेशानियों को दूर करने के लिए अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि गरीबी उन्मूलन के लिए अधिकार की सोच से उद्यमशीलता की ओर बढ़ने पर जोर देने का वह स्वागत करते हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं कि क्या गरीब लोग इतना इंतजार कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, उन्हें तत्काल मदद की जरूरत है ताकि वे भूख, बेरोजगारी और उत्पीड़न से मुक्त भविष्य की ओर राष्ट्रीय अभियान में सक्रियता से भाग ले सकते हैं।

गौरतलब है कि 30 दिसंबर तक पुराने नोट किसी भी बैंक में जमा करने की सुविधा थी और उसके बाद यह पुराने नोट सिर्फ रिजर्व बैंक में बदले जाने की बात भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने कही थी। लेकिन इसके लिए मोदी सरकार की कुछ विशेष शर्ते हैं जिसे हर कोई पूरा नहीं करता।

इससे लोगों के पुराने नोट रिज़र्व बैंक में बदले नहीं जा रहे। दिल्ली में रिज़र्व बैंक के सामने कल एक महिला ने रिज़र्व बैंक द्वारा पुराने नोट नहीं बदले जाने और पुलिस के द्वारा प्रताड़ित किये जाने के बाद पूरी तरह से नंगी होकर रिज़र्व बैंक के इस कदम के खिलाफ विरोध दर्ज किया। इससे नोट बंदी पर 100 से ज्यादा लोगों की मौत, 50 से ज्यादा दिनों से भारत के लोगों को हो रही अत्यधिक परेशानी और अब एक महिला का नंगी होकर नोट बंदी के खिलाफ प्रदर्शन शर्मसार कर देने वाली घटनाएं हैं।

तीन महीने के बाद नेताजी सारे पद ले लें, मुझे ऐतराज न होगा: अखिलेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि उन्हें बस तीन महीने का वक्त चाहिए। वह चुनाव जीता कर आएंगे। इसके बाद नेताजी सारे पद मुझसे ले लें, मुझे ऐतराज न होगा।

समाजवादी पार्टी (अखिलेश गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से अखिलेश यादव ने गुरुवार को अपने आवास पर विधायकों व मंत्रियों की पहली बैठक में कहा कि आप लोग क्षेत्र में जाईए और चुनाव जीत कर आईए। उन्होंने कहा कि सिंबल की लड़ाई चल रही है, ऐसे मामलों में अब तक की जो नजीरें रहीं हैं, उससे उम्मीद है कि उन्हीं को साइकिल मिलेगी।

अखिलेश ने कहा, मैं तो चाहता था कि सब लोग मिलकर चुनाव लड़ें, नेताजी पर हम लोगों को पूरा विश्वास है। मैंने भी पांच साल मेहनत की है। प्रदेश को आगे बढ़ाया है। जनता मुझे चाह रही है। सरकार बनेगी तो मेरा मन भी खुश होगा क्योंकि परीक्षा तो हमारी ही है। बैठक में सीएम के अलावा मंत्री गायत्री प्रजापति व आजम खां भी थे। आप लोग बस मुझे तीन महीने दे दीजिए और अपने हिसाब से चुनाव लड़ने दीजिए, उसके बाद चुनाव जीत कर आऊंगा। उसके बाद जो पद नेताजी मांगेगे कुर्बान कर दूंगा। वह मुझसे सारे पद ले लें।

सीएम ने यह कह कर तीन महीने पर सपा का अध्यक्ष पद छोड़ने के भी संकेत दे दिए। कुनबे के बढ़ते झगड़े से विधायकों में उपजी तमाम आशंकाओं को सीएम ने भांप लिया।

सीएम ने कहा कि नेताजी से सुबह ही मिलना चाहता था, पर मेरे तैयार होने से पहले ही वह दिल्ली के लिए निकल गए। जब वह दिल्ली से लौटेंगे तो हम एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने आजम खां साहब के साथ ही जाएंगे।

आजम ने कहा, भई मैंने तो आपका काम आसान कर दिया, ऊपर वाले ने भी साथ दिया। विधायकों ने पूछा कि क्या सुलह की कोई राह नहीं है, तो सीएम के पास बैठे गायत्री प्रजापति की ओर देखते हुए कहा कि अब तो यही प्रयास करें, यही नेताजी को समझाएं।

अखिलेश के समर्थन में करीब 220 विधायकों का दस्तखत

समाजवादी पार्टी के कुनबे में जारी कलह और सुलह की कोशिशों के बीच सिंबल की लड़ाई चुनाव आयोग के सामने हैं। चुनाव आयोग ने सपा के दोनों गुटों को नोटिस भेजकर समर्थन पर हलफनामा दायर करने को कहा है।

इस बीच सीएम अखिलेश यादव ने समर्थक विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक की। अखिलेश ने समर्थकों से चुनाव में उतरने को कहा और बताया कि पार्टी सिंबल का मामला वे देख लेंगे। अखिलेश के समर्थन में 220 विधायकों के समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर कराया गया।

समाजवादी पार्टी में जारी सियासी संकट के बीच अखिलेश यादव की पार्टी विधायकों के साथ बैठक आज सुबह 10 बजे से लखनऊ में उनके आवास पर हो रही है। वह राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस बैठक में आजम खान भी पहुंच गए हैं।

बैठक में 90 फीसदी से अधिक विधायक पहुंचे हैं। उनसे हलफनामे पर हस्ताक्षर कराया गया है।

सूत्रों के अनुसार, चुनाव चिह्न पर दावा पेश करने के बाद अखिलेश खेमा आज ही चुनाव आयोग को समर्थक विधायकों की सूची सौंप सकता है।

सुलह न हो पाने पर एमएलसी सुनील यादव साजन ने कहा कि अखिलेश यादव राजधर्म का पालन करने का फैसला कर रहे हैं।

इस बैठक में चुनावी रणनीति पर भी चर्चा होने की संभावना है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 11 फरवरी से लेकर 8 मार्च तक सात चरणों में होगा। नतीजे 11 मार्च को आएंगे।

अखिलेश यादव ने अपने लोगों से कह दिया है कि अब वह पूरी तरह चुनाव प्रचार में लग जाएं और किसी तरह के भ्रम में न रहें। सीएम ने अपने विधायकों व बड़े नेताओं की गुरुवार को बैठक बुलाई है। बैठक 10 बजे मुख्यमंत्री आवास पर होगी। इसमें अखिलेश पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से विधायकों को चुनावी तैयारियों के संबंध में निर्देश देंगे।

सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश गुट प्रत्याशियों की नई सूची भी जारी कर सकती है। प्रचार अभियान, रथयात्रा कार्यक्रम, रैलियों पर भी चर्चा होगी। साफ है कि अखिलेश खेमा किसी समझौते का इंतजार किए बिना अब अपनी ताकत के बूते चुनाव में उतरना चाहता है। रामगोपाल यादव पहले ही कह चुके हैं कि अब सुलह समझौते का कोई मतलब नहीं है।

समाजवादी पार्टी (अखिलेश गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़ एवं मिर्जापुर जिलों के सभी पूर्व नामित अध्यक्षों क्रमश: राम इकबाल यादव, राम अवध यादव, हवलदार यादव तथा आशीष यादव को बहाल कर दिया है और जिला कमेटियां फिर से काम करती रहेंगी।

नरेश उत्तम ने उक्त सभी अध्यक्षों से तत्काल कार्यभार ग्रहण कर चुनाव तैयारियों में जुट जाने का आग्रह किया है। तीन रोज पहले जब मुख्यमंत्री ने जनेश्वर मिश्र पार्क में राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया था उसी दिन शिवपाल सिंह यादव ने इन चारों जिलाध्यक्षों को हटाकर अपने लोगों को नामित किया था। इस फैसले के बाद इन जिलों में सरगर्मी बढ़ गई है।