समाजवादी पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के तेवर सख्त होते जा रहे हैं। मुलायम सिंह यादव ने रामगोपाल यादव पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बहकाने का आरोप लगाया।
रामगोपाल यादव का नाम लिए बगैर मुलायम सिंह यादव ने कहा कि एक आदमी ने मेरे बेटे को बहका दिया है। वहीं अखिलेश यादव के प्रति मुलायम सिंह का रुख नरम रहा।
मुलायम सिंह ने दावा किया कि उनके और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच कोई विवाद नहीं है।
इससे पहले मुलायम सिंह यादव, शिवपाल और अमर सिंह के साथ चुनाव आयोग पहुंचे। चुनाव आयुक्त से मुलाकात के दौरान उन्होंने सपा और चुनाव चिन्ह साइकिल पर दावा किया। यह भी दलील दी कि रामगोपाल यादव को अधिवेशन बुलाने का हक नहीं है क्योंकि उन्हें 30 दिसंबर को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गुट की तरफ से दाखिल किए गए हलफनामों को भी चुनौती दी। आरोप लगाया कि वह फर्जी हैं। चुनाव आयोग जांच कराए। पार्टी संविधान के मुताबिक, वह पार्टी अध्यक्ष हैं और चुनाव चिन्ह पर उनका हक बनता है।
चुनाव आयुक्त से करीब 45 मिनट की मुलाकात के बाद घर पर मीडिया से बात करते हुए मुलायम सिंह यादव ने कहा कि उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह के फार्म पर दस्ताखत वह करेंगे। फार्म ए और फार्म बी वह देंगे।
जब उनसे चुनाव चिन्ह पर विवाद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि पार्टी में कुछ विवाद है। उन्होंने कहा कि साइकिल के बारे में फैसला चुनाव आयोग करेगा।
लखनऊ जाने के लिए एयरपोर्ट रवाना होने से पहले मुलायम सिंह यादव ने अपने घर के पास खड़े कार्यकर्ताओं से भी बात की। उन्होंने कार्यकर्ताओं को आपसी सहमति से उम्मीदवार तय करने की हिदायत दी। सहमति नहीं बनती है और दो या तीन लोग चुनाव लडना चाहते हैं, तो पार्टी उम्मीदवार कौन होगा? यह वह तय करेंगे।
मुलायम सिंह और शिवपाल यादव के चुनाव आयुक्त से मिलने के कुछ देर बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तरफ से रामगोपाल यादव, किरणमय नंदा और नरेश अग्रवाल के साथ चुनाव आयोग पहुंचे। मुलाकात के बाद रामगोपाल यादव ने कहा कि हमने आयोग से चुनाव चिन्ह साइकिल को लेकर जल्द फैसला लेने की अपील की है क्योंकि पहले चरण के चुनाव के लिए 17 जनवरी से नामांकन शुरु हो रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कहा कि घाटी में आशांति के लिए अलगाववादी जिम्मेदार हैं। उन्होंने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अनदेखी कर शांति वार्ता की प्रक्रिया को पटरी से उतार दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कश्मीर में पांच महीने लंबी चली अशांति की तैयारी पहले ही कर ली गई थी। जब पृथक कश्मीरी पंडित कॉलोनी और सैनिक कॉलोनी जैसे मुद्दों ने काम नहीं किया तो बुरहान वानी की मौत से हिंसा भड़क गई।
विधानसभा में एक सवाल के जवाब पर महबूबा ने कहा कि हिंसा से घाटी को बचाने के लिए सभी की निगाहें अलगाववादियों पर टिकी थीं। कई वरिष्ठ नेताओं ने उनसे मुलाकात की, लेकिन शांति वार्ता की बात परवान नहीं चढ़ सकीं।
महबूबा ने कहा कि अशांति की बेहद सुनियोजित तरीके से साजिश रची गई थी जिसमें कई लोगों ने जान गंवाई है।
भारत के प्रान्त उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में चल रहे घमासान के बीच पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने रविवार को एक बार फिर दोहराया कि वह पार्टी के अध्यक्ष हैं और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री।
पार्टी और चुनाव चिह्न साइकिल पर दावेदारी जताने के लिए सोमवार को चुनाव आयोग में मुलाकात से ठीक पहले मुलायम सिंह यादव ने यह साफ किया कि रामगोपाल यादव को 30 दिसंबर को छह वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
लखनऊ से दिल्ली पहुंचे मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के बीच दिनभर बैठकों का दौर चला। इस दौरान पार्टी सांसद अमर सिंह भी मौजूद रहे।
दोपहर के वक्त घर के बाहर नारेबाजी कर रहे पार्टी नेताओं को मुलायम सिंह यादव ने अंदर बुलाया और समझाते हुए कहा कि अखिलेश मेरा ही लड़का है। अब क्या कर सकते हैं। वह जो कर रहा है, उसे करने दो। मार थोड़े ही देंगे। अब सब कुछ उसके पास है। मेरे पास तो गिनती के विधायक हैं। जाओ चुनाव तैयारियों में जुटो।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का रविवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रति रुख नरम था। पार्टी कार्यकर्ताओं को समझाते हुए राज्य सरकार के विकास कार्यों की तारीफ की। साथ ही, विकास का श्रेय पास बैठे शिवपाल यादव को भी दिया। मुलायम सिंह यादव ने कहा कि शिवपाल यादव पीडब्ल्यूडी मंत्री थे।
शाम को मीडिया से बात करते हुए मुलायम ने कहा कि वह पार्टी अध्यक्ष और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री हैं। शिवपाल यादव प्रदेश अध्यक्ष हैं।
सपा नेता रामगोपाल यादव ने किसी समझौते से साफ इनकार किया है। उन्होंने कहा कि अब समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी अध्यक्ष बनाने का फैसला जनरल बॉडी की बैठक में लिया गया था। इस फैसले को बदलने का अधिकार भी पार्टी की जनरल बॉडी को है। यह पिता और पुत्र का झगड़ा नहीं है। अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी की असली सपा है।
सपा से राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तरफ से चुनाव आयोग में सौंपे विधायकों और सांसदों के शपथ पत्रों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समर्थन में किए गए हस्ताक्षर फर्जी हैं।
हस्ताक्षर असली हैं या फर्जी, यह जांच का विषय है। इसमें कम से कम आठ-नौ महीने का वक्त लग सकता है।
रामगोपाल यादव ने इसका जवाब देते हुए कहा कि फर्जी लोगों को सब कुछ फर्जी नजर आता है। 90 फीसदी पार्टी नेता और कार्यकर्ता अखिलेश यादव के साथ हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं और समाजवादी पार्टी का आंतरिक कलह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। रविवार को मुलायम सिंह यादव दिल्ली पहुंचे। दिल्ली स्थित मुलायम सिंह के आवास पर बैठक हुई। इस बैठक में शिवपाल सिंह यादव और अमर सिंह भी थे।
दिल्ली पहुंचने से पहले मुलायम सिंह यादव ने कहा कि जब सपा में कोई विवाद है ही नहीं, तो समझौता कैसा? उन्होंने कार्यकर्ताओं से चुनावी तैयारियां शुरू करने को कहा।
एजेंसी के हवाले से जानकारी मिली है कि वे सोमवार को चुनाव आयोग से मुलाकात करेंगे और साइकिल पर अपना दावा ठोकेंगे। शनिवार को सपा में बैठक और मुलाकातों का दौर चला, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव आज अचानक पार्टी दफ्तर पहुंचे। कुछ देर वहां रुके और कुछ जरूरी कागजात लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
मुलायम सिंह यादव अखिलेश पर कड़ा रूख अपना सकते हैं। वे चुनाव आयोग को अखिलेश के हलफनामे का जवाब दे सकते हैं और साइकिल पर दावा ठोक सकते हैं। बता दें कि लखनऊ पार्टी दफ्तर पर अखिलेश समर्थकों ने कब्जा कर लिया था।
बीते दिनों लखनऊ में मुलायम सिंह के घर पर बैठकों का दौर चला। आजम खान समेत कई वरिष्ठ नेता पिता-पुत्र को मनाने की कोशिश में जुटे रहे। इस दौरान एक भी नेता मीडिया से मुखातिब नहीं हुए।
अंबिका चौधरी ने काफी पूछने पर सिर्फ इतना कहा कि पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक है। पार्टी एक हो जाएगी। बैठक में क्या बातें हुई, इस सवाल पर सिर्फ इतना कहा कि इसकी जानकारी जल्द दे दी जाएगी।
बताया जा रहा है कि मुलायम सिंह, राम गोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा से काफी खफा हैं।
समाजवादी पार्टी में आंतरिक कलह को खत्म करने के लिए शनिवार को भी सुलह की दिनभर चली कोशिशें बेनतीजा रहीं। मुलायम और आजम खां के बीच करीब ढाई घंटे तक बाचतीत हुई, पर बीच का रास्ता नहीं निकल सका।
दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं।
मुलायम के आवास पर शिवपाल के साथ कई वरिष्ठ नेता पहुंचे। पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष संजय सेठ भी बुलाए गए। घंटों चली बैठक के बाद भी सुलह पर संकट बना हुआ है।
इस दौरान कोई नेता मीडिया से मुखातिब नहीं हुआ। अंबिका चौधरी ने काफी पूछने पर सिर्फ इतना कहा कि सब कुछ ठीक है। पार्टी एक हो जाएगी। बैठक में क्या बातें हुई, इस सवाल पर सिर्फ इतना कहा कि इसकी जानकारी जल्द दे दी जाएगी।
बताया जा रहा है कि मुलायम सिंह, राम गोपाल, नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा से काफी खफा हैं।
मुलायम के पांच विक्रमादित्य आवास पर सुबह 10 बजे से ही बड़े नेताओं का पहुंचना शुरू हो गया था। पहले शिवपाल, उसके बाद अंबिका चौधरी, ओम प्रकाश व नाराद राय पहुंचे। इसके कुछ देर बाद सांसद धर्मेंद्र यादव और बाद में आजम खां पहुंचे।
सूत्रों का दावा है कि सुलह के बीच में राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद आड़े आ रहा है। दोनों खेमे राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
सुलह-समझौते के लिए चल रहे प्रयासों में अखिलेश की तरफ से शनिवार को कोई पहल नहीं की गई। सुलह की कोशिश में लगे आजम खां ने मुलायम से मुलाकात की। इस दौरान बीच का रास्ता निकाल कर सुलह-समझौते करने पर चर्चा हुई, लेकिन जानकारों की मानें तो मुलायम ने साफ कर दिया है कि एकतरफा प्रयास से कुछ होने वाला नहीं है। अखिलेश खेमा किसी तरह झुकने को तैयार नहीं है।
समाजवादी पार्टी में अखिलेश गुट का दावा है कि अब अखिलेश ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहेंगे। अखिलेश समर्थकों के मुताबिक, पार्टी के विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को 90 फीसदी पदाधिकारियों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है। इन स्थितियों में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ना अधिवेशन के निर्णयों की अवहेलना होगा।
मुलायम ने पार्टी के कोषाध्यक्ष संजय सेठ को बुलाकर उनसे पार्टी फंड के बारे में जानकारी मांगी। मुलायम से मिलने के बाद संजय सेठ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने गए। इसके कुछ देर बाद फिर मुलायम से मिलने के लिए कोषाध्यक्ष पहुंचे।
बताया जा रहा है कि नेता जी ने निर्देश दिया है कि उनकी अनुमति के बिना पार्टी फंड का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
अखिलेश खेमा की मांग:
90 फीसदी लोगों ने चुना है राष्ट्रीय अध्यक्ष, इसलिए अध्यक्ष बने रहेंगे। चुनाव आयोग में 9 को रखेंगे अपनी बात। टिकट बांटने का पूरा अधिकार मिले। नेता जी स्वयं निकालें गड़बड़ी करने वालों को।
मुलायम खेमा की मांग:
मुलायम ही रहेंगे पार्टी के अध्यक्ष। रामगोपाल की दखलंदाजी बंद हो। टिकट बंटवारे में शिवपाल की राय ली जाए। बर्खास्त मंत्रियों को टिकट दिया जाए।
भारत के प्रान्त उत्तर प्रदेश के उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज आचार संहिता के उल्लंघन में फंस गए हैं। 'चार बीवी और चालीस बच्चों' वाले बयान पर उनके विरुद्ध सदर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है। संत समागम के बहाने राजनीतिक मंच सजाने पर कार्यक्रम आयोजक पर भी केस दर्ज किया गया है। चुनाव आयोग ने पूरी रिपोर्ट डीएम मेरठ से तलब कर ली है।
वेस्ट एंड रोड स्थित बालाजी मंदिर में शुक्रवार को हुए संत समागम में सांसद साक्षी महाराज पहुंचे थे। उन्होंने बयान दिया था कि देश की आबादी हिन्दू नहीं, बल्कि चार बीवी और चालीस बच्चों वाले लोगों की वजह से बढ़ रही है। भारत सरकार को इस पर कड़ा कानून बनाना चाहिए। हालांकि साक्षी महाराज ने अपने भाषण में किसी समुदाय का नाम नहीं लिया, लेकिन इसे एक संप्रदाय विशेष को ठेस पहुंचाने वाला माना गया है। साक्षी महाराज ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को भी जल्द लागू करने की वकालत की थी।
उनके इस बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ा ऐतराज जताया जिसके बाद चुनाव आयोग ने शनिवार को डीएम मेरठ चंद्रकला से साक्षी महाराज के बयान पर रिपोर्ट तलब कर ली। खुद एसएसपी जे.रविंदर गौड ने साक्षी महाराज के बयान वाली छह वीडियो क्लिप कई बार देखी। इसमें पाया गया कि साक्षी महाराज ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है। सदर थाने के सब इंस्पेक्टर रामकुमार सिंह की तहरीर पर पुलिस ने उन्नाव सांसद साक्षी महाराज और कार्यक्रम आयोजक महंत महेंद्रदास के विरुद्ध धारा-188, 295ए, 298, 505(3), 153बी और 171एस में मुकदमा किया है।
जे.रविंदर गौड, एसएसपी मेरठ ने कहा, ''सिर्फ संत समागम की परमीशन ली गई थी, मगर वहां राजनीतिक मंच सजाया गया। वीडियो में सुने भाषण में सांसद साक्षी महाराज ने एक धर्म के प्रति आपत्तिजनक भाषण दिया है। जिस पर सांसद व कार्यक्रम आयोजक के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।''
भारत की दक्षिणपंथी और सत्तारूढ़ राजनैतिक पार्टी बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता वह जो हवा में बहते नहीं बल्कि हवा के रुख को बदलते हैं। उन्होंने इस बैठक में कहा कि बेनामी संपत्ति को कैश से मजबूती मिलती है। चुनाव टिकट बंटवारे को लेकर पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा कि वह रिश्तेदारों के लिए टिकट ना मांगे।
इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि भारत में परंपरा है कि यहां के लोग अपने अंदर की ताकत को पहचानते हैं। बुराई के खिलाफ लड़ने की क्षमता रखते हैं।
रविशंकर ने बताया कि इस बैठक में पीएम मोदी ने राजनीतिक दलों की मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता पर जोर दिया। भाजपा की अगली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 15 अप्रैल को होगी। उन्होंने नोटबंदी का जो फैसला लिया गया, उसे जनता ने स्वीकारा है। गरीब और गरीबी चुनाव जीतने का माध्यम नहीं हैं और हमारी सरकार गरीब और गरीबी को वोटबैंक के चश्मे से नहीं देखते। गरीबी हमारे लिए सेवा का अवसर है।
पीएम ने कहा कि आलोचनाएं स्वागत योग्य हैं, आरोप से घबराए नहीं। हमारी सच्चाई और संकल्प हमें अच्छाई के रास्ते पर बढ़ाती रहेगी। उन्होंने कहा कि गरीब और वंचितों की जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने की जरूरत है।
पीएम ने कहा कि कुछ लोग लाइफ स्टाइल की चिंता करते हैं, उनकी लाइफ स्टाइल सुधरे। हमें यह आपत्ति नहीं है, लेकिन हमारी सरकार की चिंता गरीबों की जिंदगी को सुधारना है।
उन्होंने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे बूथ स्तर पर काम करें, जीत वहीं से सुनिश्चित होती है।
उन्होंने कहा कि गरीबों की आंतरिक शक्ति को सलाम किया है। उन्होंने कहा कि इस पूरे दो महीने में समाज शक्ति का दर्शन हुआ है।
भारत के 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आम बजट पेश करने की कवायद पर विपक्ष के ऐतराज के बाद चुनाव आयोग ने इस बारे में मोदी सरकार से जवाब मांगा है। चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिव को चिट्ठी लिखकर इस मुद्दे पर उनका जवाब 10 जनवरी तक माँगा है।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में 4 फरवरी से चुनाव शुरू हो रहे हैं और मोदी सरकार बजट 1 फरवरी को पेश करने की तयारी में है।
चुनावी घोषणा होने के एक दिन बाद ही आम बजट को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग में अपना विरोध दर्ज कराया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे केंद्र सरकार को फायदा हो सकता है। गुरुवार को कई विपक्षी दलों के नेता इस मामले की शिकायत लेकर चुनाव आयोग पहुंचे थे।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मांग की थी कि निष्पक्ष चुनाव के लिए बजट को 8 मार्च के बाद पेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 31 मार्च तक कभी भी बजट पेश किया जा सकता है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी चिट्ठी लिखी गई है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने 2012 में यह मुद्दा उठाया था कि चुनावों के दौरान आम बजट पेश नहीं किया जाना चाहिए। हमारा कहना है कि यह सत्तापक्ष द्वारा एक तय प्रथा है।
वहीं वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि बजट 1 फरवरी को ही पेश होगा। चुनाव आयोग जो भी निर्देश देगा, उसका पालन होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले आम बजट पेश पेश नहीं किए जाने संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि समय आने पर विचार किया जाएगा। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एक फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट पर रोक लगाने की मांग की थी।
उनका कहना था कि चार फरवरी से आठ मार्च तक यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले केंद्र सरकार बजट में लोकलुभावन घोषणाएं कर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर सकती है।
अपील पर सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने कहा, ''इस मामले में तत्काल सुनवाई करने की जरूरत नहीं है। हम उचित समय आने पर कानून के मुताबिक विचार करेंगे, लेकिन अभी नहीं।''
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और चुनाव का पहला चरण नजदीक आता जा रहा है, पर मुलायम के कुनबे का विवाद सुलह के मुहाने पर पहुंच कर फिर महत्वाकांक्षाओं की टकराहट में बदलता नज़र आ रहा है।
शुक्रवार को भी ऐसा ही हुआ। अखिलेश खेमा किसी समझौते के बजाए दिल्ली में चुनाव आयोग के सामने खुद को सपा का असली हकदार बताने में जुटा रहा। उधर मुलायम खेमा भी अध्यक्ष पद को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है। चुनावी गठजोड़ के लिए अखिलेश खेमा अब कांग्रेस से तालमेल की तैयारी भी कर रहा है।
शुक्रवार को लखनऊ में सुबह से शाम तक मुलाकातों व बातचीत के कई दौर के बाद अंतिम में मुलायम सिंह यादव मीडिया से बातचीत करने के लिए तैयार हुए, लेकिन ऐन वक्त पर मध्यस्थ बने आजम खां ने प्रेस कांफ्रेंस रद्द करा दी।
लखनऊ में 4 विक्रमादित्य मार्ग स्थित मुलायम सिंह आवास पर सुबह से नेताओं के आने व मिलने का सिलसिला शुरू हुआ। पहले अमर सिंह वहां पहुंचे और कुछ ही समय बाद वहां से लौट कर अपने गोमती नगर स्थित आवास आ गए। शिवपाल यादव मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने पांच कालिदास मार्ग चले गये।
इस बीच चर्चा रही कि अमर सिंह ने पार्टी से इस्तीफे की पेशकश की है और खुद ही इसका ऐलान करेंगे, लेकिन बाद में ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद शिवपाल ने मुलायम से मुलाकात की।
वहां पर बेनी प्रसाद वर्मा व नारद राय को बुला लिया गया। अमर सिंह दुबारा मुलायम के यहां पहुंचे। इनकी बातचीत के बाद अमर सिंह निकल गये। उनके जाने के बाद आजम खां मुलायम से मिलने गए।
इनके बीच खासी अहम बातचीत हुई। सुबह से सुलह के फॉर्मूले पर दोनों पक्षों के नेताओं में सहमति बनाने की कोशिशें होती रहीं। बताया जा रहा है कि अमर सिंह ने मुलायम से कह दिया कि वह सुलह के लिए पीछे हटने को तैयार हैं और वह त्यागपत्र दे देंगे। वहीं शिवपाल भी राष्ट्रीय राजनीति में जाने का तैयार हैं।
अखिलेश खेमा की मांग
अखिलेश यादव हर हाल में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद अपने पास रखना चाहते हैं। अमर सिंह को सपा से बाहर करने का ऐलान किया जाए और शिवपाल प्रदेश अध्यक्षी छोड़ें। टिकट बांटने में उन्हें पूरी आजादी मिले।
मुलायम खेमा की मांग
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर दावा छोड़ने को तैयार नहीं। रामगोपाल को पार्टी से बाहर निकाला जाए। शिवपाल को केंद्रीय राजनीति में अहमियत व बेटे को टिकट तथा टिकट बांटने में शिवपाल व मुलायम समर्थकों को तवज्जो दी जाये।
सूत्र बताते हैं कि अमर सिंह ने खुद को पीछे करने के लिए तैयार कर लिया है। उन्होंने मुलायम सिंह यादव से कह दिया है कि अगर उनको किनारे कर देने या निकाल देने से सुलह हो जाती है तो वह इसके लिए तैयार हैं। उन्हें कोई एतराज नहीं है।
उधर, शिवपाल यादव भी अखिलेश यादव खेमे की इस शर्त्त को मानने को तैयार हैं कि वह प्रदेश अध्यक्ष नहीं रहेंगे और प्रदेश की राजनीति के बजाए केंद्रीय राजनीति में जाएंगे। वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनने को तैयार हैं। पर, उनकी शर्त्त है कि अनुशासनहीनता करने वाले व मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बोलने वाले रामगोपाल यादव पर कोई न कोई कार्रवाई तो होनी ही चाहिए।
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के ऐन मौके पर समाजवादी कुनबे में चल रही तकरार को खत्म कर सुलह-समझौते की कोशिशें एक बार फिर तेज हो गई हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार को 208 विधायकों के समर्थन का हलफनामा लिया और बाद में खुद ही सकारात्मक संकेत दिए।
उधर मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव ने अमर सिंह से दिल्ली में बात की और शाम को तीनों लखनऊ आ गए। वहीं अखिलेश यादव भी 4 विक्रमादित्य मार्ग स्थित अपने आवास पहुंचे। दोनों के बीच पहले भी सुलह की कोशिश कर चुके आजम खां एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने सुबह पहले मुख्यमंत्री से मुलाकात की और विधायकों की बैठक में शामिल हुए। शाम को आजम खां ने मुख्यमंत्री से उनके आवास पर मुलाकात की। सीएम ने विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और सांसदों से समर्थन का हलफनामा लिया है।
सूत्र बता रहे हैं कि सुलह की कोशिशों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए दोनों ही पक्ष पीछे हटने को तैयार हैं। अखिलेश खेमा टिकटों को लेकर रियायत देने को तैयार है, लेकिन रामगोपाल पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की शिवपाल खेमे की मांग पर बात नहीं बन सकती। दबाव बढ़ने पर यह मांग छोड़ी भी जा सकती है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के खेमे में जंग अब और तेज हो गई है। अखिलेश ने जनता के बीच जाने से पहले सपा के चुनाव सिंबल साइकिल के लिए गुरुवार को लखनऊ में दमखम दिखाते हुए 208 विधायकों का समर्थन जुटाया। उधर मुलायम सिंह यादव दिल्ली में सक्रिय हैं और चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखने के लिए कानूनी जोड़तोड़ में जुटे हैं। इसी के साथ ही दोनों खेमे अब अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी में दिख रहे हैं।
चुनाव चिन्ह साइकिल हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश ने बैठक बुलाई। इसमें गुरुवार को शिवपाल खेमे के कई विधायक व एमएलसी भी शामिल हुए। मसलन विधायक कमाल युसुफ, गजाला लारी और लालू यादव के समधी और एमएलसी जितेंद्र यादव भी इस बैठक में शामिल हुए।
बैठक में व्यवस्था बनाने का काम एमएलसी व सीएम की यूथ टीम के सदस्य सुनील साजन, आनंद भदौरिया व उदयवीर सिंह के हाथ में रहा। सीएम आवास पर जनता दर्शन हाल में सभी विधायकों, एमएलसी को बिठाया गया और उन्हें हलफनामे का फार्म दिया गया। इस पर उन्हें दस्तखत करने थे। सीएम ने इससे पहले अलग से आजम खां व गायत्री प्रजापति से बातचीत की।
उधर मुलायम सिंह व उनके छोटे भाई शिवपाल यादव ने दिल्ली में सिंबल के लिए रणनीति बनाई। चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों से 9 जनवरी तक दावे के समर्थन में सारे साक्ष्य मांगे हैं। इसी के साथ ही अब दोनों खेमे अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। मुलायम के अशोक रोड के आवास पर शिवपाल, अमर सिंह, जयाप्रदा व कुछ और नेता शामिल हुए। बताया जा रहा है कि इस खेमे का रुख नरम है और सुलह के मूड में है। इससे पहले मुलायम सिंह यादव व शिवपाल यादव गुरुवार सुबह अचानक दिल्ली चले गए।
हलफनामे में जनप्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर कर कहा है कि वे अखिलेश यादव के नेतृत्व में आस्था व्यक्त करते हैं और पूरा विधानमंडल दल अखिलेश के साथ है। यह हलफनामा चुनाव आयोग को सौंपा जाएगा।