अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध

ग़ज़ा में जारी इसराइली हमले पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने इसराइल से क्या कहा?

ग़ज़ा में जारी इसराइली हमले पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने इसराइल से क्या कहा?

शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने इसराइल के ख़िलाफ़ ग़ज़ा में फ़लस्तीनियों के ख़िलाफ़ नरसंहार करने के आरोपों पर शुक्रवार, 26 जनवरी 2024 को आदेश जारी किया है।

दक्षिण अफ़्रीका ने पिछले साल 29 दिसंबर 2023 को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में इसराइल के ख़िलाफ़ अपील दायर की थी।

इस मामले पर पिछले कुछ दिनों से सुनवाई जारी थी।

शुक्रवार, 26 जनवरी 2024 को आईसीजे ने इस मामले में अपना आदेश जारी कर दिया।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि इसराइल इस संघर्ष में फ़लस्तीनियों को नुकसान से बचाने की दिशा में हर संभव प्रयास करे।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने कहा है कि इसराइल ये सुनिश्चित करे कि इसराइली सेना जेनोसाइड के तहत आने वाली गतिविधियों को अंजाम न दे।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने कहा है कि इसराइल ग़ज़ा में नरसंहार के लिए उकसाने की श्रेणी में आने वाले किसी भी सार्वजनिक बयान को रोके और उस पर सज़ा तय करे।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के फैसले पर दक्षिण अफ़्रीका ने ख़ुशी जताई, इसराइल ने क्या कहा?

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस की ओर से आए इस फ़ैसले पर दक्षिण अफ़्रीकी वकीलों ने ख़ुशी ज़ाहिर की है।

दक्षिण अफ़्रीका की विदेश मंत्री नालेदी पंडोर ने कहा है कि ''मैं चाहती थी कि इस आदेश में विराम शब्द शामिल हो। लेकिन जो दिशा निर्देश दिए गए हैं, उनसे संतुष्ट हूं।''

एक पत्रकार ने दक्षिण अफ़्रीका की नालेदी पंडोर से पूछा कि क्या उन्हें उम्मीद है कि इसराइल इस आदेश का पालन करेगा?

इस पर नालेदी पंडोर ने कहा कि उन्हें कभी इसकी उम्मीद नहीं थी कि ऐसा संभव होगा।

वहीं, इसराइली प्रधानमंत्री नेतान्याहू के शीर्ष सलाहकार मार्क रेगेव ने कहा है कि दक्षिण अफ़्रीका अपने उद्देश्य हासिल करने में सफल नहीं हुआ।

बीबीसी के इंटरनेशनल एडिटर जेरेमी वोबेन के मुताबिक़, जज ने जो कहा है वो दक्षिण अफ़्रीकी वकीलों के लिए जीत जैसा है और इसराइल के लिए हार जैसा है।

जेरेमी वोबेन ने लिखा है - 'जज ने ऐसा नहीं कहा कि आपको संघर्ष विराम करना होगा क्योंकि इंटरनेशनल ह्यमैनेटेरियन लॉ के तहत सही परिस्थितियों और सही लीगल फ्रेमवर्क में युद्ध को क़ानूनी स्वीकार्यता हासिल है. लेकिन जज ने जो कहा है, उसका मतलब ये है कि इन दिशानिर्देशों के तहत इसराइल को अपने युद्ध लड़ने के ढंग में बड़ा बदलाव करना होगा।'

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, वेस्ट बैंक पर शासन करने वाले फ़लस्तीनी प्राधिकरण के फ़लस्तीनी मंत्री रियाद अल-मलिकी ने इस फ़ैसले पर ख़ुशी जताई है।

रियाद अल-मलिकी ने कहा है कि आईसीजे के जजों ने क़ानून और तथ्यों की पड़ताल करते हुए अंतरराष्ट्रीय क़ानून और मानवता के पक्ष में फैसला सुनाया है।

दक्षिण अफ़्रीका ने इसराइल पर क्या आरोप लगाए थे?

दक्षिण अफ्रीका ने आईसीजे में दायर 84 पन्नों की अपनी अपील में कहा था कि इसराइल की कार्रवाई की प्रकृति जनसंहार की है क्योंकि उनकी मंशा ग़ज़ा में फ़लस्तीनी लोगों की अधिक से अधिक तबाही है।

इसमें कहा गया था कि जनसंहार की कार्रवाई में फ़लस्तीनी लोगों की हत्या, गंभीर मानसिक और शारीरिक क्षति पहुंचाना और ऐसे हालात पैदा करना शामिल है, जिसका उद्देश्य "सामूहिक रूप से उनकी तबाही है।

आईसीजे में दायर अपील के अनुसार, इसराइली अधिकारियों के बयानों में भी जनसंहार की मंशा झलकती है।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ ऑस्ट्रेलिया में क़ानून की लेक्चरर जूलियट एम के मुताबिक़, दक्षिण अफ़्रीका की याचिका 'बहुत व्यापक' और 'बहुत ध्यान से लिखी' गई थी।

नरसंहार क्या होता है?

इस शब्द को साल 1943 में यहूदी पोलिश (पोलैंड से जुड़े) वकील राफ़ेल लेमकिन ने इज़ाद किया था। उन्होंने ग्रीक शब्द जेनोस, जिसका अर्थ नस्ल या कबीले से होता है, को लैटिन शब्द साइड (हत्या) से जोड़ा था।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों के सामूहिक नरसंहार की बर्बरता देखकर डॉ लेमकिन ने अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत जेनोसाइड को अपराध ठहराने के लिए अभियान चलाया।

होलोकॉस्ट में डॉ लेमकिन के भाई को छोड़कर उनके परिवार के हर सदस्य की मौत हो गयी थी।

डॉ लेमकिन के प्रयासों के चलते दिसंबर 1948 में यूनाइटेड नेशंस जेनोसाइड कन्वेंशन को स्वीकार किया गया जो जनवरी 1951 से अमल में आया।

यूनाइटेड नेशंस जेनोसाइड कन्वेंशन के आर्टिकल - 2 में राष्ट्रीय, नस्लीय, सांस्कृतिक या धार्मिक समूह को आंशिक या पूरी तरह नष्ट करने के इरादे से किए गए इन कार्यों को जेनोसाइड के रूप में परिभाषित किया गया है -

- एक समूह के सदस्यों को मारना।
- एक समूह के सदस्यों को गंभीर शारीरिक और मानसिक नुकसान पहुंचाना।
- किसी समूह को जानबूझकर ऐसी स्थितियों में जीने के लिए मजबूर किया जाना जिससे उनका आंशिक या समूल शारीरिक नुकसान हो।
- ऐसे कदम उठाना जिनका मकसद किसी समूह में बच्चों को जन्म लेने से रोकना हो।
- किसी एक समूह के बच्चों को दूसरे समूह में जबरन भेजा जाना।                   
- कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने वाले सभी सदस्य देशों की ये सामान्य ज़िम्मेदारी है कि वे जेनोसाइड को होने से रोकें और ऐसा करने वालों को सज़ा दें।

इसराइल पर ग़ज़ा में जनसंहार का मुकदमा, इंटरनेशनल कोर्ट ने क्या कहा?

इसराइल पर ग़ज़ा में जनसंहार का मुकदमा, इंटरनेशनल कोर्ट ने क्या कहा?

शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

शुक्रवार, 26 जनवरी 2024 को नीदरलैंड्स के हेग में मौजूद इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में इसराइल के ख़िलाफ़ ग़ज़ा में फ़लस्तीनियों के ख़िलाफ़ नरसंहार करने के आरोपों की सुनवाई हुई ।

ये मुकदमा दक्षिण अफ़्रीका ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में दायर किया था।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने दक्षिण अफ़्रीका की तरफ़ से प्रस्तावित नौ आपात कदमों पर विचार किया। लेकिन वो दक्षिण अफ़्रीका के इसराइल पर जनसंहार के आरोपों पर विचार नहीं करेगी। इसराइल इन आरोपों से इनकार करता रहा है।

अदालत ने जिन प्रस्तावित कदमों पर विचार किया, उनमें इसराइल का ग़ज़ा में तत्काल सैन्य अभियान निलंबित किया जाना शामिल है।

जज जोआन डोनोगाउ ने कहा कि अदालत लोगों की मौतों और पीड़ा को लेकर 'गंभीर रूप से चिंतित' है।

जज जोआन डोनोगाउ ने कहा कि मौजूदा मामले का दायरा सीमित है।

जज ने सुनवाई के दौरान हमास के इसराइल पर सात अक्टूबर 2023 को हुए हमले का भी ज़िक्र किया। जज ने कहा कि इसराइल पर लगे कुछ आरोप जेनोसाइड कन्वेंशन के प्रावधानों के अंदर हैं।

जज ने कहा कि जेनोसाइड कन्वेंशन में शामिल कोई भी पार्टी दूसरे देश के ख़िलाफ़ मामला दायर कर सकता है इसलिए दक्षिण अफ्ऱीका के पास ये मुकदमा दायर करने का कानूनी आधार है।

सुनवाई के दौरान जज ने संयुक्त राष्ट्र आपत राहत कॉर्डिनेटर मार्टिन ग्रिफिथ्स का बयान भी कोट किया कि 'ग़ज़ा मौत और निराशा का प्रयाय बन चुका है।''

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के बाहर इसराइली और फ़लस्तीनी समर्थक भी जमा हुए हैं।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में 11 जनवरी 2024 से इसराइल के ख़िलाफ़ दर्ज मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई थी।

दक्षिण अफ़्रीका का इसराइल पर जनसंहार का आरोप

दक्षिण अफ्रीका ने 84 पृष्ठों की एक अपील इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि इसराइल की कार्रवाई की प्रकृति जनसंहार की है क्योंकि उनकी मंशा, ग़ज़ा में फ़लस्तीनी लोगों की अधिक से अधिक तबाही है।

इसमें कहा गया है कि जनसंहार की कार्रवाई में फ़लस्तीनी लोगों की हत्या, गंभीर मानसिक और शारीरिक क्षति पहुंचाना और ऐसे हालात पैदा करना शामिल है, जिसका उद्देश्य "सामूहिक रूप से उनकी तबाही है।''

आईसीजे में दायर अपील के अनुसार, इसराइली अधिकारियों के बयानों में भी जनसंहार की मंशा झलकती है।

इसराइल ने जनसंहार के आरोप पर क्या कहा था?

इसराइली क़ानूनी सलाहकार ताल बेकर ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में कहा कि दक्षिण अफ़्रीका सच को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है, वो इसराइल-फ़लस्तीन संघर्ष के बारे में "सच से परे व्यापक विवरण पेश कर रहा है।''

12 जनवरी 2024 को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपनी दलील शुरू करते हुए ताल बेकर ने ये स्वीकार किया कि ग़ज़ा में आम नागरिक जो कष्ट झेल रहे हैं वो "त्रासदी'' है।

हालांकि ताल बेकर ने ये भी कहा कि फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास "इसराइल और फ़लस्तीनियों को हो रहे नुक़सान को बढ़ाना" चाहता है जबकि "इसराइल इसे कम करना चाहता है''।

ताल बेकर ने कहा, "ये दुख की बात है कि दक्षिण अफ़्रीका ने कोर्ट के सामने बेहद तोड़-मरोड़ कर तथ्यात्मक और क़ानूनी तस्वीर को पेश किया है। ये पूरा मामला मौजूदा संघर्ष की हकीकत के संदर्भ से हटकर और जोड़-तोड़ वाले विवरण के आधार पर जानबूझकर बनाया गया है।''

इसराइल पर जनसंहार का मुकदमा, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने फैसले में क्या कहा?

शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

इसराइल के हमले झेल रहे ग़ज़ा में तत्काल संघर्ष विराम करने के दक्षिण अफ़्रीका के आग्रह पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी आईसीजे ने सहमति नहीं जताई है।

ये कुछ ऐसा है जिससे दक्षिण अफ़्रीका और फ़लस्तीनी लोगों को निराशा हो सकती है।

हालांकि, सुनवाई कर रहे 17 जजों में से ज़्यादातर ने ये कहा कि इसराइल को अपनी क्षमता के अनुसार हर वो चीज करनी चाहिए जिससे फ़लस्तीनी लोगों की मौतों, शारीरिक या मानसिक तौर पर क्षति पहुंचाने से बचाया जा सके।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने ये भी कहा कि इसराइल को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जो फ़लस्तीनी महिलाओं को बच्चों को जन्म देने में बाधा पहुंचाता हो।

जनसंहार पर अदालत का ये अंतिम फ़ैसला नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस बारे में निर्णय लेने में कई साल लगेंगे। इसराइल को अब इस पर निर्णय लेना है।

आईसीजे के फ़ैसले बाध्यकारी तो हैं लेकिन इसको लागू करने वाले के लिए कोई व्यवस्थित सिस्टम नहीं है। संघर्षविराम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक प्रयास जारी हैं।

ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने को और बेहतर करने के भी प्रयास हो रहे हैं तो ऐसे में इसराइल अदालत के सामने ये तर्क रख सकता है कि वो अदालत की मांगों पर तो पहले से ही कदम उठा रहा है।

पाकिस्तान के दो नागरिकों की हत्या करवाने के आरोपों पर भारत ने क्या कहा?

पाकिस्तान के दो नागरिकों की हत्या करवाने के आरोपों पर भारत ने क्या कहा?

गुरुवार, 25 जनवरी 2024

दो पाकिस्तानी नागरिकों की हत्या करवाने के पाकिस्तान के आरोपों पर भारत के विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है।

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमने पाकिस्तान के विदेश सचिव की ओर से दिए बयान पर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स देखी हैं। ये भारत विरोधी झूठा प्रोपेगेंडा चलाने का पाकिस्तान का नया प्रयास है।''

दरअसल, इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश सचिव मोहम्मद साइरस सज्जाद क़ाज़ी ने गुरुवार, 25 जनवरी 2024 को कहा कि सियालकोट और रावलकोट में दो पाकिस्तानी नागरिकों की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के 'पुख़्ता सबूत' हैं।

इस पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "दुनिया जैसा कि जानती ही है कि पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद, संगठित अपराध और अवैध गतिविधियों का गढ़ रहा है।

बयान में कहा गया, "भारत और कई अन्य देशों ने सार्वजनिक तौर पर पाकिस्तान को चेताया है कि इस आतंकवाद और हिंसा की अपनी प्रकृति का शिकार वह खुद होगा। पाकिस्तान वही काटेगा, जो उसने बोया है।  अपने गलत कामों के लिए दूसरों पर आरोप मढना न तो जायज़ है और न ही ये समाधान है।''

पाकिस्तान का दावा भारतीय एजेंटों ने की थी शाहिद लतीफ़ और मोहम्मद रियाज़ की हत्या

गुरुवार, 25 जनवरी 2024

पाकिस्तान ने भारत पर पाकिस्तानी क्षेत्र में दो पाकिस्तानी नागरिकों की हत्या करवाने का आरोप लगाया है।

इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश सचिव मोहम्मद साइरस सज्जाद क़ाज़ी ने गुरुवार, 25 जनवरी 2024 को कहा कि सियालकोट और रावलकोट में दो पाकिस्तानी नागरिकों की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के 'पुख़्ता सबूत' हैं।

पाकिस्तान ने इन मामलों को सुपारी देकर हत्या करवाने का मामला बताया है।

पाकिस्तान के विदेश सचिव मोहम्मद साइरस सज्जाद क़ाज़ी ने आरोप लगाया, "11 अक्टूबर 2023 को शाहिद लतीफ़ नाम के व्यक्ति की हत्या सियालकोट में एक मस्जिद के बाहर कर दी गई। योगेश कुमार नाम के एक भारतीय एजेंट ने इस हत्या का षडयंत्र रचा, वो किसी तीसरे देश में रह रहा है। उसने मोहम्मद उमेर नाम के एक व्यक्ति को हायर किया।''

शाहिद लतीफ़ को भारत में पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है।

साल 2016 में पठानकोट में हुए आतंकवादी हमले में सात भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी। हमले में शामिल सभी आतंकवादी भी मारे गए थे।

पाकिस्तानी विदेश सचिव ने दावा किया कि मोहम्मद उमर ने पांच लोगों की टीम बनाई और पहली बार में वो फेल रहे लेकिन 11 अक्टूबर 2023 को उन्होंने लतीफ़ की हत्या कर दी।

क़ाज़ी ने बताया कि 12 अक्टूबर 2023 को मोहम्मद उमेर को गिरफ्त़ार कर लिया गया, वो पाकिस्तान से फरार होने की कोशिश में था।

पाकिस्तान के विदेश सचिव ने आरोप लगाया कि दूसरी हत्या मोहम्मद रियाज़ नाम के व्यक्ति की हुई।

मोहम्मद रियाज़ एक कश्मीरी आतंकवादी थे जिनकी पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के रावलकोट में 8 सितंबर 2023 को एक मस्जिद में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मोहम्मद रियाज़ को अबु कासिम कश्मीरी के नाम से भी जाना जाता था।

पाकिस्तान ने दावा किया है कि सुरक्षा अधिकारियों ने मोहम्मद अब्दुल्ला अली नाम के आरोपी को 15 सितंबर 2023 को गिरफ्तार कर लिया।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि मोहम्मद अब्दुल्ला अली को भी जिन्ना अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से गिरफ़्तार किया गया और पूछताछ के दौरान पता चला कि भारतीय एजेंट अशोक कुमार आनंद और योगेश कुमार इसमें शामिल था।

पाकिस्तान ने कहा है कि इस तरह के और भी मामले हैं, जिनकी जांच जारी है।

मालदीव और चीन ने पर्यटन सहयोग सहित 20 प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए

मालदीव और चीन ने पर्यटन सहयोग सहित 20 प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए

बुधवार, 10 जनवरी 2024

भारत और मालदीव के बीच चल रहे राजनयिक तनाव के बीच बुधवार, 10 जनवरी 2024 को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के साथ बैठक की और इसके बाद दोनों देशों ने पर्यटन सहयोग सहित 20 "प्रमुख" समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को और व्यापक करने की घोषणा की।

इस बैठक को लेकर मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने कहा कि वह चीन में अपने पहले आधिकारिक दौरे को लेकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं और उन्हें खुशी है कि वो चीन के लिए इस साल के पहले विदेशी राजनीतिक मेहमान हैं।

मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक्स पर लिखा, "आज मालदीव सरकार और चीन सरकार के बीच 20 प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए और ये दोनों राष्ट्रपतियों की मौजूदगी में हुआ।''

जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए है उसमें टूरिज़्म कोऑपरेशन, ब्लू इकॉनमी, आपदा प्रबंधन, डिजिटल अर्थव्यवस्था में निवेश को मजबूत करना शामिल है। इसके साथ ही चीन मालदीव को अनुदान सहायता भी देगा, लेकिन वो रकम कितनी होगी इसकी जानकारी नहीं दी गयी है।

इसके अलावा समझौतों में चीन के बेल्ट एंड रोड पहल के ज़रिए निर्माण के कामों में तेज़ी लाना, फुशीदिग्गारु फाल्हू पर आवास परियोजना, फिशरी के उत्पादों के कारखाने बनाना, माले और विलीमाले में सड़क विकास परियोजनाओं का पुन: विकास करना भी शामिल है।

चीन की सिन्हुआ न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़, शी जिनपिंग ने इस बात पर जोर दिया कि चीन मालदीव का सम्मान और समर्थन करता है और वो मालदीव के राष्ट्रीय हित में किए जा रहे विकास के एजेंडे में उनकी मदद करेगा। साथ ही चीन राष्ट्रीय संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय गरिमा की रक्षा करने में मालदीव के साथ दृढ़ता से खड़ा है।

भारत-मालदीव विवाद

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू चीन का पांच दिवसीय दौरा ऐसे समय कर रहे हैं जब भारत और मालदीव के बीच राजनयिक विवाद पैदा हो गया है।

दरअसल बीते दिनों मालदीव के दो मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी की। इसके बाद सोमवार, 8 जनवरी 2024 को राजनयिक स्तर पर दोनों देशों के अधिकारियों को तलब किया गया।

भारत में मालदीव के उच्चायुक्त इब्राहिम साहिब को तलब किया गया।  मालदीव में भारत के उच्चायुक्त मुनु महावर ने माले में एंबेसडर एट लार्ज नसीर मोहम्मद से मुलाक़ात की।

मुइज़्ज़ू सरकार ने तीन डिप्टी मंत्रियों को उनके सोशल मीडिया पर किए गए अपमानजनक पोस्ट के लिए सस्पेंड कर दिया है।

मंगलवार, 9 जनवरी 2024 को मुइज़्ज़ू ने चीन में कहा था कि चीन कोविड महामारी से पहले मालदीव के पर्यटन के मामले में सबसे बड़ा देश था और उसे वापस ये जगह लेने की 'कोशिशें तेज़ कर देनी चाहिए'।

इस समय पर्यटन के लिहाज से सबसे ज्यादा भारतीय पर्यटक मालदीव जाते हैं।

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने शी जिनपिंग से मुलाक़ात के बाद क्या कहा?

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने शी जिनपिंग से मुलाक़ात के बाद क्या कहा?

बुधवार, 10 जनवरी 2024

भारत के साथ राजनयिक विवाद के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की  मुलाकात और बातचीत हुई है।

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू का रेड कारपेट पर स्वागत किया गया और 21 तोपों की सलामी दी गई।

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के बारे में जानकारी देते हुए लिखा है, ''दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने की घोषणा की है।''

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, "नई परिस्थितियों में, चीन-मालदीव संबंधों को पिछली उपलब्धियों से और आगे बढ़ाने का ऐतिहासिक अवसर मिला है।''

वहीं मुइज़्ज़ू ने कहा कि वह कई महत्वपूर्ण कैबिनेट मंत्रियों के साथ चीन की अपनी पहली राजकीय यात्रा करने और इस वर्ष चीन की मेज़बानी करने वाले पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष बनने पर सम्मानित महसूस कर रहे हैं, जो पूरी तरह से दर्शाता है कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों के विकास को कितना महत्व देते हैं।

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू चीन के पांच दिवसीय राजकीय दौरे पर हैं।

इसराइली सेना शरणार्थी शिविरों की ओर बढ़ी, 1.5 लाख फ़लस्तीनियों ने सेंट्रल ग़ज़ा छोड़ा

इसराइली सेना शरणार्थी शिविरों की ओर बढ़ी, 1.5 लाख फ़लस्तीनियों ने सेंट्रल ग़ज़ा छोड़ा

शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ग़ज़ा पट्टी में स्थित शरणार्थी शिविरों की ओर इसराइली सेना के बढ़ने के कारण क़रीब 1.5 लाख फ़लस्तीनियों को सेंट्रल ग़ज़ा छोड़कर जाने पर मजबूर होना पड़ा है।

प्रत्यक्षदर्शियों और हमास के हथियारबंद धड़े ने बताया है कि इसराइली सेना के टैंक बुरेज शिविर की पूर्वी छोर पर पहुंच गए हैं।

इसराइली सेना ने हाल में बुरेज के साथ नुसीरत और मग़ाज़ी शिविरों को निशाना बनाते हुए आक्रामक अभियान की शुरुआत की।

हमास संचालित ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार, 28 दिसंबर 2023 को दावा किया कि इसराइल की गोलीबारी में कई दर्ज़न लोग मारे गए।

उधर मिस्र ने बताया है कि उसने युद्धविराम का लक्ष्य रखते हुए तीन चरणों वाला एक प्रस्ताव पेश किया है।

हमास का एक प्रतिनिधिमंडल इस प्रस्ताव का उत्तर देने के लिए मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंच गया है।

इसी बीच संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार, 28 दिसंबर 2023 को जारी एक रिपोर्ट में इसराइल पर कई आरोप लगाए।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इसराइली बस्तियों के हथियारबंद बाशिंदों की ओर से हो रहे हमलों में उछाल के कारण फ़लस्तीन के चरवाहा समुदाय का बड़े पैमाने पर विस्थापन हो रहा है। आवागमन को लेकर जारी भेदभावपूर्ण प्रतिबंध से लोगों की रोज़ाना की ज़िंदगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है।  

इस रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने इसराइल से वेस्ट बैंक में फ़लस्तीनी नागरिकों की 'ग़ैरक़ानूनी हत्याओं' को रोकने का आग्रह किया।

यूक्रेन के कई शहरों पर रूस के हवाई हमले: 18 लोगों की मौत, 130 से अधिक लोग घायल

यूक्रेन के कई शहरों पर रूस के हवाई हमले: 18 लोगों की मौत, 130 से अधिक लोग घायल

शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023 को सुबह से ही यूक्रेन पर रूस की ओर से किए कई हवाई हमलों में 18 लोगों के मारे जाने और 130 लोगों के घायल होने की ख़बर है।

कीएव में यूक्रेन संवाददाता जेम्स वाटरहाउस ने कहा कि एक साथ किए गए मिसाइल हमलों में इतने बड़े पैमाने पर तबाही पहले नहीं देखी गई है।

यूक्रेन की सेना ने कहा कि रूस ने उस पर 158 मिसाइलों और ड्रोन से हमला बोला है।

रूस ने ईरान निर्मित शाहीद ड्रोन से पहले हमला किया, इसके बाद 55 क्रूज़ मिसाइलें, 14 बैलिस्टिक मिसाइलें और पांच एयरोबैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इसके अलावा कुछ एंटी रडार मिसाइलें भी दागीं।

यूक्रेनी सेना के कमांडर इन चीफ़ वैलेरी ज़ालुंझनी ने कहा कि यूक्रेन ने 36 में से 27 ड्रोन और 87 मिसाइलों को मार गिराया।

यूक्रेनी पुलिस ने अपने टेलीग्राम पोस्ट में कहा है कि डेनिपर में पांच लोगों की मौत और 26 घायल, खारकीएव में तीन की मौत और 13 नागरिक घायल, ज़ापोरिझिया में चार लोगों की मौत और 12 घायल, ओडेसा में दो की मौत और 27 घायल, कुछ लोगों के मलबे में दबे रहने की आशंका, ल्वीव में एक की मौत और 27 घायल और कीएव में तीन लोगों की मौत और 22 लोग घायल हुए हैं।

इसी हफ़्ते की शुरुआत में क्राइमिया में रूस के एक लैंडिंग पोत को यूक्रेन ने हमला कर डुबा दिया था, माना जा रहा है कि रूस ने उसी के जवाब में ये कार्रवाई की है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा कि रूस ने इस हमले में लगभग हर किस्म के हथियारों का इस्तेमाल किया।

यूक्रेन में अमेरिकी राजदूत ने कहा है कि 2024 में ऐसे भयानकता से लड़ने के लिए यूक्रेन को और अधिक मदद की ज़रूरत है।

इसराइल-ग़ज़ा युद्ध: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में इसराइल पर मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए गए

इसराइल-ग़ज़ा युद्धः यूनएन की रिपोर्ट में इसराइल पर मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप

गुरुवार, 28 दिसंबर, 2023

संयुक्त राष्ट्र ने वेस्ट बैंक में बड़े पैमाने पर छापे की कार्रवाई, गिरफ़्तारियां, हत्याओं और मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है।

साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने इसराइल से वेस्ट बैंक में फ़लस्तीनी नागरिकों की 'ग़ैरक़ानूनी हत्याओं' को रोकने का आग्रह किया है।

यूएन के मानवाधिकार मामलों के प्रमुख वोल्कर टर्क ने कहा कि इसराइल द्वारा सैन्य रणनीति, बेहिसाब ताक़त के इस्तेमाल और लोगों के आवागमन पर पाबंदी लगाए जाने से वो काफ़ी दुखी हैं।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा गुरुवार, 28 दिसंबर, 2023 को जारी की गई रिपोर्ट में इसराइल पर कई आरोप लगाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि बड़ी संख्या में लोगों की मनमाना गिरफ़्तारियां, हिरासत और टॉर्चर और इसराइली सेना द्वारा बुरा बर्ताव, सामूहिक सज़ा की चिंता को बढ़ाता है। इसराइली बस्तियों के हथियारबंद बाशिंदों की ओर से हो रहे हमलों में उछाल के कारण फ़लस्तीन के चरवाहा समुदाय का बड़े पैमाने पर विस्थापन हो रहा है। आवागमन को लेकर जारी भेदभावपूर्ण प्रतिबंध से लोगों की रोज़ाना की ज़िंदगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

रिपोर्ट जारी करते हुए वोल्कर टर्क ने कहा कि इसके नतीजे बहुत विचलित करने वाले हैं और संघर्षों में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले नए नहीं हैं लेकिन 'जिस स्तर की हिंसा और दमन का सहारा लिया जा रहा है, वो बीते कुछ सालों में देखने को नहीं मिली है'।

इसराइली सेना ने ग़लती मानी

गुरुवार, 28 दिसंबर, 2023

क्रिसमस की पूर्व संध्या पर 24 दिसम्बर 2023 को मग़ाज़ी शरणार्थी कैंप को निशाना बनाकर की गई बमबारी को लेकर इसराइली सेना के अधिकारी ने माना है कि ग़लत हथियार के चुनाव के कारण नागरिकों को अत्यधिक नुकसान हुआ।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, रविवार, 24 दिसम्बर 2023 को हुई इस इसराइली बमबारी में कम से कम 86 लोग मारे गए हैं और हताहतों की संख्या और बढ़ सकती है।

सरकारी प्रसारक कान न्यूज़ से एक इसराइली सैन्य अधिकारी ने कहा कि जो हमला किया गया था उसके लिए ग़लत हथियार का चुनाव किया गया था जिससे नागरिक नुकसान ज़्यादा हुआ, जिससे बचा जा सकता था।

इस घटना को लेकर बीबीसी से इसराइली सेना ने 'अफ़सोस' जताया।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कहा कि रविवार, 24 दिसम्बर 2023 को इसराइली सेना ने मग़ाज़ी कैंप समेत सेंट्रल ग़ज़ा में 50 जगहों पर बमबारी की थी।

मग़ाज़ी कैंप में दो रिहाईशी इमारतों पर बम गिरे थे, जिनमें सर्वाधिक लोग मारे गए।

ग़ज़ा पट्टी में युद्ध शुरू होने के बाद से अबतक 21,320 फ़लस्तीनी मारे गए, 55,603 लोग घायल

ग़ज़ा में इसराइली बमबारी में 50 लोगों की मौत, 24 घंटे में 210 लोगों की मौत हुई

गुरुवार, 28 दिसंबर, 2023

हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि बीते 24 घंटों में ग़ज़ा में 210 फ़लस्तीनियों की मौत हुई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, गुरुवार, 28 दिसंबर, 2023 की सुबह ग़ज़ा के उत्तर में बेत लाहिया, दक्षिण में ख़ान यूनिस और मध्य में मग़ाज़ी शरणार्थी कैंपों में हुई इसराइली बमबारी से कम से कम 50 फ़लस्तीनियों की मौत हुई है।

हमास से मान्यता प्राप्त सफ़ा न्यूज़ एजेंसी ने बताया है कि मग़ाज़ी में एक घर बमबारी की चपेट में आया, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। वहीं बेत लाहिया में चार घर पूरी तरह बर्बाद हो गए।

ख़ान यूनिस के अल-अमाल अस्पताल के आसपास हो रही बमबारी से भी कई लोगों की जान गई है।

हमास प्रशासित ग़ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, ग़ज़ा पट्टी में युद्ध शुरू होने के बाद से अबतक 21,320 फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं, जबकि 55,603 लोग घायल हुए हैं।

सेना में भर्ती होने से इनकार करने पर इसराइली युवा को जेल की सज़ा मिली

गुरुवार, 28 दिसंबर, 2023

सेना में जाने से मना करने वाले 18 साल के एक इसराइली युवा पर मुकदमा चलाया गया है और उन्हें मिलिट्री जेल में 30 दिन क़ैद की सज़ा दी गई है।

इसराइली मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, टाल मिटनिक तेल अवीव में रहते हैं। वो एक सैन्य भर्ती केंद्र में गए और उन्होंने सेना में शामिल न होने के अपने फैसले की घोषणा की।

उन्होंने अपने अंतरात्मा की आवाज़ पर विरोध के लिए इसराइल-हमास युद्ध और कब्ज़े का ज़िक्र किया।

अंतरात्मा की आवाज़ पर विरोध करने का अर्थ ये है कि एक व्यक्ति अपने मान्यताओं के आधार पर किसी चीज़ से इनकार करता है।

ग़ज़ा युद्ध शुरू होने के बाद वो पहले व्यक्ति हैं जिन्हें ‘अपने अंतरात्मा की आवाज़ के कारण सेना में भर्ती न होने के फैसले’ के कारण सज़ा दी गई है।

अगर सैन्य सेवा के लिए वो अपने विरोध को जारी रखते हैं तो उनकी हिरासत को बढ़ाया जा सकता है।

इसराइली मंत्री ने हिज़बुल्लाह को चेतावनी दी?

गुरुवार, 28 दिसंबर, 2023

बीबीसी न्यूज़ के जेम्स ग्रैगरी के मुताबिक, इसराइल के एक मंत्री ने चेतावनी दी है कि अगर हिज़बुल्लाह के हमले जारी रहे तो इसराइल की सेना लेबनान की सीमा से हिज़बुल्लाह को हटाने के लिए कार्रवाई करेगी।

बेनी गैंट्ज़ ने कहा कि यदि दुनिया और लेबनान की सरकार ने उत्तरी इसराइल पर चरमपंथियों की गोलीबारी को नहीं रोका तो इसराइल की सेना हस्तक्षेप करेगी।

उन्होंने कहा कि कूटनीतिक हल निकालने के लिए समय अब निकलता जा रहा है।

हमास और इसराइल के बीच सात अक्टूबर 2023 से जारी युद्ध के बाद से ही इसराइल और लेबनान की सीमा पर गोलीबारी तेज़ हुई है।

इससे ये चिंताएं भी बढ़ती जा रही हैं कि ग़ज़ा का युद्ध पूरे क्षेत्र में फैल सकता है।

गैंट्ज़ ने बुधवार, 27 दिसंबर, 2023 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "इसराइल की उत्तरी सीमा पर हालात बदलने ज़रूरी हैं।''

“राजनयिक समाधान के लिए समय खत्म हो रहा है, अगर दुनिया और लेबनान की सरकार इसराइल के उत्तरी हिस्से पर गोलीबारी को रोकने और हिज़बुल्लाह को सीमा से दूर करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं करती है, तो आईडीएफ़ (इसराइली सेना) ये काम करेगा।''

इस सप्ताह हिज़बुल्लाह की ओर से रॉकेट हमले और हथियारबंद ड्रोन हमले में बढ़ोतरी हुई है, इसराइल भी इन हमलों का जवाब दे रहा है।

लेबनान के सरकारी मीडिया ने बुधवार, 27 दिसंबर, 2023 को बताया कि इसराइली हवाई हमले में हिज़बुल्लाह के एक लड़ाके और उनके दो रिश्तेदार मारे गए।

हिज़बुल्लाह ने अपने एक बयान में कहा है कि पीड़ितों में से एक, इब्राहिम बाज़ी ऑस्ट्रेलियाई नागरिक थे जो अपने परिवार से मिलने आये थे।

इस संघर्ष में लेबनान में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। उनमें से ज़्यादातर हिज़बुल्लाह के लड़ाके हैं। लेकिन मरने वालों में तीन पत्रकारों सहित आम नागरिक भी शामिल हैं।

इसराइली हमलों से उत्तरी ग़ज़ा के सारे अस्पताल ठप: डब्ल्यूएचओ

इसराइली हमलों से उत्तरी ग़ज़ा के सारे अस्पताल ठप: डब्ल्यूएचओ

शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

इसराइल पर सात अक्टूबर 2023 को हुए हमास के हमले के बाद जवाबी कार्रवाई से ग़ज़ा में हालात बहुत ख़राब हो गए हैं।

ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़, इन हमलों में अब तक बीस हज़ार फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है।

इसके साथ ही उत्तरी ग़ज़ा में स्वास्थ्य तंत्र बिलकुल ठप हो चुका है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि उत्तरी ग़ज़ा में अब कोई अस्पताल नहीं बचा है, जो काम करने की स्थिति में हो।

ग़ज़ा के दक्षिण की तरफ़ भी भीषण जंग जारी है, वहां इसराइल ने फ़लस्तीनियों से कहा है कि वो ख़ान यूनिस शहर के आसपास की जगह खाली कर दें।

फ़लस्तीनी इलाक़े में मौजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉक्टर रिचर्ड पीपरकॉन ने ग़ज़ा के हालात के बारे में विस्तार से बताया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने क्या कहा?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि पूरे ग़ज़ा में करीब 36 अस्पताल हैं, जिसमें से केवल नौ काम कर रहे हैं। ये सभी ग़ज़ा के दक्षिणी हिस्से में हैं।  उत्तर में कोई अस्पताल नहीं है जो काम कर रहा हो।

अल-अहली एकमात्र अस्पताल बचा था, जो किसी तरह से काम कर रहा था, लेकिन अब वहां भी नए मरीज़ भर्ती नहीं किए जा रहे हैं।

अल-शिफ़ा, अल-अवदा और अल-शहाबा अस्पताल में भी यही हाल है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है, ''अल अहली अस्पताल का अब केवल ढांचा ही बचा है। दो दिन पहले उत्तरी ग़ज़ा में ये एकमात्र अस्पताल था, जहां घायलों की सर्ज़री हो रही थी और यहां के इमरजेंसी वार्ड में बड़ी संख्या में लोग आ रहे थे।

लेकिन अब यहां का ऑपरेशन थिएटर काम नहीं कर रहा है, क्योंकि न तो ईंधन हैं, न बिजली, न मेडिकल सप्लाई और न स्वास्थ्यकर्मी या डॉक्टर और सर्ज़न।

अब यह अस्पताल काम करना पूरी तरह बंद कर चुका है। अब यहां बस कुछ लोग हैं, जो इसकी छत के नीचे सिर छिपाए हुए हैं।''