गाय को मां न मानने वालों के हाथ-पैर तोड़ने की बात करने वाले भारतीय जनता पार्टी के विधायक विक्रम सैनी का कहना है कि उन्होंने 'ठीक बयान दिया है'।
बीबीसी से बातचीत में उत्तर प्रदेश के खतौली से भाजपा विधायक और मुजफ्फरनगर दंगों में अभियुक्त रह चुके विक्रम सैनी ने कहा कि उन्हें अपने बयान पर कोई अफ़सोस नहीं है।
विक्रम सैनी ने एक कार्यक्रम में कहा था, ''जिन लोगों को 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय' कहने में दिक्कत है और जो लोग गाय को अपनी माता नहीं मानते हैं और उनका वध करते हैं उनके हाथ-पैर तोड़ने का मैंने वादा किया था। हम अपना वादा पूरा करने के लिए तैयार हैं। हमारे पास युवा कार्यकर्ताओं की टीम है जो ऐसे व्यक्तियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगी।''
अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए विक्रम सैनी ने कहा, ''मैंने ठीक बयान दिया है।'' उन्होंने सवाल किया, ''मेरे कहने का मतलब है कि जो गाय काटेगा या बहू-बेटी का अपमान करेगा उसके ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करवाकर जेल भिजवाया जाएगा।''
उन्होंने कहा, ''सपा सरकार में गुंडागर्दी हो रही थी। गायों का कटान हो रहा था। मैंने लोगों से वादा किया था कि मैं ये नहीं होने दूंगा और मैं अपना वादा पूरा करूंगा?''
अपने बयान का बचाव करते हुए विक्रम सैनी ने कहा, ''जो हमारी मां का अपमान करेगा हम उसका क्या करें? जब बात मां के अपमान की आती है तो कोई क़ानून थोड़े ही देखा जाता है?''
इस सवाल पर कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने अपने नेताओं और मंत्रियों से भाषा में संयम बरतने के लिए कहा है तो विक्रम सैनी ने कहा, ''मेरे कहने का मतलब था कि मेरी बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। मैंने गांव की भाषा बोली। मेरे कहने का मतलब था कि ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करवाकर जेल भेजा जाएगा। यदि किसी को मेरे शब्दों से कोई आपत्ति है तो मैं खेद प्रकट करता हूं।''
जब उनसे पूछा गया कि यूपी में मीट का संकट है और लोगों को मुर्गे-बकरे का मांस भी नहीं मिल पा रहा है तो उन्होंने कहा, ''जिन्हें मुर्गा या बकरा खाना हो वो हमारे गांव आ जाएं यहां बहुत मुर्गे-बकरे हैं।''
विक्रम सैनी ने ये भी कहा कि अब वो मंच से संभल कर बोलेंगे।
केरल के परिवहन मंत्री एके शशिन्द्रन ने एक कथित अश्लील ऑडियो क्लिप सामने आने के बाद रविवार को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, ये ऑडियो क्लिप एक मलयालम टीवी चैनल पर रविवार दोपहर बाद प्रसारित हुई थी।
इस ऑडियो क्लिप के जारी होने के कुछ ही घंटों बाद कोझिकोड में मौजूद शशिन्द्रन ने आनन-फ़ानन में संवाददाता सम्मेलन बुलाकर अपने इस्तीफ़े की घोषणा कर दी।
केरल में मार्क्सवादी पार्टी के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार सता में है। इस गठबंधन में साझेदार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शशिन्द्रन ने कहा कि वह मुख्यमंत्री पी विजयन को पहले ही इस बारे में बता चुके हैं और मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा नहीं मांगा है।
मंत्री ने कहा कि उनके इस्तीफ़े को अपराध स्वीकार करने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
शशिन्द्रन ने कहा, ''मेरा इस्तीफ़ा राजनीति में नैतिकता कायम रखने के लिए है।''
शशिन्द्रन ने कहा कि उन्होंने किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं किया है और वो किसी भी जाँच का सामना करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ''उचित जाँच ज़रूरी है। सारे तथ्य सामने आने चाहिए। मैं किसी भी जाँच का स्वागत करता हूँ।''
करीब 10 महीने पुरानी विजयन सरकार में पूर्व उद्योग मंत्री ईपी जयराजन के बाद शशिन्द्रन दूसरे मंत्री हैं जिन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा है।
इस बीच, मुख्यमंत्री विजयन ने कहा है कि वह आरोपों को 'गंभीरता' से देखेंगे।
उत्तराखंड की बीजेपी सरकार अपने नवनिर्वाचित विधायकों पर लगे आपराधिक मामलों को वापस लेने पर विचार कर रही है।
राज्य के 70 विधायकों में से 22 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें से 17 बीजेपी के हैं, चार कांग्रेस के और एक निर्दलीय है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने एक स्थानीय अख़बार से कहा था कि कई मामले ऐसे हैं जिन पर पुनर्विचार किया जाएगा और इनमें विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामले भी हैं।
बीजेपी का कहना है कि उसके विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामले राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित हैं। बीजेपी प्रवक्ता और विकासनगर से विधायक मुन्ना सिंह चौहान इस बयान की पुष्टि करते हैं।
मुन्ना सिंह चौहान का कहना है कि सार्वजनिक जीवन में ग़लत मुकदमों का सामना करना ही पड़ता है और इसलिए इनकी समीक्षा की ही जानी चाहिए।
बीजेपी के 10 मंत्रियों (मुख्यमंत्री सहित) में से चार पर आपराधाकि मामले दर्ज हैं।
इनमें हरक सिंह रावत पर दो, मदन कौशिक पर दो, सुबोध उनियाल पर एक और अरविंद पांडे पर 12 मामले दर्ज हैं।
गदरपुर के विधायक और कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे उन विधायकों की सूची में भी सबसे ऊपर हैं जिन पर गंभीर मामले दर्ज हैं।
अरविंद पांडे पर दर्ज 12 मामलों में हत्या (आईपीसी की धारा 302) और डकैती (आईपीसी की धारा 395) के आरोप भी शामिल हैं।
पिछले साल पुलिस के घोड़े शक्तिमान की टांग तोड़ने के आरोपों से सुर्खियों में आए मसूरी के विधायक गणेश जोशी पर कुल 5 मामले दर्ज हैं।
गणेश जोशी पर स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल के इस्तेमाल (आईपीसी की धारा 354) के भी आरोप हैं।
गणेश जोशी अकेले नहीं हैं। सहसपुर के बीजेपी विधायक सहदेव पुंडीर भी महिला के साथ बदसलूकी करने के आरोप का सामना कर रहे हैं। पुंडीर इसके अलावा दो और केसों में असामी हैं।
अरविंद पांडे से हत्या और डकैती के मामले वापस लिए जाने के सवाल पर मुन्ना सिंह चौहान कहते हैं कि सिर्फ़ ऐसे मामले वापस लिए जाएंगे जो दुर्भावना के तहत दर्ज करवाए गए हैं।
लेकिन मसूरी के विधायक पर धारा 354 के तहत दर्ज मामले पर उनके सुर बदल जाते हैं।
मुन्ना सिंह चौहान कहते हैं कि उन पर मुकदमे (घोड़े शक्तिमान को हानि पहुंचाना समेत) तो साफ़ तौर पर दुर्भावना के तहत दर्ज करवाए गए हैं।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पर भी दंगा करने और सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने के मामले में आईपीसी की धारा 332, 353, 147, 148, 524, 149 के तहत एक मामला दर्ज है।
वह पूछते हैं कि क्या सरकार उन पर दर्ज मुक़दमे भी वापस लेगी? उपाध्याय कहते हैं, ''इस सरकार को आए चार दिन भी नहीं हुए और इसने अराजकता फैलानी शुरू कर दी है जो अभूतपूर्व बहुमत इन्हें मिला है ये इसका अपमान है।''
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अरविंद पांडे को विद्यालयी शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, पंचायती राज, खेल और युवा कल्याण मंत्रालय दिए हैं।
पिछले साल ही अनुसूचित जनजाति के सरकारी अधिकारी से बदसलूकी और मारपीट के आरोप में अरविंद पांडे ने जेल भी काटी थी। अब वह उनसे कहीं बड़े अधिकारियों को काम करने का सलीका सिखाएंगे।
कांग्रेस के चार विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
जसपुर से विधायक आदेश सिंह पर धार्मिक भावनाएं भड़काने और सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने के लिए आईपीसी की धारा 147, 332, 353, 153ए, 295ए, 268 के तहत एक मामला दर्ज है।
चकराता के विधायक प्रीतम सिंह पर दंगा करने और सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने के मामले में आईपीसी की धारा 147, 149, 332, 353, 336, 504 के तहत एक मामला दर्ज है।
केदारनाथ सीट से विधायक मनोज रावत पर दंगा करने और शांति भंग करने के मामले में आईपीसी की धारा 147, 323, 504, 506, 509 के तहत एक मामला दर्ज है।
पुरोला के विधायक राजकुमार पर उत्तराखंड रिप्रेज़ेंटेशन ऑफ़ पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 2ए, 2बी के तहत एक मामला दर्ज है।
बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि वो बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़े हैं और उन्हें इस पर गर्व है।
राजस्थान के माउंट आबू में ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में शामिल हुए आडवाणी ने कहा, ''मैं बचपन से जिस संगठन के साथ जुड़ा हूं उसका सम्मान करता हूँ और मुझे उस पर गर्व है और ये संगठन आरएसएस है।''
आडवाणी का ये बयान संघ के प्रति आस्था व्यक्त करना भर है या फिर इसके कुछ सियासी मायने भी हैं।
आडवाणी का संघ से गहरा नाता रहा है और वो राजस्थान में संघ के प्रचारक रहे हैं। साल 2005 में कराची यात्रा के दौरान जिन्ना के बारे उनकी टिप्पणी आरएसएस को नागवार गुजरी थी जिसकी वजह से दोनों के रिश्ते में थोड़ी खटास आ गई थी।
हालांकि फिर साल 2009 में संघ के कहने पर ही भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री के रूप में उनका नाम आगे बढ़ाया था।
लेकिन आडवाणी ने इस समय आरएसएस की तारीफ़ की है जिसके अपने मायने हैं क्योंकि वो इस समय भाजपा के उस मार्गदर्शक मंडल में हैं जो हाशिए पर है और जिसकी कभी कोई बैठक नहीं हुई।
बिहार चुनाव के बाद आडवाणी का बस एक बयान आया था जिसमें भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व पर कुछ सवाल उठाए गए थे, लेकिन उसके बाद कहीं कुछ सुनने में नहीं आया।
आरएसएस वर्तमान सरकार में अहम भूमिका अदा कर रहा है और आडवाणी अपने लिए एक रास्ता खोलना चाहते हैं क्योंकि आरएसएस के मौजूदा नेतृत्व के साथ उनके वैसे संबंध नहीं हैं जैसे पुराने नेतृत्व के साथ थे।
आडवाणी के ताज़ा बयान को अगले राष्ट्रपति चुनाव के नज़रिए से भी देखने की ज़रूरत है।
मीडिया के एक हिस्से में चर्चा है कि आडवाणी को भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए नामित कर सकती है।
मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई 2017 को खत्म होगा। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद तय है कि बीजेपी अगले राष्ट्रपति के लिए अपना उम्मीदवार उतारेगी।
इस तरह की तमाम ख़बरें सामने आ चुकी हैं जो कहती हैं कि राष्ट्रपति की कुर्सी में आडवाणी की दिलचस्पी है।
हालांकि बाबरी मस्जिद वाला केस सुप्रीम कोर्ट में दोबारा आ गया है जिसमें उनका नाम है।
वैसे अभी ये नहीं पता है कि आडवाणी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की कितनी दिलचस्पी है ?
फिर भी इतना तो तय है कि आडवाणी आरएसएस के ज़रिए ये संदेश देना चाहते हैं कि उनके नाम पर भी विचार किया जाए।
राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में यदि मायावती और मुलायम सिंह एक हो जाएं तो बीजेपी को खत्म किया जा सकता है।
लालू ने ट्वीट किया, ''यूपी में मायावती और मुलायम एक हो जाएं। बिहार में हमलोग एक हैं, बीजेपी का सारा तमाशा खत्म हो जाएगा। अब ये विकास की बात नहीं करते।''
हाल के विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन किया था, इसके बावजूद उनका प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा था।
इसके बाद, लालू ने एक और ट्वीट कर उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पर निशाना साधा।
लालू ने ट्वीट किया, ''योगी ने सीएम आवास का शुद्धिकरण इसलिए कराया क्योंकि विगत एक दशक से ज्यादा वहां दलित-पिछड़ा एवं बहुजन वर्गों के मुख्यमंत्री रहते थे।''
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने लखनऊ स्थित सीएम आवास 5 कालीदास मार्ग में प्रवेश से पहले विशेष पूजा-अर्चना करवाई थी।
भारतीय मीडिया ने इसे योगी के सीएम आवास का शुद्धिकरण करवाने के तौर पर पेश किया था। योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम आवास में गायों को भी रखा गया है।
योगी से पहले अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और उनसे पहले दलित नेता मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं।
वहीं शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि 2022 में जब वो फिर से सीएम बनेंगे तो मुख्यमंत्री आवास में फ़ायर ब्रिगेड से गंगाजल छिड़कवाएंगे।
नेशनल हाईवे-74 फोरलेन प्रोजेक्ट में कृषि भूमि अकृषक दिखाकर सरकार को करीब 250 करोड़ से अधिक के राजस्व की चपत लगाई गई है। मुआवजे के नाम पर अफसर करोड़ों रुपये डकार गए। मामले में कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज हो चुका है।
एनएच घोटोले में एनएचएआई के नजीबाबाद और रुद्रपुर के परियोजना निदेशक और एनएचएआई के रिजनल ऑफिस देहरादून के अधिकारियों और एसडीएम के साथ कार्यालय में तैनात रीडर, पेशकार, तहसीलदार, लेखपाल, चकबंदी अधिकारी और कार्यालय से जुड़े कर्मचारियों के खिलाफ सिडकुल चौकी में मुकदमा दर्ज हुआ है। जांच एसआईटी को सौंप दी गई थी।
विवेचना प्लान तैयार करने के बाद बीते गुरुवार की दोपहर एसआईटी ने एसएसपी सदानंद दाते के निर्देश पर एनएचएआई और एसएएलओ कार्यालय में कार्रवाई कर जांच से संबंधी दस्तावेज कब्जे में लिए थे। घोटाले में जसपुर, बाजपुर, खटीमा, सितारगंज समेत एनएच से जुड़े सभी मामले जांच के दायरे में हैं। इसके अलावा सितारगंज तहसील में तैनात राजस्व अहलमद संतराम के खिलाफ एसडीएम विनोद कुमार कार्यालय से मिशलबंद फाइल के पेज फाड़ने के आरोप में केस दर्ज हो चुके हैं। शुक्रवार को कब्जे में ली गई फाइलों की जांच एसआईटी ने शुरू कर दी है।
एसआईटी ने बाजपुर और गदरपुर तहसील की 108 फाइलें कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। इसमें पेमेंट, गजट और ऑर्डर की फाइल शामिल हैं। यह फाइल गुरुवार को एसआईटी ने एसएएलओ और एनएचएआई कार्यालय में छापामार कार्रवाई के दौरान कब्जे में लिए थे। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक कब्जे में बाजपुर और गदरपुर तहसील की फाइल ली गई हैं।
इसमें 27 फाइल ऑर्डर, 55 पेमेंट फाइल और 26 गजट की फाइलें शामिल हैं। नवनियुक्त डीएम डॉ. नीरज खैरवाल ने शुक्रवार को कहा कि एनएच-74 घोटाले में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। घोटाले में लिप्त अधिकारी-कर्मचारी किसी दशा में बख्शे नहीं जाएंगे।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश की नई सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 के चुनाव में उनकी पार्टी दोबारा सत्ता में आई तो वे गंगाजल से मुख्यमंत्री आवास धुलवाएंगे।
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सीएम आवास में जाने से पहले पूजा-अर्चना कराए जाने पर यह टिप्पणी की।
समाजवादी पार्टी मुख्यालय पर शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बीच पत्रकारों से बातचीत में अखिलेश ने यह भी कहा कि फायर ब्रिगेड में भरकर सभी सरकारी दफ्तरों व 'आप' यानी पत्रकारों पर भी गंगाजल डलवाएंगे। पांच कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के शुद्धीकरण पर कहा कि उन्हें इसका अफसोस नहीं है।
अखिलेश ने कहा कि गौशाला भले ही बनाई जाए, लेकिन वे वहां पर दो मोर छोड़ आएं हैं, उन्हें भूखा न रखा जाए।
पूर्व सीएम ने चुटकी लेते हुए कहा कि हमारी नेम प्लेट जनता ने हटाई है और इस सरकार में किसी का बोर्ड कोई हटा रहा है।
अखिलेश ने बताया कि हार के कारणों की समीक्षा की जा रही है। भितरघातियों को चिह्नित कर उन पर कार्रवाई की जाएगी। पार्टी 15 अप्रैल से 30 सितंबर तक सदस्यता अभियान चलाएगी। पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 30 सितंबर से पहले कर लिया जाएगा।
अखिलेश ने भविष्य में किसी महागठबंधन की संभावना पर कहा कि इस पर अभी कुछ नहीं कह सकते, अभी हमारा कांग्रेस से गठबंधन है। पत्रकारों से यह जरूर कहा कि 'मुझे अब उस दिन का इंतजार होगा, जब आप लोग यूपी में होने वाली हत्या-रेप की घटनाओं पर उसी तरह योगी की फोटो के साथ खबरें दिखाएंगे जैसे मेरी दिखाया करते थे।'
अखिलेश ने कहा कि अभी तक नई सरकार ने कैबिनेट नहीं की है। हमने लखनऊ में मेट्रो चलवा दी है और नई सरकार द्वारा गोरखपुर और झांसी में मेट्रो चलवाने का उन्हें इंतजार रहेगा।
अखिलेश ने कहा, केवल झाड़ू लगाई जा रही है। हमें नहीं मालूम था कि हमारे अधिकारी इतनी अच्छी झाड़ू लगाते हैं। हमें मालूम होता तो हम भी खूब झाडू लगवाते।
बूचड़खाने बंद कराने की नई सरकार की मुहिम पर कहा कि हमारे शेर बहुत भूखे हैं, नजदीक मत जाना?
उन्होंने कहा कि योगी जी उम्र में भले ही आप बड़े होंगे, लेकिन काम में बहुत पीछे हैं। डायल 100 व 1090 का स्टिकर बदल कर एंटी रोमियो दल बनाया गया।
अखिलेश ने चुटकी लेते हुए कहा कि कुछ अफसर तो यह भी कह रहे हैं कि आंखे देखकर बता देंगे कि कौन रोमियो है? इस अभियान की किरकरी होने पर अब कह रहे हैं कि युवा जोड़ों को परेशान नहीं किया जाएगा।
अखिलेश ने कहा कि विधानसभा चुनाव में ईवीएम में गड़बड़ी की बातें हर तरफ से आ रही है। बसपा व अन्य विरोधी दल भी कह रहे हैं कि विधानसभा चुनाव ईवीएम में गड़बड़ी करके जीता गया है। कुछ गांव वाले उन्हें लिखकर देने को तैयार हैं कि उन्होंने वोट किसी को दिया और पड़ा कहीं और। चुनाव आयोग को संज्ञान लेकर जांच करानी चाहिए।
अखिलेश ने कहा कि एक विशेष जाति वर्ग के अफसरों को परेशान किया जा रहा है। उनकी सरकारी में यह बात आई थी कि विशेष जाति वर्ग के लोगों को तैनाती दी जा रही है। राज्यपाल ने भी टोका था कि सब जगह एक जाति के अधिकारी तैनात हैं। तब उन्होंने राज्यपाल को प्रदेश में अफसरों की तैनाती की सूची दे दी थी।
अगले माह से बिजली उतनी महंगी नहीं होगी, जितनी विद्युत विनियामक आयोग ने टैरिफ सुनाया है। एक अप्रैल से 55 फीसदी महंगी करने का आयोग ने फैसला दिया है।
आयोग की दर आने के बाद राज्य सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को अनुदान देने का निर्णय लिया है। अनुदान बिजली कंपनी के बजाए अब सीधे उपभोक्ताओं को ही मिलेगा।
शनिवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि दो-तीन दिनों में अनुदान की घोषणा की जाएगी।
मंत्री ने कहा कि अब तक कंपनी राज्य सरकार से मिलने वाले अनुदान का जिक्र करते हुए पिटिशन दायर करती थी। पहली बार नीतिगत निर्णय के तहत बिजली कंपनी ने अनुदान रहित टैरिफ पिटिशन दायर किया था। बिजली दर की प्रति मिल गई है। पड़ोसी राज्यों की बिजली दर का भी अध्ययन हो रहा है। चूंकि, नई बिजली दर एक अप्रैल से प्रभावी होनी है, इसलिए चालू सत्र में ही उपभोक्ताओं को सीधे अनुदान की घोषणा होगी।
बिजली बिल में आयोग की ओर से सुनाई गई बिजली दर के अनुसार राशि का जिक्र होगा। राज्य सरकार जिस श्रेणी के उपभोक्ताओं को जितना अनुदान देगी, उसके अनुसार बिल में कटौती होगी। बाकी पैसा जमा करना होगा।
अभी बीपीएल-कुटिर ज्योति, ग्रामीण उपभोक्ता, कृषि व ग्रामीण व्यवसायिक उपभोक्ता को अनुदान मिल रहा है।
रसोई गैस उपभोक्ताओं को अभी सीधा अनुदान मिल रहा है।
बिहार में बिजली 55 फीसदी महंगी हो गई। एक अप्रैल 2017 से लागू होने वाली बिजली दरों की घोषणा शुक्रवार को बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने की।
हालांकि आयोग के इस निर्णय के बावजूद राज्य सरकार अनुदान देकर बिजली सस्ती कर सकती है।
आयोग के अध्यक्ष एसके नेगी, सदस्य आरके चौधरी व राजीव अमित ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अब तक की टैरिफ में बीपीएल, ग्रामीण उपभोक्ता, कृषि व ग्रामीण व्यवसायिक उपभोक्ताओं को मिलने वाले अनुदान का जिक्र रहता था।
पहली बार बिजली कंपनी ने राज्य सरकार से मिलने वाले अनुदान का जिक्र किए बगैर टैरिफ पिटिशन फाइल की थी। इस कारण बिजली दर में वृद्धि करने की विवशता आ गई। कंपनी ने 84 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव दिया था, लेकिन 55 फीसदी वृद्धि की गई है।
केन्द्रीय विद्युत अधिनियम में तय प्रावधानों के तहत नई बिजली दरों की घोषणा बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने की है। बिजली दर तय करने में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं रहती है। वैसे राज्य सरकार इस फैसले पर विचार करेगी।
- बिजेन्द्र प्रसाद यादव, ऊर्जा एवं वाणिज्यकर मंत्री, बिहार
भगोड़ा अपराधी घोषित उद्योगपति विजय माल्या के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया आगे बढाते हुए ब्रिटिश सरकार ने भारत के आग्रह को सत्यापित किया और इसे आगे की कार्रवाई के लिए एक जिला न्यायाधीश के पास भेज दिया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि ब्रिटिश गृह विभाग ने 21 फरवरी को जानकारी दी कि माल्या के प्रत्यर्पण के लिए भारत के अनुरोध को उनके मंत्री ने सत्यापित किया है और इसे वारंट जारी करने के मुद्दे पर जिला न्यायाधीश द्वारा विचार के लिए वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत भेजा गया है। यह नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक की ऋण चूक के लिए भारत में वांछित भगोड़े कारोबारी का प्रत्यर्पण हासिल करने की दिशा में अगला कदम है।
बागले ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि के अनुसार माल्या के संबंध में औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध आठ फरवरी को यहां ब्रिटिश उच्चायोग को सौंपा गया था। अनुरोध सौंपते हुए भारत ने कहा था कि उसका माल्या के खिलाफ वैध मामला है। भारत ने कहा कि अगर प्रत्यर्पण अनुरोध को स्वीकार किया जाता है तो यह हमारी चिंताओं के प्रति ब्रिटेन की संवेदनशीलता को दिखाएगा।
ब्रिटेन में प्रत्यर्पण प्रक्रिया में न्यायाधीश द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी करने पर फैसले सहित कई कदम शामिल हैं। वारंट जारी होने पर व्यक्ति को गिरफ्तार करके शुरुआती सुनवाई के लिए अदालत के सामने लाया जाता है जिसके बाद मंत्री द्वारा अंतिम फैसले से पहले प्रत्यर्पण सुनवाई होती है। वांछित व्यक्ति को किसी भी फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय तक में अपील करने का अधिकार होता है।
इससे पहले इस साल जनवरी में सीबीआई की एक अदालत ने 720 करोड़ रुपये के आईडीबीआई बैंक ऋण चूक मामले में माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। माल्या दो मार्च 2016 को देश छोड़कर भाग गया था।