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दिल्ली नगर निगम चुनाव 2017 की तारीखों का ऐलान

दिल्ली नगर निगम के लिए होने वाले चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। 22 अप्रैल को वोटिंग होगी। इसके बाद 25 अप्रैल को मतगणना की जाएगी।

दिल्ली में होने वाले एमसीडी चुनाव अब 22 अप्रैल को होंगे और इस चुनाव के नतीजे 25 अप्रैल को आएंगे। नगर निगम चुनावों में नई जान फूंकने के लिए दिल्ली भाजपा ने अपने सभी वर्तमान पार्षदों को उम्मीदवार नहीं बनाने का फैसला किया है। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने ये एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की।

मनोज तिवारी ने कहा कि हमने आम सहमति से निगम चुनावों में नये चेहरे उतारने का फैसला किया है। पार्षदों और पार्टी नेताओं के परिजनों को भी टिकट नहीं दिए जाएंगे। साल 2007 से दिल्ली के नगर निगमों पर नियंत्रण रखने वाली भाजपा जुए की तरह यह दांव खेल रही है। वह नहीं चाहती कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मौजूदा पार्षदों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगा पाएं।

मनोज तिवारी ने कहा कि ये फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युवा शक्ति से संचालित न्यू इंडिया की सोच को मूर्त रूप देने की दिशा में एक कदम है। संवाददाता सम्मेलन में दिल्ली से भाजपा के सांसद हर्षवर्धन, महेश गिरि, प्रवेश वर्मा और उदित राज मौजूद थे जिसे पार्टी में इस फैसले को लेकर एकता प्रदर्शित करने के रूप में देखा जा रहा है।

जब तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि इससे अंतर्विरोध बढ़ सकता है और वर्तमान पार्षद पार्टी के खिलाफ विद्रोह कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, भाजपा में लोग पद के लिए काम नहीं करते। सभी मिलकर काम करेंगे और जनता भी इसे स्वीकार करेगी। तिवारी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पंजाब और गोवा के नतीजों ने आप को आइना दिखा दिया है और यही हालत उसकी दिल्ली में भी होगी।

दिल्ली के तीन नगर निगमों एनडीएमसी, एसडीएमसी और ईडीएमसी की कुल 272 सीटों में से भाजपा के 153 पार्षद हैं। एनडीएमसी और एसडीएमसी में 104-104 सीटें और ईडीएमसी में 64 सीटें हैं।

वीरप्‍पा मोइली ने कहा, हमारे पास सैंकड़ों अमित शाह हैं

हाल के चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के एक महासचिव ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है। ओडिशा पंचायत चुनावों में शिकस्‍त के चलते पार्टी महासचिव बीके हरिप्रसाद ने इस्‍तीफा दे दिया है। वे ओडिशा कांग्रेस के प्रभारी भी थे।

उन्‍होंने यहां पर हार की जिम्‍मेदारी ली है। ओडिशा पंचायत चुनावों के नतीजों में कांग्रेस तीसरे पायदान पर फिसल गई है। भाजपा ने मुख्‍य विपक्षी की उसकी भूमिका हथिया ली है।

कांग्रेस प्रवक्‍ता ब्रजेश कलप्‍पा ने कहा कि हरिप्रसाद ने पंचायत चुनावों में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन की नैतिक जिम्‍मेदारी लेते हुए पद छोड़ा है। उन्‍होंने बताया, ''उन्‍होंने ऐसा राहुल गांधी का हाथ मजबूत करने के लिए किया है।''

इसी बीच में पार्टी में असंतोष भी बढ़ता दिख रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्‍पा मोइली ने पार्टी में संरचनात्‍मक बदलाव, बड़ी सर्जरी और सत्‍ता विकेंद्रीकरण की जरुरत बताई है।

हालांकि उन्‍होंने यह भी साफ किया कि यह बात सोनिया गांधी या राहुल गांधी पर लागू नहीं होती है।

उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश के नतीजों पर कहा कि यह सपा और बसपा की अस्मिता की राजनीति की हार है और कांग्रेस को इस प्रकिया के दौरान नुकसान उठाना पड़ा।

मोइली ने इंडियन एक्‍सप्रेस को बताया, ''हमारे पास सैंकड़ों अमित शाह हैं। लेकिन उन्‍हें ताकत देने और सामने लाने की जरुरत है। वे जिम्‍मेदारियां संभालने की योग्‍यता रखते हैं। सभी राज्‍य इकाइयों और एआईसीसी में हमें पार्टी को विकेंद्रित करना होगा। कांग्रेस में संरचनात्‍मक बदलाव की जरुरत है।''

जब उनसे पूछा गया कि क्‍या पार्टी आलाकमान को भी बदलने की जरुरत है तो मोइली ने जवाब दिया, ''संरचनात्‍मक बदलाव करने होंगे। समय और बदलावों के अनुसार इसे खुद को ढालना होगा। जो लोग दो बार की हार के जिम्‍मेदार हैं उन्‍हें बदलना होगा। उन्‍हें और जिम्‍मेदारियां देने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि यह हमारे नेतृत्‍व पर लागू नहीं होता। सोनिया और राहुल के नेतृत्‍व के नीचे से बड़ी सर्जरी की जरूरत है। आप भाजपा में नरेंद्र मोदी को नहीं बदल सकते। आप कांग्रेस में सोनिया और राहुल गांधी को नहीं बदल सकते। लेकिन अमित शाहों को बदला जा सकता है।''

उन्‍होंने राहुल गांधी के नेतृत्‍व क्षमता को लेकर कहा कि वे काबिल नेता हैं। उन्‍हें हार के लिए जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जा सकता। मोइली ने कहा, ''हमारे आला कमान को निर्बल कम कीजिए। यदि वे गलतियां करते हैं तो भी फर्क नहीं पड़ता। इंदिरा गांधी भी ऐसे ही समझदार हुई थीं। उन्‍हें (राहुल) भी दबाया नहीं जाना चाहिए। उनके पंख खुले रखने चाहिए।''

ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से एमसीडी चुनाव कराएं: अरविंद केजरीवाल

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को मिले भारी बहुमत के बाद विरोधियों ने ईवीएम (इलेट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था।

अब इस मामले को उठाते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में केजरीवाल ने दिल्ली में होने वाले आगामी नगरपालिका चुनाव (MCD) में ईवीएम मशीन का इस्तेमाल ना करने की मांग की है।

अगले महीने अप्रैल में एमसीडी चुनाव होने हैं। अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग से कहा कि एमसीडी इलेक्शन ईवीएम मशीन की जगह बैलेट पेपर से कराए जाएं।

11 मार्च को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद कई नेताओं ने ईवीएम मशीन में गड़बड़ी किए जाने का दावा किया था और जांच की मांग की थी।

इसी मद्देनजर सोमवार को कांग्रेस नेता अजय माकन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को एमसीडी चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाने की सलाह दी थी। अजय माकन ने ट्विट कर लिखा था, ''ईवीएम मशीन पर कई लोगों ने सवाल खड़े किए हैं। मैं चाहता हूं कि निष्पक्ष और निर्विवाद चुनाव के लिए अरविंद केजरीवाल बैलेट पेपर के जरिए एमसीडी चुनाव कराएं।”

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह पहले ही कह चुके थे कि अगर उत्तर प्रदेश में नगर पालिका और नगर पंचायत के चुनाव बैलेट पेपर से करवाए जा सकते हैं तो दिल्ली में भी नगर निगम चुनाव बैलेट पेपर से करवाए जा सकते हैं।

बता दें कि चुनाव आयोग मंगलवार शाम चुनाव की तारीखों का ऐलान कर देगा। माना जा रहा है कि अप्रैल के पहले हफ्ते में चुनाव हो सकते हैं।

वर्तमान में एमसीडी पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।

गोवा में सरदेसाई ने कांग्रेस का खेल किया खराब

गोवा में आज (14 मार्च) को मनोहर पर्रिकर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी मंगलवार को कहा कि उन्हें गुरुवार तक बहुमत साबित करना होगा।

कांग्रेस का तर्क था कि उसे राज्य में 17 सीटें मिली हैं लिहाजा सरकार बनाने के लिए उसे पहले न्योता मिलना चाहिए था। लेकिन एेसा क्या हुआ कि बीजेपी से ज्यादा सीट मिलने के बावजूद कांग्रेस सरकार बनाने से चूक गई।

माना जा रहा है कि भले ही यह मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस का रहा हो, लेकिन नतीजे आने के बाद पर्दे से पीछे टक्कर कांग्रेस के गोवा प्रभारी दिग्विजय सिंह और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बीच थी।

दरअसल रविवार की रात मनोहर पर्रिकर और बीजेपी के गोवा प्रभारी नितिन गडकरी एक फाइव स्टार होटल में थे। उनके पास एमजीपी का समर्थन तो था, लेकिन अब तक गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने हां नहीं की थी।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, तभी एंट्री होती है विजाई सरदेसाई (पत्रकार राजदीप सरदेसाई के कजिन ) की, जो गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष हैं। उनके आते ही पूरा खेल बीजेपी के पाले में आ जाता है।

बता दें कि पर्रिकर कई बार सरदेसाई की खुलेआम आलोचना कर उन्हें एक पॉलिटिकल फिक्सर बता चुके हैं।

वहीं दूसरी ओर एक अन्य फाइव स्टार होटल में कांग्रेस इस बात पर मत्थापच्ची कर रही थी कि किसे मुख्यमंत्री चुना जाए। कांग्रेस ने 5 घंटे इस पर बहस की कि क्या राज्य अध्यक्ष लुइजिन्हो फालेरो, पूर्व मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत और प्रताप सिंह राणे को यह जिम्मेदारी सौंपी जाए, लेकिन तीनों ने ही एक-दूसरे को रिजेक्ट कर दिया। इसके बाद निराश कांग्रेसी नेता होटल के बाहर आने पर आलाकमान पर राज्य में सरकार बनाने का मौका गंवाने का आरोप लगाते हैं।

जब यह खबर आती है कि गडकरी और अन्य विधायक सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल से मिलने पहुंचे हैं, तो कांग्रेस पार्टी हड़बड़ाहट में तीन बार विधायक रहे चंद्रकांत कावलेकर को सीएम पद का दावेदार चुन लेती है, जिससे सब हैरान हो जाते हैं।

दिग्विजय सिंह जो गोवा के प्रभारी भी हैं, राज्य में सरकार बनाने का मौका गंवाने की बात स्वीकार कर लेते हैं और निर्दलीय उम्मीदवार रोहन खौंटे और सरदेसाई पर धोखा देने का आरोप लगाते हैं।

सूत्र बताते हैं कि शनिवार को जब पूरे नतीजे आ गए थे तो दिग्विजय सिंह ने सरदेसाई से मुलाकात की थी, जिन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने का भरोसा दिलाया था।

वहीं शनिवार रात को ही गडकरी गोवा पहुंचते हैं। पहले वह एमजीपी को समर्थन के लिए राजी करते हैं। इसके बाद सरदेसाई से बातचीत का दौर चलता है, लेकिन वह नाखुश होकर चले जाते हैं।

अगली सुबह सरदेसाई गडकरी को फाइव स्टार होटल में आने को कहते हैं, जहां दोनों के बीच एक डील होती है, जिसमें तय होता है कि कैबिनेट में जीएफपी के तीन मंत्री होंगे। इस तरह दिग्विजय के हाथों से गडकरी गोवा में सरकार बनाने का मौका छीन लेते हैं।

ओड़िशा: जिला परिषद अध्यक्ष चुनाव में बीजद ने जीते 18 पद

ओड़िशा में सत्‍ताधारी दल बीजू जनता दल (बीजद) के उम्‍मीदवारों ने 18 जिला परिषदों में अध्‍यक्ष पद जीत लिए। वहीं पंचायत चुनावों में जोरदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा को केवल सात जिलों से ही संतोष करना पड़ा।

बीजद ने गंजम, कटक, पुरी, केंद्रपाड़ा, खोरधा, बालासोर, भद्रक, जाजपुर, जगतसिंहपुर, कोरापुट, कंधमाल, बोढ़, नबरंगपुर, केवनझार, सुंदरगढ़, ढेंकानाल, नयागढ़ और अंगुल जिलों में अपने अध्‍यक्ष बनाए हैं।

297 जिला परिषद क्षेत्रों में जीतने वाली भाजपा के पास आठ जिलों में बहुमत था, लेकिन संबलपुर जिले में उसे बगावत का सामना करना पड़ा। यहां पर उसके बागी उम्‍मीदवार ने जीत दर्ज कर अध्‍यक्ष पद की कुर्सी ले ली। भाजपा नेता और पूर्व मंत्री जयनारायण मिश्रा ने अपने समर्थक राधेश्‍याम बरिक को संबलपुर जिला परिषद का अध्‍यक्ष बनवा दिया।

भाजपा ने बोलंगीर, बारगढ़, मयूरभंज, कालाहांडी, देवगढ़, सुबर्णपुर और गजपति जिलों में अध्‍यक्ष पद की कुर्सी कब्‍जाई।

कांग्रेस के हिस्‍से में रायगड और झारसुगुडा की कुर्सी आई।

पंचायत चुनावों की 849 सीटों में से बीजद ने 467, भाजपा ने 293 और कांग्रेस ने 60 पर जीत दर्ज की थी। अन्‍यों के खाते में 16 सीट आई थी।

भाजपा ने इन चुनावों में बड़ी कामयाबी हासिल की थी। पांच साल पहले 2012 के पंचायत चुनाव में बीजेपी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी। 30 जिला परिषदों में से बीजद को 28 पर जीत मिली थी और बाकी बची 2 सीटें कांग्रेस की झोली में गई थीं। 2012 में बीजेपी ने पहली बार बीजद से अलग होकर चुनाव लड़ा था, वहीं 5 साल बाद ही बीजेपी की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

बीजेपी के लिए यह वाकई में बड़ी जीत है इस बात में कोई दो राय नहीं। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की जीत राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिए भी बड़ी चिंता का विषय है। 2019 में ओडिशा में विधानसभा चुनाव होने हैं और जिला परिषद चुनाव के यह नतीजे सत्ताधारी पार्टी बीजद के लिए कहीं से भी अच्छी खबर नहीं लाती। बीजेपी का बेहतर प्रदर्शन, नवीन पटनायक के खिलाफ बनी 19 साल की ऐंटीइनकम्बेंसी को और मजबूत करेगा।

वहीं कांग्रेस की स्थिति खराब ही होती जा रही है क्योंकि इन चुनाव में उसका सूपड़ा साफ हो चुका है।

गोवा-मणिपुर में बीजेपी सरकार

गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद यह साफ हो गया कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों में से ही किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला पाया है। वहीं दोनों राज्यों में सरकार बनाने की रस्सा-कशी में बीजेपी आगे निकल चुकी है।

जहां बीजेपी ने बिना कोई देरी किए गोवा के लिए अपना सीएम घोषित कर दिया है और उन्हें बहुमत साबित करने का मौका भी मिल गया है। वहीं कांग्रेस असमंजस के दौर में ही रह गई।

गोवा के अलावा जहां बीजेपी के पास मणिपुर में भी नबंर हैं, वहीं कांग्रेस इसी बात को लेकर कन्फ्यूस्ड रही कि वह सीएम का दावेदार किसे बनाए? गोवा फॉरवर्ड पार्टी को राज्य में 3 सीटे मिली। राज्य में सरकार बनवाने के लिए यह अहम भूमिका निभा सकती है, लेकिन पार्टी का राज्य कांग्रेस प्रेसिडेंट लुइजीन फालैरो से विरोध है।

हालांकि जीएफपी कांग्रेस के दिगंबर कामत के नाम पर राजी थी, लेकिन लॉबीइंग के चलते कांग्रेस की मुश्किले बढ़ गईं। राज्य में चुनकर आए नए 17 विधायकों ने सीक्रेट बैलेट के जरिए अपना लीडर चुना और हाई कमान को इसकी जानकारी दी, लेकिन उसी दौरान बीजेपी ने तेजी से काम करते हुए अपना सीएम घोषित कर दिया।

कांग्रेस पार्टी दिगंबर कामत और लुइजीन फालैरो के बीच ही उलझकर रह गई। दरअसल राज्य में चुनाव से पहले ही गोवा फॉरवर्ड पार्टी, कांग्रेस के साथ गठबंधन की इच्छुक थी और इसके लिए कामत तैयार थे, लेकिन फालैरो और उनके समर्थक इसके हक में नहीं थे।

12 मार्च को जब कांग्रेस, जीएफपी के साथ गठबंधन की कोशिश करने पहुंची तो पार्टी ने शर्त रख दी कि वह फालैरो को सीएम नहीं बनाएंगे।

इसी बीच बीजेपी ने बाजी मार ली जीएफपी और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी, दोनों को अपने साथ साध लिया।

ऐसे ही कांग्रेस मणिपुर में भी नाकाम रही। सबसे ज्यादा, 28 सीटें जीतने के बाद भी कांग्रेस पार्टी के लिए गठबंधन के साथी जुटा पाना असंभव हो गया क्योंकि एनपीएफ और एनपीपी बीजेपी के साथ है।

इसके अलावा एलजेपी का झुकाव भी बीजेपी की तरफ है।

कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह बीजेपी को तोड़ लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और बीजेपी ने बाजी मार ली।

मनोहर पर्रिकर गोवा के नए मुख्यमंत्री नियुक्त

गोवा की राज्यपाल मृदला सिंहा ने मनोहर पर्रिकर को गोवा का नया मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया है। उन्हें शपथ लेने के 15 दिन के भीतर बहुमत साबित करने को कहा गया है।

मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में भाजपा ने रविवार को गोवा में अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया था। गोवा में कांग्रेस से कम सीटें पाने वाली भाजपा को राकांपा, छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने जा रही है। इस गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री पर्रिकर होंगे।

गोवा फॉरवर्ड पार्टी, महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी, दो निर्दलीय और राकांपा के एकमात्र विधायक के समर्थन पत्र के साथ पर्रिकर ने रविवार शाम गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा से भेंट की। सबका साथ मिलने पर गठबंधन के पास कुल 22 विधायक हैं।

इसके साथ ही चुनाव में 13 सीटें पाने वाली भाजपा ने 40 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ा जुटा लिया है।

हालांकि चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस 17 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के गोवा में चुनाव प्रभारी नितिन गडकरी ने कहा, ''गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से पहले पर्रिकर रक्षामंत्री के पद से इस्तीफा देंगे।''

गोवा फॉरवर्ड पार्टी के नेता विजय सरदेसाई ने मीडिया को बताया कि राज्य में स्थिर सरकार के लिए वह भाजपा का समर्थन कर रहे हैं।

महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी के नेता सुदिन धावलिकर का कहना था कि उनकी पार्टी सिर्फ इस शर्त पर भाजपा को समर्थन देगी, यदि पर्रिकर राज्य सरकार के प्रमुख बनते हैं।

केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे सामने सहयोगी पार्टियों ने शर्त रखी कि अगर मनोहर पर्रिकर को सीएम बनाया जाता है तो हम लोग समर्थन देने के लिए तैयार हैं। फिर पार्टी अध्यक्ष और मैंने मनोहर पर्रिकर से बात की, उन्होंने कहा की पार्टी कमान जो भी कहेगी, मैं वह करने के लिए तैयार हूं।

इसके बाद रात गुजरते-गुजरते राज्यपाल ने मनोहर पर्रिकर को नया सीएम नियुक्त कर दिया है अब उन्हें सदन में बहुमत साबित करना होगा।

चुनाव में करारी हार के बाद मुलायम ने कहा, हार के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में शर्मनाक पराजय के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अपने बेटे अखिलेश यादव का बचाव करते हुए सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने रविवार को कहा कि हार के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है।

होली के लिए सैफई आए मुलायम ने संवाददाताओं से कहा कि हार के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। हम मतदाताओं को समझाने में नाकाम रहे। हार के लिए हर कोई जिम्मेदार है। किसी एक को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

उन्होंने कहा कि जनता का झुकाव भाजपा की ओर था क्योंकि उसने कई वायदे किए थे। देखते हैं कि कितने वायदे पूरे होते हैं।

मुलायम के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव भी सुबह इटावा में थे। उन्होंने कहा कि पार्टी चुनावों में खराब प्रदर्शन की वजहों का आकलन कर रही है। राजनीति में आप जीतते हैं और हारते भी हैं। सपा ने संघर्ष किया। हम फिर संघर्ष करेंगे और जीतेंगे। इस चुनाव में सपा केवल 47 सीटें जीत पाई, जबकि उसकी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को सात सीटों से ही संतोष करना पड़ा।

हरीश रावत ने ईवीएम पर उठाए सवाल, कहा- थैंक्स टू ईवीएम चमत्कार

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के बाद अब उत्तराखंड के निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए हरीश रावत ने कहा, ''शुक्रिया 'मोदी क्रांति' और ईवीएम 'चमत्कार'।

हालांकि, उन्होंने साफ तौर पर ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की बात नहीं कही, लेकिन जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या वे ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, ''आप लोग सब कुछ जानते हैं। मैं आप लोगों को गुमराह नहीं कर रहा। मैं यह समझने के लिए आप लोगों पर छोड़ता हूं।''

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को इस बारे में सफाई देनी चाहिए कि चुनाव प्रक्रिया को इतना लंबा क्यों खींचा गया?

हरीश रावत से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने भाजपा पर ईवीएम से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि ईवीएम पर लोगों ने चाहे किसी भी दल के निशान पर बटन दबाया हो, लेकिन ईवीएम ने सिर्फ भाजपा को ही वोट दिया।

मायावती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को चुनौती दी है कि अगर उनमें हिम्मत है तो वो यूपी विधानसभा चुनाव रद्द कराकर फिर से चुनाव कराएं।

मायावती ने कहा कि अगर मोदी और अमित शाह दूध के धुले हैं तो बैलेट पेपर से फिर से चुनाव करा लें, सही स्थिति सामने आ जाएगी।

इसके साथ ही मायावती ने कहा कि उन्होंने इस बारे में चुनाव आयोग को पत्र लिखा है कि लोगों को अब ईवीएम मशीन में भरोसा नहीं रह गया है।

हालांकि, चुनाव आयोग ने मायावती के पत्र का जवाब देते हुए इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है।

उत्तराखंड का देखा जाए तो 70 विधानसभा सीटों में से भारतीय जनता पार्टी ने 56 सीटें जीत ली हैं। वहीं कांग्रेस ने केवल 11 सीटें जीती हैं। इसके अलावा दो सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती हैं। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री हरीश रावत दोनों सीटों से हार गए।

छत्तीसगढ़: नक्सलियों का गश्त कर रही सीआरपीएफ की टुकड़ी पर हमला

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नक्सली हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 12 जवान शहीद हो गए, जबकि तीन अन्य जवान घायल हो गए हैं। राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुकमा जिले के भेज्जी थाना क्षेत्र के घने जंगलों में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के गश्ती दल पर घात लगाकर हमला कर दिया। हमले में सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन के 12 जवान शहीद हो गए, जबकि तीन अन्य जवान घायल हो गए।

अधिकारियों ने बताया कि गश्ती दल को भेज्जी क्षेत्र में बन रहे इंजरम भेज्जी मार्ग की सुरक्षा के लिए रवाना किया गया था। दल में लगभग एक सौ जवान शामिल थे। दल जब भेज्जी और कोत्ताचेरू गांव के मध्य जंगल में था तब नक्सलियों ने पुलिस दल पर गोलीबारी शुरू कर दी। हमले में सीआरपीएफ के 11 जवानों की मौके पर ही मौत हो गयी, जबकि चार अन्य घायल हो गए।

उन्होंने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस दल रवाना किया गया और शहीद जवानों के शवों और घायल जवानों को बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू की गई। घायलों को जंगल से बाहर निकालने के बाद तीन घायल जवानों को बेहतर इलाज के लिए रायपुर भेजा गया। जहां एक जवान की मौत हो गई। एक अन्य जवान को साधारण चोट आने के कारण उसका इलाज सुकमा के स्थानीय अस्पताल में किया गया। अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गई है तथा हमलावर नक्सलियों की खोज की जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नक्सलवादियों के हमले में सीआरपीएफ के जवानों की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह हालात का जायजा लेने के लिए सुकमा जा रहे हैं। मोदी ने ट्वीट किया, ''सुकमा में सीआरपीएफ जवानों की मौत पर दुखी हूं। शहीदों को श्रद्धांजलि और उनके परिजन के प्रति संवेदना। प्रार्थना है कि घायल शीघ्र स्वस्थ हों। गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी से सुकमा के हालात पर बात की है। वह हालात का जायजा लेने सुकमा जा रहे हैं।''

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा बल ने खोजी अभियान शुरू कर दिया है। नक्सलियों द्वारा बारूदी सुरंग में विस्फोट करने तथा हथियार लूटने की भी सूचना है। इसकी पुष्टि की जा रही है।

इधर सीआरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि नक्सली मार्च से जून माह के दौरान गर्मी में टेक्टिकल कांउटर अफेंसिव कैंपेन चलाते हैं। इस दौरान वह सुरक्षा बलों पर हमले तेज कर देते हैं।

उन्होंने बताया कि गर्मी के दौरान घात लगाकर हमला करना आसान होता है। वहीं इस हमले के दौरान क्षेत्र में मिलिट्री कंपनी के वहां मौजूद होने की सूचना मिल रही है। सीआरपीएफ के सूचना तंत्र के अनुसार बस्तर के दक्षिणी क्षेत्र में नक्सली नेता हिड़मा सक्रिय है। हमले में हिड़मा शामिल था कि नहीं इस बारे में जानकारी जांच के बाद ही सामने आएगी।

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस हमले की निंदा की है तथा इस घटना को नक्सलियों द्वारा कायरता पूर्वक किया गया कार्य कहा है।

मुख्यमंत्री ने हमले में मारे गए जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जवानों ने कर्तव्य निर्वहन के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया है। सिंह ने कहा कि क्षेत्र में हो रहे विकास के कार्यों के कारण नक्सली अब बौखलाए हुए हैं और इसलिए वह सुरक्षा बलों तथा आम लोगों पर हमले कर रहे हैं। सुरक्षा बल के जवान बस्तर को नक्सलियों की हिंसा से मुक्त करने के लिए अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं। उनकी कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी। राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह विशेष विमान से शाम को रायपुर आएंगे।