बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के काफिले पर अंडे फेंके जाने की खबर है। बताया जाता है कि पाटीदार समुदाय के लोगों ने शाह के काफिले को निशाना बनाया।
यह घटना सोमवार (6 मार्च) रात की है। हिंदुस्तान टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से रिपोई दी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले अमित शाह सड़क मार्ग से सोमनाथ मंदिर जा रहे थे। इसी दौरान कुछ युवकों ने उनके काफिले पर अंडे फेंके।
बीजेपी के अन्य नेताओं पर भी पिछले कुछ महीनों में इसी तरह के हमले हुए हैं। पिछले दिनों ही मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा पर एक युवक ने जूता फेंका था। भाजपा के युवा मोर्चे के अध्यक्ष ऋत्विज पटेल को मेहसाणा में रैली में एक युवक ने थप्पड़ मार दिया था। वहीं सूरत में उनकी रैली में अंडे फेंके गए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर गुजरात पर हैं। वे भी बुधवार (8 मार्च) को सोमनाथ मंदिर जाएंगे। पीएम बनने के बाद वे पहली बार सोमनाथ मंदिर जा रहे हैं। इससे पहले वे साल 2014 में लोकसभा चुनावों से पहले गए थे। उनके दौरे में किसी तरह ही अवांछित गतिविधि ना हो इसे रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है। तीन से आठ मार्च तक सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टी रद्द कर दी गई है।
पाटीदार समुदाय आरक्षण की मांग कर रहा है। इस आंदोलन का नेतृत्व हार्दिक पटेल कर रहे हैं। गुजरात में लगभग एक साल से ज्यादा समय से पाटीदार नौकरियों और सरकारी संस्थाओं में आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
गुजरात में 1998 से बीजेपी की सरकार है और पाटीदार आंदोलन के चलते उस पर दबाव बढ़ा है। इसके चलते प्रधानमंत्री मोदी पार्टी को यहां पर फिर से पटरी पर लाने में जुटे हैं। पाटीदार आंदोलन के बाद से वे कई बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं। पीएम का वर्तमान दौरा भी इसी दिशा में एक प्रयास बताया जाता है। पटेलों की नाराजगी को दूर करने के लिए ही भाजपा ने पिछले साल आनंदीबेन पटेल को हटाकर विजय रुपाणी को मुख्मयंत्री बनाया था। नितिन पटेल को उपमुख्यमंत्री बनाया था।
गुजरात विधानसभा में इसी साल चुनाव होने हैं। बीजेपी पटेलों के साथ ही दलित अत्याचारों के मुद्दे पर भी घिरी हुई है।
उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और बलात्कार के आरोपी गायत्री प्रजापति को लेकर अखिलेश यादव सरकार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। चुनाव के दौरान विपक्षी पार्टियों द्वारा निशाने पर रहने के बाद राज्य के गवर्नर राम नाईक ने भी प्रजापति के कैबिनेट में बने रहने पर सवाल उठाए हैं।
राज्यरपाल राम नईक ने सीएम अखिलेश यादव को चिट्टी लिखकर रेप के आरोपी गायत्री प्रजापति के कैबिनेट में बने रहने पर सफाई मांगी हैं। इससे पहले शनिवार को गायत्री प्रजापति का पासपोर्ट रद्द कर दिया था। इसके साथ ही गायत्री समेत 6 लोगों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गायत्री प्रजापति चुनाव नतीजे वाले दिन (11 मार्च) को खुद को सरेंडर कर सकते हैं।
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर दलजीत चौधरी ने शनिवार को बताया, ''बलात्कार के आरोपी मंत्री गायत्री प्रजापति का पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है।'' इसके साथ ही प्रजापति और छह अन्य के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किए गए हैं।
दलजीत चौधरी ने बताया कि प्रजापति के लिए लुक आउट नोटिस जारी किया गया है। प्रजापति की तलाश के लिए लखनऊ, कानपुर और अमेठी में छापे मारे गए हैं। इतना ही नहीं, स्पेशल टास्क फोर्स को भी प्रजापति के तलाशी अभियान में लगाया गया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने सपा नेता के खिलाफ कथित सामूहिक बलात्कार और अपने साथियों के साथ मिलकर पीड़िता की बेटी का उत्पीड़न करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। प्राथमिकी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दर्ज की गई। पुलिस ने जब गिरफ्तारी के लिए उनके घर पर रेड मारी तो वह गायत्री प्रजापति नहीं मिले। इसके बाद से वह फरार है।
गौरतलब है कि गायत्री प्रजापति पर जमीन कब्जे, खनन घोटाला, आय से अधिक संपत्ति, बलात्कार और मारपीट के कई आरोप लग चुके हैं। इन्हीं आरोपों की वजह से वे मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए गए थे, लेकिन मुलायम सिंह यादव के दबाव में अखिलेश को प्रजापति को वापस लाना पड़ा।
इसके बाद सपा-कांग्रेस गठबंधन के बाद अमेठी से टिकट पाने में भी गायत्री कामयाब रहे। विधानसभा चुनाव में प्रजापति अमेठी से ताल ठोंक रहे थे।
सीएम अखिलेश यादव ने उनके समर्थन में प्रचार भी किया था जिसके बाद से विपक्षी पार्टियों ने उन पर निशाना साधा था।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के अंतिम चरण के प्रचार के दौरान जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर दुद्धी क्षेत्र में चाय की दुकान चलाने वाले बनारसी और उनकी पत्नी मंजू के लिए रविवार (5 मार्च) कुछ खास था। बनारसी के यहां खास मेहमान जो आये। करीब डेढ़ बजे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का काफिला बनारसी की चाय की दुकान पर रूका।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि राहुल सुरक्षा घेरा तोडकर वाहन से उतरे और चाय मांगी। बनारसी और उनकी पत्नी पहले तो आश्चर्य में पड़ गये, लेकिन बाद में राहुल ने जब बातचीत शुरू की तो सामान्य हो गये। राहुल ने चाय की चुस्कियां भरते हुए बनारसी की पुत्री का नाम पूछा। बनारसी की बेटी ने जैसे ही बताया कि उसका नाम 'प्रियंका' है तो राहुल जोर से हंसे और बनारसी की बेटी से कहा, ''तुम तो मेरी बहन हो।'' यह कहकर उसे गले लगा लिया।
बातचीत के दौरान राहुल ने बनारसी के कामकाज और घर परिवार के बारे में जानकारी ली। राहुल को देखकर वहां भीड जमा हो गयी। राहुल ने उनसे भी बात की। कुछ उत्साही युवाओं ने राहुल के साथ 'सेल्फी' भी ली।
इससे पहले राहुल गांधी ने 4 मार्च को वाराणसी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव के साथ रोड शो किया था। 5 मार्च को उन्होंने जौनपुर में रैली की। उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस ने गठबंधन कर रखा है। कांग्रेस यहां पर 103 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
उन्होंने कहा, ''हम लोगों (सपा-कांग्रेस) के गठबंधन के बाद उनका (मोदी) चेहरा बदल गया है और अब वो नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में उन्हें इसका फायदा नहीं मिलने वाला है।''
राहुल ने कहा कि मोदी सिर्फ अमीरों का कर्ज माफ करते हैं, किसानों का नहीं। 'वो (मोदी) जहां जाते हैं, रिश्ते बनाते हैं, लेकिन रिश्ते बोलने से नहीं, निभाने से बनते हैं।'
नोटबंदी के फैसले को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि काला धन रखने वाले किसी भी व्यक्ति को जेल में नहीं डाला गया। आज भी 94 फीसदी काला धन विदेश में है।
शहर के बाहरी हिस्से तराल क्षेत्र में आज सुरक्षा बलों और एक मकान में घिरे हिज्बुल मुजाहिदीन के चार-पांच उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ में एक उग्रवादी ढेर हो गया।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि क्षेत्र में तलशी अभियान के लिए सेना के विशेष बल की तैनाती की गयी है। शाम में सुरक्षा बलों द्वारा मकान की घेराबंदी किए जाने के बाद मुठभेड़ शुरू हुई।
उन्होंने कहा कि एक पाकिस्तानी उग्रवादी का शव बरामद हो गया है और अन्य की तलाश जारी है। उन्होंने कहा कि मुठभेड़ स्थल पर प्रदर्शनकारियों के जमा होने के कारण इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है। उन्होंने सीआरपीएफ के एक जवान की राइफल छीन ली थी। सुरक्षा बलों ने मकान का आधा हिस्सा गिरा दिया है, लेकिन उग्रवादी तब भी उनपर गोलियां चला रहे थे। आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन का सदस्य बुरहान वानी इसी क्षेत्र का रहने वाला था।
अधिकारियों के मुताबिक, इलाके में छिपा हुआ एक आतंकी संगठन का टॉप कमांडर था जिसके बुरहान वानी से अच्छे संबंध थे। सर्च ऑपरेशन के दौरान ही आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर फायरिंग शुरू कर दी थी। सर्च ऑपरेशन को 42 राष्ट्रीय राइफल्स, जेएंडके पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और सीआरपीएफ के जवान चला रहे थे। इसी बीच इलाके के लोग धरना-प्रदर्शन करने निकल गए और उन्होंने गांव की तरफ जाने वाले कई रास्तों को ब्लॉक भी कर दिया।
अधिकारियों के मुताबिक, इसी दौरान एक जवान पर लाठी-डंडों से हमला कर उसकी बंदूक छीन ली गई।
वहीं सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब जवान अपने रास्ते पर थे तो उनपर मेनटाउन में पत्थरों और डंडो से हमला किया गया। इस पत्थरबाजी में सीआरपीएफ के 5 जवान घायल भी हो गए थे। एनकाउंटर के दौरान पुलिस ने लोगों को चेतावनी दी थी कि वह एनकाउंट साइट के करीब न जाए।
इसी बीच शोपियां इलाके के चिलपोरा गांव में चलाए जा रहे ऑपरेशन को मिलिटेंट्स के भागने के बाद बंद करना पड़ा। मुठभेड़ की शुरुआत शुक्रवार (3 फरवरी) देर रात को शुरू हुई थी। आतंकियों को ढूंढने के लिए घर-घर जाकर सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे थे।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी रोड शो अब भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के निशाने पर हैं। उन्होंने रोड शो को ताम झाम बताते हुए कहा कि यह एक तरह की हताशा को दिखाता है।
उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ''ये किसी किस्म की डिप्रेशन का भी संकेत देता है। ये कैसा डिप्रेशन है? अगर आप कॉन्फिडेंट हैं, आपके पास स्टार कैंपेनर्स हैं, जलेबी खाने वाले लीडर्स हैं तो ताम झाम का क्या मतलब है?''
एक दिन पहले ही 4 मार्च को केंद्रीय मंत्री और एनडीए के सहयोगी दल आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी रोड शो पर निशाना साधा था।
उन्होंने कहा था कि यह केवल विधानसभा चुनाव है, पीएम को रोड शो नहीं करना चाहिए। कुशवाहा ने समाचार एजेंसी एएनआर्इ से कहा कि मुझे लगता है कि पीएम को वाराणसी में रोड शो नहीं करना चाहिए। यह केवल विधानसभा चुनाव है।”
गौरतलब है कि कुशवाहा पहले यूपी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन बाद में मोदी से बैठक के बाद उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया। रालोसपा बिहार में प्रभाव रखती है और उसने भाजपा के साथ लोकसभा और बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था।
भाजपा ने मोदी के चार मार्च के रोड शो के बारे में कहा कि यह रोड शो नहीं था। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि वे तो काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन को जा रहे थे लोग उनसे जुड़ गए और एक सैलाब बन गया।
वहीं कांग्रेस ने इस रोड शो को आचार संहिता का उल्लंघन बताया था। उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा का सपा-कांग्रेस गठबंधन और मायावती नीत बसपा से कड़ा मुकाबला है और पार्टी को उम्मीद है कि राज्य के पूर्वी हिस्से अच्छा प्रदर्शन करके वह 403 सीटों वाले विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा हासिल कर सकती है, लेकिन ऐसा हो पायेगा, कहना मुश्किल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान वाराणसी में रोड शो किया था जिस सीट से वह सांसद हैं। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल की थी और अपना दल के साथ भाजपा गठबंधन को 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
तीन वर्ष बाद उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के लिए एक बार फिर भाजपा मोदी पर काफी हद तक निर्भर दिख रही है, लेकिन बीजेपी को सफलता मिलेगी या नहीं, ये वक्त बताएगा।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने खातों में न्यूनतम बैलेंस रखना अनिवार्य कर दिया है। बैंक ने गुरुवार (2 मार्च) को बताया कि न्यूनतम बैंलेंस ना रहने पर एक अप्रैल से पेनल्टी देनी होगी।
बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मेट्रोपॉलिटन शहरों में 5000, शहरी क्षेत्रों में 3000, अर्धशहरी क्षेत्रों में 2000 और ग्रामीण क्षेत्रों में खाते में कम से कम 1000 रखने होंगे। ऐसा नहीं होने पर एक अप्रैल से चार्ज लगाया जाएगा। चार्ज न्यूनतम बैलेंस और जितना पैसा रहेगा उसके अंतर के आधार पर वसूला जाएगा।
मेट्रोपॉलिटन शहरों में अगर अंतर 75 प्रतिशत से ज्यादा होगा तो चार्ज 100 रुपये और सर्विस टैक्स होगा। यदि कमी 50-75 प्रतिशत रहती है तो बैंक 75 रुपये और सर्विस टैक्स लेगा। 50 प्रतिशत से कम रहने पर 50 रुपये और सर्विस टैक्स लिया जाएगा।
इसी तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में 20-50 रुपये के बीच वसूले जाएंगे। सार्वजनिक क्षेत्र का यह बैंक एक अप्रैल से एक महीने के अंदर ब्रांच से तीन से ज्यादा नकद लेनदेन करने पर 50 रुपये चार्ज करेगा। वर्तमान में भी यह चार्ज लगता है और इसका रीन्यू किया जाएगा।
एसबीआई अधिकारी ने बताया, ''नकद लेनदेन पर चार्ज पहले से वसूला जा रहा है। एक अप्रैल से यह नियम फिर से रीन्यू कर दिया जाएगा। यह कदम ग्राहकों को बैंक आने से रोकने के लिए है क्योंकि बैंक एटीएम से 10 बार मुफ्त में पैसे निकालने की सुविधा दे रहा है।''
हाल के दिनों में बैंकों ने कुछ कड़े कदम उठाए हैं। एक मार्च से एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक ने एक महीने में चार बार से अधिक धन जमा करने या निकासी पर न्यूनतम 150 रुपए शुल्क लगाना शुरू किया।
एचडीएफसी बैंक ने एक परिपत्र में कहा कि यह शुल्क बचत के साथ-साथ वेतन खातों पर भी लगेगा। यह 1 मार्च से प्रभाव में आ गया है।
परिपत्र के अनुसार, साथ ही एचडीएफसी बैंक ने तीसरे पक्ष के लिये नकद लेनदेन की सीमा 25,000 रुपए प्रतिदिन तय की।
इसके अलावा नकद रखरखाव शुल्क वापस लिया जाएगा। ये सभी बुधवार (1 मार्च) से प्रभाव में आ गये हैं।
इस कदम को नकद लेन-देन को हतोत्साहित करने तथा डिजिटल भुगतान अभियान को गति देने के कदम के रूप में देखा जा रहा है।
23 फरवरी को मणिपुर में पीएम नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली से पहले वहां के एक भाजपा प्रत्याशी स्टिंग ऑपरेशन में रुपए बांटने की बात कहते पकड़े गए थे। इंडिया टुडे द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में मणिपुर बीजेपी के उम्मीदवार वोबा जोराम कैमरे पर यह बताते पाए गए थे कि कैसे उन्होंने चुनाव जीतने के लिए अपने क्षेत्र में वोटरों के बीच रुपए बांटने की योजना बना रखी है।
पिछले साल तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले जोराम को इस बार बीजेपी ने सेनापति जिले की माओ विधानसभा सीट से टिकट दिया है। हिडन कैमरा से किए गए स्टिंग में जोराम ने दावा किया था कि उन्होंने 'अपने प्रचार पर 1.02 करोड़ रुपए पहले ही खर्च कर दिए हैं।'
चुनाव आयोग द्वारा मणिपुर में हर उम्मीदवार द्वारा चुनावी खर्च की सीमा 20 लाख रुपए तय की गई है। स्टिंग में जोराम ने कहा था, ''अभी तक मैंने 1.02 करोड़ खर्च किए हैं। अगर मेरे पास दो करोड़ हैं तो मैं जीत जाऊंगा। मैं पक्का जीतूंगा। चार से पांच करोड़ में हो जाएगा। इतना ही लगेगा। पिछली बार (2012) में चार करोड़ लगे थे, 2007 में तीन करोड़। अब ज्यादा खर्चा होने लगा है। इस बार पक्का 5 करोड़ हो जाएगा।''
इस पर चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस थमा दिया था।
आचार संहिता लागू होने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार ने उत्तर-पूर्वी राज्यों के खिलाड़ियों, जिनमें से 5 चुनाव वाले मणिपुर के हैं, को सम्मानित किया है। इसके बाद चुनाव आयोग ने केंद्र को आचार संहिता का उल्लंघन करने पर नोटिस जारी किया है।
मणिपुर में दो चरणों में 4 और 8 मार्च को मतदान होना है। राज्य में 4 जनवरी को ही आचार संहिता लागू हो गई थी। चुनाव के नतीजे 11 मार्च को जारी किए जाएंगे।
गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के विभाग को जारी नोटिस में चुनाव आयोग ने पूछा है कि खिलाड़ियों को सम्मानित करने से पहले उससे क्यों सलाह नहीं ली गई? चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाओं से चुनाव के दौरान सत्ताधारी पार्टी को फायदा पहुंचेगा और चुनावी मैदान का बैलेंस बिगड़ जाएगा।
28 फरवरी को आयोजित एक समारोह में रियो ओलिंपिक में शामिल होने वाले पूर्वोत्तर के 11 खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया था। मणिपुर से भारतीय महिला हॉकी की कप्तान पी.सुशीला चानू, एल बॉमबेयला देवी (निशानेबाजी), के चिंग्लेनसान सिंह और के कोठाजीत सिंह (पुरुष हॉकी) और सॉयकॉम मीराबाई चानू (वेटलिफ्टिंग) हो सम्मानित किया गया।
पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के विभाग का काम संभाल रहे राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह और गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू भी इस समारोह में मौजूद थे। शनिवार तक इन मंत्रियों को चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देना है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेस में 22 फरवरी को एक सेमिनार के रद्द होने को लेकर एबीवीपी और एआईएसए के कार्यकर्ताओं में हिंसक झड़प हो गई। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने जेएनयू के छात्र उमर खालिद के बुलाने का विरोध किया था जिसके बाद सेमिनार को भी रद्द कर दिया गया। इसके बाद दोनों संगठनों के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए और आपस में भिड़ गए। बाद में छात्रों ने एबीवीपी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने छात्रों को लाठीचार्ज और अन्य तरीकों से नियंत्रित करने की कोशिश की।
दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने अंग्रेजी वेबसाइट द क्विंट को उस दिन की अपनी आपबीती बताई है। छात्रा ने बताया कि महिला पुलिसकर्मियों के होने के बावजूद भी उनके साथ पुरुष पुलिसकर्मियों ने मारपीट की।
छात्रा ने बताया, ''22 फरवरी की शाम को मैं 200 से ज्यादा छात्रों के साथ थी। हम लोग सड़क पर बैठे थे और नारे लगा रहे थे। एक महिला एसएचओ वहां आई और हमसे कहा कि यहां से चले जाओ। उसने हमें बोला कि हम पांच मिनट में यह जगह खाली कर दें। हम लोगों ने मना कर दिया और कहा कि जब तक एफआईआर दर्ज नहीं होगी, हम लोग तब तक नहीं जाएंगे। उन लोगों ने हमें चेतावनी नहीं दी। उन लोगों ने हमें लाठीचार्ज के बारे में भी नहीं बताया। हम लोगों ने हमारा विरोध प्रदर्शन जारी रखा। तभी अचानक मैंने शोर सुना। दो पुलिसवालों ने मेरा हाथ पकड़ा और सड़क पर घसीटना शुरु कर दिया। वे मुझे बस तक ले गए। उन्होंने मेरे चेहरे पर घूसे मारे। वे मुझे बस के पीछे ले गए, जहां पांच-छह दूसरे पुलिसवाले इंतजार कर रहे थे। उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया और बाल खींचे। उन्होंने चिल्लाया, 'बस के अंदर चलो'। लेकिन वे मुझे बस के अंदर नहीं जाने दे रहे थे। वे मुझे दरवाजे के पास धक्के देते रहे और मुझे पीटते रहे। यह स्पष्ट था कि वे मुझे चोट पहुंचाना और डराना चाहते थे। अगर वे मुझे बस के अंदर ले जाना चाहते थे तो मुझे कह सकते थे या मुझे घसीटकर अंदर ले जा सकते थे। वहां पर महिला पुलिसकर्मी भी मौजूद थीं।
साथ ही छात्रा ने बताया, ''मैंने सोचा कि हो सकता है मेरे छोटे बाल होने की वजह से उन्होंने मुझे लड़का समझ लिया होगा। लेकिन तभी देखा कि मेरी ही कॉलेज की दूसरी लड़की के भी बाल नोचे जा रहे थे। एबीवीपी के कार्यकर्ता महिलाओं को रेप की धमकियां दे रहे थे। लेकिन पुलिस हमें पीट रही थी और बस में भर रही थी। इसके बाद हमें हिरासत में ले लिया गया और एक घंटे तक बस में रखा। हमें रात में 9 बजे के आसपास हौज खास स्टेशन पर उतारा गया। मेरे पास मेरा सामान नहीं था, यहां तक की मेरा मोबाइल फोन भी नहीं। मेरा सामान उस दिन गायब हो गया।''
इसके अलावा छात्रा ने कहा, ''जब हमें हौज खास मेट्रो स्टेशन पर उतारा गया तो हम लोग यह सोच रहे थे कि अब क्या करें? हमें हमारे दोस्त से पता चला कि एबीवीपी के कुछ कार्यकर्ता नॉर्थ कैम्पस के पास सड़कों पर घूम रहे हैं और प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले छात्रों के साथ मारपीट कर रहे हैं। हम लोग वापस जाने से डर रहे थे। हमें यह भी सुनने को मिला कि एबीवीपी के कार्यकर्ता होस्टलों में छापा मारकर उन छात्रों को पीट रहे हैं, जिन्होंने प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। इसके बाद हमारे एक टीचर ने हमें वापस पीजी, होस्टल और फ्लैट में पहुंचाया।''
आरएसएस के स्टूडेंट विंग एबीवीपी के खिलाफ सोशल मीडिया पर कैम्पेन चलाने वाली गुरमेहर कौर की मां का कहना है कि उन्हें दुख होता है, जब उनकी बेटी को राष्ट्र-विरोधी कहा जाता है।
गुरमेहर की मां राजविंदर कौर ने कहा कि उनकी बेटी जो भी कर रही है, उस पर उन्हें गर्व है।
अंग्रेजी न्यूज चैनल इंडिया टुडे से बात करते हुए राजवींदर कौर ने कहा, ''मेरी बेटी जो भी कर रही है, उसके लिए हिम्मत चाहिए। जब उसे राष्ट्र-विरोधी बोला जाता है तो दुख होता है। वह जो भी कर रही है, उस पर मुझे गर्व है। मैंने उसे जन्म जरूर दिया, लेकिन अब मैं उससे सीख रही हूं।''
साथ ही गुरमेहर की मां ने बताया, ''उसने शांति का संदेश देने का रास्ता इसलिए चुना था क्योंकि वह नहीं चाहती कि जिन परिस्थितियों का सामना उसे करना पड़ा है, वैसे दिन दुनिया का कोई और बच्चा देखे। पिछले 48 घंटे में जो भी हुआ, मैं उससे बहुत दुखी हूं। मेरी बेटी बहुत ही मजबूत है। मैं मेरी दोस्त से कहती रहती थी, अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरी बेटी का क्या होगा? लेकिन अब मुझे पूरा भरोसा है कि मेरी बेटी मजबूत रहेगी और अपना गुजारा कर लेगी।''
गुरमेहर को ट्रोल किए जाने पर उसकी मां ने कहा, ''सहवाग जैसे क्रिकेटर ने उनका मजाक उड़ाया। मेरी बेटी खुद एक टेनिस प्लेयर है। सहवाग ने एक क्रिकेटर के नाते देश के लिए जो भी किए, उसके लिए हम उनका सम्मान करते हैं। हम लोग हमेशा उनसे प्यार करते रहे हैं। हमें फोगाट बहनों पर भी गर्व है। उन्होंने जो भी कहा वह उन्होंने अपने देशप्रेम की वजह से कहा। यह हो सकता है कि गुरमेहर का तरीका अलग हो। लेकिन वह भी अपने देश से उतना ही प्यार करती है।''