भारत में चीन के राजदूत लोऊ जाजोई ने इसे काफी गंभीर बताया और कहा कि भारत को तय करना है कि वह इस मसले को कैसे हल करना चाहता है।
चीनी मीडिया लगातार भारत को जंग की धमकी दे रही है। इसपर जब राजदूत से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि चीनी सरकार ने उस विकल्प पर भी बात की थी और अब सब भारत सरकार पर निर्भर है।
राजदूत ने कहा कि चीनी सरकार भारत के साथ शांति बनाए रखना चाहती है और पहले जैसे हालात बनाए रखने के लिए भारत को डोका ला इलाके से अपनी सेना को हटाना होगा।
राजदूत ने कहा कि आगे की बातचीत के लिए सैनिकों को वहां से हटाया जाना सबसे ज्यादा जरूरी है।
भारत और चीन के बीच डोका ला इलाके में विवाद चल रहा है। पिछले 20 दिनों से स्थिति ऐसी ही बनी हुई है। सारा विवाद एक सड़क को लेकर शुरू हुआ जिसे चीन वहां बना रहा है। भूटान उस इलाके को डोकलाम कहता है और भारत उसे डोका ला कहता है। चीन का दावा है कि वह जगह उसकी है और वह अपने हिस्से में ही निर्माण कर रहा है। चीन और भूटान के बीच राजनयिक सम्बन्ध नहीं है, भारत हर मोर्चे पर भूटान का समर्थन करता है।
राजदूत ने कहा कि स्थिति बेहद गंभीर है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि भारतीय सैनिक नियंत्रण रेखा को लांघकर उनकी तरफ चले गए। राजदूत ने यह भी कहा कि भारत को चीन और भूटान के बीच बोलने का और भूटान की तरफ से विवादित जगह पर अधिकार जताने का कोई हक नहीं है। राजदूत ने आखिर में कहा कि भारत को जल्द से जल्द सेना को हटा लेना चाहिए यह दोनों देशों के लिए अच्छा होगा।
चीन द्वारा भारत को गीदड़ भभकी दिये जाने के एक दिन बाद ड्रैगन की सरकारी मीडिया ने फिर कहा है कि नयी दिल्ली को या तो सिक्किम से अपने सैनिकों को इज्जत से वापस बुला लेना चाहिए या फिर उन्हें चीनी सेना धक्के मारकर बाहर कर दे।
इससे पहले चीन ने कहा था कि सीमा विवाद मुद्दे पर बीजिंग कोई समझौता नहीं करेगा। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि यदि भारत की सेना चीन से सीमा विवाद में उलझती है तो उसे 1962 से भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा।
अखबार ने लिखा है कि चीनी सेनाओं को भारत को जोरदार सबक सिखाना चाहिए।
बता दें कि सिक्किम में चीन द्वारा विवादित स्थान पर सड़क बनाने को लेकर भारत और चीन के बीच 20 दिनों से तनाव है, दोनों देशों ने विवादित स्थल के पास अपनी-अपनी सेनाएं तैनात कर रखी है।
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है, ''हम उम्मीद करते हैं कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) इतनी ताकतवर है कि चीनी क्षेत्र से भारतीय सेनाओं को बाहर भगा सकती है, अब हिन्दुस्तान की आर्मी को चुनना है कि वो इज्जत से बाहर जाना पसंद करेगी या फिर चीनी सेना उन्हें खदेड़कर बाहर कर दे।''
ग्लोबल टाइम्स में छपे संपादकीय के मुताबिक, चीन का मानना है कि यदि भारत को लगता है कि वो ढाई मोर्चे पर युद्ध में सक्षम है तो चीन को भारत की क्षमता पर हंसी आती है।
अखबार लिखता है, ''यदि नयी दिल्ली को लगता है कि वो अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन डोका ला में कर सकता है और भारत ढाई मोर्चे पर युद्ध के लिए तैयार है तो हम भारत को कहना चाहेंगे कि हम उसकी सैन्य क्षमता को कमतर आंकते हैं''
बता दें कि कुछ दिन पहले भारत के आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा है कि भारत ढाई मोर्चों पर यानी की पाकिस्तान, चीन और नक्सलियों से एक साथ युद्ध करने के लिए तैयार है।
भारत और चीन के बीच ये विवाद 6 जून को सिक्किम के नजदीक एक घाटी पर सड़क निर्माण को लेकर शुरू हुआ है। चीन, भूटान की मालिकाना हक वाली इस जमीन पर एक सड़क बनाना चाहता है।
चीन का दावा है कि भारत के सैनिकों ने चीन के क्षेत्र डोका ला में घुसकर इस निर्माण को रोक दिया है।
भारत का कहना है कि इस इलाके में सड़क बनाने के गंभीर सुरक्षा परिणाम हो सकते हैं, भारत ने ये भी कहा कि चीन जिस इलाके को अपना बता रहा है कि उसका मालिक भूटान है। भूटान ने भी भारत के रुख का कूटनीतिक और रणनीतिक समर्थन किया है।
बता दें कि जमीन के जिस टुकड़े को लेकर विवाद है वो भारत के लिए काफी अहम है। इस जमीन के जरिये ही भारत के उत्तर-पूर्व के सात राज्य देश के बाकी हिस्से से जुड़े हैं। इसके रणनीतिक महत्व को देखते हुए इसे 'चिकेन नेक' (मुर्गे की गरदन) भी कहा जाता है।
भारत ने सिक्किम के पास एक इलाके में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए और अधिक सैनिकों को 'नॉन-कांबटिव मोड' में लगाया है, जहां करीब एक महीने से भारतीय सैनिकों का चीनी जवानों के साथ गतिरोध बना हुआ है और यह दोनों सेनाओं के बीच 1962 के बाद से सबसे लंबा इस तरह का गतिरोध है।
सूत्रों ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा भारत के दो बंकरों को तबाह किये जाने और आक्रामक चालें अपनाये जाने के बाद भारत ने और अधिक सैनिकों को लगाया है। गैर-लड़ाकू मोड या 'नॉन-कांबेटिव मोड' में बंदूकों की नाल को जमीन की ओर रखा जाता है।
दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध से पहले के घटनाक्रम का पहली बार ब्योरा देते हुए सूत्रों ने कहा कि पीएलए ने गत एक जून को भारतीय सेना से डोका ला के लालटेन में 2012 में स्थापित दो बंकरों को हटाने को कहा था जो चंबी घाटी के पास और भारत-भूटान-तिब्बत ट्राईजंक्शन के कोने में पड़ते हैं। कई साल से इस क्षेत्र में गश्त कर रही भारतीय सेना ने 2012 में फैसला किया था कि वहां भूटान-चीन सीमा पर सुरक्षा मुहैया कराने के साथ ही पीछे से मदद के लिए दो बंकरों को तैयार रखा जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि भारतीय सेना के अग्रिम मोर्चों ने उत्तर बंगाल में सुकना स्थित 33 कोर मुख्यालय को चीन द्वारा बंकरों के लिए दी गयी चेतावनी के बारे में सूचित किया था। हालांकि सूत्रों ने कहा कि छह जून की रात को दो चीनी बुलडोजरों ने बंकरों को तबाह कर दिया था और दावा किया कि यह इलाका चीन का है और भारत या भूटान का इस पर कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि तैनात भारतीय सैनिकों ने चीनी जवानों और मशीनों को इलाके में घुसपैठ करने या और अधिक नुकसान पहुंचाने से रोक दिया।
टकराव वाली जगह से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित पड़ोस के ब्रिगेड मुख्यालय से अतिरिक्त बलों को आठ जून को भेजा गया जिस दौरान झड़प की वजह से दोनों पक्षों के सैनिकों को मामूली चोट आईं। इलाके में स्थित पीएलए के 141 डिवीजन से उसके सैनिक पहुंचने लगे जिसके बाद भारतीय सेना ने भी अपनी स्थिति को मजबूत किया।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच 1962 के बाद से यह सबसे लंबा गतिरोध है। पिछली बार 2013 में 21 दिन तक गतिरोध की स्थिति बनी थी, जब जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में 30 किलोमीटर अंदर डेपसांग प्लेन्स तक प्रवेश कर लिया था और इसे अपने शिनझियांग प्रांत का हिस्सा होने का दावा किया था। हालांकि उन्हें वापस खदेड़ दिया गया।
सिक्किम मई 1976 में भारत का हिस्सा बना था और एकमात्र राज्य है जिसकी चीन के साथ एक निर्धारित सीमा है। ये सीमा रेखा चीन के साथ 1898 में हुई एक संधि पर आधारित हैं। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद जिस इलाके में भारतीय सैनिक तैनात थे, उसे भारतीय सेना और आईटीबीपी के हवाले कर दिया गया। आईटीबीपी का एक शिविर अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर दूर स्थित है।
दोनों पक्षों के बीच संघर्ष की स्थिति आने के बाद भारतीय सेना ने मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी को इलाके में भेजा और चीन के अधिकारियों के साथ फ्लैग वार्ता का प्रस्ताव रखा गया। चीन ने भारत की तरफ से ऐसे दो आग्रहों को खारिज कर दिया, लेकिन बैठक की तीसरी पेशकश को स्वीकार कर लिया। इस बैठक में चीन की सेना ने भारतीय फौज से लालटेन इलाके से अपने जवानों को वापस बुलाने को कहा जो डोका ला में पड़ता है। डोका ला उस क्षेत्र का भारतीय नाम है जिसे भूटान डोकालम कहता है, वहीं चीन इसे अपने डोंगलांग क्षेत्र का हिस्सा होने का दावा करता है।
सूत्रों ने बताया कि गतिरोध के मद्देनजर चीनी सैनिकों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए जाने वाले 47 यात्रियों के पहले जत्थे को जाने से रोक दिया। उन्होंने भारतीय पक्ष से यह भी कहा कि एक और जत्थे में शामिल 50 लोगों के वीजा भी निरस्त कर दिये गये हैं। तिब्बत में स्थित कैलाश मानसरोवर के लिए सिक्किम वाला रास्ता 2015 में खोला गया था जिससे तीर्थयात्री नाथू ला से 1500 किलोमीटर लंबे रास्ते पर बसों से जा सकें। डोका ला में पहली बार इस तरह की घुसपैठ नहीं हुई है। चीन के सैनिकों ने नवंबर 2008 में भी वहां भारतीय सेना के कुछ अस्थाई बंकरों को नष्ट कर दिया था।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन चंबी घाटी पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है जो तिब्बत के दक्षिणी हिस्से में है। डोका ला इलाके पर दावा करके बीझिंग अपनी भौगोलिक स्थिति को व्यापक करना चाहता है ताकि वह भारत-भूटान सीमा पर सभी गतिविधियों पर निगरानी रख सके। चीन ने भारत पर कूटनीतिक दबाव भी बढ़ाया है और सिक्किम क्षेत्र में भारतीय सैनिकों द्वारा कथित रूप से सीमा पार करने को लेकर विरोध दर्ज कराया है।
हांगकांग में चीन के शासन के 20 साल पूरा होने के मौके पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार (1 जुलाई) को कड़ी चेतावनी दी कि लोकतंत्र के नाम पर हांगकांग में चीन की संप्रभुता को खतरा पैदा करने का कोई प्रयास रेड लाइन लांघना होगा और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।
ब्रिटेन द्वारा हांगकांग को चीन के सुपुर्द किए जाने की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक समारोह में जिनपिंग ने कहा कि हांगकांग पहले कभी इतना स्वतंत्र नहीं था, जितना आज है। साथ ही उन्होंने बीजिंग शासन के लिए अनुचित चुनौतियां खड़ी किए जाने के खिलाफ आगाह भी किया।
उन्होंने यह चेतावनी हांगकांग में बीजिंग समर्थक नई मुख्य कार्यकारी कैरी लैम के शपथ ग्रहण के मौके पर आयोजित समारोह में दी। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के महासचिव शी ने कहा, ''राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा को खतरा पैदा करने, केंद्रीय सरकार के अधिकार एवं हांगकांग विशेष प्रशासित क्षेत्र के मौलिक कानून के प्राधिकार को चुनौती देना या मुख्य क्षेत्र में घुसपैठ तथा नुकसान पहुंचाने के लिए हांगकांग के इस्तेमाल करने का कोई भी प्रयास रेड लाइन लांघना होगा और इसकी बिल्कुल इजाजत नहीं होगी।''
चीन समर्थक समिति द्वारा लैम का चयन किया गया है। अभी से इस निर्णय की आलोचना की जा रही है और कई लोग इसे शहर में चीन की एक कठपुतली की तैनाती बता रहे हैं। वहीं कुछ लोग लगभग 80 लाख लोगों की स्वतंत्रता पर बीजिंग की कठोर होती पकड़ से नाराज हैं।
चीनी राष्ट्रपति की यह प्रतिक्रिया युवा कार्यकर्ताओं के आत्मनिर्णय या हांगकांग के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करने के बाद आई है। युवा कार्यकर्ताओं की मांग को लेकर चीन की त्यौरियां तनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि हांगकांग के पास अधिक इतने व्यापक लोकतांत्रिक अधिकार हैं, जितने पहले कभी उसके पास नहीं थे।
लैम ने शी से हाथ मिलाने से पहले, देश के हारबरफ्रंट सम्मेलन केंद्र में चीन के राष्ट्रीय ध्वज के नीचे पद की शपथ ली। ब्रिटेन ने एशिया के वित्तीय केंद्र हांगकांग का नियंत्रण वर्ष 1997 में चीन के हाथ में दे दिया था।
अमेरिका के अर्कांसस राज्य के एक नाइट क्लब में गोलीबारी की खबर है।
अमेरिकी मीडिया के अनुसार, राज्य के लिटिल रॉक शहर में एक कंसर्ट के दौरान विवाद हो गया जिसके बाद एक बंदूकधारी ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं।
घटना में 17 लोग घायल बताए जा रहे हैं। पुलिस के अनुसार, घटना शनिवार रात करीब ढाई के आसपास हुई। एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा था, मगर उसकी हालत फिलहाल स्थिर है। संदिग्ध के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है, मगर पुलिस का कहना है कि स्थिति किसी आतंकी या सक्रिय शूटर से जुड़ी नहीं लग रही।
भारत-चीन के बीच ताजा तनाव पर असम के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत को चीन के साथ जंग से बचना चाहिए क्योंकि चीन ताकत में भारत से बहुत आगे है।
बीजेपी शासित असम के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि भारत और चीन 2 साल आगे पीछे आजाद हुए, लेकिन आज परिस्थिति ये है कि हम आज चीन से डरते हैं।
उत्तर-पूर्वी राज्यों के पुलिस अधिकारियों के एक कार्यक्रम में बनवारी लाल पुरोहित ने कहा, ''चीन हमसे 2 साल पहले स्वतंत्र हुआ था। आज परिस्थिति ये है कि हम चीन से डरते हैं।''
उन्होंने कहा कि भारत को चीन से जंग से बचना चाहिए क्योंकि चीन हमारे से ताकत में बहुत आगे है। गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने चीन से भारत के पिछड़ने की वजह के लिए भ्रष्टाचार को जिम्मेवार माना है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के राक्षस ने भारत को बर्बाद किया है।
बता दें कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर पिछले कुछ दिनों से तनाव बढ़ा हुआ है। ये विवाद तब शुरू हुआ है, जब चीनी सेनाओं ने सिक्किम में भारतीय इलाके में बने दो अस्थायी बंकरों पर बुलडोजर चलवा दिया। इसके बाद आर्मी चीफ बिपिन रावत ने गुरुवार (29 जून) को सिक्किम का दौरा किया। अब यहां दोनों देशों ने अपनी तीन-तीन हजार सेनाएं तैनात कर रखी है, और कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है।
इस बीच चीन ने गुरुवार को भारत को धमकी भरे अंदाज में कहा कि अगर भारत ने 'चीनी क्षेत्र' से अपने सैनिकों को वापस नहीं बुलाया तो दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ सकता है। चीन ने कहा है कि भारत को 1962 की जंग से सबक लेना चाहिए और युद्ध के लिए शोर नहीं मचाना चाहिए।
चीन के इस बयान पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत के रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चीन को ये समझना चाहिए कि 1962 और 2017 के भारत में बहुत फर्क है।
इस बीच भारत ने चीनी सीमा में भारतीय सैनिकों के घुसपैठ की खबरों का आधिकारिक तौर पर खंडन किया है और कहा है कि घुसपैठ चीन के सैनिकों ने की थी।
भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन को पत्र लिखकर कहा है कि भारत चीन द्वारा डोकलाम इलाके में सड़क निर्माण के प्रति गंभीर चिंता जाहिर करता है। भारत के मुताबिक, चीन की इस कोशिश से सिक्किम-भूटान-तिब्बत के त्रिमुहाने पर भौगोलिक स्थिति में बदलाव हो सकता है जिससे गंभीर सुरक्षा परिणाम हो सकता है। भूटान ने भी इस इलाके में सड़क बनाने की चीनी कोशिशों का खंड़न किया है।
भारत और चीन के बीच सिक्किम में हुए ताजा सीमा विवाद के बाद दोनों देशों ने इस इलाके में सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिया है। चीन और भारत दोनों ने इस इलाके में तीन-तीन हजार सैनिक तैनात कर रखे हैं।
भारतीय सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने गुरुवार (29 जून) को गंगटोक स्थित 17 माउंटेन डिविजन और कालिमपॉन्ग में 27 माउंटेन डिविजन का दौरा किया।
विवाद तब शुरू हुआ, जब चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाके में बने दो अस्थायी बंकरों को नष्ट कर दिया। भारत के सिक्किम में स्थित विवादित इलाका भूटान और तिब्बत के सीमा के निकट है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस इलाके खासकर डोका ला में हालात कई सालों से गंभीर बनी हुई है। दोनों ही देश अपने सैनिकों को पीछे नहीं हटाना चाहते। चीन द्वारा घुसपैठ की ताजा कोशिश को रोकने के लिए भारतीय सैनिकों ने मानव दीवार बनाई थी। बिपिन रावत ने अपने दौरे में 17वीं डिविजन पर विशेष ध्यान दिया। 17वीं डिविजन की चार ब्रिगेडो पर पूर्वी सिक्किम की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। हर ब्रिगेड में तीन हजार से अधिक सैनिक हैं। बिपिन रावत के दौरे में 33 कॉर्प्स और 17वीं डिविजन के सभी अधिकारी मौजूद रहे। रावत शुक्रवार (30 जून) सुबह नई दिल्ली वापस लौट गए।
चीन इस इलाके में भूटान की डोकलाम घाटी तक जाने वाली सड़क बनाना चाहता है, लेकिन भारत ने ऐसा करने की इजाजत देने से साफ मना कर दिया है। भूटान ने भी चीन को सड़क निर्माण रोकने के लिए कहा है। चीन उच्च गुणवत्ता वाली चौड़ी सड़क बना रहा है जिस पर भारी सैन्य वाहन भी आसानी से जा सकें।
चीन की सेना ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि उसने तिब्बत में 35 टन वजन वाले टैंक का सड़क परीक्षण किया। माना जा रहा है कि चीन 40 टन तक वजन सह सकने वाली सड़क बना रहा है।
चीन 269 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाली डोकलाम घाटी में सड़क बनाकर सिक्किम और भूटान के बीच पड़ने वाली अपनी चंबी घाटी में अपनी सामरिक स्थिति मजबूत करना चाहता है। चीन चाहता है कि भूटान डोकलाम घाटी उसे सौंप दे, बदले में वो उसे उत्तरी भूटान के 495 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर अपना दावा छोड़ देगा। लेकिन भारत अपने सुरक्षा जरूरतों के मद्देनजर इस इलाके को लेकर बहुत संवेदनशील है।
चीन ने गुरुवार (29 जून) को भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उसने चीनी क्षेत्र से अपने सैनिकों को वापस नहीं बुलाया तो इससे सीमा पर मौजूदा तनाव और बढ़ेगा और सीमा पर गतिरोध को लेकर अर्थपूर्ण वार्ता के लिए यही शर्त है।
बीजिंग ने कहा कि उसके पास भारतीय सैनिकों के चीनी सीमा के उल्लंघन की तस्वीरें हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने संवाददाताओं से बातचीत में कुछ सेकंड के लिए तस्वीरें दिखाईं। दूरी के कारण तस्वीर स्पष्ट रूप से नहीं दिख पाई।
लू ने कहा कि प्रेस वार्ता के बाद ये तस्वीरें विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर डाली जाएंगी। उन्होंने कहा, ''हम एक बार फिर भारतीय पक्ष से ऐतिहासिक सीमा सम्मेलन का पालन करने, चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का आदर करने तथा तनाव में और इजाफा न हो इसके लिए सैनिकों को वापस भारतीय सीमा में लौटने का आग्रह करते हैं।''
उन्होंने कहा, 'विवाद के निपटारे के लिए यही शर्त है और अर्थपूर्ण वार्ता शुरू करने का आधार भी।''
लु द्वारा चीनी क्षेत्र कहने का मतलब डोंगलोंग तथा डोकलाम से है जो चीन तथा भूटान के बीच एक विवादित क्षेत्र है, जहां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी तथा भारतीय सैनिकों के बीच झड़प हुई है। चीन ने भारत पर भूटान की मिलीभगत से सड़क निर्माण को बाधित करने का आरोप लगाया है।
सैनिकों के आमने-सामने आने के बाद चीन ने भारतीय तीर्थयात्रियों की कैलाश मानसरोवर यात्रा निलंबित कर दी। तीर्थयात्री नाथुला दर्रा होते हुए कैलाश मानसरोवर जाने वाले थे जिसे बंद कर दिया गया है।
लु ने कहा कि भारतीय सैनिकों के चीनी क्षेत्र में घुसने की खबर से इनकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, ''भारत हमारे ऐतिहासिक सीमा सम्मेलनों के साथ ही भारत सरकार के वादे का उल्लंघन कर रहा है। मैं आपको सीमा के उल्लंघन की तस्वीरें दिखा सकता हूं।''
चीन ने डोकलाम या डोंगलोंग इलाके के जोंपलरी में एक भूटानी सैन्य शिविर की तरफ सड़क निर्माण पर भूटान के विरोध को दरकिनार करते हुए कहा कि यह चीनी क्षेत्र में हो रहा है तथा निर्माण न्यायोचित व वैध है।
भूटान ने इस घटना को लेकर नई दिल्ली में चीनी दूतावास को एक डेमार्श (कूटनीतिक कार्यवाही) जारी किया है क्योंकि दोनों देशों के बीच कोई कूटनीतिक रिश्ता नहीं है।
लु ने कहा, ''डोंगलोंग प्राचीन काल से ही चीन का हिस्सा है। यह निर्विवाद क्षेत्र है और इस संबंध में हमारे पास पर्याप्त कानूनी आधार हैं।''
लु ने कहा, ''और अपने क्षेत्र में सड़क निर्माण करना चीन की संप्रभु कार्रवाई है। यह पूरी तरह न्यायोचित तथा वैध है।''
केवल भारत व भूटान ही नहीं, चीन के बाकी 12 पड़ोसी मुल्कों के साथ सीमा को लेकर विवाद हैं।
चीन ने सिक्किम सेक्टर में सड़क निर्माण को वैध करार दिया और कहा कि यह निर्माण चीन के उस इलाके में किया जा रहा है जो न तो भारत का है और न ही भूटान का और किसी अन्य देश को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
चीन ने इशारा किया कि भारत भूटान की ओर से सिक्किम क्षेत्र के दोंगलांग में सड़क निर्माण के प्रयासों का विरोध कर रहा है जिसका चीन के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने मीडिया से कहा, ''दोंगलांग चीनी क्षेत्र में आता है। यह अविवादित है। दोंगलांग क्षेत्र प्राचीन काल से चीन का हिस्सा है भूटान का नहीं।''
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, ''भारत इस क्षेत्र के साथ मुद्दा उठाना चाहता है। मेरा कहना है कि यह भूटान का हिस्सा नहीं है, और न ही यह भारत का हिस्सा है। तो हमारे पास इसके लिए पूरा कानूनी आधार है। चीन की सड़क निर्माण परियोजना वैध है और उसके क्षेत्र के भीतर यह सामान गतिविधि है। किसी भी देश को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है।''
भारत पर निशाना साधते हुए ल्यू ने कहा कि भूटान वैश्विक मान्यता प्राप्त संप्रभु देश है।
उन्होंने कहा, ''उम्मीद है कि अन्य देश दूसरे देश की संप्रभुता को सम्मान देंगे। चीन-भूटान सीमा निरूपित नहीं है, किसी भी तीसरे पक्ष को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और न ही कोई गैरजिम्मेदाराना कार्य करना चाहिए और न ही बयानबाजी।''
चीन का कहना है कि भारत-चीन सीमा का सिक्किम भाग निर्धारित है इसलिए भारत को सड़क निर्माण में आपत्ति उठाने का अधिकार नही है। उन्होंने कहा कि चीन ने इसी कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सिक्किम क्षेत्र में नाथूला दर्रे को भारतीय श्रद्धालुओं के लिए खोला था।
चीनी विचारकों का मानना है कि भारत ने भूटान की ओर से सड़क निर्माण का कार्य रोका है। इससे पहले चीन ने सिक्किम में सड़क निर्माण को जायज ठहराते हुए कहा था कि 1890 में हुई चीन-ब्रिटेन संधि के अनुसार, निसंदेह वह क्षेत्र उसकी सीमा में आता है।
ल्यू कांग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सिक्किम का प्राचीन नाम 'झी' था। उन्होंने कहा, ''भारतीय सेना ने जिस क्षेत्र पर आपत्ति उठाई है। वह इस संधि के मुताबिक, निसंदेह चीन की सीमा की ओर स्थित है। चीन की ओर से यह बयान भारतीय सेना द्वारा सड़क निर्माण पर रोक लगाए जाने के चीनी सेना के आरोपों के एक दिन बाद आया है। चीन भारत-चीन सीमा के सिक्किम को अपना 'संप्रभु क्षेत्र' मानता है। ल्यू ने कहा कि भारत-चीन सीमा के सिक्किम प्रखंड को चीन और भारत दोनों ने मान्यता दी थी।
उन्होंने कहा, ''भारतीय नेताओं, भारत सरकार में संबंधित दस्तावेज, चीन-भारत सीमा मुद्दे के विशेष प्रतिनिधियों की बैठक ने इस बात की पुष्टि की कि दोनो पक्षों ने 1890 में चीन-ब्रिटेन संधि पर हस्ताक्षर किए थे और सिक्किम की चीन-भारत सीमा को आम सहमति के अनुसार देखने के निर्देश दिए थे।
प्रवक्ता ने कहा, ''इन संधियों और दस्तावेजों का पालन अंतरराष्ट्रीय बाध्यता है और भारतीय पक्ष इससे बच नहीं सकता।''
वहीं चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से सोमवार रात जारी एक बयान में कहा गया, ''भारतीय सीमा प्रहरियों ने भारत-चीन सीमा के सिक्किम क्षेत्र की सीमा को पार किया और चीनी क्षेत्र में घुस आए और उन्होंने दोंगलांग क्षेत्र में चीन के अग्रिम बलों की सामान्य गतिविधियों को बाधित किया जिसके बाद चीन ने रक्षात्मक कदम उठाए।''
इससे पहले कल ल्यू ने कहा था कि चीन ने भारतीय सैनिकों के सिक्किम में घुस आने का आरोप लगाते हुए तथा उन्हें तत्काल वापस बुलाने की मांग करते हुए भारत के समक्ष राजनयिक विरोध दर्ज करा दिया है।
उन्होंने यह भी कहा था कि सीमा गतिरोध के कारण चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नाथूला दर्रे को बंद कर दिया है।
चीन ने भारतीय सेना के एक बंकर पर बुलडोजर चला दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि भारत, चीन और भूटान के जंक्शन पर सेना के एक बंकर को चीन ने हटाने के लिए कहा था । भारत ने इंकार किया तो चीन ने जबरन बंकर ढाह दिया।
यह घटना जून के पहले हफ्ते में सिक्किम के डोका ला जनरल क्षेत्र में हुई जिसके बाद भारत-चीन बॉर्डर पर तनाव बढ़ गया है।
सिक्किम से लगी सीमा पर भारत कई नए बंकर बना रहा है और पुराने बंकरों को दुरुस्त कर रहा है, यह कवायद चीन को रास नहीं आई।
भारत-चीन के बीच जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3,488 किलोमीटर की सीमा है। इसमें से 220 किलोमीटर सिक्किम में आता है।
बीजिंग बीते दिनों तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के अरुणाचल दौरे को लेकर पहले ही नाराजगी जता चुका है।
पीटीआई के मुताबिक, चीनी सैनिक सिक्किम के अलावा आगे के क्षेत्रों में तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सीमांकन हो चुका है। सिक्किम सरकार ने केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट भेजकर डोका-ला की घटना के बाद पैदा हुए हालातों की जानकारी दी है।
भारत और चीन के बीच जारी तनाव के चलते कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर निकले करीब 50 श्रद्धालुओं को नाथू ला बॉर्डर से वापस लौटा दिया गया था। तीन दिन तक नाथू ला में चीन की तरफ से इजाजत मिलने का इंतजार करने के बाद तीर्थयात्री 23 जून को वापस गंगटोक आ गए।
दूसरी तरफ, भूटान ने चीनी राजदूत को डिमार्श जारी करते हुए कहा है कि वह डोकलाम क्षेत्र में पहले जैसी स्थिति बहाल करे, जहां चीनी सैनिक अपनी मर्जी से सड़क बना रहे हैं।
चीन ने भारतीय सैनिकों पर अपनी सीमा के उल्लंघन का आरोप लगाया है और उन्हें वापस लौटने को कहा है।
लु ने कहा, ''वहां के हालात पर आपात प्रतिक्रिया के रूप में तीर्थयात्रा रोकनी पड़ी। मैं कहना चाहता हूं कि तीर्थयात्रा शुरू करने के लिए आवश्यक माहौल तथा हालात की जरूरत है।''
उन्होंने कहा, ''इसलिए इसकी पूरी जवाबदेही भारतीय पक्ष की है और यह कब पुन: शुरू होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि भारतीय पक्ष अपनी गलती सुधारता है या नहीं।''









